नई दिल्ली@मोहन भागवत का बयान है देशद्रोह

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@ राहुल गांधी ने मोहन भागवत के सच्ची आजादी वाले बयान पर किया हमला…
नई दिल्ली,15 जनवरी 2025 (ए)।
आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत के एक बयान पर सियासी घमासान मचा हुआ है। भागवत ने स्पीच देते हुए कहा था कि अयोध्या में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा की तिथि ‘प्रतिष्ठा द्वादशी’ के रूप में मनाई जानी चाहिए क्योंकि अनेक सदियों से दुश्मन का आक्रमण झेलने वाले देश की सच्ची स्वतंत्रता इस दिन प्रतिष्ठित हुई थी। उनके इस बयान पर जुबानी जंग छिड़ गई है। इसे लेकर नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने बुधवार को आरोप लगाया कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के प्रमुख मोहन भागवत का यह बयान राजद्रोह के समान है।
भागवत ने जो कहा है वह हर भारतीय का अपमान है और किसी दूसरे देश में ऐसा होने पर तो भागवत अब तक गिरफ्तार किए जा चुके होते।
राहुल गांधी ने घेरा
लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने बुधवार को आरोप लगाया कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के प्रमुख मोहन भागवत का यह बयान राजद्रोह के समान है कि भारत को सच्ची स्वतंत्रता राम मंदिर बनने के बाद मिली, राहुल ने पार्टी के नए मुख्यालय के उद्घाटन के अवसर पर पार्टी नेताओं को संबोधित करते हुए यह भी कहा कि भागवत ने जो कहा है वह हर भारतीय का अपमान है और किसी दूसरे देश में ऐसा होने पर तो भागवत अब तक गिरफ्तार किए जा चुके होते। भागवत ने जो कहा है वह राजद्रोह के समान है क्योंकि उनके कहने का मतलब है कि संविधान अवैध है, अंग्रेजों के खिलाफ लड़ाई अवैध है।
दूसरे देश में तो अब तक उन्हें गिरफ्तार कर लिया जाता और उन पर मुकदमा चलाया जाता’,साथ ही साथ कहा कि अब समय आ गया है जब इस तरह की बकवास सुनना बंद होना चाहिए, उन्होंने कहा, ‘‘दो विचारों के बीच लड़ाई है, एक हमारा विचार है जो संविधान का विचार है और दूसरी तरफ आरएसएस का विचार है जो इसके उलट है। इसके अलावा कहा कि ‘‘देश में कोई दूसरा दल नहीं है जो भाजपा और आरएसएस के एजेंडे को रोक सके, सिर्फ कांग्रेस ही
इन्हें रोक सकती है क्योंकि हम एक विचारधारा वाली पार्टी हैं’’
ये भी बोले राहुल गांधी
लोकसभा में विपक्ष के नेता और कांग्रेस सांसद राहुल गांधी कहते हैं, आज जो लोग सत्ता में हैं, वे तिरंगे को सलाम नहीं करते, राष्ट्रीय ध्वज को नहीं मानते, संविधान को नहीं मानते और भारत के बारे में उनका नजरिया हमसे बिल्कुल अलग है, वे चाहते हैं कि भारत को एक छायादार, छुपे हुए, गुप्त समाज द्वारा चलाया जाए, वे चाहते हैं कि भारत को
एक आदमी द्वारा चलाया जाए और वे इस देश की आवाज को कुचलना चाहते हैं, वे दलितों, अल्पसंख्यकों, पिछड़ी जातियों और आदिवासियों की आवाज को कुचलना चाहते हैं, यह उनका एजेंडा है और मैं यह भी स्पष्ट रूप से कहना चाहूंगा कि इस देश में कोई भी दूसरी पार्टी नहीं है जो उन्हें रोक सके, उन्हें रोकने वाली एकमात्र पार्टी कांग्रेस पार्टी है, इसका कारण यह है कि हम एक वैचारिक पार्टी हैं।
क्या था मोहन भागवत का विवादास्पद बयान
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत का बड़ा बयान आया है। भागवत ने कहा कि 22 जनवरी 2024, जो कि अयोध्या में राम मंदिर में राम लल्ला की प्रतिष्ठा का दिन है, उसे प्रतिष्ठा द्वादशी के रूप में मनाया जाना चाहिए और इसे भारत के सच्चे स्वतंत्रता दिवस के रूप में मान्यता दिया जाना चाहिए। यह घोषणा उन्होंने 13 जनवरी को इंदौर में आयोजित एक पुरस्कार समारोह के दौरान की, जो श्री अहिल्योत्सव समिति द्वारा आयोजित किया गया था।
भागवत का सच्ची स्वतंत्रता का दृष्टिकोण
भागवत ने कहा कि भारत ने 15 अगस्त 1947 को राजनीतिक स्वतंत्रता प्राप्त की थी, लेकिन इसका सच्चा स्वतंत्रता दिवस वह दिन था, जब अयोध्या में भगवान राम की मूर्ति की प्रतिष्ठा हुई। उन्होंने कहा, यह दिन भारत की असली पहचान और स्वतंत्रता का प्रतीक है, जो सदियों की विदेशी शासन के बाद जागृत हुआ है। आरएसएस प्रमुख ने यह भी स्पष्ट किया कि राम मंदिर आंदोलन किसी विरोध का कार्य नहीं था, बल्कि यह भारत की आध्यात्मिक और सांस्कृतिक धरोहर को पुनर्जीवित करने का एक मिशन था।
राष्ट्रीय उत्सव का आह्वान
भागवत ने 22 जनवरी को प्रतिवर्ष प्रतिष्ठा द्वादशी के रूप में मनाने की अपील की, जो सांस्कृतिक एकता और राष्ट्रीय गौरव का प्रतीक बने। उन्होंने यह भी कहा कि राम मंदिर की प्रतिष्ठा बिना किसी विवाद के संपन्न हुई, जो इस आंदोलन की समावेशी और एकजुटता को दर्शाता है।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के प्रमुख मोहन भागवत ने सोमवार को कहा था कि अयोध्या में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा की तिथि ‘प्रतिष्ठा द्वादशी’ के रूप में मनाई जानी चाहिए क्योंकि अनेक सदियों से दुश्मन का आक्रमण झेलने वाले देश को सच्ची स्वतंत्रता इस दिन मिली थी। इस पर कांग्रेस और शिवसेना ने पलटवार किया है।


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