
हाल ही में ब्लैक एंड वाइट विश्लेषण में आजतक टीवी में मौत के संकेत पहले मिल जाते है दिखाया गया और उसमें अस्पताल में एक मैना का संवाद भी दिखाया कि हम भी आ रहें हैं जैसा की मालूम होगा बिहार की लोक गायिका शारदा सिन्हा जिंदगी और मौत से जूझते हुए अपने जीवन के अंतिम दिनों में जब अस्पताल में थी तो का मंगलवार रात दिल्ली के एम्स अस्पताल में निधन हो गया। उन्हें कैंसर था। गायिका मल्टीपल मायलोमा नामक रक्त कैंसर से जूझ रही थीं, जिसने 2018 से उनके स्वास्थ्य को काफी प्रभावित किया है। उन्होंने छठ पूजा के पहले दिन यानि 5नवंबर 24को अंतिम सांस ली, यह दिन उनके प्रशंसकों के लिए विशेष रूप से उनके प्रतिष्ठित छठ महापर्व गीतों के कारण महत्वपूर्ण है।जहाँ तक मौत को जानने का संदेश मिलने की बात है यह कहीं विज्ञान ने सिद्ध तो नहीं किया है लेकिन कभी कदाल दिव्य मनुष्य को हो जाता होगा लेकिन जीवन के अंतिम दिनों तक केवल जिसे फांसी पर चढ़ाई जाती है उसे ही मालूम होता होगा ईश्वर ने सभी को समय पर जन्म व मौत उनके कर्मों के आधार पर मिलता है आखिर दिन क्या अंतिम समय तक स्थूल शरीर में जीवन की आस में मनुष्य रहता है ईश्वर ने सबको एक ही समय दिया है लेकिन इंसान गलतियां कर बैठता है और अकाल मौत हो जाता है यानि मौत भी दो प्रकार से होती है एक अकाल मौत दूसरा समयानुसार मौत, मौत तो जीवन का सत्य है लेकिन लोग जानकर भी अनजान बन जाते हैं, मैं एक बार इसी तरह काल के चक्र में फंसकर 2002 में अस्पताल में प्रभु राम की कृपा से बाहर निकला हूँ मुझे फरवरी 2002 में पटना से मुंबई आने के क्रम में काल ने पकड़ लिया था मैं ईश्वर को ही अपना सबकुछ मानता हूं घर परिवार आपका कुछ भी अपना नहीं है जिसे आप अपना मानते हैं वहीं आपके मरने पर जला देते हैं रोते हैं चिल्लाते हैं और फिर कुछ दिनों बाद भूलकर फिर माया के दलदल में धंसते चले जाते हैं मेरी मौत तो बहुत ही पहले तय थी आप 2002 का अस्पताल में पड़ा मौत और जीवन की जंग से लड़ रहा था देखें जब मैं टाइफाइड में कभी 104-105 डिग्री स्न से निचे जा ही नहीं रहा था करीब 1महीने हो गए डॉ ने लगभग सभी दवाई चलाई लेकिन क़ोई सूट नहीं कर रहा था उस उस समय एक ही सहारा मेरे माता-पिता थे जो खारघर से आते जाते थे जब एक महीने से ऊपर हो गया और उस समय न कुछ खा पा रहा था सिर्फ पानी चढ़ रहा था कोई भी दवा शुट नहीं कर रहा था बर्फ की सिल्ली से कुछ
बाहर से बड़े बड़े डाक्टर को बुलाया गया अंत में जब डॉक्टर ने जबाव दे दिया डॉक्टर ने आठ मे हार मान ली क्योंकि उस समय जो वार्ड में शिफ्ट किया था वहां सब पटापट मर रहे थे सारे घर से आ गए थे डॉक्टर बोल दिया 2 दिन के अंदर आपका लड़का चला जाएगा मैं ,चल नहीं पा रहा था उस समय आपकी स्थिति बड़ी विचित्र रहती उस समय मेरी नई शादी हुई थी और मेरी एक बच्ची हुई थी मैं सबका रोते रोते बुरा हाल था मैं बेहोश की अवस्था में था एक ही जिच अपने अंदर ध्यान किया था वो थे गुरु गोबिंदसिंहजी का ध्यान अचानक पैर हाथ सुन हो गए और एक का काली सी परछाई दिखाई देती है और आंख बंद हो रहा था यानि यमराज मेरी प्राण लेने के लिए कमरे में आया तो जरूर था लेकिन गुरु गोबिंदसिंह जी महाराज घोड़े पर सवार होकर आए थे और यमराज को भगा दिया आप इसे कुछ भी माने मैं तो मानता हूं एक अद्भुत सा प्रकाश मेरे खड़े से टकराती है और कुछ समय बाद कुछ ताकत सा आ गया डाक्टर ने निर्णय लिया अतः में एक दवाई चलाकर देखता हूं जो हाई एंटीबायोटिक था मोनोसेफ इंजेक्शन नस में पानी चढ़ने का ट्युब लगा था और उसी से दिया गया और धिरे धिरे सब दवा सुट करने लगा ओर कुछ दिनों बाद ठीक हुआ सपने में गुरु गोबिंदसिंह जी महाराज ने कहा कि अगर तुम इस दुनिया से चला जाता तो तुम्हारे माता पिता का मेरे ऊपर से विश्वास उठ जाता ,मेरे टिचर डा शमशेर सिंह फिजिक्स पढ़ाते भक्त कुछ अच्छी बातें भी करते थे जैसे उन्होंने बताया कि एक राजा ने गुरु नानक देव को मारना चाहा पानी आग जब कुछ कर नहीं पाया तब पत्थर ही पत्थर उनके शरीर पर रख दिया और गुरु नानक देव जी पत्थर के ऊपर लेटे हुए थे और उसने क्षमा मांगी गुरु नानक देव जी ने उनसे कहा लंगर चला एक बार गुरु नानक देव जी मरे हुए हाथी को जिंदा कर देते हैं और फिर राजा के कहने पर उसे पुनः मौत दे देते हैं तभी राजा पुछता है अब आप इसे जिंदा क्यों नहीं कर रहे हैं गुरु जी कहते हैं यह प्रकृति का नियम है तो आया है व¸ो जाएगा भी मैंने मालिक से फरियाद लगाई और जिंदा हो गया था। अतः जो असमय मरते हैं उनकी आत्मा भटकती है जब तक जीवन का एक्सपायरी डेट ना पूर्ण हो जाए जब भी क़ोई दवाई बनाई जाती है तो बनाने का डेट तथा एक्सपायरी डेट भी लिखा होता है लेकिन कभी कभी बोतल हाथ से समय से पहले ही टूट जाती है और फिर कहीं ना कहीं उसका अस्तित्व रहता है उसी तरह अकाल मौत भी हो सकता है जैसे किसी महामारी की चपेट में आना, दुर्घटना का शिकार होना,आत्महत्या के वजह से होता है जो प्रेतयोनी में भटकता है जब तक उसकी आयु पूर्ण नहीं हो जाता है जिसका जिक्र रामायण के रचना करनेवाले गोस्वामी तुलसीदास से भी मिलता है जब तुलसीदास सुबह स्नान के लिए एक पानी का घड़ा लेकर वाराणसी के बाहर जंगल में जाते थे। शहर लौटने पर, वह बचा हुआ पानी
एक निश्चित पेड़ को अर्पित करते थे। इससे एक प्रेत (एक प्रकार का भूत जो पानी के लिए हमेशा प्यासा माना जाता है) की प्यास बुझ गई, जो तुलसीदास के पास प्रकट हुआ और उन्हें एक वरदान दिया ।तुलसीदास जी ने अपना घर छोड़ दिया और 14 वर्षों तक तीर्थ यात्रा की लेकिन तब भी उनको सत्य का ज्ञान नहीं हुआ और उन्होंने यात्राओं में इकट्ठा किए गए कमंडल में जल को सूखे पेड़ की जड़ों में फेंक दिया. उस पेड़ में एक आत्मा का वास था। वह तुलसीदास जी से प्रसन्न हुई और कुछ मांगने को कहा। जब तुलसीदास जी ने रामदर्शन करने की इच्छा जताई। इस पर आत्मा ने तुलसीदास जी को कहा कि तुम हनुमान मंदिर जाओ, वहां रामायण का पाठ होता है, जिसे सुनने स्वयं हनुमान जी कोढ़ी के वेश में आते हैं. तुम उनके पैरों में गिरकर मदद मांगना. वो तुम्हारी जरूर मदद करेंगे। तुलसीदास जी ने प्रेत के बताए अनुसार हनुमान मंदिर में पहुंचे और रामायण का पाठ सुनने लगे. उन्होंने देखा कि एक कोढ़ी रामायण कथा सुनने में मग्न है. तुलसीदास जी समझ गए और वह उनके पास पहुंच गए। तुलसीदास जी उनके पैरों में गिर गए और उनकी स्तुती करने लगे उन्हें भगवान राम चित्रकूट की घाट में मिले थे चित्रकूट के घाट पर,भई संतन की भीर, तुलसीदास चंदन घिसे, तिलक करे रघुवीर । कथा के दौरान हनुमान जी ने तुलसीदास को श्रीराम के दर्शन कराने हेतु नदी के तीर पर चंदन घिस कर रखने का सुझाव दिया। तुलसीदास हनुमान जी के कथनानुसार नदी के तीर पर बैठकर प्रभु की प्रतीक्षा करने लगे। भगवान श्री राम जी लक्ष्मण जी के साथ राजकुमार के वेश में वहां आते हैं और तुलसीदास से चंदन लगाने को कहते हैं। इसप्रकार तुलसीदास जी को भगवान राम के दर्शन होते हैं। अतः राम नाम सत्य हैं और नाम ही जीवन और मौत से परे होता है.मौत के संदेश में क्या सच है ऐ भगवान श्री राम ही जाने लेकिन इतना तो सत्य है कि जीवन में जिंदगी है तो मौत भी होना तय है लेकिन उससे पहले संदेश मिलता है ऐ सही है या गलत ऐ कहना मुश्किल है.एक बार मैंने एक लड़के को सड़क पर ट्रक से दुर्घटना होते देखा और ठीक मौत से पहले उसके शरीर से जैसे लगा हवा में कुछ छाया जैसी चीज एकाएक बहुत तेजी से निकला और वह वहीँ पर मर गया बॉडी को उठाने से पहले ही माथे पर गंभीर चोट के कारण मौत हो गई लेकिन शरीर से हवा में क्या धुआँ जैसी चीज निकल कर बाहर गई यह साबित करता है कि आत्मा होती है जो स्थूल शरीर को चलाने का काम करती है मौत से पहले जो कष्ट होता है वो शरीर को बाद में गहरी नींद में सो जाता है एक बार शरीर से आत्मा निकल गई तो कभी वापस नहीं आता है लेकिन मौत के तुरंत बाद अंग दूसरे के शरीर में फिट हो जाता है
अंग दानकर्ता मृत होते हैं, लेकिन जीवित लोग किडनी, अपने लीवर का हिस्सा या हड्डी के ऊतक दान कर सकते हैं।अतः ऐ भी एक पहेली है मौत के बाद जीवन होने
की क़ोई भी सम्भावना नहीं है
लेकिन कुछ वैज्ञानिक को लगता है कानूनी तौर पर भले ही ये लोग मर चुके हैं, लेकिन क्रायोनिक्स तकनीक में भरोसा रखने वाले वैज्ञानिकों का मानना है कि वो अभी सिर्फ बेहोश हुए हैं। इस तकनीक के जरिये उन्हें फिर से जिंदा किया जा सकता है। यही वजह है कि दुनिया में कई सारे लोग मरने से पहले अपने परिवार के सामने ये इच्छा जाहिर कर रहे हैं कि उनके शरीर को हमेशा के लिए खत्म करने की बजाय इस तकनीक के जरिये सुरक्षित रखा जाए। दुनिया भर में दोबारा जिंदा होने के लिए शरीर फ्रीज करवाने का चलन बढ़ रहा है। इस समय विश्वभर में करीब 600 लोगों के मरे हुए शरीरों को फ्रीज करके रखा गया है। इनमें से 300 से ज्यादा शव सिर्फ अमेरिका और रूस में हैं।अतः विज्ञान किसी ना किसी आधार पर ऐ मान रहा है मरने के बाद भी लोग कभी भी जिन्दा हो सकते हैं लेकिन ऐसा हुआ तो क़ोई मरेगा ही नहीं और संसार को बनाने वाले ईश्वर जनसंख्या को कैसे नियंत्रित करेंगे ऐ भी एक प्रश्नचिन्ह है मेरे अनुसार आदमी के मरने के बाद कभी भी जिन्दा नहीं हो सकता है और जहाँ तक मरने से पहले संकेत मिलने का सबाल है ऐ गलत है क्योंकि शरीर मौत से पहले तक अपनी इम्युनिटी के कारण खुब लड़ता है और अंत अंत तक उसे लगता है कि जिंदगी जी लूंगा कुछ वर्ष पूर्व मैंने कोविड में ऑक्सीजन की कमी के कारण मौत और जिंदगी से लड़ते देखा है बहुत ही दर्दनाक था कभी भी जब लोग मरने से पहले वेंटीलेटर पर दम तोड़ते वक्त हाथ पैर में जले हुए फोले फफोले यह दिखाता है कि अंत अंत तक मरीज मौत को मात देने की भरपूर कोशिश की है मैंने कभी प्रेत आत्मा को नहीं देखा गाँव में लोग कहते थे यहाँ भूत रहता है यहाँ से मत आना लेकिन 2 बजे रात को वहीँ से गुजरा आवाज़ के अलावा कुछ सुनाई नहीं दि जब जाकर देखा तो वहाँ चूहे या कोई पशु था लेकिन मेरे पिताजी ने गाँव में जब रात में पेशाब करने निकलें तो उनके अनुसार रात में उल्टा पैर और टांग किए हुए किसी औरत को देखा था पहले लगा सच में क़ोई जिन्दा औरत है लेकिन जब उल्टा टांग और पैर देखा और सफेद रंग में देखा तो उन्हें समझ आ गया क़ोई प्रेतआत्मा है और जब हनुमान चालीसा मन में पढ़ा तो उलटे रास्ते टेढ़े मेढ़े चाल से चला गया जो कभी भी भूत प्रेत को नहीं मानते थे लेकिन उन्हें जब दिखा तो सुबह यह खबर सबको बताई तो मालूम हुआ वहाँ चुड़ैल रहती है जब वहाँ किसी जवान औरत ने आग से जल कर मर गई थी अतः इसे भी नकारा नहीं जा सकता है कि असमय मौत के बाद उसकी आत्मा भटकती है अतः जब गीता में भगवान श्री कृष्ण ने शरीर और आत्मा के रहस्य को बताया है तो आत्मा होती है जो कभी मरती नहीं है और उसपर हवा पानी और किसी चीज का असर नहीं होता है सिर्फ यह एक से दूसरे शरीर में अपना वस्त्र बदलने का काम करती है।
संजय गोस्वामी
मुंबई महाराष्ट्र