- अपने कार्यकाल में असफलता की लिखी इबादत…
- प्रदेश भर में सबसे खराब रहा जिलाध्यक्ष कृष्णबिहारी जायसवाल का कार्यकाल
- आज-कल में होगा नए जिलाध्यक्ष के नाम का एलान,दिल्ली में लगी नाम पर अंतिम मुहर
- साल के साथ वर्तमान जिला अध्यक्ष की भी विदाई होगी एक साथ?

–जिला प्रतिनिधि –
बैकुंठपुर,29 दिसम्बर 2024 (घटती-घटना)। भारतीय जनता पार्टी द्वारा संगठन पर्व के तहत देश भर में संगठन स्तर पर नियुक्तियों का सिलसिला जारी है, बूथ स्तर पर नियुक्ति के बाद मंडल अध्यक्ष भी नियुक्त किए जा चुके हैं,अब जिलाध्यक्ष नियुक्ति का क्रम चल रहा है,अतिशीघ्र नए जिलाध्यक्ष के नाम का ऐलान किया जाना है,जिले में नए अध्यक्ष की नियुक्ति तो होगी इसे लेकर कार्यकर्ताओं में खुशी तो देखी जा रही है लेकिन उससे ज्यादा खुषी वर्तमान जिलाध्यक्ष कृष्णबिहारी जायसवाल के हटने को लेकर कार्यकताओं से लेकर पदाधिकारियों में हर्ष का माहौल देखा जा रहा है,अपने दो कार्यकाल में जिलाध्यक्ष ने जिस प्रकार लोगो से व्यवहार किया है उसी का परिणाम है कि उनके हटने का इंतजार किया जा रहा है, उल्लेखनीय है कि जिलाध्यक्ष ने अपने कार्यकाल में एक से एक मिशाल पेश की,चहेतों को उपकृत करने से लेकर कार्यालय में दुकान बनाकर कजा करना भी उनकी विषेषता रही है। खुद की पीठ थपथपाने में माहिर जिलाध्यक्ष के कार्यकाल का अब अंतिम समय आ चुका है।
अपने बलबूते और अंबिका के विरोध में विधानसभा में मिली जीत
कोरिया भाजपा के जिलाध्यक्ष कृष्णबिहारी जायसवाल ने वर्ष 2023 के विधानसभा चुनाव में जीत का श्रेय ले लिया था,दुर्भाग्यजनक है कि उन्होने प्रदेश संगठन के सामने भी झूठी कहानी बताई थी,सभी को मालूम था कि क्षेत्र की तात्कालिक विधायक अंबिका सिंहदेव के प्रति लोगो में जबरजस्त रोष है,और फिर विधायक भैयालाल राजवाड़े भी एक जनाधार वाले नेता के रूप में स्थापित हैं इसी की बदौलत उन्होने चुनाव मे जीत हासिल की थी।
लोकसभा चुनाव में फिर करना पड़ा हार का सामना
इसी वर्ष संपन्न हुए लोकसभा चुनाव में प्रदेश में 10 सीटों पर भाजपा ने जीत हासिल की थी,लेकिन कोरबा लोकसभा चुनाव मंे दमदार प्रत्याशी उतारे जाने के बाद हार का सामना करना पड़ा इसके पीछे भी जिलाध्यक्ष को एक प्रमुख कारण के रूप में देखा गया था। चुनाव पूर्व जिलाध्यक्ष कृष्णबिहारी जायसवाल ने कोरिया जिले से 51 हजार की जीत का दावा किया था लेकिन परिणाम उससे उलट रहा। सूत्रों का दावा है कि लोकसभा चुनाव में कांगे्रसियों के पास भाजपा के मजबूत कार्यकर्ताओं से लेकर बूथ कमेटी के अध्यक्षों के नाम,नंबर तक मौजूद थे इसमें भारी गोलमाल किया गया था इससे भी इंकार नही किया जा सकता। 25 हजार से अधिक मत से बैकुंठपुर विधानसभा का चुनाव जीता गया था लेकिन लोकसभा चुनाव में मोदी फैक्टर के बावजूद 1 हजार से अधिक मतो से इस विधानसभा क्षेत्र में हार हुई थी। यही नही लोकसभा चुनाव प्रचार के दौरान पटना में प्रदेश के मुख्यमंत्री की सभा हुई और वह जिले में मुख्यमंत्री की पहली सभा थी लेकिन उसे भी फेल कराने का श्रेय जिलाध्यक्ष कृष्णबिहारी जायसवाल को ही जाता है।
झूठ और अपशब्द बोलने में माहिर जिलाध्यक्ष
कोरिया भाजपा जिलाध्यक्ष कृष्णबिहारी जायसवाल के बारे में कार्यकर्ताओं का ही कहना है कि झूठ बोलना उनकी आदत में शुमार है। इसके अलावा वरिष्ठ से लेकर कनिष्ठ कार्यकर्ताओं को भी वे पीठ पीछे अपशब्द कहते फिरते हैं ऐसा कार्यकर्ताओं का ही दावा है।
पैर छूने वाले कार्यकर्ताओं को मिला तवज्जो
जिलाध्यक्ष के कार्यकाल में देखने में मिला कि सिर्फ उन्ही कार्यकर्ताओं को पद दिया गया जो कि चरणवंदन और जिलाध्यक्ष की तारीफ करते बाकि योग्य और जमीन पर मेहनत करने वाले तथा जनाधार वाले कार्यकर्ताओं को संगठन में पद से एकदम दूर रखा गया जिससे कि आज उपेक्षित कार्यकर्ता चुप चाप घर पर शांत बैठकर समय का इंतजार कर रहे हैं। संगठन की माल जपते फिरते जिलाध्यक्ष की कार्यशैली से कार्यकर्ता मायूस थे।
वरिष्ठ भाजपाईयों का हुआ अपमान
सिर्फ कार्यकर्ता ही नही बल्कि जिलाध्यक्ष ने वरिष्ठ भाजपाईयों का अपमान करने में भी कोई कमी नही की है। क्षेत्र में पुराने और वरिष्ठ भाजपाईयों की संख्या भी अच्छी है लेकिन उपेक्षा से सभी त्रस्त थे। आलम यह है कि जिलाध्यक्ष के कारण ऐसे लोगो ने पार्टी से ही दूरी बनाकर रख ली थी।
गुटबाजी कर होती थी संगठन में नियुक्ति
जिलाध्यक्ष के कार्यकाल में देखने में मिला कि उनके द्वारा पार्टी कार्यकर्ताओं को नेताओं के समर्थक के हिसाब से पद दिया जाता था कुछ ऐसे कार्यकर्ता थे जो कि भूलवश यदि अन्य नेताओें की तारीफ सोशल मीडिया में कर बैठे तो उन्हे पद से हटा दिया जाता था। धमकी चमकी और गाली गलौज तक किया जाता था। यदि कोई कार्यकर्ता दूसरे वरिष्ठ नेताओं के संपर्क में ज्यादा है तो फिर उसे संगठन में पद ना देकर उसकी उपेक्षा की जाती थी।
भाजपा कार्यकर्ता ही संतुष्ट नही
जिलाध्यक्ष कृष्णबिहारी जायसवाल के कार्यकाल से चुनिंदा पदाधिकारियों को यदि छोड़ दिया जाए तो देखने में मिला कि कई पदाधिकारी ही उनसे असंतुष्ट थे। कार्यकर्ताओं एवं पदाधिकारियों पर जबरन गुस्से का इजहार कर खुद को सर्वेसर्वा बतलाने के कारण पदाधिकारी एवं कार्यकर्ताओं का एक बड़ा वर्ग आज काफी नाराज है।
कार्यालय में कब्जा कर खुलवाया बेटे को चाय की दुकान
जिलाध्यक्ष कृष्णबिहारी जायसवाल की यह एक प्रमुख उपलब्धि है कि उन्होने अपने कार्यकाल में भाजपा जिला कार्यालय की गैलरी में अवैध रूप से एक दुकान का निर्माण कराया है और उसमे खुद के पुत्र को चाय दुकान खुलवा दिया गया है। बतलाया जाता है कि पूर्व में जिसने भी भाजपा कार्यालय परिसर में दुकान लिया है सभी ने एक निष्चित राशि का भुगतान किया है साथ ही मासिक किराया भी अदा किया जा रहा है जबकि जिलाध्यक्ष ने पद का दुरूपयोग करते हुए प्रदेश नेतृत्व को झूठ बोलकर दुकान बनवाया और उसमें कब्जा बगैर किसी सहमति के किया है।
विधानसभा चुनाव के बाद बनी विधायक से दूरी, पैसे का आज तक हिसाब नही…सूत्रों का दावा
एक समय था जब क्षेत्रीय विधायक भैयालाल राजवाड़े टिकट के लिए प्रयासरत थे और विपक्ष की भूमिका निभा रहे थे तब जिलाध्यक्ष ने श्री राजवाड़े के साथ मिलकर अन्य नेताओं को हासिये पर डाल रखा था,लेकिन जैसे ही विधानसभा चुनाव बीता और भैयालाल राजवाड़े विधायक बने वैसे ही दोनो में दूरियां बनने लगी। सूत्रों को तो यहां तक दावा है कि विधानसभा चुनाव के लिए पार्टी फंड से जिलाध्यक्ष को भारी भरकम राशि दी गई थी,जिसे अनाप शनाप तरीके से खर्च करना बताया गया है। इसका हिसाब भी विधायक भैयालाल राजवाड़े को नही दिया गया जबकि उन्होने कई बार हिसाब बताने को कहा। सूत्रों का दावा है कि पार्टी से मिले चुनावी फंड में भारी गोलमाल किया गया है।
सत्ता की धौंस दिखाकर पुत्र को लगा दिया शराब के कारोबार में…
सत्ता का नशा जिलाध्यक्ष कृष्णबिहारी जायसवाल के पुत्रों पर भी पड़ता दिखलाई देता है,जब कभी भी वास्तविक खबरों का प्रकाशन हुआ तो जिलाध्यक्ष अपने पुत्रों के माध्यम से कुछ भी कराने की धमकी देते सुने गए। सत्ता का ही धौंस है कि इन दिनों अपने पुत्र को उन्होने शराब दुकानों के संचालन का जिम्मा दिला दिया है। बतलाया जाता है कि अब जिलाध्यक्ष के पुत्र द्वारा ही शराब में मिलावट खोरी कर क्षेत्र की दुकानों से बिक्री कराइ जा रही है। चुकि प्रदेश में भाजपा की सत्ता है और पिता जिलाध्यक्ष इसलिए उनके पुत्र द्वारा मित्रों के साथ मिलकर इस प्रकार का अवैध काम किया जा रहा है।
कार्यकर्ताओं से कभी नही रहा जिलाध्यक्ष का संवाद
जिलाध्यक्ष का भाजपा कार्यकर्ताओं से कभी सीधा संवाद नही रहा,उन्होने अपने कार्यकाल में जमीनी स्तर के कार्यकर्ताओं से संवाद करने में कभी दिलचस्पी ही नही दिखलाई,कभी भी उन्होने अपने क्षेत्र का दौरा नही किया जिससे दूरस्थ क्षेत्रों में काम करने वाले कार्यकर्ता खुद को उपेक्षित महसूस करते हैं।
लगातार कमजोर हुआ संगठनात्मक ढांचा
भाजपा ने संगठन विस्तार के तहत कुछ मापदंड तय किये हैं,साथ ही साथ निचले स्तर के कार्यकर्ता भी पार्टी से जुड़ें एवं पार्टी की रीति नीति से आज जन का अवगत कराते रहें इसके लिए पन्ना प्रभारी,बूथ कमेटी,जोन प्रभारी इत्यादि अनेक स्तर पर संगठनात्क ढांचा बनाया गया है,सूत्रों का कहना है कि संगठन के विभिन्न पदों पर नियुक्ति केवल भाजपा कार्यालय में बैठकर कर दी गई,कोरम पूरा किया गया है जिससे कि आज निचले स्तर पर पार्टी का संगठनात्मक ढांचा कमजोर दिखलाई पड़ता है।
पत्नी,पुत्र और रिश्तेदारों को पद,जनाधार वाले भाई को हासिये पर…
जिलाध्यक्ष को क्षेत्र में एक जनाधारविहीन नेता के रूप में भी देखा जाता है क्यांेकि उन्होने आज तक कोई चुनाव भी नही लड़ा जबकि एक बार पत्नी को जिला पंचायत सदस्य और पुत्र को अपने गृहक्षेत्र से पंच का चुनाव लड़वाया गया और दोनो ही चुनाव में हार का सामना करना पड़ा है। जिलाध्यक्ष ने अपनी पत्नी और पुत्र से लेकर कई रिश्तेदारों को भी पद देकर रखा था जबकि कई चुनाव लड़कर जीत चुके और एक जनाधार वाले नेता के रूप में पहचान रखने वाले सगे भाई को विवाद के कारण उन्होने पद और पार्टी से दूर कर दिया था। पिता जिलाध्यक्ष और पुत्र यदि गृह ग्राम से पंच का चुनाव हार जाए इससे उनके जनाधार का अंदाजा लगाया जा सकता है।
संघ से भी तालमेल नही
मै,मैं और मैं करने वाले जिलाध्यक्ष ने खुद के आगे किसी को तवज्जो नही दी। भाजपा को आरएसएस का एक अनुषागिंक संगठन माना जाता है,भाजपा में संघ की सलाह को भी काफी प्राथमिकता दी जाती है,लेकिन बतलाया जाता है कि जिलाध्यक्ष का आरएसएस से भी तालमेल कभी सही नही रहा।
जिलाध्यक्ष कोई बने,लेकिन हटने को लेकर ज्यादा उत्साहित हैं कार्यकर्ता
इन दिनों क्षेत्र में भाजपा जिलाध्यक्ष के नाम को लेकर जोर शोर से चर्चा हो रही है,दो से तीन नाम के बीच ही निर्णय होना है,इस बीच यह भी खबर मिलती है कि नया जिलाध्यक्ष कोई भी बने इसे लेकर उत्सुकता तो है लेकिन इससे ज्यादा उत्साह इस बात का है कि अब वर्तमान जिलाध्यक्ष की पद से विदाई होने वाली है,उन्हे फिर से जिलाध्यक्ष बना दिया जाएगा इसकी कोई गुंजाईश नही नही है। जिलाध्यक्ष की पद से छुट्टी की खबरों को लेकर पदाधिकारियों से लेकर कार्यकर्ताओं में खासा उत्साह है।

आज,कल में होगी नए जिलाध्यक्ष की घोषणा
भाजपा प्रदेश नेतृत्व ने संगठन चुनाव पर गंभीरता दिखलाते हुए सभी तैयारियों एवं औपचारिकताओं को पूर्ण कर लिया है,पार्टी सूत्रों का कहना है कि रविवार को राजधानी दिल्ली में नाम पर अंतिम मुहर भी लगाया जा चुका है,सिर्फ घोषणा किया जाना शेष रह गया है। यदि सब कुछ ठीक ठाक रहा तो आज,कल या नए वर्ष के पहले दिन नए जिलाध्यक्ष की घोषणा हो सकती है। जिलाघ्यक्ष के रूप में देवेन्द्र तिवारी, रेवा यादव एवं पंकज गुप्ता की दावेदारी प्रबल है, इन्ही में से एक नाम पर अंतिम मुहर लगाई गई है।
वन विभाग की आदिवासी महिला कर्मचारी से विवाद लेकिन सत्ताके जोर पर मामला रफा दफा
जिलाध्यक्ष कृष्णबिहारी जायसवाल का पूरा कार्यकाल ही विवादित रहा है। अभी कुछ माह पहले ही देखने में मिला कि वन विभाग के छिंदडांड़ डिपों मे काम करने वाली एक आदिवासी महिला कर्मचारी के साथ जिलाध्यक्ष के पुत्र द्वारा गाली गलौज एवं अभद्र व्यवहार किया गया था,पीडि़त आदिवासी महिला कर्मचारी ने चरचा थानें में जिलाध्यक्ष पुत्र के खिलाफ आवेदन देकर कार्यवाही की मांग भी की थी लेकिन बाद में वन विभाग के एक अधिकारी के हस्तक्षेप पर मामले को रफा दफा कर दिया गया था,इस घटना से समझा जा सकता है कि जिलाध्यक्ष एवं उनके पुत्रों पर सत्ता का नशा सर चढकर बोलकर रहा है।