- काफी अटकलों के बाद अंततःछत्तीसगढ़ पुलिस के मुखिया के रूप में अरुण देव गौतम को मिली जिम्मेदारी…
- अरुण देव गौतम छत्तीसगढ़ के उन आईपीएस अधिकारियों में से एक हैं जो इमानदारी के लिए जाने जाते हैं….
- इनके डीजीपी बनने से पुलिसकर्मी सहित,आईपीएस व राज्य पुलिस सेवा अधिकारियों में हर्ष का माहौल…
- प्रदेश के लोगों को भी एक ईमानदार आईपीएस अधिकारी के डीजीपी बनने से बेहतर पुलिसिंग की उम्मीद जगी है…

-रवि सिंह-
रायपुर/कोरिया,05 फरवरी 2025 (घटती-घटना)। प्रदेश के डीजीपी के बदलने की प्रक्रिया काफी दिन से चल रही थी लेकिन अब डीजीपी छत्तीसगढ़ के बदल गए,संयोग भी ऐसा है कि कोरिया जिले के प्रथम पुलिस अधीक्षक रह चुके अरुण देव गौतम को ही छत्तीसगढ़ का डीजीपी बनाया गया है, अरुण देव गौतम ऐसे आईपीएस अधिकारी हैं जो छाीसगढ़ में अपनी सेवा जहां भी प्रदान किए वहां पर वह पूरी ईमानदारी के लिए प्रसिद्ध रहे, यही वजह थी कि उनके डिजीपी बनने में दिक्कतें भी आ रही थी, डीजीपी बनने की सूची में चार लोग शामिल थे पर अरुण देव गौतम काफी ईमानदार अफसर माने जा रहे थे जिस वजह से लोगों का यह कहना था कि इसी वजह से वह डीजीपी नहीं बन पाएंगे, पर अंततः सरकार ने ईमानदार आईपीएस अधिकारी को ही डीजीपी बनाया जो पूरे प्रदेश के लिए फक्र की बात है।
ज्ञात हो की अरुण देव गौतम 1998 में कोरिया जिले के प्रथम एसपी के रूप में कार्य कर चुके हैं। छत्तीसगढ़ कैडर के 1992 बैच के आईपीएस है। वे मूलतः उत्तरप्रदेश के रहने वाले है। छत्तीसगढ़ में कई महत्वपूर्ण पोस्टिंग में रहने वाले अरुण देव अच्छे कामों के चलते संयुक्त राष्ट्र पदक व राष्ट्रपति पुलिस पदक से सम्मानित हो चुके है। अरुण देव गौतम यूपीएससी निकालकर 1992 बैच के आईपीएस बने। 12 अक्टूबर 1992 को उन्होंने आईपीएस की सर्विस ज्वाइन की। उन्हें पहले मध्यप्रदेश कैडर एलॉट हुआ था। प्रशिक्षु आईपीएस के तौर पर उनकी जबलपुर में पोस्टिंग हुई। फिर वे बिलासपुर जिले में सीएसपी बने। बिलासपुर के बाद एसडीओपी कवर्धा बने। कवर्धा के बाद एडिशनल एसपी भोपाल बने। मध्य प्रदेश पुलिस की 23 वीं बटालियन के कमांडेंट भी रहे। एसपी के रूप में पहला जिला उन्हें भोपाल का मिला। मध्य प्रदेश रहते जब कोरिया नवीन जिला बना था उसे समय 25 मई 1998 को अरुण देव गौतम को कोरिया जिले का पहला एसपी बनाया गया था, इनका कार्यकाल 19 जून 2000 तक रहा, लगभग वह 2 साल कोरिया के एसपी रहे, वर्ष 2000 में पृथक छत्तीसगढ़ राज्य बनने पर अरुण देव गौतम ने छत्तीसगढ़ कैडर चुन लिया। छत्तीसगढ़ में वे कोरिया, रायगढ़, जशपुर, राजनंदगांव, सरगुजा और बिलासपुर जिले के एसपी रहे। डीआईजी बनने के बाद वे पुलिस हैडमटर, सीआईडी, वित्त और योजना, प्रशासन और मुख्यमंत्री सुरक्षा के महत्वपूर्ण विभागों में पदस्थ रहे। चुनौती पूर्ण जिलों में अरुण देव गौतम को भेजा जाता था। वर्ष 2009 में राजनांदगांव में नक्सली हमले में 29 पुलिसकर्मियों व पुलिस अधीक्षक के शहीद होने के बाद अरुण देव गौतम को वहां का एसपी बनाकर भेजा गया। जहां उन्होंने नक्सलियों से जमकर लोहा लिया।
यूपीएससी में भेजा गया था 4 नाम
छत्तीसगढ़ के नए पुलिस मुखिया 1992 बैच के आईपीएस अरुण देव गौतम को बनाया गया है। मंगलवार को डीजीपी अशोक जुनेजा का कार्यकाल खत्म हो गया। उनकी विदाई के साथ सरकार ने अस्थाई तौर पर गौतम को डायरेक्टर जनरल ऑफ पुलिस बनाया है। देर शाम गौतम ने 12 वें डीजीपी के तौर पर जिम्मेदारी संभाल ली है। हालांकि यूपीएससी को चार लोगों का नाम भेजा गया है। इसमें अरुण देव गौतम के अलावा डीजी पवन देव, हिमांशु गुप्ता और एडीजी जीपी सिंह नाम शामिल है। वहां से डीजीपी का नाम फाइनल होकर आएगा। इसलिए सरकार ने अस्थाई तौर पर गौतम को जिम्मेदारी दी हैं। आईपीएस जुनेजा के रिटायरमेंट के बाद राज्य में डीजी का एक पद खाली होने के बाद आईपीएस जीपी सिंह को डीजी बनाया गया है।
24 साल के छत्तीसगढ़ के 12 डीजीपी
नाम | कार्यकाल |
मोहन शुक्ला | 7 माह |
आरएलएस यादव | 7 माह |
वीके दास | 9 माह |
अशोक दरबारी | 21 माह |
ओपी राठौर | 3 साल |
विश्वरंजन | 4 साल |
अनिल नवानी | 15 माह |
रामनिवास | 14 माह |
अमरनाथ उपाध्याय | लगभग 5 साल |
डीएम अवस्थी | 3 साल |
अशोक जुनेजा | लगभग 3 साल |
अरुण देव गौतम | वर्तमान |
12 डीजीपी | साल 24 |