बैकुंठपुर@क्या पार्टी समर्थित प्रत्याशी बनाने तक ही थी जिम्मेदारी,या फिर चुनाव जिताने का भी रखते हैं माद्दा?

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भाजपा समर्थित जनपद सदस्य के प्रत्याशियों की रैली निकालकर नामांकन किया गया जमा
जनपद सदस्य क्षेत्र क्रमांक 11 में पूर्व भाजपा जिला अध्यक्ष एवं पटना मंडल के पूर्व अध्यक्ष की प्रतिष्ठा दांव पर


-रवि सिंह-
बैकुंठपुर,04 फरवरी 2025 (घटती-घटना)। चुनाव चाहे किसी भी प्रकार का हो, चाहे वह लोकसभा का चुनाव हो, विधानसभा का चुनाव हो, नगरीय निकाय का चुनाव हो, या फिर त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव। बड़े नेता सदैव अपने समर्थित व्यक्तियों को टिकट दिलाने का यथासंभव प्रयास करते हैं। ताकि उनकी साख पार्टी में बनी रह सके, बड़े नेताओं के कुनबे का विस्तार होता रहे, दबदबा कायम रहे। इसलिए अपने कोटे से ज्यादा से ज्यादा प्रत्याशी तय करने में पूरा जोर और पूरा दमखम लगा देते हैं। कुछ ऐसा ही त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव 2025 में बैकुंठपुर जनपद पंचायत में देखने को मिला, जहां भारतीय जनता पार्टी के बड़े नेता अधिकांश जनपद क्षेत्रों में अपने खेमे के प्रत्याशी तय करने की जुगत में अंतत: लग रहे और इसमें उन्होंने सफलता भी पाई। भले इसके लिए पार्टी को नुकसान होता दिख रहा है, परंतु इससे उन्हें कोई फर्क नहीं पड़ता। विभिन्न क्षेत्रों में कद्दावर भाजपाई, जो सालों से पार्टी की सेवा करते आ रहे हैं और जो किसी विशेष गुट के नहीं है, उन्हें किनारे लगा दिया गया। और ऐसे व्यक्ति जो जिला स्तर के नेताओं के गुट के हैं, उन्हें पार्टी समर्थित प्रत्याशी बनने का सौभाग्य मिल गया। अब यह तो चुनाव के बाद पता चलेगा की पार्टी का निर्णय कितना सही था, कितना गलत। परंतु पार्टी समर्थित प्रत्याशियों के परिणाम यदि अनुकूल नहीं आए तो नवनिर्वाचित जिला अध्यक्ष के साख पर भी बट्टा लगेगा। क्योंकि अनुकूल परिणाम आने या ना आने दोनों दशा में जिम्मेदारी कप्तान की ही होती है। जिला अध्यक्ष के रूप में निर्वाचित होते ही देवेंद्र तिवारी के सामने नगरीय निकाय तथा त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव को जीत कर आने की बड़ी परीक्षा तत्काल सामने है। परंतु प्रत्याशी चयन में यह बात देखने को मिल रही है कि उन्हें दबाव पूर्वक कार्य करना पड़ा। संगठन या जिलाध्यक्ष की मर्जी से कुछ नहीं हो पाया, इसकी पुष्टि जनपद जिला क्षेत्रों में चयनित भाजपा समर्थित प्रत्याशियों को देखकर के ही हो जाती है। जहां अनारक्षित सीटों पर एक ही जाति के लोगों की संख्या अधिक दिख रही है। जातिवाद और परिवारवाद भी दिख रहा है। इससे यह स्पष्ट हो जाता है कि प्रत्याशी चयन में वर्तमान भाजपा जिला अध्यक्ष की अपेक्षा पूर्व भाजपा जिला अध्यक्ष और वर्तमान विधायक की चली है। कुल मिलाकर कहा जाए तो वर्तमान भाजपा जिलाध्यक्ष अभी तक फैसले लेने में वर्तमान विधायक बैकुंठपुर तथा पूर्व भाजपा जिला अध्यक्ष पर ही निर्भर हैं। स्वतंत्र फैसले लेने के लिए उन्हें और इंतजार करना पड़ेगा।
परिवारवाद और जातिवाद अभी हावी है भारतीय जनता पार्टी जिला कोरिया में
त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव के लिए जनपद क्षेत्र और जिला पंचायत क्षेत्र के लिए भारतीय जनता पार्टी समर्थित प्रत्याशियों की सूची पर नजर डाली जाए तो यह स्पष्ट हो जाता है कि परिवारवाद और जातिवाद पूरी तरह हावी है। जहां एक ओर जिला पंचायत चुनाव के लिए वर्तमान विधायक की बहू और बेटी अलग-अलग क्षेत्र से जिला सदस्य की प्रत्याशी हैं। वहीं दूसरी ओर जनपद सदस्यों की सूची में भी अनारक्षित सीटों पर एक ही समाज का दबदबा ज्यादा दिखाई देता है। जनपद सदस्य क्षेत्र क्रमांक 11 में पुराने और सीनियर भाजपाइयों को दरकिनार कर पूर्व जिलाध्यक्ष द्वारा अपने भतीजे को टिकट देना भी परिवारवाद के दायरे में आता है, जो कि भाजपा की कभी परंपरा नहीं रही है। अनेक जगह पर भाजपा कार्यकर्ता नाखुश दिख रहे हैं। भले ही वह अपने आक्रोश का इजहार खुले तौर पर नहीं कर रहे, परंतु इसकी कीमत भाजपा प्रत्याशियों को चुकानी पड़ सकती है।
जनपद सदस्य क्षेत्र क्रमांक 11 में पूर्व भाजपा जिला अध्यक्ष एवं पटना मंडल के पूर्व अध्यक्ष की प्रतिष्ठा दांव पर
बैकुंठपुर जनपद पंचायत के क्षेत्र क्रमांक 11 की सीट सबसे हाई प्रोफाइल मानी जा रही है। यहां तीन भूतपूर्व उपाध्यक्ष के अलावा भाजपा प्रत्याशी एवं भाजपा के ही दो अन्य निर्दलीय प्रत्याशी मैदान में है। जिला स्तर पर वर्तमान में हुए संगठन में विवाद का कारण भी यह सीट रहा है, जहां पूर्व जनपद उपाध्यक्ष विपिन जायसवाल ने इस सीट पर भाजपा समर्थित प्रत्याशी होने की इच्छा जताई थी। परंतु उन्हें भाजपा समर्थित प्रत्याशी घोषित नहीं किया गया, जिसके विवाद के कारण उन्हें भाजपा की प्राथमिक सदस्यता से हाथ भी धोना पड़ा। उनके द्वारा लगाये गये आरोप के अनुसार अपने रिश्तेदार को टिकट दिलाने की मंशा से पूर्व भाजपा जिला अध्यक्ष और पूर्व पटना मंडल अध्यक्ष ने काम किया और अपनी सिफारिश के दम पर अपने रिश्तेदार को टिकट दिला दिया। जिस व्यक्ति को भारतीय जनता पार्टी समर्थित प्रत्याशी बनाया गया है, उनके परिवार का राजनीतिक कद बड़ा रहा है, परंतु वर्तमान में प्रत्याशी स्वयं में कम अनुभवी हैं। जिस हंगामा के बीच भारतीय जनता पार्टी के पूर्व जिलाध्यक्ष कृष्ण बिहारी जायसवाल और पटना मंडल के पूर्व अध्यक्ष कपिल जायसवाल ने अंकित जायसवाल को भाजपा प्रत्याशी बनवाया है, अब इस सीट पर जिताने की जवाबदेही भी उन्हीं पर आयद होती है। जो कि ज्यादा कठिन भी नहीं होगा, क्योंकि जनपद क्षेत्र क्रमांक 11 छिंदिया से दो पंचायत ऐसे हैं, जो राजवाड़े बाहुल्य हैं। और जो वर्तमान विधायक के काफी करीब हैं। यदि भाजपा प्रत्याशी को पूर्व भाजपा जिला अध्यक्ष एवं पूर्व मंडल अध्यक्ष के माध्यम से वर्तमान विधायक का साथ मिल जाता है, तो यह सीट जीतने में भाजपा अग्रणी हो जाएगी। कुल मिलाकर बात यह है कि जितना दम पूर्व भाजपा जिला अध्यक्ष एवं पूर्व मंडल अध्यक्ष ने इस सीट पर टिकट दिलाने के लिए लगाया, उतना ही दम यदि सीट को जीतने के लिए लगाए तब तो कोई बात होगी, वरना उन्हीं की प्रतिष्ठा धूमिल होती नजर आ रही है।


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