- मारपीट की रिपोर्ट लिखाने आते हैं और हो जाती है पुलिसिया कार्यवाही:सूत्र
- थानेदार का ड्राइवर ही अवैध कारोबार का वसूल रहा पैसा,क्या होगी उसके बैंक खाते की जांच?
- अवैध काम कीजिए और महीने का तय राशि पहुंचाइये कुछ इस तर्ज में चल रहा है पुलिस थाना?
- वाहन दुर्घटना के मामले में भी मांगी जाती है भारी भरकम राशि
- साहब कैसे जाएं थाना वहां तो पैसे वाले व रसूखदारों की होती है सुनवाई आम लोगों की कौन करेगा सुनवाई,कहते हैं फरियादी?
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-रवि सिंह-
कोरिया,17 दिसम्बर 2024 (घटती-घटना)। थानेदारी चल रही है या दुकानदारी अब आप सोच रहे होंगे कि ऐसे सवाल क्यों हो रहे हैं? तो यह सवाल इसलिए हो रहा है क्योंकि कोरिया में इस समय थानेदारी नही दुकानदारी चल रही है, क्योंकि न्याय के लिए थाने में पहुंचने वाले को न्याय से पहले दुकानदार को रकम देना होगा, तब तो आगे बात बनेगी नहीं तो फिर बात तो बिगड़ जाएगी, कुछ ऐसा ही चल रहा है इसबार कोरिया जिले के थानों का रवैया,इस समय कोरिया जिले का एक थाना तो कुछ ज्यादा ही सुर्खियां बटोर रहा है, यहां पर थानेदारी चल रही है ऐसा तो नहीं कहा जाएगा, क्योंकि थानेदारी जैसी स्थिति है ही नहीं, कभी थानेदार के लापरवाही से नाबालिक की मौत हो जा रही है तो कभी मारपीट का मामला जुआ में बदल जा रहा है, एक्सीडेंट जैसे मामलों में भारी भरकम पैसे की डिमांड हो रही है तो वहीं नशे के कारोबार में व जुआ संचालन में प्रतिदिन का रेट तय है, ऐसे में अब थानेदारी को दुकानदारी ना कहें तो क्या कहें? पैसे लेने के लिए भी थानेदार ने एक अपना निजी वाहन चालक रखा हुआ है जिससे वह शासकीय वाहन चलवाते हैं और उगाही का पैसा उसी से वसूलवाते हैं, उसके खाते में फोन पे के माध्यम सहित तमाम तरीके से पैसे आते हैं,अब यह पैसा किसका है कहां का है यह तो जांच की बात है, हम इसकी पुष्टि नहीं करते पर जांच उस ड्राइवर के बैंक खाते की होनी चाहिए कि आखिर यह पैसा उस ड्राइवर के खाते में थानेदार का ड्राइवर बनने के बाद ही क्यों आ रहा है? और किस एवज में आ रहा है? पर यह जांच की जहमत उठाएगा कौन? क्योंकि अधिकारी भी प्रभाव में है और प्रभाव भी ऐसा है कि अधिकारी के घर का राशन भी यही पहुंचायेगे ऐसा बताया जा रहा है।
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार यदि हम अभी तत्कालीन घटनाक्रम की बात करें तो एक जगह पर जुआ चल रहा था और जुए में दो कलाकार थे जो जुए को अपने कलाकारी से जीतते थे, जीतने वाले ने कुछ ज्यादा ही पैसा जीत लिया तो हारने वाले ने उसे पीट दिया और उससे पैसा छीन लिया, जिस पर पिटाई खाने वाले ने थाने में जाकर अपनी व्यथा बताई पर इस व्यथा का थानेदार ने खूब लाभ उठाया, जहां लाखों जीतने वाले को थाने के सीढ़ी पर बैठकर चारों को जुआरी बना दिया और ताश का पत्ता रखकर उस जब्ती बना दी, जीते हुए पैसे में से 60 हजार जप्ती दिखा दी और बाकी मामलों में बचाने के लिए अपने ड्राइवर के खाते में 41000 ले लिए, जिसके पास कैश था वह कैश दिया, जिसके पास फोनपे में था उसने फोन पे के माध्यम से भुगतान किया, अब यह मामला थाने से बाहर आते ही सुर्खियां बटोर लिया और माउथ टू माउथ प्रचार शुरू हो गया, अब यह प्रचार था या फिर थानेदारी की व्यथा थी? अब यह तो जांच करने वाले अधिकारी व ऐसे थानेदारों को संरक्षण देने वाले ही इसकी पड़ताल कर पाएंगे।
कौन है बॉयलर नाम का व्यक्ति जिसे यह कहा गया है कि जब तक मैं हूं तब तक बेच लो नशीली दवाए?
बॉयलर नाम का कोई व्यक्ति यह कारोबार करता है यह सूत्रों का कहना है। अब यह कौन है यह तो पता नहीं लेकिन सूत्रों का कहना है कि उसका दावा है कि उसे आश्वासन है कि मेरे रहते खूब बेच लो और इसलिए वह निडर होकर बेच रहा है। अब जरा से लालच की वजह से यदि भविष्य बर्बाद करने की भी छूट यदि किसी को दी जा रही है युवाओं के तो यह काफी गंभीर विषय है। अब देखना यह है कि खबर प्रकाशन के बाद उक्त व्यक्ति पर कार्यवाही होती है यह उसे सचेत कर कारोबार कुछ दिन बंद करने नसीहत मिलती है।
वाहन दुर्घटना में भी 50 हजार की डिमांड
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार कोचिला छिंदिया के आसपास दुर्घटना में एक व्यक्ति की मौत हो जाती है दुर्घटना किस गाड़ी से होती है यह किसी को पता नहीं होता ना ही उसका चश्मदीद भी कोई गवाह होता है, अचानक एक महीने बाद पता चलता है कि गाड़ी कटकोना की है और उस गाड़ी के मालिक को पता करके जहां दुर्घटना की कार्यवाही करनी चाहिए वहां पर रकम की डिमांड होती है वैसे मलिक का यह भी कहना है कि वह गाड़ी या वहां उनकी गाड़ी नहीं थी पर पुलिस उसी की वाहन थी ऐसा उसे बता रही है अब पुलिस से डरा हुआ मालिक पुलिस की बातों में ही आया हुआ है और पुलिस की डिमांड पूरा करने के लिए इधर-उधर भटक रहा है पुलिस लगातार उसे रोज फोन कर रही है और जल्द से जल्द उस पेपर मांग रही है अब वह व्यक्ति आम व्यक्ति होने की वजह से पुलिस के डर से भयभीत है और वह रकम खोज रहा है देने के लिए।
थानेदार के ड्राइवर को लेकर पहले भी खबर प्रकाशित हुई पर ड्राइवर से मोह थानेदार का नहीं हटा
थानेदार के ड्राइवर की खबर कई बार हमने प्रकाशित की। खबर में ड्राइवर की कहानी भी लिखी लेकिन थानेदार का मोह उससे भंग नहीं हुआ। यह मोह अब समझ में आया की क्यों भंग नहीं हुआ। थानेदार ड्राइवर के खाते में पैसा उगाही का लेते हैं और इस तरह वह सुरक्षित रहते हैं। थानेदार नकद और फोन पे माध्यम से ड्राइवर के ही माध्यम से पैसा उगाही करते हैं जो नया और अनोखा तरीका है भ्रष्टाचार का जिसकी जांच हुई तो काफी कुछ सामने आएगा जो अचंभित करेगा।
शासकीय पुलिस वाहन को खाली भी दौड़ता है थानेदार के ड्राइवर साहब और खूब बजाता है सायरन
ड्राइवर की थानेदार से दोस्ती ऐसी है कि वह खाली गाड़ी भी खूब दौड़ता है। ड्राइवर सायरन बजाते हुए खूब वाहन शासकीय पुलिस वाली दौड़ता है जब पुलिसकर्मी या अधिकारी नहीं होते गाड़ी में तब भी वह गाड़ी को लेकर घूमता रहता है। ड्राइवर एक तरह से पूरी तरह अपनी धमक जमाता रहता है यह सभी कहते सुने जाते हैं। ड्राइवर को पूरी छूट है थानेदार की तरफ से यह बात स्पष्ट है? क्योंकि वह शासकीय वाहन को लेकर व्यक्तिगत कार्यों के लिए भी घूमता है और दिखावा करता है। नियम से सायरन बजाने के लिए अधिकारी का होना जरूरी है खाली गाड़ी में सायरन बजाना गलत है।
अवैध कारोबार का संचालन चरम पर खुले आम बिक रही हैं तेंदुआ चौक पर नशीली दवाएं
थाना क्षेत्र में नशीली दवाओं का कारोबार चरम पर है। बताया जा रहा है कि तेंदुआ चौक पर खुलेआम नशीली दवाएं बेची जा रही हैं। अब इसकी छूट कैसे मिली हुई है? बेचने वाले को यह तो पता नहीं और सूत्रों ने भी नाम नहीं छापने की शर्त रखी है और सूत्रों का कहना है कि किसी बस से यह दवाएं आती हैं और यहां वह बेची जाती हैं। तेंदुआ चौक अंतर्गत बेची जा रही यह दवाएं युवाओं को क्षेत्र के नशे के चपेट में ले रही हैं और युवा क्षेत्र के बर्बाद हो रहे हैं।