सूरजपुर/कोरिया@क्या जुआरियों को पकड़ने में पुलिस बल पड़ा कम…100 की संख्या वाले जुआरी में सिर्फ पकड़े गए 26?

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  • आईजी ने जिस टीम को भेजा कार्रवाई के लिए…क्या उस टीम ने दिया धोखा…
  • पकड़ा जा सकता था लाखों का जूआ पर मात्र पकड़ पाए डेढ़ लाख का जुआ?
  • क्या जुआ का सिंडिकेट एस कुमार को नहीं पकड़ना चाह रही पुलिस या फिर पुलिस में ही है कोई उसका मुखबिर है जो उसे पहले ही दे देता है सूचना?
  • क्या क्रेशर मालिक पर कार्यवाही करने से कतरा रही थी पुलिस?
  • जो टीम गई थी जुआ पकड़ने वह ढाबा में बैठकर जुआ के सिंडिकेट एस कुमार के साथ खा रही थी खाना:सूत्र
  • स्पेशल टीम के साथ एस कुमार की है तगड़ी सेटिंग…पहुंचता है उन्हें मनचाहा हिस्सा:सूत्र
  • सूरजपुर की स्पेशल टीम जुआ के सिंडिकेट का देती है साथ और उसके मन मुताबिक करती है कार्रवाई:सूत्र

रवि सिंह –
सूरजपुर/कोरिया 13 जनवरी 2025 (घटती-घटना)। जुआ के सिंडिकेट को चलाने नाम वाला एस कुमार एक बार फिर आईजी की बड़ी कार्यवाही से बच निकला, बताया जा रहा है कूड़ेली के जिस क्रेशर में जुआ फड़ संचालित हो रहा था वहां पर 80 से 100 के बीच में जुआरी थे और 25 से 30 लाख का वहां पर दाव लगा रहा था, यहां तक की जुआ के साथ बुक का भी खेल हो रहा था, जहां आईजी द्वारा गठित सूरजपुर की स्पेशल टीम कार्यवाही करने पहुंची और कार्यवाही भी की पर उनकी कार्यवाही भी संदेह के दायरे में तब चली गई जब वहां से सिर्फ डेढ़ लाख व 26 जुआरी पकड़े जाने की जानकारी आई, यह बात किसी को भी हजम नहीं हो रहा कि इतने बड़े जुआ फड़ में इतना कम पैसा ही पुलिस ने बरामद कर पाया और सिर्फ 26 जुआरी ही उनके हाथ लगे, पर वही इस कार्यवाही में एक बार फिर सिंडिकेट का मुखिया एस कुमार बच निकला, ऐसा लगा कि पकड़ने से पहले ही पुलिस वालों ने उन्हें जानकारी दे दी थी, जिस वजह से सिंडिकेट का मुखिया भाग निकला, वही एक बार फिर पुलिस से बच निकला और सूत्रों का कहना है कि पकड़ने वाली टीम के साथ किसी ढाबा में खाना खाते दिखा, जिसे लेकर चर्चाओं का बाजार गर्म है और उसके साथ स्पेशल टीम की भूमिका संदिग्ध नजर आई, यदि स्पेशल टीम ईमानदारी से काम करती तो आईजी का भरोसा भी जीती और एक बड़ी कार्यवाही मामले में हो पाती, पर कहीं ना कहीं पैसे की चमकने आईजी के विश्वास को भी खोया और एक बड़ी कार्यवाही से नाकाम हो गए? वही इस कार्यवाही के बाद कोरिया पुलिस की फजीहत हो गई, कोरिया पुलिस को जहां इस कार्रवाई को करना था वहां बाहरी टीम जाकर कार्यवाही कर यह बता दिया कि कोरिया पुलिस भी जुआरी के साथ संलिप्त थी।
मिली जानकारी के अनुसार लंबे समय से कुंडली के एक क्रेशर में जुआ फड़ सिंडिकेट के मुखिया एस कुमार द्वारा अंतरराज्यीय जुआरी सहित स्थानीय जुआरी को बुलाकर जुआ फड़ संचालित किया जा रहा था, जिसकी शिकायत लंबे समय से हो रही थी, पर कोरिया की स्थानीय पुलिस कार्यवाही को लेकर निकम्मी साबित हो रही थी, जिसे लेकर आईजी सरगुजा ने मामले को गंभीरता से लिया और सूरजपुर की एक टीम गठित करके कार्यवाही के लिए 12 जनवरी को भेजो जहां पहले चार से पांच पुलिस वाले बांसबाड़ी में पहुंचे और वहां से वह पैदल क्रेशर तक पहुंचे जहां पर देखा कि संख्या बहुत अधिक है जिसके बाद और बाल को बुलाया गया, जब कुछ और पुलिसकर्मी आ गए तब शाम के 7 से 8 बजे के बिच क्रेशर में छापामारी की गई पुलिस बल की संख्या 20 से 22 बताई जा रही है, पर वही क्रेशर में 80 से 100 जुआरी थे यही वजह थी कि सिर्फ 26 जुआरी ही पकड़ पाए,बाकी जुआरी भाग गए, यह तो बात समझ में आ गई पर वही रकम कम पकड़ना कहीं ना कहीं कार्रवाई करने वाले पर संदेह उत्पन्न करता है, क्योंकि वहां पर 25 से 30 लाख का जुआ संचालित हो रहा था पर सिर्फ डेढ़ लाख की पुलिस बरामद कर पाई 26 की संख्या। कई बार इस मामले को लेकर खबर भी प्रकाशित की गई थी पर जुआ संचालक को लाभ पहुचाने छुटपुट कार्रवाई की गई थी, वहीं क्रेशर संचालक के ऊपर अभी तक कोई भी कार्यवाही नहीं होने की जानकारी आई है, जबकि उसे क्रेशर में कई बार कार्रवाई हो चुकी है इसके बावजूद सिर्फ जुआ में पकड़ने वाल पर ही कार्रवाई होती है, क्रेशर संचालक बार-बार बच निकलता है।
आईजी यदि सूरजपुर की जगह अंबिकापुर की टीम भेजते तो 20 लाख से काम का कैश बरामद नहीं होता
सूत्रों का दावा है कि यदि सरगुजा आईजी सूरजपुर की जगह अंबिकापुर की टीम भेजते तो अब तक का सबसे बड़ा जुआ पकड़ने की सफलता मिलती, 20 लाख से काम का पैसा बरामद नहीं होता, साथ ही 50 से काम जुआरी नही पकड़े जाते, वही सिडिकेट का मुखिया एस कुमार भी पकड़ा जाता है, पर कहीं ना कहीं सूरजपुर की विशेष टीम को भेज कर बड़ी सफलता से चूक गई पुलिस, इस कार्यवाही से सिर्फ कोरिया पुलिस की बदनामी ही समझ में आई बाकी वह कार्यवाही जो हो सकती थी उसके लिए यह बहुत अच्छा मौका था जिससे पुलिस चूक गई यह कहना गलत नहीं होगा।
क्या सूरजपुर की स्पेशल टीम पर भी होगी कार्यवाही जो सिंडिकेट के मुखिया के साथ ढाबा में खा रहे थे खाना?
सूत्रों का कहना है की कार्यवाही के बाद स्पेशल टीम एक ढाबे में बैठकर सिंडिकेट के मुखिया के साथ खाना खा रही थी, आखिर ऐसा क्या दोनों के बीच संबंध है जिसे लोग जुआ का संचालक व सिंडिकेट कहते हैं उसके साथ बैठकर स्पेशल टीम का खाना खाना क्या संदेह को उत्पन्न नहीं करता? कार्यवाही के बाद सिंडिकेट के मुखिया व पुलिस टीम खाना खाना पूरे जिले में चर्चा का विषय बना हुआ है वहीं पुलिस की इस वजह से बदनामी भी हो रही है पर क्या इस पर संज्ञान लेते हुए अधिकारी इस टीम को बदलेंगे और इस टीम में उन ईमानदार लोगों को रखेंगे जो निष्पक्ष तरीके से कार्यवाही करके पुलिस प्रशासन की ख्याति को बनाए रखें?
सीएसपी का कौन खास कर्मचारी है जो करवाता था सेटिंग
सूत्रों का कहना है कि सीएसपी कार्यालय में एक सिविलियन कर्मचारी है जो एनीटाइम बिना वर्दी के घूमता है और जुआरी से सेटिंग करना उसका काम है,इस बार भी बैकुंठपुर व पटना थाना की सेटिंग सहित अपने अधिकारी की सेटिंग करा कर कार्यवाही न होने का भरोसा दीलाकर जुआ फड़ संचालित कर रहा था पर उसे भी इस बात की भनक नहीं थी कि ऊपर से ही कार्यवाही हो जाएगी। इस कर्मचारीका नाम इलियास बतया जा रहा है।
क्रेशर संचालक पर क्यों नहीं हो रही कार्रवाई?
जुआ का सिंडिकेट चलने वाला एस कुमार को कुंडली में ही एक क्रेशर मिल गया था जहां पर वह लंबे समय से जुआ फाड़ संचालित करा रहा है, क्रेशर वाले को इसके एवज में प्रतिदिन का एक फिक्स रकम किराए के तौर पर दिया जा रहा था,अब जब कार्रवाई हुई है तो वहीं क्रशर संचालक कार्यवाही से कैसे बचा रहा यह बड़ा सवाल है जबकि गैरजमानती धाराएं भी जुड़ेगी? अधिनियम के संशोधन के पहले तक जुआ प्रतिषेध अधिनियम के सभी अपराध संज्ञेय तथा जमानती थे। वर्तमान अधिनियम में कार्रवाई के लिए कड़े प्रावधान करते हुए जुआ घर का स्वामी होना (धारा-4), जुआ खिलाना (धारा-6 ), ऑनलाइन जुआ खिलाना (धारा -7), विज्ञापन प्रतिषेध का उल्लंघन ( धारा-11 ) और कंपनी द्वारा अपराध ( धारा-12 ) को संज्ञेय तथा गैरजमानती अपराध बनाया गया है। क्रेशर मलिक पर होगी क्या गैर जमानती धाराओं के तहत कार्रवाई होनी थी जो नहीं हुई।
सूरजपुर के साइबर टीम बहुत अधिक भरोसेमंद नहीं
विशेष सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार सूरजपुर की साइबर टीम बहुत अधिक भरोसेमंद नहीं है,क्योंकि यह भी जुआ के मामले में दूध की धुली हुई नहीं है, यह भी एक सिंडिकेट के लिए काम कर रही है जिसका मुखिया है एस कुमार…एस कुमार को छोड़कर यह कार्रवाई अक्सर होती आ रही है, यहां तक की यह भी कहा जा रहा है कि एस कुमार के इशारे पर यह टीम कार्रवाई करती है, जिस फड़ से एस कुमार के फड़ पर जुआरी नहीं पहुंचते हैं उस फड़ पर कार्यवाही एस कुमार इस टीम को बोल कर करा देता है, एस कुमार का पैसा सूरजपुर के स्पेशल टीम तक भी पहुंचता है प्रभारी से लेकर नीचे के सिंह, पटेल, यादव तक उनका हिस्सा समय से पहुंच जाता है, सिंडिकेट के मुखिया के लिए यह काम करते हैं ताकि सिंडिकेट का जुआ सिर्फ चल सके बाकी लोगों का जुआ बंद रहे।
क्या सूरजपुर की स्पेशल टीम जुआ के सिंडिकेट के साथ मिली हुई है?
सूत्रों का कहना है कि सिंडिकेट के मुखिया से स्पेशल टीम की साठगांठ है,यही वजह है कि हर बार कार्यवाही होने पर सिंडिकेट का मुखिया बच निकलता है,क्योंकि उससे पहल से उसे यह बात की जानकारी हो जाती है की कार्यवही होने वाली है, सिंडिकेट का मुखिया एस कुमार पूरे क्षेत्र में सिर्फ सिंडिकेट जुआ संचालित करने वाले व्यक्ति बनना चाहता है, पूरे सिंडिकेट को वह चलाना चाहता है जिस वजह से बाकी जगहों के जुआ फड़ पर कार्यवाही भी करवा देता है, ताकि उसके जुआ फाड़ पर सिर्फ लोग आए जहां पर खेलने की आजादी हो और कार्यवाही का डर ना हो। यहां तक की बाकी जगहों पर चल रहे जुआ पर कार्यवाही करता हैं।


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