मुंबई@ईडी गठबंधन पर छाए संकट के बादल

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@ अब शिवसेना ने भी दिखाई आंख
मुंबई,10 जनवरी 2025 (ए)।
महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव में मिली हार के बाद विपक्षी दलों के ईडी गठबंधन में दरारें उभरने लगी हैं। इस बार शिवसेना (यूबीटी) के नेता और सांसद संजय राउत ने गठबंधन की सबसे बड़ी पार्टी कांग्रेस पर सीधे सवाल खड़े किए हैं। उन्होंने कांग्रेस पर गठबंधन को बनाए रखने में विफल रहने का आरोप लगाया है।
राउत का कांग्रेस पर आरोप
संजय राउत ने कहा लोकसभा चुनाव में सफलता के बावजूद दल में निष्कि्रयता है। उन्होंने याद दिलाया कि लोकसभा चुनाव में ईडी गठबंधन ने साथ मिलकर अच्छा प्रदर्शन किया था। इसके बावजूद, कांग्रेस ने गठबंधन को मजबूत करने के लिए जरूरी कदम नहीं उठाए। राउत ने कहा कि लोकसभा चुनाव के बाद से गठबंधन की कोई बैठक तक आयोजित नहीं हुई है। इतना ही नहीं राउत ने कहा, गठबंधन को जीवित रखना सबकी जिम्मेदारी थी, खासतौर पर कांग्रेस की। लेकिन उन्होंने इसमें कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई।।
गठबंधन के अन्य नेताओं का असंतोष
संजय राउत ने इस बात को भी उजागर किया कि अन्य सहयोगी दलों के नेता, जैसे ममता बनर्जी (टीएमसी),अखिलेश यादव (सपा), अरविंद केजरीवाल (आप),और उमर अब्दुल्ला (नेशनल कांफ्रेंस), भी कांग्रेस के रवैये से नाराज हैं। उन्होंने कहा, इन नेताओं का कहना है कि अब ईडी गठबंधन का कोई वजूद नहीं बचा है।
गठबंधन पर संदेह और टूटने की संभावना
राउत ने कहा कि गठबंधन में कोई तालमेल, चर्चा या संवाद नहीं है। यह स्थिति गठबंधन के अस्तित्व पर सवाल खड़े कर रही है। उन्होंने चेतावनी दी कि अगर गठबंधन एक बार टूट गया, तो इसे दोबारा बनाना असंभव हो जाएगा।
ममता और अखिलेश ने भी जताई थी नाराजगी
इससे पहले, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव ने भी कांग्रेस पर खुलकर नाराजगी जताई थी। ममता ने कांग्रेस पर राष्ट्रीय स्तर पर विपक्षी दलों को एकजुट करने में असफल रहने का आरोप लगाया।अखिलेश ने कांग्रेस पर उत्तर प्रदेश में सहयोग न करने का आरोप लगाया।
क्या कहती है कांग्रेस
अब तक, कांग्रेस की ओर से इन आरोपों पर कोई औपचारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है। हालांकि, पार्टी के कुछ नेता इस स्थिति को नजरअंदाज करते हुए इसे अस्थायी मतभेद करार दे रहे हैं।
क्या टूट जाएगा ईडी गठबंधन
शिवसेना (यूबीटी) और अन्य दलों की नाराजगी ने गठबंधन के भविष्य पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। यदि कांग्रेस नेतृत्व जल्द सक्रिय नहीं हुआ, तो यह गठबंधन टूट सकता है। यह न केवल विपक्षी दलों के लिए झटका होगा, बल्कि 2024 के आगामी विधानसभा और लोकसभा चुनावों में भाजपा के खिलाफ उनकी रणनीति को भी कमजोर करेगा।


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