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बैकुण्ठपुर/पटना,@जिन पुलिसकर्मियों के लापरवाही से गई आदिवासी नाबालिक की जान उन्हें सजा दिलाने पिता ने खटखटाया न्यायालय का दरवाजा

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-रवि सिंह-
बैकुण्ठपुर/पटना,24 जनवरी 2025 (घटती-घटना)। पुलिस को समाज की सुरक्षा के लिए स्थापित किया गया है पर क्या पुलिस सही तरीके से समाज की सुरक्षा कर पा रही है? यह बड़ा सवाल जो अब उठ लाजमी है वह भी तब जब पुलिस ही किसी नाबालिक की मौत की वजह बन जाए? यह हम नहीं कह रहे यह आरोप पुलिस पर नाबालिक के परिजनों का है, भले ही मामले को 2 महीने से ऊपर हो चुके हैं, पर पुलिस नाबालिक की हत्यारे को पकड़ कर अपनी पीठ थपथपा चुकी है पर इस कार्यवाही के बीच यदि कोई सबसे बड़ा सवाल है तो वह दूसरे नाबालिक का आत्महत्या कर लेना जो पटना पुलिस के लिए उस के गले की फांस बन गई है, पुलिस ने बिना प्रोटोकॉल का पालन किया नाबालिक को थाने लाना और उसे टॉर्चर करना उसके बाद नाबालिक का घर जाकर फांसी लगा लेना यह पुलिस को ही दोषी बनने जैसा मामला दिख रहा है। आत्महत्या करने वाले नाबालिक के पिता इस मामले को लेकर उच्च स्तरीय शिकायत कर चुके हैं पर अभी तक इस पर कोई सही तरीके से जांच व कार्रवाई नहीं हो पाई है, जिसके बाद अब वह न्यायालय की शरण में पहुंच गए हैं अब पटना पुलिस पर कार्यवाही की उम्मीद अब सिर्फ पीडि़त के पिता को न्यायालय से ही है।
ज्ञात हो की पटना पुलिस थाना अंतर्गत आने वाले ग्राम चंपाझर के दो नाबालिकों से जुड़ा हत्या व आत्महत्या का मामला पुलिस ने सुलझा लिया और प्रेस विज्ञप्ति जारी कर पुलिस ने यह दावा भी कर दिया कि मामला प्रेम प्रसंग और राज को उजागर करने से जुड़ा हुआ था, जिसके कारण ही एक नाबालिक की हत्या कर दी गई, वहीं एक नाबालिक जो हत्यारे के साथ हत्या जिस नाबालिक की हुई उसे डराने पहुंचा था और वह पुलिस की पूछताछ से और पुलिस की कड़ाई से भयभीत हो गया और उसने आत्महत्या कर ली। वैसे हत्या की गुत्थी डॉग स्मयड की टीम ने सुलझाई और नाबालिक जिसकी हत्या हुई थी जिसके परिजनों के द्वारा जिसकी गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कराई गई थी, उसके शव को डॉग स्मयड की ही टीम ने बरामद किया और वहीं से इस पूरे मामले में गुमशुदगी की जगह हत्या का मामला दर्ज हुआ। वैसे डॉग स्मयड की टीम में शामिल खोजी कुाा हत्या जिस नाबालिक की हुई थी उसके शव के पास से सीधे उस नाबालिक के घर पहुंचा था जिसने पुलिस की कड़ी पूछताछ के बाद आत्महत्या कर ली थी, वहीं कुाा उस युवक के घर नहीं गया जो असल हत्यारा है? जिसने नाबालिक को पहले पत्थर से मारा और फिर चाकू से मारा और गला काटने का भी असफल प्रयास किया यह जरा आश्चर्य करने वाला एक तथ्य है जो पुलिस ने विवेचना में लिखा है दर्ज किया है। पुलिस की विवेचना और पुलिस की विज्ञप्ति जारी होने उपरांत अब कई सवाल इस मामले में खड़े होने लगे हैं जो पुलिस की हड़बड़ाहट और उसकी विवेचना पर प्रश्नचिन्ह लगा रहे हैं।
नाबालिक का आत्महत्या खाखी पर दाग?
चंपाझर मामले में पुलिस की तरफ से बाल अपराध और अपराधी से जुड़े विषयों का ध्यान नहीं रखा गया न ही नाबालिक से पूछताछ के लिए बने कानून का पालन किया गया। नाबालिक जिसने आत्महत्या की उसे पुलिस ने वर्दी में जाकर घर से उठाया और वहीं उसे थाने लाकर भी वर्दी में पूछताछ की है ऐसा बताया जा रहा है, पुलिस के द्वारा नाबालिक को डराया धमकाया भी गया, जिसके द्वारा आत्महत्या की गई यह भी बतलाया जा रहा है, और यही वजह रही कि नाबालिक ने आत्महत्या कर ली। वैसे यदि पुलिस ने नाबालिक जिसने आत्महत्या की उससे नियम कायदे से बात की होती जो नाबालिक मामले के नियम हैं तो शायद नाबालिक इस मामले में मददगार साबित होता डॉग स्मयड की भी जरूरत पुलिस को नहीं पड़ती वहीं एक साक्ष्य भी नाबालिक खुद बनता। अब पुलिस की नासमझी से नाबालिक आत्महत्या कर खुद का ही मुंह हमेशा के लिए बंद कर ले गया, और कई सवाल वह छोड़ गया।वैसे पुलिस लगातार यह दावा कर रही है कि नाबालिक से पूछताछ सादी वर्दी में हुई और बाल कानून अनुसार कुछ वरिष्ठ जनों की उपस्थिति में हुई पूछताछ लेकिन पुलिस का यह दावा झूठा है और इसकी पोल खुद उनका ही सीसीटीवी फुटेज खोल सकता है यह लोगों का ही दावा है। अब सच्चाई जो भी हो लेकिन एक नाबालिक की मौत जिसने आत्महत्या कर ली वह पुलिस की ही नाकामी के कारण हुई यही फिलहाल जनचर्चा है।
ये संपूर्ण घटना दंडनात्मक अपराध
प्रार्थी के अधिवक्ता बरुण कुमार मिश्रा ने बातचीत में बताया की पुलिस थाने में नाबालिक बच्चो के साथ हुई पूछताछ गैर क¸ानूनी है, पुलिस द्वारा बच्चो को थाने में शारीरिक और मानसिक रूप से प्रताडि़त करना और इससे प्रभावित होकर नाबालिक द्वारा फांसी लगा लेना बहुत ही सवेदनशील घटना हैं। ये संपूर्ण घटना दंडनात्मक अपराध की श्रेणी में आता हैं एवं ऐसे में बालकों के अधिकार संरक्षण कानून मौन मालूम पड़ते हैं,छाीसगढ़ में आए दिन पुलिस अभिरक्षा में ऐसी घटनाए हो रही है न्यायपालिका एवं विधायिका को इस गंभीर विषय पर संज्ञान लेते हुए कानूनों को और मजबूत करने की अवयश्कता हैं।
क्या पुलिस से इस मामले में बड़ी कोई है…चूक जो एक नाबालिक की आत्महत्या की वजह बन गई?
पुलिस की इस मामले में सबसे बड़ी कोई चूक रही तो वह यह रही कि वह एक नाबालिक के आत्महत्या की वजह बन गई? पटना पुलिस की नासमझी कहें या अति उत्साह में उठाया गया एक नादानी वाला कदम जिसके कारण एक नाबालिक ने पुलिस के भय से आत्महत्या कर लिया, अपनी जीवन लीला ही समाप्त कर ली। अब पुलिस भले ही पटना की अपनी पीठ ठोक रही है कि उसने हत्या की गुत्थी या एक नाबालिक की गुमशुदगी की गुत्थी सुलझा ली है, जिसकी हत्या हुई थी और जिसका शव बरामद हुआ है लेकिन यहां यदि पुलिस ने समझदारी दिखाई होती पुलिस हत्या के दौरान मौजूद रहे नाबालिक को जिसने आत्महत्या कर ली जो हत्यारे के साथ था को यदि भयभीत नहीं करती वह जीवित रहता और आज इस हत्याकांड का वह एक साक्ष्य होता? वहीं आरोपी को भी कड़ी सजा मिलती उसके बयान से वहीं हत्या का कारण और अधिक स्पष्ट होता। वैसे पुलिस की किसी विवेचना में प्रश्न कितने भी उठा लिए जाएं लेकिन उसका कोई परिणाम निकलने वाला नहीं है, क्योंकि पुलिस की हर विवेचना जिसपर प्रश्न उठाए जाएंगे वह पुनः जांच के लिए किसी न किसी पुलिस अधिकारी के पास या विवेचक के पास ही जाएगी और परिणाम वही निकलेगा जो पहला है।
आईए जानते हैं क्या है मामला
मामले में दिनांक 20/11/2024 को थाना पटना में 13 वर्ष नाबालिक की गुमशुदा होने की गुम इंसान रिपोर्ट क्रमांक 53/2024 दर्ज किया गया था, जिसके सबंध में पूछताछ के लिए पुलिस थाना पटना के पुलिस कर्मियों द्वारा ग्राम चंपाझर पटना निवासी दो आदिवासी नाबालिक बालको को जिनकी उम्र 14 वर्ष एवं उम्र 12 वर्ष बतायी गयी हैं उन्हें पुलिस द्वारा दोनों के घर से अपनी वर्दी में दिनांक 22/11/2025 को सुबह समय 11 बजे उठा कर पुलिस वाहन से थाना पटना ले जाया गया था। थाना पटना द्वारा दोनों नाबालिक बालको के परिजनो को बिना सूचना किए तथा बाल कल्याण समिति (सी.डलू.सी.) एवं संबंधित संस्था को सूचना दिए बगैर पुलिस थाने के अंदर बिना किसी वैधानिक प्रक्रिया का पालन करते हुए दिनांक 22.11.2024 को दोपहर 12ः00 बजे से रात 9ः00 बजे तक थाने में निरुद्ध रखा गया। नाबालिको के परिजनों द्वारा थाने से बच्चो को रिहा करने की विनती करने पर साथ अन्य समाजिक दवाब के कारण पुलिस थाना पटना ने दोनों नाबालिक बच्चो को देर रात 9ः00 बजे थाने से छोड़ा था। दोनों नाबालिक लड़के थाने से छूटने के बाद अपने अपने परिजनों के साथ घर चले गए। जब दोनों नाबालिक बच्चे अपने घर पहुचे तब घर के परिजनों को 14 वर्षीया बालक ने आगन में आग तापते हुए बतया कि पुलिस ने उसे टॉयलेट में ले जाकर मारा हैं और गालि भी बक रहें थे। उसने डरते हुए ये भी बताया कि पुलिस वाले उसे कैची एवं पट्टा दिखा कर डरा रहें थे और कैची से गुप्तांग और कान काटने की धमकी भी दे रहें थे। इतनी बाते बताने के बाद नाबालिक अपने घर के अंदर सोने चला गया। अगले दिन 23/11/2024 को सुबह 05 बजे जब नाबालिक बालक की माँ घर के पीछे अहाते में गयी तो देखा की उसके पुत्र 14 वर्षीय नाबालिक बालक ने साड़ी में लटक कर अपनी जीवनलीला समाप्त कर ली हैं। इस पूरी घटनाक्रम में पुलिस ने बालकों के संरक्षण हेतु मौजूदा प्रावधानों को तक में रख कर विवेचना किया हैं, पुलिस द्वारा थाने के अंदर नाबालिक के अंदर इतना डर भर दिया था कि वे 14 वर्षीय नाबालिक मानसिक अवसाद में आकर संत्रास में स्वयं को मारना ही एक मात्र उपाय चुना। माता पिता से बात करने पर पता चला की बालक पढाई में काफ़ी अच्छा था शांत स्वभाव का था ज्यादा किसी व्यक्ति से मतलब भी नहीं रखता था।
घर में चाकू का कोई उपयोगी नहीं फिर भी पुलिस चाकू बरामद पता कर कहती है कि कोर्ट में कहना की चाकू मेरे घर का है…
माता-पिता ने बताया की घटना के बाद गुमसुदा लड़के की हत्या की जगह पर मिले चाकु को पुलिस वाले घर में ला कर कह रहें थे कि कोर्ट में कहना की चाकु मेरे घर का हैं, बल्कि हमारे घर में चाकु का काम ही नहीं है हम चाकु प्रयोग नहीं करते हैं। उक्त घटना के संबध में मृत 14 वर्षीय नाबालिक बालक के पिता ने घटना में संज्ञान लेने हेतु एवं पुलिस के विरुद्ध उच्च अधिकारियों से एवं संस्थाओ से शिकायत भी की थी। जिससे राष्टि्रय बाल अधिकार संरक्षण आयोग राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने संज्ञान लेते हुए परिवार वालों से पूछताक्ष कर बयान भी दर्ज किया गया था, साथ ही थाने की घटना दिनांक की सीसीटीवी कैमरा की फुटेज हेतु सूचना का अधिकार भी लगाया गया था जिसकी फूटेज पुलिस ने वीडियो फूटेज देने से थाने की सुरक्षा प्रभावित होगी का कारण बता कर मना कर दिया।
पुलिसकर्मी वह अधिकारियों के विरुद्ध एफआईआर दर्ज करने मृतक के पिता ने की शिकायत
इस घटनाक्रम से मृत बालक के पिता ने घटना के संबध में पुलिस थाना पटना को पुलिस थाना पटना के अधिकारियो एवं आरक्षको के खिलाफ़ एफ़आईआर दर्ज करने हेतु दिनांक 06 जनवरी को पोस्ट के माध्यम से आवेदन भेजा था, जिस पर पुलिस ने कोई कार्यवाही नहीं की, जिससे पीडि़त होकर मृत बालक के पिता ने 08 जनवरी को पुलिस अधिक्षक बैकुंठपुर कोरिया के कार्यलय में आवेदन दिया जिसपर भी कोई संज्ञान नहीं लिया गया ऐसी स्थिति निर्मित होने के बाद पिता ने अन्तः न्यायालय की शरण ली और दिनांक 21 जनवरी को पुलिस थाना पटना के अधिकारियो एवं आरक्षको के विरुद्ध भारतीय न्याय संहिता की धारा 107, 108, 115 (2), 351, 199, किशोर न्याय (बालकों की देखरेख और संरक्षण) अधिनियम 2015 की धारा 75, अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम 1995 की धारा 3(2)(वी), 4(1) जैसी धाराओं में अपराध पंजीबद्ध करने के लिए मजिस्ट्रेट के समक्ष प्राइवेट कम्पलेन पेस कि हैं जिसे न्यायालय में स्वीकार कर पुलिस थाना पटना को जाँच प्रतिवेदन प्रस्तुत करने हेतु आदेशित किया हैं.
पुलिस ने की नाबालिक बालक के साथ प्रताड़ना
पुलिस के द्वारा दो नाबालिक को थाने लाया गया था जहां पर प्रताडि़त किया गया, जिसमें से एक नाबालिक घर जाकर आत्महत्या कर लिया वहीं दूसरी नाबालिक ने पुलिस के द्वारा बर्बरता करने वाली बात बताई, दूसरे नाबालिक ने बताया कि पुलिस वर्दी में हम दोनों को ले गई थी और काफी घंटे हमें थाने में बैठाया फिर अंधेरा होने के बाद हमें घर के बाहर छोड़ कर चली गई, जबकि हमारे परिजन कई बार उनके पास गए पर वह मिलने नहीं दिए, एक महिला अधिकारी ने एक झापड़ भी मारा, और तरह-तरह से डरने वाली बात कही। पुलिस थाने के अंदर नाबालिक बालको को साथ हुई प्रताड़ना अमानवीय होकर घोर निंदनीय हैं क्षेत्र में हुई इस निरसंस घटना के बाद भी पुलिस विभाग ने कोई विभागीय जाँच भी नहीं बैठाई हैं, नियमता प्रत्येक थाने में बाल मित्र की नियुक्ति होती हैं परंतु इस संदर्भ में कोई जानकारी नहीं हैं।


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