खड़गवां,@फर्जी दस्तावेजों के आधार पर वर्षो से शासन की आँख में धूल झोंक कर रहे हैं कार्य

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प्रशासन ने नियुक्ति के बाद अंकसूची का कराया है सत्यापन क्या ?


-राजेन्द्र शर्मा-
खड़गवां,05 जनवरी 2025 (घटती-घटना)। विकासखंड खड़गवां में शिक्षा विभाग एवं महिला बाल विकास विभाग परियोजना मे प्रशासन की आंख में धूल झोंककर कई फर्जी अंक सूची एवं जाति प्रमाण पत्र और फर्जी दस्तावेजों के आधार पर नौकरी कर रहे हैं।
खडगवा विकास खंड शिक्षा विभाग एवं परियोजना महिला बाल विकास विभाग हमेशा किसी ना किसी कारणों से विवादों में रहता है चाहे कार्यकर्ताओ सहायिकाओं की नियुक्ति हो भ्रष्टाचार हो इन सब मे बडी ही सुर्खियों में रहता है और इस विभाग मे वर्ष 2020-21 में हुई भर्ती में फर्जीवाड़ा किया गया है।इस विभाग में उसी कि ज्यादा चलती है जो जितने बड़े चम्मच से समिति के अधिकारीयों को खिलाता हैं वो अधिकारीयों का खास होता है इसी तर्ज पर चल रहा है महिला बाल विकास खडगवा मे भर्ती पूर्व में आगनबाडी कार्य कर्ता एवं सहायिका की भर्ती प्रक्रिया मे जिन अभ्यर्थियों की नियुक्ति कि गई है उनकी नियुक्ति में प्रमाण पत्रों के आधार पर अंक प्रदान किया गया है और उनकी नियुक्ति की गई है तो उनके प्रमाण पत्रों का वेरिफिकेशन तो विभाग को कराना चाहिए विभाग के तात्कालिक परियोजना अधिकारी के द्रारा फर्जी अंक सूची एवं दस्तावेजों के अभ्यर्थी की नियुक्ति पैसे के लेनदेन कर किया गया है और नियुक्ति कर्ता तात्कालिक परियोजना अधिकारी के द्रारा उन नियुक्ति कर्ताओ के आज तक विभाग के द्रारा इनके प्रमाण पत्रों के आधार पर अंक देकर नियुक्ति किया गया तो उनके प्रमाण पत्रों का सत्यापन (वेरिफिकेशन) करने की जिम्मेदारी महिला बाल विकास की बनती है जो महिला बाल विकास विभाग ने नहीं किया और फर्जी अंकसूची एवं फर्जी जाति प्रमाण पत्रों से महिला बाल विकास विभाग एवं शिक्षा विभाग में पैसे के दम पर कार्य कर रहे हैं जिसमें खडगवा के तात्कालिक परियोजना अधिकारी की संलिप्तता के कारण ये खेल खेला गया था।और फर्जी नियुक्ति भी की गई है फर्जी प्रमाण पत्रों के आधार से नियुक्ति दी गई है तो उनके दस्तावेजों को वेरिफिकेशन तात्कालिक परियोजना अधिकारी ने कयो नहीं कराया और नियुक्ति कर्ता पिछले कई वर्षो से कार्य कर रहे हैं ।
कया खडगवा के परियोजना में तात्कालिक नियुक्ति कर्ता अधिकारी को उनके दस्तावेजों की जाच करने की जिम्मेदारी नहीं बनती हैं ?
कया इन अभ्यर्थियों की नियुक्ति की जाच कर तात्कालिक परियोजना अधिकारी के द्वारा कार्यवाही किया जाना चाहिए था?
अब देखना है कि प्रशासन इस पर कोई कार्यवाही करता है अथवा इसी तरह मुकदर्शक बना रहता है और अपने सरकारी खजाने से ऐसे भ्रष्ट लोगों को लाभ देता रहता है जानकारी सूचना के अधिकार अधिनियम 2005 के तहत शिक्षा विभाग एवं महिला बाल विकास विभाग परियोजना से मिली है। क्या महिला बाल विकास विभाग एवं शिक्षा विभाग अपने ही दस्तावेजों को सत्य समझता कि नहीं है अथवा कोई कड़ी कार्यवाही कर ऐसे भ्रष्ट लोगों को कड़ा संदेश देता है क्या ?


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