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अंबिकापुर,@महामाया पहाड़ पर अतिक्रमण हटाने चले बुलडोजर,40 घर तोड़े गए

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अंबिकापुर,20 जनवरी 2025 (घटती-घटना)। अंबिकापुर के महामाया पहाड़ और उससे लगे खैरबार इलाके में वनभूमि पर अतिक्रमण के विरुद्ध सुबह 9 बजे कार्रवाई आरंभ हो गई थी। भारी विरोध के बीच आखिरकार कार्यवाही शुरू हुई। कजा स्थल पर पहले क्रम में 60 मकानों को तोडऩे की कार्यवाही की जा रही थी। सोमवार की सुबह बड़ी संख्या में पुलिस बल के साथ वन व राजस्व विभाग का अमला प्रभावित क्षेत्र में कार्रवाई के लिए पहुंचा तो लोग एक्सीवेटर के सामने खड़े हो गए हैं। सुबह से ही बवाल मचा हुआ था। भीड़ को नियंत्रित करने का प्रयास किया जा रहा था लेकिन लोग कुछ भी सुनने को तैयार नहीं था। महामाया पहाड़ क्षेत्र के लोग विरोध में उतर आए हैं उधर पुलिस और प्रशासनिक अमला भी पूरी तैयारी में थी। वहीं दोपहर बाद अचानक हाईकोर्ट से रजिस्ट्रार ऑफिस से सूचना मिली कि अतिक्रमण की कार्रवाई फिलहाल रोकी जाए। हाईकोर्ट के मौखिक आदेश पर जिला प्रशासन की संयुक्त टीम अतिक्रमण की कार्रवाई रोक कर वापस लौट गई।
महामाया मंदिर के ऊपर महामाया पहाड़ है। यहां स्थानीय व बाहरी लोगों द्वारा अतिक्रमण किया गया है। खैरबार, बधियाचुआं और नवागढ़ इलाके से लगे इस वन क्षेत्र में वर्षों से अवैध कब्जे की शिकायत पर वर्ष 2017 में जांच के बाद 60 कब्जाधारियों को बेदखली का नोटिस जारी किया था। लेकिन राजनीतिक दबाव के कारण अतिक्रमण नहीं हटाया गया था। वर्ष 2017 के बाद यहां अतिक्रमण और तेजी से बढ़ गया। वर्ष 2022 में भाजपा नेता आलोक दुबे ने पुनः अतिक्रमण का मामला उठाया था। शिकायत पर जिला प्रशासन ने मामले की जांच कराई थी। जांच में 468 लोगों द्वारा अतिक्रमण किए जाने की बात सामने आई थी। वहीं विभाग ने 60 लोगों को बेदखली का नोटिस भी जारी किया था। इनका अतिक्रमण हटाने विन विभाग द्वारा फोर्स की मांग की गई थी पर राजनीतिक दबाव के कारण वर्ष 2022 में अतिक्रमण नहीं हट पाया था। इसके बाद वर्ष 2023 में भाजपा की सरकार आने के बाद भी आलोक दुबे ने मां महामया पहाड़ पर अतिक्रमण की शिकायत मुख्यमंत्री के समक्ष की थी। इसी बीच 15 जनवरी को प्रदेश के वन मंत्री केदार कश्यप सरगुजा प्रवास पर थे। वन मंत्री ने वन विभाग की संभागीय बैठक ली थी। बैठक में उन्होंने डीएफओ से महामाया पहाड़ पर अतिक्रमण खाली नहीं कराए जाने की बात पूछी थी। इस दौरान मंत्री ने डीएफओ को फटकार भी लगाई थी। मंत्री ने हर हाल में 60 घरों को तोडऩे के निर्देश डीएफओ को दिए थे। वन मंत्री के निर्देश के बाद वन विभाग ने 17 जनवरी को लगभग 182 अतिक्रमणकारियों को नोटिस देकर तीन दिन का समय दिया गया था। वन विभाग द्वारा दिए गए समय सीमा समाप्त होने के बाद 20 जनवरी की सुबह प्रशासन की संयुक्त टीम पहले चरण में 60 घरों को तोडऩे के लिए पूरे दल-बल के साथ पहुंची। सुबह 6 बजे से ही पूरा इलाका पुलिस छावनी में तब्दील हो गया। अतिक्रमण हटाए जाने की जानकारी मिलते ही अतिक्रमणकारी आक्रोशित हो गए। जिला कांग्रेस अध्यक्ष राकेश गुप्ता, वरिष्ठ नेता शफी अहमद, सतीष बारी, मो. बाबर के साथ मोहल्लेवासी जेसीबी के सामने धरने पर बैठ गए। लोगों ने खाली करने के लिए कुछ दिनों का और समय मांगा पर प्रशासन मानने को तैयार नहीं हुआ। एएसपी अमोलक सिंह ढिल्लो के निर्देश पर पुलिस ने हल्का बल का भी प्रयोग किया गया और अतिक्रमणकारियों को खदेड़ा गया। इसके बाद कार्रवाई की गई। अतिक्रमणकारियों के विरोध के बीच सुबह 9 बजे से कब्जा हटाने की कार्रवाई शुरू की गई। इसके लिए लगभग 5 सौ पुलिस बल तैनात किए गए थे। वहीं चार जेसीबी लगाए गए थे। दोपहर करीब 1 बजे तक लगभग 40 घरों को तोड़ दिया गया। वहीं मामले में स्टे के लिए पीडि़तों ने हाईकोर्ट में याचिका लगाया था। अर्जेंट हियरिंग की अपील के बाद मामले में सुनवाई का समय दिया गया है। हाईकोर्ट के आदेश पर कार्रवाई रोक दी गई। सूत्रों के अनुसार हाईकोर्ट ने 5 दिनों का समय दिया है।
ठंडी में खुले आसामन के नीचे गुजारी राज
महामाया पहाड़ स्थित वन भूमि पर बाहरी व स्थानीय लोगों ने अतिक्रमण कर घर का निर्माण कर परिवार के साथ जीवन यापन कर रहे थे। नोटिस मिलने के बाद से ही लोगों में हडकंप था। वहीं सोमवार को अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई से लगभग 60 घर के लोग बेघर हो गए। लोग घरों के सामान निकलकर दूसरे के घरों व खुले मैदान में रखना पड़ा। वहीं पीडि़त परिवार के बच्चे स्कूल भी नहीं कए थे। पूरे दिन भूखे-प्यासे खुले आसमान के नीचे बैठे रहे। लोगों के बीच अपने आसियाना टूटने का गम रहा। कडकड़ाती ठंड में लोग बाल बच्चों के साथ खुले आसमान के नीचे रात गुजारने को मजबूर हैं। लोग 20 से 25 सालों से महामाया पहाड़ पर अवैध रूप से घर बनाकर रह रहे थे। इसमें अधिकांश लोग झारखंड, बिहार के हैं। बेघर हुए नजीरुद्दीन घर खाली कर सामान लेकर परिवार के साथ मैदान में बैठे थे। उन्होंने बताया कि मैं लगभग 25 सालों से यहां रह रहा हूं। मजदूरी का काम करता हूं। मेरा झारखंड में भी घर नहीं है। कहां जाएंगे पूछने पर बताया कि खानाबदोस की तरह तिरपाल तानकर कहीं सडक किनारे रहेंगे। मेरी स्थिति ऐसी नहीं है कि मैं किराए का मकान लेकर परिवार के साथ रह सकूं। कार्रवाई करने पहुंचे अधिकारियों का कहना है कि वन भूमि पर बेदखली की कार्रवाई नियमानुसार की जा रही है। अतिक्रमण हटाने लोगों को तीन दिनों का समय दिया गया था। प्रभावितों ने अतिक्रमण हटाने के लिए अधिकारियों से कुछ दिनों का समय और मांग रहे थे।


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