- फ़ोटो आने के बाद सम्बन्ध क्या मधुर होंगे?
- कोरिया भाजपा जिलाध्यक्ष के निर्वाचन के बाद एक ही सवाल था कि जिलाध्यक्ष व स्थानीय विधायक के बीच सामंजस कैसे बैठेगा?
-रवि सिंह –
कोरिया,13 जनवरी 2025 (घटती-घटना)। जो तस्वीर अभी आई है यह तस्वीर का इंतजार कोरिया जिला के जिलाध्यक्ष के निर्वाचन के बाद से ही हो रहा था, यह तस्वीर कई मानो में महत्वपूर्ण है यह तस्वीर इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि यह तस्वीर तो ऐसे नेताओं की है जो एक तो वर्तमान में स्थानीय विधायक हैं और वरिष्ठ भी है, वहीं तस्वीर में दूसरा व्यक्ति नवनिर्वाचित जिलाध्यक्ष की है इन दोनों के बीच संबंधों की बात करें तो तकरार वाले संबंध को लेकर जाने जाते हैं, पर अब दोनों महत्वपूर्ण पदों पर बैठे हैं अब ऐसे में अभी भी तकरार जारी रहेगा या फिर आपसी सामंजस के साथ गाड़ी आगे चलेगी? जिस दिन जिलाध्यक्ष का निर्वाचन हुआ उसे दिन स्थानीय विधायक का बधाई ना आना तकरार को आगे चलने की और इशारा था, वही निर्वाचन के बाद जिलाध्यक्ष ने स्थानीय विधायक के साथ तस्वीर साझा कर दी, जिसके बाद कई तरह के सवाल खड़े हो गए, क्या आपसी तकरार खत्म करके जिलाध्यक्ष व विधायक समंजन स्थापित कर भाजपा को मजबूत करेंगे? और गांव से लेकर शहर तक भाजपा की सरकार बनाएंगे? या फिर सिर्फ यह तस्वीर लोगों को दिखाने के लिए ही रह जाएगी? इसके मन सब अलग-अलग तरीके से निकलेंगे।
बैकुंठपुर के विधायक भईयालाल राजवाड़े काफी सुलझे हुए विधायकों में शुमार है वही देवेंद्र तिवारी मधुर वाक्यपटुता के लिए जाने जाते हैं, इन दोनों के बीच यदि दूरियां थी तो उसकी वजह सिर्फ राजनीति मानी जा रही है, जहां देवेंद्र तिवारी विधायक के दावेदार अपने आप को कई बार साबित करने का प्रयास किया तो वहीं उन्होंने कई बार स्थानीय विधायक पर कई जगह समर्थन या उनका सपोर्ट न करने का आरोप भी चर्चाओं में रहा, वैसे देवेंद्र तिवारी भाजपा के नेता है और वही स्थानीय विधायक भईयालाल राजवाड़े बीजेपी से तीन बार के विधायक है, उनकी राजनीति पृष्ठभूमि उनके स्वयं की बनाई हुई है और उन्होंने अपने जन सरोकार नीचे से चुनाव लड़ते हुए इस पायदान तक पहुंचे है, वही देवेंद्र तिवारी उतना संघर्ष तो नहीं किया पर वह भी अपनी और से भाजपा के लिए तमाम तरीके से संगठन के मध्यम व आरएसएस के माध्यम से काम करते नजर आए, इन दोनों के बीच सिर्फ आपसी तकरार सुनी सुनाई ही रही है, एक दूसरे को ना पसंद करना और एक दूसरे के लिए दूसरे के बातों में आकर निर्णय लेकर लंबे समय से तनाव व तकरार पाल रखा है, पर वही अब दोनों ही महत्वपूर्ण पद पर बैठे हैं, जहां एक तरफ देवेंद्र तिवारी नवनिर्वाचित जिलाध्यक्ष हैं तो वहीं भईयालाल राजवाड़े तीसरी बार के विधायक है और दोनों का सामंजस इस बार भाजपा को काफी मजबूत कर सकता है, अब देखना यह है कि दोनों के बीच की तकरार कैसे खत्म होगी? खत्म होगी भी कि नहीं होगी? क्योंकि राजनीतिक समीकरण में पार्टी में कुछ ऐसे भी लोग हैं जो नहीं चाहेंगे कि यह तकरार खत्म हो और दीमक की तरह पार्टी को भी नुकसान पहुंचाते रहे?