सूरजपुर/कोरिया@क्या प्रदेश में एकमात्र काबिल डीपीएम है प्रिंस?

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-जिला प्रतिनिधि-
सूरजपुर/कोरिया,02 जनवरी 2025 (घटती-घटना)। क्या पूरे प्रदेश के 33 जिले में सिर्फ एक ही डीपीएम है जो काफी काबिल है? जिसका सम्मान सभी को करना उनकी मजबूरी है, क्योंकि इसके अलावा कोई काबिल बचा ही नहीं है? कुछ ऐसा ही सवाल इसलिए हो रहा है क्योंकि सम्मानित होने की खबर से प्रभारी डीपीएम एक बार फिर बौखलाहट में दिखे, शिकायत करके उन्होंने एक बार फिर बताने का यह प्रयास किया कि उनके ऊपर जो आरोप है वह गलत है पत्रकार व अखबार दोषी है और उनकी खबर का प्रकाशन उनकी छवि खराब करने के लिए कर रहा है,पर सवाल यह उठता है कि उनकी छवि क्या उनकी व्यक्तिगत छवि रह गई है? क्योंकि पैसा सरकार से ले रहे हैं भ्रष्टाचारी सरकार में मचा रहे हैं और अपनी व्यक्तिगत छवि धूमिल होने की दुहाई कर रहे हैं, फर्जीवाड़े में इनके ऊपर आरोप लग रहे हैं डिग्री के लिए तो उन्होंने प्लांट खोल लिया है जहां पर डिग्री उत्पादन हो रहा है यह कहना गलत नहीं होगा,क्योंकि शिकायत कुछ ऐसी ही बयां कर रही है पर शिकायत व अखबार की छपी खबरों पर जांच नहीं हो पा रही,पर जिसकी जांच होनी है उसकी शिकायत पर पत्रकार व अखबार पर जांच की मांग हो रही है,वह भी उस व्यक्ति के द्वारा जिसकी लगातार खबर छप रही है, वह खुद शिकायत में लिख रहा है कि उसकी खबर लगातार छप रही है, और छवि धूमिल हो रही है, पर उनकी छवि तो है ही नहीं… क्योंकि सरकार के पैसे से उनकी छवि बनी हुई है और सरकार के द्वारा ही उन्हें पद दिया गया है, जिस पद की खबर लग रही है जिस पद पर बैठकर वह भ्रष्टाचार कर रहे हैं उसकी खबर लग रही है ना कि उनके घर की खबर लग रही है। पर बौखलाहट तो बौखलाहट ही होती है और सही खबर से बौखलाहट भी जरूरी है इससे यह साबित भी होता है की खबर का प्रकाशन सही हो रहा है,पत्रकार भी सही जानकारी जताकर तथ्यात्मक खबर प्रकाशित कर रहे हैं यदि अखबार में छपी खबर गलत है तो फिर क्यों नहीं हो रही जांच और यदि जांच हुई है तो यह भी बताएं की जांच में क्या पाया गया…प्रभारी डीपीएम को क्या क्लीन चिट दे दी गई है?
जिसने नर्सिंग कॉलेज खोलने की जगह दी उसी के घर में कर लिया कब्जा
डॉक्टर प्रिंस की असलियत यह है कि वह उनके भी नहीं हुए जिन्होंने कभी कंधे पर हाथ रखा आगे बढ़ने मौका दिया। जिसके घर में नर्सिंग कॉलेज खुला जिसने घर दिया उसके घर को ही कजा कर लिया,जिनके घर पर कजा किया है वह लगातार अपने घर से कजा मुक्त करने के लिए बार-बार शिकायत कर रहे हैं पर कोई भी सुनवाई नहीं हो रही है,प्रभारी डीपीएम अपने मनमानी करते नजर आ रहे हैं जबकि अपना खुद का नर्सिंग इंस्टिट्यूट के लिए बिना भवन अनुज्ञा लिए बिना ही भवन का काम शुरू कर दिया है वह भी नियम विरुद्ध तरीके से ऐसा लग रहा है कि जब तक उनका भवन नहीं बन जाता तब तक वह कजा नहीं छोड़ने वाले हैं? समझ में नहीं आ रहा है कि उनके पास ऐसी कौन सी ताकत है कि उनकी कमियों को भी लोग नजरअंदाज कर रहे हैं चाहे सरकार किसी की भी हो विधायक मंत्री कोई भी हो उनके पूरे परिवार को लेकर ही लोग तरह तरह की बात करने लगे। यह तो वही वाली बात हो गई की हम जितने गलत होते हैं अपने आप को उतना ही अच्छा वकील समझते हैं, कुछ यही हाल है प्रभारी डीपीएम के साथ गलत होने के बाद भी अपने आप को बहुत बड़े अधिवक्ता समझ बैठे।
अभी तक एक डिग्री को लेकर सवाल थे अब तो तीन-तीन डिग्रियां उत्पन्न हो गई कैसे?
डॉक्टर प्रिंस जायसवाल झोलाछाप है और उसकी डिग्री फर्जी है यह आरोप तथ्य सहित बैकुंठपुर के पार्षद संजय जायसवाल लगाते आए हैं। उनके द्वारा उस यूनिवर्सिटी से जानकारी भी लाकर दी गई है जहां से डॉक्टर प्रिंस पढ़ने की बात कहते हैं वैसे पहले एक ही डिग्री का मामला था जो फर्जी साबित कर दिया गया था पार्षद द्वारा,वहीं अब तो मामला तीन-तीन डिग्रियों का सामने आ गया है। अब तीन-तीन डिग्री एक साल में कहां से कैसी पढ़ाई से मिलती है यह जांच का विषय है। वैसे भी पहले भारत में असफल छात्र डॉक्टर बनने पैसे से अन्य देश जाते थे और बनकर डॉक्टर आते थे वहां भी उन्हें एक वर्ष में या एक बार में एक ही डिग्री मिलती थी वहीं पता नहीं डॉक्टर प्रिंस किस यूनिवर्सिटी से पढ़कर आए हैं जहां एक सत्र या साल में तीन तीन डिग्री दिया जाता है?
अखबार की खबरें गलत है तो सही क्या है?
डॉक्टर प्रिंस जायसवाल और घटती-घटना की कोई व्यक्तिगत आपसी लड़ाई है ऐसा नहीं है। दैनिक घटती-घटना लगातार डॉक्टर प्रिंस की खबर का प्रकाशन करता है और वह इसलिए क्योंकि प्रकाशन के लिए जानकारी प्राप्त होती है। डॉक्टर प्रिंस जायसवाल की डिग्री फर्जी है वह एक साल में एक सत्र में तीन तीन पढ़ाई करके डिग्री लाकर रख देते हैं और इसकी शिकायत होती है और जिसमे तथ्य और सबूत भी सामने रखे जाते हैं। अब यदि कोई शिकायत करके तथ्य सबूत के साथ यदि खबर प्रकाशन के लिए कहे तो कैसे खबर का प्रकाशन न किया जाए? वैसे अखबार का कर्तव्य ही होता है सत्य का प्रकाशन। अब डॉक्टर प्रिंस जायसवाल की जितनी भी खबरें प्रकाशित हुई हैं यदि वह गलत हैं तो फिर सही क्या है? यह भी तो सामने आना चाहिए वह फर्जीवाड़े की जनित डिग्री वाला झोलाछाप नहीं है यह अखबार का काम नहीं है साबित करना यह काम जांच के लिए जिम्मेदार लोगों का है कि वह डॉक्टर प्रिंस को लेकर अब कम से कम स्पष्ट करें कि वह फर्जीवाड़े वाला झोलाछाप है या वह योग्यताधारी है?
एक नहीं चार-चार पत्रकारो से है इन्हें दिक्कत
डॉक्टर प्रिंस जायसवाल को एक नहीं चार पत्रकारों से दिक्कत है। उनकी छवि की महिमा ऐसी है कि वह प्रतिदिन धूमिल हो रही है वह भी खबरों से जबकि खबरों में जो कुछ छप रहा है उसकी वह सफाई भी सार्वजनिक देते बात समझ में आती। वह जानते हैं कि उनकी कलई खुल चुकी है और झोलाछाप वाला उनका किरदार सभी के सामने है इसलिए वह अब धमकी-चमकी वाला रास्ता अख्तियार किए हैं। पत्रकारों को अपने धनबल से वह दबाना चाहते हैं और जिसके लिए वह काफी मेहनत कर रहे हैं। डॉक्टर प्रिंस लगातार घूमघूमकर यह पता कर रहे हैं कि कौन उनके खिलाफ है और उसके खिलाफ कैसे दबाव बनाया जा सके। खुद गलत होकर पूरे सच को वह प्रभावित और नष्ट करना चाहते हैं। वैसे वह जिस तरह शिकायत करने के लिए जगह-जगह घूम रहे हैं और जानकारी जुटा रहे हैं काम वह कब करते हैं जिसका वह सम्मान लेते हैं यह भी जांच का विषय है? जगह-जगह घूमना और राजधानी जाकर सम्मान लेना ही उनकी कुल मेहनत है। इमानदारी से उन्होंने स्वास्थ्य क्षेत्र में केवल भ्रष्टाचार ही किया यह खुद स्वास्थ्य विभाग के ही लोगों का कहना है।
मंत्री नहीं मानते रिश्तेदार फिर भी यह बताते हैं रिश्तेदार?
खुद को वह मंत्री का रिश्तेदार बताते हैं। वैसे वह मंत्री के रिश्तेदार हैं यह मंत्री नहीं मानते। देखा जाए तो यदि मंत्री नहीं मानते उन्हें रिश्तेदार तो उनका रिश्तेदार खुद को बताना गलत है। मंत्री जी को भी ऐसे लोगों पर संज्ञान लेना चाहिए और कड़ी कार्रवाई करनी चाहिए ताकि उनकी छवि ऐसे लोगों की वजह से धूमिल ना हो।
आखिर प्रभारी डीपीएम के डिग्री की जांच करने से क्यों कतरा रहा है शासन?
प्रभारी डीपीएम की डिग्री को लेकर शिकायत पर शिकायत हो रही है और डिग्री को चैलेंज किया जा रहा है क्योंकि डिग्री फर्जी है फिर भी वर्तमान शासन क्यों आंखें मुंधे दे बैठा है? डीपीएस की डिग्री को लेकर शासन सही तरीके से जांच कर क्यों नहीं संशय से पर्दा उठा रहा है?


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