बैकुण्ठपुर@एक ही जनपद क्षेत्र से निर्वाचित दो जनपद उपाध्यक्षों का कैसा रहा कार्यकाल

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  • आदर्श आचार संहिता लागू होने के बाद जनता के बीच का तुलनात्मक परीक्षण,किसका रहा प्रभावी कार्यकाल, यह आने वाले चुनाव में दिखाई देगा…
  • अब दोनों भूतपूर्व उपाध्यक्षों के बारे में पंचायतों के निर्वाचित जनप्रतिनिधि और कार्यरत कर्मचारी क्या सोचते हैं?


-रवि सिंह-
बैकुण्ठपुर,20 जनवरी 2025 (घटती-घटना)। छत्तीसगढ़ प्रदेश में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव का बिगुल बज चुका है। प्रदेश में आदर्श आचार संहिता लागू हो गई है। अब आने वाले समय में जनता पूर्व में निर्वाचित जनप्रतिनिधियों के कार्यकालों की तुलना करने में लग गई है। निर्वाचित जनप्रतिनिधि ने जनता की कसौटियों पर खरा उतरने का कितना प्रयास किया, यह तो आगामी चुनाव बतायेगा। परंतु दैनिक घटती घटना ने विगत दो पंचायत स्तरीय चुनाव में एक ही क्षेत्र से जनपद का चुनाव जीतकर आने वाले, और संयोगवश दोनों के द्वारा जनपद उपाध्यक्ष की कुर्सी पर आसीन रहने के दरमियान अपने कार्यकाल का निर्वहन किस प्रकार किया और जनता की कसौटी पर कितना खरे उतरे, इसका आंकलन जनता के बीच जाकर और पूर्व में पंचायत में निर्वाचित जनप्रतिनिधि, सरपंच, पंचायत में कार्यरत सचिव, जिनका सीधा संबंध जनपद पंचायत से होता है, से बात कर कर तुलनात्मक परीक्षण के रूप में जानने का प्रयास किया।
ज्ञात हो की जनवरी 2015 से लेकर जनवरी 2020 के बीच में जनपद पंचायत बैकुंठपुर के उपाध्यक्ष पद पर अनिल जायसवाल निर्वाचित रहे। जिन्होंने जनपद पंचायत का चुनाव जनपद क्षेत्र रनई, चिरगुड़ा, एवं छिंदिया से जीता था। और उसके बाद जनपद उपाध्यक्ष बने। वहीं 2020 में हुई त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में तत्कालीन जनपद पंचायत उपाध्यक्ष अनिल जायसवाल ने जिला पंचायत का रुख किया और उनके स्थान पर उनके क्षेत्र से जनपद क्षेत्र छिंदिया, रामपुर, शिवपुर पसला, तरगंवा से श्रीमति आशा साहू ने जनपद का चुनाव जीतकर, जनपद उपाध्यक्ष का भी चुनाव जीता। अभी वह निवर्तमान जनपद उपाध्यक्ष हैं। दोनों प्रत्याशियों की जीत की सबसे बड़ी बात यह थी कि, दोनों प्रत्याशियों ने अपने जनपद का चुनाव कांग्रेसी आकाओं के बदौलत जीता था। पहले चुनाव में जहां अनिल जायसवाल के सर पर रनई जमीदार एवं कोरिया टाइगर के नाम से मशहूर योगेश शुक्ला का हाथ था, वहीं इसी क्षेत्र से दूसरे चुनाव में श्रीमती आशा साहू के सर पर तत्कालीन कांग्रेसी विधायिका श्रीमति अंबिका सिंहदेव की मेहरबानी थी। हालांकि श्रीमती आशा साहू को जनपद चुनाव जीताने से लेकर जनपद उपाध्यक्ष बनाने तक की कवायद में तत्कालीन विधायिका ने अपनी पूरी जोर आजमाइश लगाई थी और जिसका सफल परिणाम भी प्राप्त हुआ था। परंतु विगत विधानसभा चुनाव में उन्हें वर्तमान जनपद उपाध्यक्ष श्रीमती आशा साहू एवं उनकी टीम का आशातीत साथ नहीं मिल पाया। जबकी पूर्व जनपद उपाध्यक्ष अनिल जायसवाल और पीसीसी सदस्य, कोरिया टाइगर रनई जमींदार श्री योगेश शुक्ला की जुगलबंदी आज भी जगजाहिर है।
फरवरी 2020 से लेकर वर्तमान 2025 तक जनपद पंचायत बैकुंठपुर का कार्यकाल
विगत जनवरी 2020 में संपन्न हुए पंचायत चुनाव में छिंदिया क्षेत्र से दो दिग्गज जनपद के चुनाव में उतरे, भाजपा प्रत्याशी के रूप में भूतपूर्व जनपद उपाध्यक्ष विपिन बिहारी जायसवाल एवं कांग्रेस प्रत्याशी के तौर पर श्रीमती आशा साहु। श्रीमती आशा साहू को स्थानीय होने के लाभ के साथ-साथ तत्कालीन विधायिका एवं शासन प्रशासन का साथ मिला, जिससे वे जनपद का चुनाव जीतने में सफल हुए। इसके बाद तत्कालीन विधायिका के सहयोग से उन्होंने उपाध्यक्ष का भी चुनाव जीता। इस कार्यकाल में जनपद अध्यक्ष के रूप में भाजपा नेत्री सौभाग्यवती सिंह कुसरो निर्वाचित रहीं। यह बात सर्वविदित है कि जनपद सदस्य एवं जनपद उपाध्यक्ष श्रीमती आशा साहू केवल एक चेहरा मात्र रहे। उनके स्थान पर उनका सारा कार्य और सारे कार्यक्रम उनके शिक्षक पति के द्वारा संपादित किए जाते रहे। यह बात और है कि पूरे कार्यकाल के दौरान उन्होंने लगातार क्षेत्र का दौरा किया, लगातार कार्यक्रमों में सहभागिता दिखाई, क्षेत्र में कई आयोजन उनके द्वारा कराए गए। परंतु यह सब उनके शिक्षक पति के द्वारा संचालित मात्र था। उनके पूरे कार्यकाल की सबसे बड़ी बात यह थी कि उनके शिक्षक पति ने ग्राम पंचायत के ठेकेदारी अपने हाथ पर ले रखी थी। और यही कारण है कि पंचायतों में उनका अनावश्यक दखल और दबाव बना रहा। जिसके कारण कई ग्राम के सरपंचों एवं सचिवों से उनका संबंध कटु बना रहा। चूंकि श्रीमती आशा साहू प्रशासनिक रूप से गैर अनुभवी थीं और राजनीतिक अनुभव न होने के कारण उनका रोल केवल मंच साझा करना था। और सारी कमान शिक्षक पति के हाथ में थी। इनके कार्यकाल में पंचायतों में निर्माण कार्य तो हुए, परंतु समस्त निर्माण कार्यों की एजेंसी ग्राम पंचायत होने के बावजूद उपाध्यक्ष के शिक्षक पति और उनके साथियों के हाथ में रहे। ठेकेदारी के माध्यम से धन अर्जन की लालसा के कारण निर्माण कार्य तो संपन्न हुए, परंतु गुणवााविहीन एवं बेकार। गाहे बगाहे इनके द्वारा कराए गए निर्माण कार्य के गुणवंता संबंधी कई सवाल उठे और अखबारों में भी लगातार खबरें चली थी। इस कारण भी पंचायत में निर्वाचित जनप्रतिनिधियों एवं पदस्थ कर्मचारियों के साथ अनबन की खबरें लगातार आती रहीं।
2015 से 2020 के बीच जनपद पंचायत बैकुंठपुर का कार्यकाल
2015 से लेकर के 2020 के बीच में जनपद पंचायत बैकुंठपुर में अध्यक्ष पद पर कांग्रेस के स्वर्गीय श्री सूर्य प्रताप सिंह नेताम निर्वाचित हुए थे, वहीं उपाध्यक्ष पद पर कांग्रेस के श्री अनिल जायसवाल निर्वाचित हुए थे। वैसे तो बतौर उपाध्यक्ष श्री अनिल जायसवाल का कार्यकाल निर्विवाद नहीं था,और अपने कार्यकाल के प्रथम वर्षों में उन्हें भी नौकरी और निर्वाचित सदस्य के बीच के मामलों का सामना करना पड़ा, जिसका बाद में पटाक्षेप हो गया। श्री अनिल जायसवाल ने चूंकी स्वयं ठेकेदारी की कमान नहीं संभाल रखी थी, इसलिए पंचायतों में उनका बेवजह दखल नहीं था। पंचायतों में निर्वाचित पंच,सरपंच एवं पदस्थापित सचिव स्वतंत्रता पूर्वक ग्राम पंचायत निर्माण एजेंसी के तहत कार्य करते रहे। जनपद पंचायत में तत्कालीन समय में पदस्थ अधिकारियों कर्मचारियों के साथ तत्कालीन जनपद उपाध्यक्ष का संबंध मधुर ही रहा एवं पूरे कार्यकाल में किसी प्रकार के विवाद की खबरें सामने नहीं आई। इसके अतिरिक्त तत्कालीन जनपद उपाध्यक्ष अनिल जायसवाल ने एक कुशल प्रशासक की तरह अपने दायित्वों का निर्वहन किया और अपने निर्वाचन क्षेत्र के लिए उनकी सबसे बड़ी उपलब्धि सड़कों का एवं पुल पुलियों का निर्माण रहा। ग्राम पंचायत में अनावश्यक हस्तक्षेप न करने के उनकी आदत को तत्कालीन सरपंचों ने एवं सचिवों ने सराहनीय बताया। सबसे बड़ी बात तत्कालीन जनपद उपाध्यक्ष अनिल जायसवाल स्वयं में फैसला लेने में सक्षम थे। उन्हें किसी आश्रित की तरह कार्यकाल बिताने की नौबत नहीं आई। इन सब के बावजूद विगत पंचायत चुनाव में अनिल जायसवाल ने जनपद पंचायत का रुख छोड़ कर जिला पंचायत की ओर अपना रुख किया। परंतु जिस क्षेत्र से उन्होंने चुनाव लड़ा, उस क्षेत्र से पूर्व में दो बार विधानसभा का चुनाव लड़ चुके तत्कालीन पीसीसी सदस्य श्री वेदांती तिवारी का निर्दलीय चुनाव लड़ जाना भारी पड़ा, और कांग्रेस से अनिल जायसवाल सहित भारतीय जनता पार्टी को भी हार का सामना करना पड़ा। वर्तमान में सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार भूतपूर्व जनपद उपाध्यक्ष श्री अनिल जायसवाल पुन: क्षेत्र में सक्रिय हैं। और आने वाले त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में सहभागी होने को तैयार हैं।
जनपद पंचायत का अद्भुत रिकॉर्ड क्या इस बार टूटेगा
इसे संयोग कहा जाए या मिथक, यह तो नहीं पता। परंतु जनपद पंचायत बैकुंठपुर का विगत कुछ वर्षों में एक अनोखा रिकार्ड रहा है, की जो भी व्यक्ति जनपद उपाध्यक्ष चुनकर आता है, वह आगामी चुनाव हार जाता है। गौर किया जाए तो विगत कुछ चुनाव से यह लगातार होता रहा है। वर्तमान में होने वाले चुनाव में यह देखने वाली बात होगी कि यह मिथक टूटता है, या यह संयोग बरकरार रहेगा। उपरोक्त पुरा लेख ग्राम पंचायतों में पदस्थ कुछ सचिवों एवं विगत चुनाव में निर्वाचित सरपंचों से नाम ना बताने की शर्त पर वार्तालाप के आधार पर किया गया है।
निवर्तमान जनपद उपाध्यक्ष आशा साहू के कार्यकाल के दो बड़ी घटनाओं के लिए इनका कार्यकाल विवादास्पद रहा…
मामला नंबर-1

पहली घटना ग्राम पंचायत चिरगुडा जो की जनपद उपाध्यक्ष का गृह ग्राम भी है, के निर्वाचित सरपंच के साथ ठेकेदारी को लेकर अनबन होना और तत्कालीन सरपंच द्वारा पंचायत के कार्य से उपाध्यक्ष के शिक्षक पति को अलग कर देना रहा। इसके बाद तत्कालीन सत्ता शासन के सहयोग से जनपद उपाध्यक्ष श्रीमती आशा साहू और उनके पति द्वारा ग्राम पंचायत में अविश्वास प्रस्ताव लाकर, पंचों की खरीद फरोख्त के साथ निर्वाचित सरपंच को बेदखल कर कार्यवाहक सरपंच स्थापित करना। यह पूरा मामला काफी दिनों तक सुर्खियों में रहा और बेदखल सरपंच ने खुलेआम यह आरोप लगाया कि पंचायत में अनावश्यक दखलअंदाजी एवं पंचायत कार्यों में ठेकेदारी न करने देने के कारण साजिश पूर्वक पंचों को खरीद फरोख्त कर उन्हें हटाया गया। इस पूरे मामले में तत्कालीन विधायिका श्रीमती अंबिका सिंह देव की भी बहुत किरकिरी हुई थी। क्योंकि बेदखल सरपंच ने जनपद उपाध्यक्ष के ऊपर विधायिका द्वारा शह देने का भी आरोप लगाया था।
मामला नंबर-2
दूसरा मामला जनपद पंचायत में तत्कालीन समय में पदस्थ मुख्य कार्यपालन अधिकारी से विवाद का था। जिसे हटाने के लिए जनपद उपाध्यक्ष एवं उनके पति ने तत्कालीन विधायिका श्रीमती अंबिका सिंह देव से मदद मांगी थी। परंतु पूर्व में हुए घटनाक्रम की किरकिरी के कारण तत्कालीन विधायिका ने जनपद पंचायत के अधिकारी को जब हटाने से मना कर दिया तो कांग्रेसी जनपद उपाध्यक्ष श्रीमती आशा साहू एवं उनके टीम ने भाजपाइयों के साथ मिलकर तत्कालीन जनपद पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी को हटाने के लिए आंदोलन किया था। पूरे मामले में यह बात सामने आई थी कि तत्कालीन जनपद पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी ने जनपद उपाध्यक्ष के शिक्षक पति को मनमानी करने से अंकुश लगाया था। वही विरोध का कारण बना। भाजपाइयों के साथ जुगलबंदी कर इस आंदोलन को खड़ा करने का नुकसान बाद में विधानसभा चुनाव में जनपद उपाध्यक्ष श्रीमती आशा साहू को भुगतना भी पड़ा था। बहरहाल उपरोक्त दोनों कार्यकाल बीत चुके हैं, और पासे से जनता के हाथ में हैं। आने वाले चुनाव में यह देखने वाली बात होगी कि दोनों भूतपूर्व जनपद उपाध्यक्ष यदि चुनावी मैदान में उतरते हैं, तो जनता उन्हें हाथों-हाथ लेती है या आङे हाथ।


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