- कांग्रेस से बगावत करके निर्दलीय प्रत्याशी ने कांग्रेस से छीना प्रथम नगर पंचायत अध्यक्ष पद का ताज
- कांग्रेस आपसी लड़ाई में हार गई नगर पंचायत पटना चुनाव
- दो भाजपा नेताओं के विरोध का भाजपा प्रत्याशी पर भी दिखा असर,हारते-हारते बचीं
- कांग्रेस पार्टी के अंदरूनी कलह ने भाजपा को दे दी नगर पंचायत अध्यक्ष पटना की कुर्सी
- भाजपा के दो दिग्गज नेता भी हारे,चुनावी राजनीति से ले लेना चाहिए सन्यास
- भाजपा का होगा अध्यक्ष तो कांग्रेस बना सकती है अपना उपाध्यक्ष
- पूर्व जिलाध्यक्ष नहीं जीता पाए अपना वार्ड,तो वही दो दिग्गज नेता हार गए वार्ड पार्षद का चुनाव
- जिस वार्ड को भाजपा जीता हुआ मान रही थी वही दोनों वार्ड में भाजपा को मिली करारी हार
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-रवि सिंह-
कोरिया/पटना,15 फरवरी 2025 (घटती-घटना)। कोरिया जिले में एक ही नगरीय निकाय चुनाव था वह भी पहली बार बना पटना नगर पंचायत का नगरीय चुनाव जहां पर पहले से ही चुनाव काफी रोमांच से भरा रहा, पहले तो नगर पंचायत बनने का विरोध होता रहा फिर अंततः जब चुनाव हुआ तो यहां पर दोनों राष्ट्रीय पार्टी अपने अध्यक्ष पद के प्रत्याशी व पार्षद प्रत्याशियों के लिए चयन में कशमकश में लगी रही, अंततः सब चीज तय हो गई और फिर चुनाव मैदान में जीतने के लिए दोनों राष्ट्रीय पार्टी दमखम के साथ चुनावी प्रचार में जुट गए वहीं निर्दलीय प्रत्याशी भी अध्यक्ष बनने के लिए पूरा दमखम के साथ मैदान में कूदे जहां राष्ट्रीय पार्टी अपने प्रत्याशी को जिताने के लिए लगी रही वहीं निर्दलीय प्रत्याशी रैशुन कुरैशी कड़ी टक्कर देते हुए मैदान में जितने का प्रयास करती रहीं, जहां सभी मुकाबले को कांग्रेस व भाजपा प्रत्याशी के बीच मान रहे थे वहीं जब परिणाम आया तो मुकाबला निर्दलीय व भाजपा प्रत्याशी के बीच निकला जहां पर भाजपा प्रत्याशी ने निर्दलीय प्रत्याशी को 109 मतों से हरा दिया और प्रथम नगर पंचायत अध्यक्ष की कुर्सी हासिल कर ली। नगर पंचायत की प्रथम कुर्सी जिसने हासिल की उन्होंने मनोनीत अध्यक्ष पद को ठुकरा दिया था पर अंततः वह किस्मत की धनी निकली और निर्वाचित होकर प्रथम नगर पंचायत अध्यक्ष की कुर्सी पर विराजमान हो गईं, इतिहास के पन्नों में गायत्री सिंह का नाम दर्ज हो गया है जब भी पटना नगर पंचायत के प्रथम अध्यक्ष की बात होगी तो इनका नाम गर्व से लिया जाएगा। अब पटना नगर पंचायत के इतिहास में प्रथम अध्यक्ष के तौर पर गायत्री सिंह की पहचान हमेशा के लिए रहेगी। गायत्री सिंह जहां अभी तक किसी राजनीतिक दल से सरोकार नहीं रखती थीं लेकिन उन्होंने जब राजनीतिक दल का चुनाव किया तो उन्होंने भाजपा का चुनाव किया जो उनके लिए कहीं ना कहीं काफी फायदेमंद रहा ,विरोध के बावजूद उन्हें अध्यक्ष पद के लिए जीत मिली जो भाजपा व भाजपा प्रत्याशी दोनों के लिए अहम है।
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भाजपा जिलाध्यक्ष का बढ़ा कद,निर्णय सही साबित होने पर जमकर नाचे जिलाध्यक्ष
भाजपा जिलाध्यक्ष ने परिणाम आते ही जमकर ठुमके लगाए और खूब नाचते नजर आए। उनका निर्णय सही साबित हुआ और गायत्री सिंह चुनाव में अध्यक्ष पद पर बाजी मार ले गईं यह उनकी जीत पर नाचने का जिलाध्यक्ष का कारण था। जिलाध्यक्ष का कद एक तरह से संगठन में प्रदेश स्तर तक बढ़ गया क्योंकि उन्होंने अनारक्षित सीट से आदिवासी महिला को टिकट दिया और वह जीत गई जो उनके खाते में सफलता नाम से जुड़ गया हमेशा के लिए।
यदि बगावत हुआ तो निर्दलीय के साथ उपाध्यक्ष बनाने में भाजपा को भी मिल सकती है सफलता
यदि कांग्रेस में पार्षदों में उपाध्यक्ष पद को लेकर खींचतान हुई और आम सहमति नहीं बन पाई तो ऐसे में बगावत की बात सामने आयेगी और ऐसे में भाजपा निर्दलीय दो पार्षदों के साथ समीकरण तय कर ले जाएगी।वैसे कांग्रेस में बगावत शायद ही हो और आम सहमति से वार्ड क्रमांक 6 से जीतकर आने वाले पार्षद को उपाध्यक्ष बनाया जाना तय माना जा रहा है।
निर्दलीय को मिलना तय था समर्थन,कई कारणों से निर्दलीय रहीं दूसरे स्थान पर
इस चुनाव में निर्दलीय को समर्थन मिलना तय था जिसके कई कारण थे जिसमें गायत्री सिंह का 10 साल का कार्यकाल और उसका विरोध जिसे सत्ता विरोधी लहर कहना सही होगा वहीं भाजपा नेताओं का विरोध। कुलमिलाकर दूसरे स्थान पर रही निर्दलीय प्रत्याशी की जगह और कोई होता वह जीत सकता था फिर भी दूसरे स्थान पर रहने वाली प्रत्याशी को मिला विरोध स्वरूप समर्थन।
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भाजपा ने अध्यक्ष बनाकर मनाया जश्न तो वहीं कांग्रेस ने 8 पार्षद जीतकर मनाया जश्न
भाजपा ने अध्यक्ष निर्वाचित करने के लिए जितनी मेहनत की उसके बदौलत उन्होंने प्रथम नगर पंचायत पटना का अध्यक्ष निर्वाचित कर लिया 109 मतों से उन्हें जीत दर्ज की, पर 15 वार्डों में से सिर्फ पांच वार्डो में ही पार्षद जीत पाए भाजपा के, वहीं कांग्रेस 15 में से आठ वार्डो में अपने पार्षद जिताने में कामयाब हो गई, वही दो निर्दलीय पार्षद भी जीतकर आए। इस तरह जहां भाजपा अध्यक्ष प्रत्याशी को जीताकर जश्न में डूबी रही तो वहीं कांग्रेस 8 पार्षद जीतकर जश्न में दिखी।
दो बड़े चेहरे जो भाजपा के पार्षद प्रत्याशी थे चुनाव हारे
वार्ड क्रमांक 1 व वार्ड क्रमांक 6 में भाजपा ने अपने बड़े और मजबूत नेताओं को चुनाव में उतारा था, जो खुद में अपने आप में एक शख्सियत है, एक सोनी समाज के नेतृत्व करते हैं तो दूसरे की पूरी भाजपा को जीत दिलाने में अहम भूमिका रहती है, पर इन दोनों नेताओं की हार हर किसी को भी आश्चर्य में डाल रही है किसी ने नहीं सोचा था कि यह नेता हार जाएंगे वहीं एक वार्ड और है जिसे 14 नंबर वार्ड कहा जाता है इस वार्ड से भी भाजपा को हारने की उम्मीद नहीं थी पर इस वार्ड से भाजपा व कांग्रेस प्रत्याशी के बीच टाई हो गया दोनों को बराबर मत मिले फिर बाद में सिक्का उछालकर इसका फैसला किया गया, जिसमें कांग्रेस प्रत्याशी जीत गए कांग्रेस प्रत्याशी को यहां पर सबसे कमजोर प्रत्याशी माना जा रहा था और उनका हारना तय था पर जब परिणाम आया तो भाजपा प्रत्याशी की ही हार हुई।
पूर्व भाजपा जिलाध्यक्ष अपना वार्ड भी नहीं जीत पाए…
पूर्व भाजपा जिलाध्यक्ष जवाहरलाल गुप्ता वार्ड नंबर 9 के प्रभारी थे इस वार्ड में भी वह अपने पार्षद प्रत्याशी को जीता नहीं पाए, यहां पर भाजपा पार्षद प्रत्याशी को हार मिली तो वहीं कांग्रेस प्रत्याशी जीत दर्ज करने में सफल रहे, वहीं इसी के बगल का वार्ड नंबर 11 जहां पर वह अपने दुकान से बैठकर राजनीति करते हैं उस वार्ड कि भाजपा प्रत्याशी को भी जीत नहीं दिला पाए, वहां पर निर्दलीय ने जीत दर्ज करने में सफलता पाई।
क्या जिस कांग्रेस पार्षद प्रत्याशी ने भाजपा के दिग्गज नेता को हराया क्या कांग्रेस उसे बनाएगी नगर पंचायत का उपाध्यक्ष?
कांग्रेस भले ही अध्यक्ष का चुनाव हार गई लेकिन पार्षदों के मामले में कांग्रेस सबसे अधिक पार्षद जीताकर लाई और एक तरह से वह बहुमत में उपाध्यक्ष पद के लिए। कांग्रेस के आठ पार्षदों में से सबसे बड़ी जीत वार्ड क्रमांक 6 के पार्षद की मानी जा रही है जिन्होंने भाजपा के कद्दावर नेता को हराने में कामयाबी हासिल की। अब कांग्रेस क्या वार्ड क्रमांक 6 के अपने पार्षद को उपाध्यक्ष बनाएगी? वैसे सभी का मानना है कि यह कांग्रेस के लिए पटना की राजनीति में लौटने का भी मार्ग प्रशस्त करेगा, क्योंकि वार्ड क्रमांक 6 के पार्षद सोनी समाज से आते हैं और सोनी समाज का इस चुनाव में पूरा समर्थन भाजपा को नहीं मिला और सोनी समाज ने कहीं न कहीं भाजपा प्रत्याशी को आंशिक रूप से मतदान किया और ऐसे में सोनी समाज का उपाध्यक्ष बनाकर कांग्रेस पटना की राजनीति में पैठ जमा सकती है।
कांग्रेस बना सकती है नगर पंचायत पटना का उपाध्यक्ष
कांग्रेस अपने 8 पार्षदों के साथ सबसे ज्यादा पार्षद वाली पार्टी बनकर पटना चुनाव में जीतकर आई है। कांग्रेस का उपाध्यक्ष बनना लगभग तय है। अब केवल कांग्रेस उपाध्यक्ष किसे बनाती है यही बस देखना बाकी है शेष उपाध्यक्ष उसका बनना तय है।
पटना नगर पंचायत अध्यक्ष पद के आंकड़ें:-
प्रत्यासी | गायत्री सिंह | श्रद्धा पांडे | रैशुन कुरैशी | पिंकी गुप्ता | नोटा |
मत की संख्या | 1293 | 861 | 1184 | 205 | 13 |
पटना नगर पंचायत के नवनिर्वाचित पार्षद:-
वार्ड क्रामंक | प्रत्यासी | राजनितिक दल |
वार्ड नंबर 01 | सुरेन्द्र कुमार | कांग्रेस |
वार्ड नंबर 02 | अहिभरण सिंह | भाजपा |
वार्ड नंबर 03 | निर्मला पोया | भाजपा |
वार्ड नंबर 04 | परेश कुमार सिंह | कांग्रेस |
वार्ड नंबर 05 | कुंवर साय घसिया | कांग्रेस |
वार्ड नंबर 06 | राजेश कुमार सोनी | कांग्रेस |
वार्ड नंबर 07 | प्रमिला सिंह | भाजपा |
वार्ड नंबर 08 | गौरव अग्रवाल | निर्दलीय |
वार्ड नंबर 09 | वसीम खान | कांग्रेस |
वार्ड नंबर 10 | ज्योति देवांगन | भाजपा |
वार्ड नंबर 11 | अमित कुमार सिंह | निर्दलीय |
वार्ड नंबर 12 | रेखा वर्मा | भाजपा |
वार्ड नंबर 13 | मोहम्मद वसीम खान | कांग्रेस |
वार्ड नंबर 14 | रुचि सुजीत सोनी | कांग्रेस |
वार्ड नंबर 15 | सौरभ कुमार सिंह | कांग्रेस |