स्टेट हाईवे के किनारे नाली निर्माण का कार्य हाईवे अथॉरिटी को या ग्राम पंचायत को…पंचायत राशि का उपयोग क्यों?
15 वें वित्त की राशि का दुरुपयोग का मामला ग्राम पंचायत चिरगुड़ा का
ढलान में जहां पानी निकासी स्वयमेव हो जाता,वहां नहीं थी नाली की आवश्यकता
दोनों और की नालियों का जहां किया संगम,वहां पहले से ढलान की स्थिति में निकल जाता था पानी
आपत्ति ना हो, इसके दिखावे के लिए बस्ती की दूसरी ओर भी किया नाली निर्माण
अपने स्वयं के जनपद क्षेत्र में स्वीकृति न दिलाकर,सामंजस्य वाले सरपंच के क्षेत्र में ठेकेदारी करने दिलाई स्वीकृति:सूत्र
15 वें वित्त की लाखों की राशि का उपयोग हो सकता था ग्रामीणों की भलाई के लिए
कई अन्य ग्राम पंचायत में भी 15वें वित्त की राशि का उपयोग कर किया निर्माण,और कार्यों को दिया अपना नाम
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-रवि सिंह-
कोरिया/पटना,10 फरवरी 2025 (घटती-घटना)। सरकार पंचायत को मजबूत करने और विभिन्न स्तर के पंचायत के माध्यम से ग्रामीण जनता के जनहित में कार्य करने के लिए अथाह राशि देती है। परंतु इसका अंश मात्र भी ग्राम वासियों के वास्तविक भलाई के लिए उपयोग नहीं हो पाता, जिसका जीता जागता उदाहरण ग्राम पंचायत चिरगुड़ा में कुछ दिन पूर्व हुए नाली निर्माण को देखकर समझ में आता है। सूत्रों का कहना है की लाखों की राशि 15 वें वित्त से भुगतान कर केवल एक घर, वह भी निवृत्तमान जनपद उपाध्यक्ष श्रीमती आशा साहू के घर से पानी निकासी के लिए नाली निर्माण किया गया। और जिसकी ठेकेदारी पूर्व जनपद उपाध्यक्ष के पति ने स्वयं की। इस नाली की कतई कोई आवश्यकता नहीं थी, बल्कि जो राशि केवल एक घर को लाभ पहुंचाने के लिए खर्च कर दी गई, उस राशि का सदुपयोग ग्राम चिरगुड़ा की जनता की भलाई के लिए किया जा सकता था। कार्य की सूचना पटल को देखकर स्पष्ट नजर आता है कि योजना का नाम 15वां वित जनपद पंचायत भले ही है, परंतु निर्माण एजेंसी ग्राम पंचायत चिरगुडा रहा और नाली निर्माण में आए लागत का समस्त भुगतान ग्राम पंचायत के मद से किया गया। एजेंसी भले ही ग्राम पंचायत रही, परंतु निर्माण की पूरी ठेकेदारी पूर्व जनपद उपाध्यक्ष के पति ने की थी, और जिसका भुगतान भी अपने निकट के व्यक्ति के फर्म में किया गया। पांच लाख लागत की नाली का यह निर्माण जो केवल एक घर के सुविधा के लिए बनाया जा रहा था, इसका विरोध ना हो, इसके लिए इस नाली के विपरीत दिशा में छिंदिया चौक के पास एक अन्य नाली की स्वीकृति ग्राम पंचायत मद से कराई गई और ढलान, जहां पानी का प्रवाह अपने आप निचले खेतों की ओर हो जाता था,वहां अनावश्यक और गुणवत्ताविहीन नाली निर्माण जनपद उपाध्यक्ष पति के द्वारा कराया गया।
स्टेट हाईवे के किनारे नाली निर्माण का कार्य हाईवे अथॉरिटी को फिर ग्राम पंचायत की राशि का उपयोग क्यों?
जिस नाली निर्माण की बात की जा रही है, वह छत्तीसगढ़ स्टेट हाईवे के किनारे निर्मित की गई है। जहां पर नाली निर्माण का कार्य स्टेट हाईवे अथॉरिटी का है। और आवश्यक होने पर मांग करने पर स्टेट हाईवे के किनारे नाली निर्माण हाईवे अथॉरिटी करता। वहां पंचायत के मद के राशि का उपयोग क्यों किया गया, मामले में यह बड़ा सवाल है। जो काम पंचायत की राशि से अलग अन्य विभाग के मद से करवाया जा सकता था, उसके लिए पंचायत मद के राशि का उपयोग क्यों किया गया, यह सब देखने सुनने के बाद यही समझ में आता है कि इस नाली का निर्माण यदि हाईवे अथॉरिटी ने किया होता, तो उसकी गुणवत्ता भी बहुत अच्छी होती, जैसा कि इस हाइवे में अन्य स्थानों पर आवश्यक जगह पर हाईवे अथॉरिटी द्वारा कराया गया है। परंतु इसमें स्थानीय ठेकेदार को लाभ नहीं मिलता और गुणवत्ताविहीन कार्य करके भ्रष्टाचार के द्वारा पैसा नहीं कमाया जा सकता था। इसीलिए संभवत: पंचायत मद के राशि का दुरुपयोग किया गया।
अपने स्वयं के जनपद क्षेत्र में स्वीकृति न दिलाकर,सामंजस्य वाले सरपंच के क्षेत्र में ठेकेदारी करने दिलाई स्वीकृति
सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार ग्राम पंचायत चिरगुड़ा के नाली निर्माण की स्वीकृति यदि जनपद पंचायत के 15 में वित्त से थी, तो यह स्वीकृति उन ग्रामों में की जानी थी, जो की पूर्व जनपद सदस्य श्रीमती आशा साहू का निर्वाचित क्षेत्र था। परंतु ग्राम पंचायत चिरगुडा में तत्कालीन सरपंच पूरी तरह पूर्व जनपद उपाध्यक्ष पति के पक्ष में थे, इसलिए यह स्वीकृति इस ग्राम में दिलाई गई, ताकि ठेकेदारी, निर्माण और भुगतान में किसी प्रकार की दिक्कत ना आए। सवाल यह है कि ग्राम पंचायत में होने वाले निर्माण कार्य की स्वीकृति चाहे जिस मद से हो, उसका व्यय ग्रामवासियों की भलाई के लिए किया जाना चाहिए। ना की ग्राम के रसूखदार लोगों के निजी सुविधाओं को ध्यान रखने के लिए। यदि नाली निर्माण में हुए इस खर्च का अनावश्यक प्रयोग इस कार्य में नहीं होता, तो ग्राम वासियों की समस्याओं को सुलझाने के लिए इस राशि का सदुपयोग किया जा सकता था।
कई अन्य ग्राम पंचायत में भी 15 वें वित्त की राशि का उपयोग कर किया निर्माण,और कार्यों को दिया अपना नाम
पूर्व जनपद उपाध्यक्ष के पति द्वारा कई ऐसे ग्राम पंचायत जहां के सरपंच और सचिव इनके प्रभाव में थे, या उनके दबाव में थे, वहां भी ग्राम पंचायत के 15वें वित्त की राशि का धड़ल्ले से दुरुपयोग किया गया और अनावश्यक निर्माण कार्य और सामग्रियों के द्वारा 15वें वित्त की राशि का बंदरबांट किया गया। वहीं कई जगह चौक चौराहों पर जनता को दिखाने के लिए ऐसे निर्माण किए गए, जिन पर किए गए खर्च को यदि प्रत्यक्ष तौर पर जनता के लिए लाभकारी योजनाओं पर किया जाता तो शायद कोई और बात होती। यही नहीं, राशि तो पंचायत के मद से खर्च की गई, परंतु निर्माण कार्यों को अपना नाम देकर पूर्व जनपद उपाध्यक्ष तथा उनके पति द्वारा प्रचारित प्रसारित किया गया, जबकि वहां के सरपंचों को इसका क्रेडिट नहीं लेने दिया गया। 15वें वित्त की लाखों की राशि का उपयोग हो सकता था ग्रामीणों की भलाई के लिए प्राप्त जानकारी और भुगतान की पड़ताल करने के बाद यह पाया गया कि नाली निर्माण के लिए फर्म राजेश कुमार साहू को क्रमशः 40 हजार, 1 लाख 62 हजार, 1 लाख 13 हजार 58 हजार और 1 लाख 42 हजार राशि का भुगतान विभिन्न तिथियों में ग्राम पंचायत के सरपंच और सचिव के माध्यम से किया गया। जोकि केवल एक घर की भलाई के लिए किए गए निर्माण के लिए निरर्थक साबित होता नजर आ रहा है। चूंकि निर्माण ऐसे स्थल पर हुआ है, जहां पर चिरगुडा खास के ग्रामीणों की नजर प्राय: नहीं पड़ती, इसलिए अभी तक इसका विरोध नहीं हो रहा था। परंतु जैसे ही ग्राम पंचायत चिरगुङा के निवासियों की नजर इसकी लागत और निर्माण कार्य के स्थल पर पड़ी तो इसका विरोध प्रारंभ हो गया। और प्रथम दृष्टि में ही इस निर्माण को देखने के बाद यह समझ में आता है कि इस नाली की वहां पर कोई आवश्यकता नहीं थी।