- क्या मंत्री के ओएसडी पद से हटाने के बाद उनके दिव्यांग प्रमाण-पत्र की होगी जांच?
- श्रवण बाधित संजय मरकाम अभी तक सुन रहे थे मंत्री की बात अब सुनेंगे जनता की बात…जब सब कुछ सुनाई देता है साफ तो फिर क्यों बने हैं श्रवण बाधित?
- क्या इन्हीं की वजह रुकी है फर्जी दिव्यांग प्रमाण-पत्र पर नौकरी करने वालों की जांच?
- संभालेंगे गृह जिले का दायित्व…आखिर किसने बनाया था इनका दिव्यांग प्रमाण-पत्र? सूरजपुर जिले से ना बनवाकर बिलासपुर जिले से आखिर दिव्यांग प्रमाण-पत्र क्यों बनवाया?
-ओंकार पांडेय-
सूरजपुर,19 जनवरी 2025 (घटती-घटना)। देर से ही सही संजय मरकाम को स्वास्थ्य मंत्री के ओएसडी पद से हटाया गया,माना यह जा रहा है कि इन्हीं की वजह से दिव्यांग संघ की शिकायत पर दिव्यांग प्रमाण-पत्र की जांच नहीं हो पा रही थी,अब देखना यह होगा कि उनके हटने के बाद क्या सही तरीके से दिव्यांग प्रमाण-पत्र की जांच होगी? वैसे पहले दिन जब इन्हें मंत्री के ओएसडी पद से हटाने के बाद राज्य प्रशासनिक सेवा के अधिकारियों की तबादला सूची आई तो उसमें उन्हें संयुक्त कलेक्टर सूरजपुर बनाया गया था पर एक दिन बाद संशोधित करके उन्हें डिप्टी कलेक्टर के पद पर भेजा गया, माना जाए तो एक दिन के लिए वह सूची में ही सही संयुक्त कलेक्टर कहलाए होंगे और मन ही मन मुस्काए होंगे। वैसे इनके दिव्यांग प्रमाण-पत्र को लेकर कई सवाल आज भी पहेली बनी हुई है, सबसे बड़ा सवाल तो यह है कि जब वह सूरजपुर जिले के निवासी हैं फिर वह अपने जिले से दिव्यांग प्रमाण-पत्र न बनवाकर आखिर बिलासपुर जिले से दिव्यांग प्रमाण-पत्र क्यों बनवाए हैं, क्या सूरजपुर जिले में उन्हें लोग जानते थे कि वह श्रवण बाधित नहीं है इसलिए वह उस जिले से अलग जाकर अन्य जिले से दिव्यांग प्रमाण-पत्र प्राप्त किए हैं? वैसे इनके गृह जिले में सभी यह कहते हैं कि उन्हें सब कुछ स्पष्ट सुनाई देता है उनके साथ पढ़ने से लेकर उनके साथ काम करने वाले सभी इस बात को कहते हैं पर सिर्फ शासन द्वारा जारी दिव्यांग प्रमाण-पत्र ही उन्हें सिर्फ श्रवण बाधित मानता है, जिसे दिव्यांग संघ के द्वारा चुनौती दी जा रही है कि वह प्रमाण-पत्र फर्जी। अब देखना है कि वह गृह जिले में कैसे खुद को श्रवण बाधित बताकर काम करते हैं जहां उनके स्वस्थ होने संपूर्ण स्वस्थ होने को लेकर सभी आश्वस्त हैं।
क्या मुख्यमंत्री फर्जी दिव्यांग प्रमाण-पत्र पर नौकरी करने वाले के विरुद्ध लेंगे अब संज्ञान?
प्रदेश के मुख्यमंत्री से भी अब अपेक्षा होगी कि वह फर्जी दिव्यांग प्रमाण-पत्र के आधार पर नौकरी करने वालों के मामले में संज्ञान लें वह फर्जी दिव्यांग प्रमाण-पत्रों की जांच करवाएं और उचित कार्यवाही करें । मुख्यमंत्री दिव्यांग संघ को न्याय दिलाए और फर्जी दिव्यांगों को नौकरी से हटाकर पात्र को उसका हक दिलाएं यह अब मुख्यमंत्री से लोगों की दिव्यांग संघ की उम्मीद है।
ना कान में लगी है मशीन और न ही उन्हें सुनने में होती है दिक्कत…फिर कैसे हैं वह श्रवण बाधित संजय मरकाम?
डिप्टी कलेक्टर बनकर सुरजपुर आ रहे राज्य प्रशासनिक सेवा के अधिकारी संजय मरकाम की यदि बात की जाए तो बताया जाता है कि उनके कान में ही न तो मशीन लगी है न ही उन्हें सुनने में दिक्कत होता है। वह काफी आसानी से सुनते-समझते हैं। उन्हें करीब से ही जानने वाले कहते हैं वह पूर्ण स्वस्थ हैं और वह स्वस्थ ही रहें वह ऐसी कामना करते हैं…वह श्रवण बाधित हैं ऐसा उनके कई करीबी नहीं मानते…वहीं दिव्यांग संघ भी नहीं मानता उनके प्रमाण-पत्र को फर्जी और उनकी नौकरी को कूट रचना से प्राप्त मानता है।
ओएसडी की वजह से स्वास्थ्य मंत्री को भी आलोचनाओं का होना पड़ा था शिकार
प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री जो अपनी बेहतर कार्यप्रणाली साथ ही अच्छी छवि के लिए जाने जाते हैं उन्हें भी अपने ओएसडी संजय मरकाम के कारण आलोचनाओं का शिकार होना पड़ा था। बता दें कि उन्हें अपने ओएसडी संजय मरकाम जिनकी नौकरी फर्जी दिव्यांग प्रमाण-पत्र के आधार पर लगी है ऐसा आरोप है के कारण कई बार कई आलोचनाएं झेलनी पड़ी थी। प्रदेश का दिव्यांग संघ लगातार मंत्री के ओएसडी पर कार्यवाही की मांग कर रहा था उन्हें हटाने की मांग कर रहा था जिसके कारण मंत्री को आलोचनाओं से गुजरना पड़ रहा था।
क्या मंत्री के ओएसडी पद से हटाने के बाद दिव्यांग संघ की मांग पर संजय मरकाम के विरुद्ध होगी जांच?
अब राज्य प्रशासनिक सेवा के अधिकारी संजय मरकाम जो फर्जी दिव्यांग प्रमाण पत्र के आधार पर इस सेवा में हैं ऐसा आरोप है और यह दिव्यांग संघ का ही आरोप है को अब मंत्री के ओएसडी पद से हटा दिया गया है गृह जिले में भेजा गया है। अब क्या उनके दिव्यांग प्रमाण-पत्र की जांच होगी। मंत्री के यहां से हटाने के बाद अब दिव्यांग संघ को यह विश्वास है जैसा बताया जा रहा है कि उनकी ही मांग पर ऐसा किया गया है और अब दिव्यांग प्रमाण-पत्र की जांच और उचित कार्यवाही होगी सच का खुलासा होगा उन्हें विश्वास है।
गृह जिले में नौकरी कर सकते हैं पर गृह जिले से दिव्यांग प्रमाण-पत्र नहीं बनवा सकते थे?
संजय मरकाम राज्य प्रशासनिक सेवा में अधिकारी दिव्यांग प्रमाण-पत्र के सहारे हैं। दिव्यांग भी वह श्रवण बाधित श्रेणी के हैं जिसमें सबसे ज्यादा फर्जीवाड़ा हुआ है प्रदेश में ऐसा दिव्यांग संघ का आरोप है। अब संजय मरकाम अपने गृह जिले के डिप्टी कलेक्टर होंगे वहीं उनका दिव्यांग प्रमाण-पत्र जैसा बताया जाता है कि बिलासपुर जिले का है और सवाल यह उठता है कि जब गृह जिले में ही नौकरी करने पहुंचे हैं तो दिव्यांग प्रमाण-पत्र गृह जिले से उन्होंने क्यों नहीं बनवाया।