- बैकुंठपुर और सोनहत जनपद पंचायत के लिए प्रत्याशियों कि भाजपा की पहली सूची जारी,बैकुंठपुर जनपद पंचायत के 16 क्षेत्र और सोनहत जनपद पंचायत के 9 क्षेत्र के प्रत्याशियों की सूची हुई जारी
- कुल 25 जनपद क्षेत्र के लिए जारी सूची में सात जनपद क्षेत्र अनारक्षित
- सातों अनारक्षित सीटों में से 6 सीटों पर राजवाड़े समाज के लोगों को मिला मौका
- एक भी अनारक्षित सीट पर अनारक्षित वर्ग को नहीं मिला प्रतिनिधित्व
- अनारक्षित 7 सीटों पर ओबीसी वर्ग के केवल एक समुदाय का नाम लगाता है प्रश्न चिन्ह
- जिस समाज से बैकुंठपुर विधायक आते हैं,केवल उन्हीं के समाज के लोगों को अवसर
- पहले भाजपा संगठन चुनाव में नहीं मिला साहू समाज को मौका,वहीं सबसे बड़े मतदाता वर्ग के बावजूद पहली सूची में एक भी साहू समाज के व्यक्ति का नाम नहीं

-रवि सिंह-
बैकुण्ठपुर,24 जनवरी 2025 (घटती-घटना)। प्रदेश में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव और नगरी निकाय चुनाव का बिगुल बज चुका है। नगरीय निकाय चुनाव के लिए तो नाम निर्देशन पत्र प्राप्त करने की प्रक्रिया प्रारंभ है। और इसी बीच प्रदेश के दोनों राजनीतिक पार्टियों त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव के लिए प्रत्याशी चयन की कवायद में जुटी हैं। भारतीय जनता पार्टी जिला कोरिया ने इसमें बाजी मारते हुए बैकुंठपुर जनपद पंचायत और सोनहत जनपद पंचायत के लिए पार्टी समर्थित प्रत्याशियों की पहली सूची भी जारी कर दी है। जिसमें बैकुंठपुर जनपद पंचायत के 25 जनपद क्षेत्र में से 16 जनपद क्षेत्र में और सोनहत जनपद पंचायत के 9 जनपद क्षेत्र के लिए पार्टी समर्थित प्रत्याशियों की पहली सूची जारी की गई है। उक्त दोनों सूचियां भारतीय जनता पार्टी के नवनियुक्त जिला अध्यक्ष के हस्ताक्षर से जारी हुई हैं। दोनों जनपद क्षेत्र के कुल 25 क्षेत्र के लिए जारी सूची में 18 क्षेत्र ऐसे हैं, जो अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित हैं। तथा सात क्षेत्र अनारक्षित हैं, जिन पर कोई भी वर्ग का प्रत्याशी चुनाव लड़ सकता है। जारी सूची को देखने के बाद से ही चर्चाओं का दौर व्याप्त हो गया है, क्योंकि भारतीय जनता पार्टी द्वारा जारी पहली सूची के सात अनारक्षित सीटों में से 6 पर केवल एक ही जाति वर्ग के लोगों का नाम है। और वे सभी अन्य पिछड़ा वर्ग समुदाय से हैं। बड़ा सवाल यह है कि पहली सूची के सात अनारक्षित सीटों में से एक भी सामान्य वर्ग के व्यक्ति को मौका नहीं मिला है, और दूसरा सबसे बड़ा सवाल यह है कि सात में से 6 अनारक्षित सीटों पर केवल राजवाड़े समाज के प्रत्याशियों को पार्टी समर्थित प्रत्याशी बनने का मौका मिला है। क्या यह केवल वर्तमान विधायक को खुश करने का प्रयास है, या यह पूरी सूची वर्तमान विधायक के हस्तक्षेप से जारी की गई है, और पार्टी संगठन का इसमें कोई रोल नहीं है।

संगठन की चली नहीं या विधायक को खुश करने का प्रयास
यह जगविदित था कि संगठन चुनाव के लिए कोरिया भाजपा जिला अध्यक्ष के रूप में वर्तमान विधायक की पहली पसंद कोई और थे। और जिन्हें भाजपा की कमान मिली है, उनके वर्तमान भाजपा विधायक के साथ धनिष्ठता उतनी नहीं थी। परंतु संगठन के आदेश उपरांत कोरिया भाजपा की कमान भाजपा विधायक के पसंद के इतर हुई। अब जब जनपद पंचायत के लिए भारतीय जनता पार्टी के समर्थित प्रत्याशियों की पहली सूची जारी हुई है, तो यह सामान्य ही कयास लगाया जा रहा है कि यह सूची या तो वर्तमान भाजपा जिला अध्यक्ष द्वारा विधायक को खुश करने की दृष्टिकोण से तैयार की गई है। या पहली सूची में केवल हस्ताक्षर भाजपा जिला अध्यक्ष के हैं, और सूची का निर्माण भाजपा विधायक के पसंद के अनुसार हुआ है। बहरहाल कारण जो भी हो परंतु एक वर्ग और जाति विशेष को खुश करने के चक्कर में अन्य पिछड़ा वर्ग और सामान्य वर्ग के वोटर और जनता कहीं भाजपा से नाखुश ना हो जाएं।
भारतीय जनता पार्टी अपने आप को बताती है परिवारवाद और जातिवाद से परे…परंतु कोरिया में ऐसा नहीं लग रहा…
भारतीय जनता पार्टी के शीर्ष नेता सदैव अपने उद्बोधनों और अपने आख्यानों में इस बात पर जोर देते रहते हैं कि यह पार्टी परिवारवाद और जातिवाद को लेकर नहीं चलती और जो भी कार्यकर्ता योग्य है, सक्षम है, पार्टी उसे पूरा मौका देती है। परंतु जनपद पंचायत के चुनाव में कोरिया जिले द्वारा दो जनपद पंचायत क्षेत्र के लिए जारी पहली सूची में ऐसा देखने को नहीं मिल रहा है। चूंकि यहां के विधायक राजवाड़े समाज से आते हैं, और पहली सूची के अधिकांश अनारक्षित सीटों में केवल उन्हीं के समाज के लोगों को मौका दिया गया है, जिससे अन्य वर्ग में नाराजगी व्याप्त होने की पूरी संभावना है। और लोग दबी जुबान में इस बात की चर्चा भी कर रहे हैं। यदि प्रदेश के सरगुजा और बस्तर संभाग में अन्य पिछड़ा वर्ग के आरक्षण को हटा भी दिया गया है, और जैसा कि प्रदेश स्तर के नेताओं ने कहा था की अन्य पिछड़ा वर्ग के आरक्षण हटाने के बाद भी हम अन्य पिछड़ा वर्ग को अधिक से अधिक भागीदारी प्रदान करेंगे, तो सवाल यह है कि अन्य पिछड़ा वर्ग में सैकड़ो जातियां शामिल हैं, तो केवल एक ही जाति वर्ग से समूचे प्रत्याशियों का चयन का पैमाना आखिर क्यों।
पहले भाजपा संगठन चुनाव में नहीं मिला साहू समाज को मौका,वहीं सबसे बड़े मतदाता वर्ग के बावजूद पहली सूची में एक भी साहू समाज के व्यक्ति का नाम नहीं
अभी कुछ दिन पूर्व हुए भाजपा के संगठन चुनाव में भी कुछ ऐसे ही आरोप प्रत्यारोप पार्टी पर लगते रहे, जब क्षेत्र में एक बड़े वर्ग के रूप में व्याप्त साहू मतदाताओं के होने के बावजूद कोरिया जिला संगठन में उन्हें कोई पद नहीं दिया गया। जबकि यह सर्वविदित है कि कोरिया जिले में अन्य पिछड़ा वर्ग के सबसे बड़े मतदाता वर्ग के रूप में साहू समाज के लोग आते हैं। अब फिर से पंचायत चुनाव में भी यही देखने को मिल रहा है कि इतने बड़े सामाजिक वर्ग होने के बावजूद भारतीय जनता पार्टी द्वारा जारी प्रथम सूची में सातों अनारक्षित सीटों पर ओबीसी वर्ग को तो मौका दिया गया, परंतु साहू समाज के लिए एक भी नाम को चयनित नहीं किया गया। विभाजित कोरिया जिले में नवगठित 10 जिला पंचायत क्षेत्र में भी अनारक्षित सीटों पर साहू समाज का दबदबा है। अब देखने वाली बात यह होगी कि जिला पंचायत के लिए आने वाली सूची में कितने साहू समाज के लोगों को पार्टी मौका देती है, या फिर वहां पर भी जातिवाद के आधार पर राजवाड़े समाज के लोगों को ही प्रतिनिधित्व का मौका मिलेगा।