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बिलासपुर@ प्रदेश के बिजली कारखानों को हाईकोर्ट का सख्त आदेश

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प्रदेश के बिजली कारखानों में श्रमिकों के खराब स्वास्थ्य को लेकर हाईकोर्ट ने जताई चिंता…
विभाग को कड़ड़ी कार्रवाई का दिया आदेश
बिलासपुर,18 जनवरी 2025 (ए)।
छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय ने कोयला आधारित ताप विद्युत संयंत्रों में श्रमिकों की सुरक्षा और स्वास्थ्य सुविधाओं की उपेक्षा पर गहरी चिंता व्यक्त की है। अदालत ने राज्य सरकार को इन संयंत्रों की पुनः जांच कराने और श्रमिकों की स्वास्थ्य सुरक्षा के लिए ठोस कदम उठाने का निर्देश दिया है।
दरअसल कोयले से बिजली बनाने वाले कारखानों में व्याप्त प्रदूषण का श्रमिकों के स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ता है। इससे बचाव के लिए किये जाने वाले उपाय पर निगरानी की जिम्मेदारी संचालनालय, औद्योगिक स्वास्थ्य एवं सुरक्षा के ऊपर है, मगर सही तरीके से मॉनिटरिंग नहीं होने के चलते अधिकांश संयंत्रों द्वारा केवल औपचारिकता निभाई जा रही है और श्रमिकों के स्वास्थ्य की ओर ध्यान नहीं दिया जा रहा है। इस मुद्दे को लेकर हाईकोर्ट में दायर याचिका पर सुनवाई चल रही है।
न्याय मित्रों ने की थी संयंत्रों की जांच
हाईकोर्ट द्वारा इस मामले की सुनवाई के दौरान कोयला आधारित ताप विद्युत संयंत्रों की जांच के लिए 10 अधिवक्ताओं को न्याय मित्र बनाया गया था। अधिकांश संयंत्रों की रिपोर्ट में कोयला संयंत्रों में श्रमिकों की खराब स्वास्थ्य स्थिति और नियमों के उल्लंघन की जानकारी दी गई है। सुनवाई के दौरान न्यायालय ने मामले से जुड़े न्याय मित्र और कोर्ट कमिश्नरों द्वारा प्रस्तुत विभिन्न रिपोर्टों का अवलोकन किया।
राज्य सरकार ने संयंत्रों में खामियां स्वीकारी
हाईकोर्ट में राज्य सरकार की ओर से प्रस्तुत रिपोर्ट में यह स्वीकार किया गया कि निरीक्षण के दौरान कई संयंत्रों में स्वास्थ्य सेवाओं और सुरक्षा मानकों की कमी पाई गई है। हालांकि, अदालत ने इस बात पर नाराजगी जताई कि इन उल्लंघनों पर कार्रवाई करने में देरी हुई। श्रमिकों के स्वास्थ्य संबंधी रिपोर्टों से इस बात का खुलासा हुआ है कि औद्यौगिक स्वास्थ्य एवं सुरक्षा विभाग द्वारा संयंत्रों से नियमों का कड़ाई से पालन नहीं कराया जा रहा है।
फेफड़े की बीमारी से पीçड़ड़त पाए गए कई श्रमिक..!
कोयले से चलने वाले बिजली कारखानों में काम करने वाले श्रमिकों के स्वास्थ्य परिक्षण के दौरान चौंकाने वाली जानकारियां सामने आयी। संयंत्रों में कई श्रमिक ब्लैक लंग जैसी गंभीर बीमारियों से पीडित पाए गए। रिपोर्ट्स में यह भी सामने आया कि श्रमिकों के वार्षिक स्वास्थ्य जांच के नाम पर केवल दिखावटी रिपोर्ट तैयार की जा रही है।
दरअसल ऐसे कारखानों में काम करने वाले श्रमिकों की नियमित तौर पर स्वास्थ्य जांच और उनकी रिपोर्ट तैयार की जाती है। कारखानों की जांच के लिए गए न्याय मित्रों ने बताया कि अधिकांश श्रमिकों की स्वास्थ्य जांच संबंधी रिपोर्ट एक ही समान याने ‘कॉपी पेस्ट’ की हुई है। इससे उनकी रिपोर्ट के फर्जी होने का खुलासा होता है।
नियमों का घोर उल्लंघन
छत्तीसगढ़ फैक्टरी नियम, 1962 के नियम 131 और 131-्र के तहत श्रमिकों की स्वास्थ्य जांच और उचित चिकित्सा सुविधा सुनिश्चित करना अनिवार्य है। संयंत्रों की जांच में यह स्पष्ट हो गया है कि अधिकांश संयंत्रों में इन नियमों का पालन नहीं किया गया।
श्रमिकों का सरकारी अस्पतालों में स्वास्थ्य परीक्षण का आदेश
हाईकोर्ट ने इस मामले की सुनवाई के दौरान राज्य सरकार को सभी कोयला संयंत्रों का पुनः निरीक्षण करने और स्वास्थ्य केंद्र, एंबुलेंस सुविधाओं की स्थिति की जांच करने का निर्देश दिया। साथ ही अदालत ने आदेश दिया कि सभी श्रमिकों की स्वास्थ्य जांच सरकारी अस्पतालों में कराई जाए और इसकी रिपोर्ट पेश की जाए।
स्वास्थ्य सेवाएं सुनिश्चित करने के निर्देश
इस मामले की सुनवाई के बाद कोर्ट ने सरकार को संयंत्रों में स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार के तहत सभी संयंत्रों में स्वास्थ्य केंद्रों और एंबुलेंस सुविधाओं की उपलब्धता सुनिश्चित करने का आदेश दिया है। संयंत्र परिसर में कोयला धूल के स्तर की जांच और उसे नियंत्रित करने के लिए उपकरण लगाने का निर्देश दिया है। साथ ही श्रमिकों की पुनः जांच और उनके स्वास्थ्य पर विस्तृत रिपोर्ट देने को कहा है।
अगली सुनवाई में शपथ पत्र पेश करें
छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय ने राज्य सरकार और संबंधित संयंत्रों को श्रमिकों की सुरक्षा और स्वास्थ्य संबंधी नियमों का पालन करने के लिए तत्काल कदम उठाने का निर्देश दिया है। अदालत ने स्पष्ट किया कि श्रमिकों की सुरक्षा में लापरवाही स्वीकार्य नहीं है और सभी प्रावधानों को सख्ती से लागू किया जाना है। इस संबंध में किये गए प्रयासों को लेकर 18 मार्च को होने वाली अगली सुनवाई में एक शपथ पत्र जमा करने का निर्देश डायरेक्टर, औद्यौगिक स्वास्थ्य एवं सुरक्षा को दिया गया है।
डॉक्टरों की नियुक्ति को कोर्ट ने माना अपर्याप्त
राज्य सरकार के संबंधित विभाग ने बताया कि श्रमिकों के स्वास्थ्य संबंधी मुद्दों की पहचान और समाधान के लिए नई नियुक्तियां की गई हैं। 2024 में 42 नए सर्टिफाइंग सर्जन नियुक्त किए गए हैं। मगर अदालत ने इस पर असंतोष व्यक्त किया और इन उपायों को अपर्याप्त बताया। बता दें कि हाईकोर्ट में सुनवाई से पहले औद्यौगिक स्वास्थ्य एवं सुरक्षा के अधीन पूरे प्रदेश में केवल दो डॉक्टर नियुक्त थे। इस बार बताया गया है कि 42 नए सर्जन नियुक्त किये गए हैं। कोर्ट ने इसे भी अपर्याप्त माना है, क्योंकि प्रदेश में कोयला आधारित बिजली कारखानों की संख्या और इसमें काम करने वाले श्रमिकों की संख्या काफी ज्यादा है।


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