नमस्कार दोस्तों…सबसे पहले तो ये कहना चाहूंगी कि जाति कि गलीज(गंदगी) दिल- ओ- दिमाग़ में न पाले, दोस्तों ऐसा क्यूं होता है कि अगर कोई आगे बढ़ना चाहता है, समाज के हित में रहकर समाज के लिए कुछ अच्छा करना चाहता है, उसे ही लोगों द्वारा मरने पर मजबूर किया जाता है…कई लोग खड़े रहते हैं पीछे खींचने के लिए ताकि जो अपने बलबूते पे जो खड़े हैं वो लड़खड़ा कर अपना दम तोड़ दे।जी हां दोस्तों मैं बात कर रही हूं, भैया अरविंद कुर्रे कृत छत्तीसगढ़ी पारिवारिक फिल्म डोली लेके आजा की इस फिल्म के गीतों ने ट्रेलर में ही पूरे छत्तीसगढ़ में धूम मचाया है प्रेम से ओत-प्रोत फिल्म भी जबरदस्त है। बोले तो हाऊसफुल फि़र… कई जगह फिल्म कि पोस्टर फाड़े जा रहे हैं कहीं जला दिए जा रहे हैं जो की बेहद शर्मनाक बात है, ऐसा करने वाले अपने ही विचारों को प्रदर्शन करते हैं की वो कैसे व्यक्तित्व के हैं।
एक तो ख़ुद कुछ अच्छा किसी के लिए कर नहीं सकते,तो उसको कोई हक नहीं बनता कि इस तरह की वाहियात काम करें…
जिन्होंने फिल्म बनाया है उनकी गलती क्या है?
क्या अस्पताल खोलने की बात चुभ गई?
क्या जाति बीच में आ गई?
दोस्तों समाज के हर एक व्यक्ति को समाज के हित के लिए सोचना चाहिए….जो आगे बढ़ रहा है, समाज के लिए कुछ अच्छा करना चाह रहा है तो उसका साथ दे, सपोर्ट करें, ताकि फिर से वो अच्छे कामों के प्रति अग्रसर रहें। किसी को नीचा दिखाकर आप ख़ुद अपना परिचय देते हैं,दोस्तों डोली लेके आजा फिल्म की पोस्टर फाड़कर, जलाकर रौंदा नहीं है…बल्कि अपने दिमाग़ में जो जाति की गलीज (गंदगी) भरी हुई है न उसको परोसा है। आपने समाज के सामने, ऐसी भी किसी से क्या दुश्मनी जो इंसान को चैन से जीने दिया ही न जाए, बंद करिए ये सब जाति को लेकर बखेड़ा खड़ा न करे,आप सब से विनती है कि…. कभी किसी को जाति को लेकर अपशब्द न बोले कभी भी नीचा न दिखाएं….. एक बार फç¸र कहूंगी फिल्म डोली लेके आजा ने पूरे छत्तीसगढ़ में गिर्दाब मचाया है… इंतज़ार है डोली लेके आजा 2 की।
जयंती खुटे
चिल्हाटी बिलासपुर छत्तीसगढ़
Check Also
लेख@ औषधीय पौधा है ऑक
Share कुछ पेड़-पौधे ऐसे हैं जिनसे हम कई चमत्कारिक लाभ प्राप्त कर सकते हैं। इन …