नई दिल्ली,@ ऑस्ट्रेलिया की लैब से वायरस के 323 सैंपल गायब

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@ इनमें से कई कोरोना से भी 100 गुना ज्यादा खतरनाक
नई दिल्ली, 21 दिसम्बर 2024 (ए)।
कोरोना वायरस अब भले ही इतिहास का हिस्सा बन चुका है, लेकिन आज भी दुनिया इस महामारी को याद कर सिहर उठती है। कई रिपोर्ट्स में यह जानकारी सामने आई थी कि चीन के वुहान शहर के एक लैब से यह वायरस पूरी दुनिया में फैल गया था। अब वायरस से जुड़ी एक और चौंकाने वाली जानकारी सामने आई है।दरअसल, ऑस्ट्रेलिया की एक प्रयोगशाला से खतरनाक वायरस के सैकड़ों नमूने गायब हो गए हैं। म्ींसलैंड के स्वास्थ्य मंत्री टिम निकोल्स ने बताया कि लैब से 323 जीवित वायरस के सैंपल गायब हैं,
जिनमें हेंड्रा वायरस के लगभग 100 सैंपल, हंता वायरस के सैंपल और लासा वायरस के 223 सैंपल शामिल हैं। ये सभी वायरस इंसानों के लिए अत्यधिक घातक माने जाते हैं।
कोरोना से भी ज्यादा
खतरनाक हैं चोरी हुए वायरस

बोस्टन स्थित नॉर्थ ईस्टर्न यूनिवर्सिटी के निदेशक सैम स्कार्पिनो का कहना है कि गायब हुए ये सभी वायरस अत्यधिक खतरनाक हैं। कुछ हंता वायरस की मृत्यु दर 15 प्रतिशत तक होती है, जो कोविड -19 की तुलना में 100 गुना अधिक घातक है। इन वायरस के नमूने गायब होने के बाद पूरी दुनिया में हड़कंप मच गया है।
जैविक हथियार के रूप किया जा सकता इस्तेमाल
अधिकारियों को आशंका है कि इन वायरस का इस्तेमाल जैविक हथियार के रूप में भी किया जा सकता है। रिपोर्ट्स के अनुसार, वायरस के इन नमूनों की चोरी किसी विशेषज्ञ के द्वारा की गई हो सकती है। डेली मेल की रिपोर्ट के अनुसार, ये नमूने 2021 में गायब हुए थे, लेकिन अब जाकर इस घटना की जानकारी सामने आई है।
हाल ही में एवियन फ्लू ने भी अपने प्रभाव से दुनिया को एक बार फिर चिंता में डाल दिया है। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने 2024 में इसे वैश्विक खतरा घोषित किया है, जिससे यह आशंका जताई जा रही है कि यह वायरस एक वैश्विक महामारी का रूप ले सकता है। अब तक यह वायरस 108 देशों में फैल चुका है।
कितना खतरनाक है एवियन फ्लू
एवियन फ्लू, जिसे आमतौर पर बर्ड फ्लू कहा जाता है, ने अब तक वन्यजीवों में भी फैलने का रास्ता बना लिया है। संयुक्त राष्ट्र के अनुसार, यह वायरस अब तक 500 से अधिक पक्षी प्रजातियों को संक्रमित कर चुका है और 70 से अधिक स्तनधारी प्रजातियां भी इससे प्रभावित हो चुकी हैं। वैज्ञानिकों ने इस वायरस का नाम एच 591 रखा है। यह वायरस 2024 की शुरुआत में पहली बार अंटार्कटिका में जेंटू और किंग पेंगुइन में पाया गया था।


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