भ्रष्टाचार एक ऐसा अभिशाप है, जो देश के विकास में बाधा डालता है और विषमता, अन्याय, अशांति, गरीबी, बेरोजगारी, अपराध, कमजोर शासन प्रणाली आदि जैसी अनेक समस्याओं को बढ़ावा देता है। इससे सबसे बड़ा नुकसान गरीब तबके और काबिल लोगों को होता है, क्योंकि उन्हें बेहतर जीवनमान तक पहुंचने का अवसर नहीं मिलता, उनके हिस्से का लाभ किसी अन्य को अनुचित तरीके से चले जाता है। हम सभी भी अपने जीवन में बहुत से कामों के लिए भ्रष्टाचार का शिकार होते है या हुये है। शायद ही कोई दिन हो जब भ्रष्टाचार संबंधित खबर देखने-सुनने न मिले। प्रत्येक विभाग या क्षेत्र में कार्यरत अनेक कर्मचारियों को पता होता है की उनके यहाँ कहा पर अनुचित व्यवहार होता है, लेकिन इसके खिलाफ आवाज़ नहीं उठाते, लालच या फिर डर के कारण जैसा चल रहा है, उस हिसाब से चलने देते है। भ्रष्टाचार ने असंख्य जिंदगियां बर्बाद कर दी हैं, पीçड़त परिवार के कई पीढç¸यों को इस भ्रष्टाचार के दंश की सजा भुगतनी पड़ती हैं। सिफ़ारिश, राजनीतिक हस्तक्षेप, दबाव, सत्ता या पद का दुरुपयोग भी भ्रष्टाचार को बढ़ावा देता है। भ्रष्टाचार धारणा सूचकांक 2023 में भारत 180 देशों में से स्कोर 39 के साथ 93वें स्थान पर है, जो 2022 में 40 स्कोर के साथ 85वें स्थान पर था। मतलब 2023 में गिरावट दर्ज हुयी।
महाराष्ट्र राज्य के नागपुर शहर में स्थित राष्ट्रसंत तुकडोजी महाराज नागपुर विश्वविद्यालय में प्रोफेसर भर्ती के लिए हर पद हेतु 50 से 80 लाख रुपये की रिश्वत लेने की खबर दैनिक भास्कर हिंदी समाचारपत्र ने 15 अगस्त 2024 को अपने प्रथम पृष्ठ पर प्रकाशित की थी। आज भी हम इस अखबार की वेबसाइट पर जाकर इस खबर को ऑनलाइन पढ़ सकते हैं, यह पहली बार नहीं है, जब राज्य में पद भर्ती के नाम पर पैसो की मांग हुयी है, ऐसी खबरें पहले भी प्रसारित हो चुकी हैं, महाविद्यालय में पद भर्ती की इस समस्या के बारे में कई कुलपतियों और संबंधित विभागों, मंत्रियों को सूचित करने के बाद भी कोई स्थायी समाधान नहीं निकला है। कुछ दिन पहले खबर प्रकाशित हुयी थीं कि महाराष्ट्र के संभाजी नगर में एक महिला प्रोफेसर ने पीएचडी शोध छात्र से 5 लाख रुपये की रिश्वत तय कर पहली किस्त की रकम लेते हुए पकड़ी गयी थी। ऐसी हजारों घटनाएं होती हैं, लेकिन समाज के सामने उजागर बहुत कम होती हैं। अनेक विभागों में भ्रष्टाचार दबे पांव अपना काम करते रहता है। फिलहाल पदभरती की राह में महाराष्ट्र राज्य के अकृषी विश्वविद्यालयों में 1200 और महाविद्यालयों में 11000 स्वीकृत पद रिक्त हैं। भ्रष्टाचार की समस्या का अनुभव जानने के लिए उस क्षेत्र में अपना काम करवाने जब हम उम्मीदवार बन कर जाते है, तब आसानी से हमें अनुचित व्यवहार की जानकारी मिलती है। क्या करें, यदि कोई व्यक्ति उच्च शिक्षा प्राप्त करने के लिए अपने जीवन का बहुमूल्य समय, पैसा और उम्र खर्च कर दें, यानी अपनी योग्यता साबित करने के बावजूद नौकरी पाने के लिए उसे रिश्वत देनी पड़े? ऐसी स्थिति में गरीब और ईमानदार का पढ़ना-लिखना तो गुनाह हो जाएगा? देश में आर्थिक असमानता की खाई अधिक गहरी हो गई है, अमीर अधिक अमीर और गरीब का संघर्ष तो खत्म ही नहीं हो रहा है। अनेक उच्च शिक्षा पदवी विभूषित काबिल बेरोजगार जीवनयापन के लिए जो बन पड़े, मतलब मजदूरी तक करके दिन काट रहे है। वैश्विक असमानता डेटाबेस के अनुसार 2014-15 और 2022-23 के बीच, धन संकेंद्रण के मामले में शीर्ष-अंत असमानता में वृद्धि हुई है। 2022-23 तक, शीर्ष 1 प्रतिशत की आय और धन शेयर (22.6 प्रतिशत और 40.1प्रतिशत) अपने उच्चतम ऐतिहासिक स्तर पर है और भारत की शीर्ष 1 प्रतिशत आय हिस्सेदारी दुनिया में सबसे अधिक है, यहां तक कि दक्षिण अफ्रीका, ब्राजील और अमेरिका से भी अधिक है।
अक्सर बोला जाता है कि अकेले इस सिस्टम से नहीं लड़ सकते, रिश्वत देने से मना करने पर हमसे ज्यादा रिश्वत देने के लिए दूसरा तैयार ही है। एक ईमानदार से सौ बेईमानों को कोई फर्क नहीं पड़ता है। बड़े-बड़े उद्योगपति हजारों करोड़ का कर्ज लेकर विदेश भाग जाते है और यहां गरीब कर्ज चुकाने के लिए संघर्ष करते रहता है। बहुत बार तय कालावधि में सरकारी काम पूरे नहीं होते, सरकार बदल जाती है लेकिन कई बार काम अधूरे के अधूरे, पहली बरसात में ही सड़क पर पानी भर जाता है, गड्ढे पड़ जाते, तो कही पुल बनते ही ढह जाते है। दूर दराज और ग्रामीण क्षेत्रों में तो समस्याएं अधिक विकराल रूप धारण कर लेती है। सरकारी अधिकारियों, निविदा या संविदा पर कार्य करने वाले कर्मचारियों की लापरवाही के वजह से भी बहुत बार दुर्घटनाएं होती है, बड़ी संख्या में जान-माल का नुकसान होता हैं। कानून सभी नागरिकों के लिए समान है फिर भी धनवान, रसूखदार, दबंगों की तुलना में गरीब सज्जन व ईमानदार लोग कानून से ज्यादा डरते है। चुनाव के वक्त नेताओं के वादे हमें 5 साल याद रहते हैं, लेकिन वो हमें भूल जाते है। परंतु ऐसा कहने भर से हमारी जिम्मेदारी या जिंदगी खत्म नहीं हो जाती, देश में भ्रष्टाचार को जड़ से समाप्त करने के लिए क्रांतिकारी कदम उठाने की जरुरत है। हर सरकारी कार्य में पारदर्शिता, विश्वसनीयता, जिम्मेदारी और समय की कीमत का योग्य आकलन बेहद आवश्यक है।
नेता या अधिकारी जितने बड़े पदों पर विराजमान होते है, वे जनता के प्रति उतने ही जिम्मेदार और उत्तरदायी होते है, परंतु आम इंसान की कभी हिम्मत नहीं होती कि उन्हें काम के बारे में जवाब माँगा जायें। अमेरिका का राष्ट्रपति पद से मुक्त होने के बाद दूसरे ही दिन से आम लोगों की तरह सामान्य जीवनयापन करता है, लोग भी उनसे सामान्य व्यवहार करते हैं, परन्तु हमारे देश में एक बार बना पार्षद भी आजीवन उसी रुतबे में जीवन जीते हुए नजर आता है। हमारे देश में बड़ी संख्या में विधायक और सांसद करोड़पति है और जनकल्याण हेतु लोगों की निस्वार्थभाव से सेवा करने के लिए चुनाव में चुनकर आने के लिए पानी की तरह पैसा बहा देते हैं। हाल ही समाचारपत्र में खबर पढ़ी थी, कि अभी महाराष्ट्र राज्य में विधानसभा के लिए चुनाव हुए, जिसमें अनेक उम्मीदवारों द्वारा चुनाव में किये गए खर्च और चुनाव आयोग को दिए गए खर्च ब्योरें में काफी अंतर नजर आ रहा है।
भ्रष्टाचार को मिटाना हम सबकी नैतिक जिम्मेदारी है, जागरूकता और हिम्मत से हम इस समस्या को खत्म कर सकते है। देश के हर राज्य में राज्य सरकार का भ्रष्टाचार प्रतिबंधक विभाग है, जिसकी हम भ्रष्टाचार संबंधित समस्या होने पर सहायता ले सकते हैं। ऑनलाइन शिकायत दर्ज कर सकते है, टोल फ्री क्रमांक पर संपर्क कर सकते है, ईमेल भेज सकते है, व्हाट्सअप नंबर पर भी जुड़ सकते है। उदाहरण के लिए, महाराष्ट्र राज्य सरकार के भ्रष्टाचार प्रतिबंधक विभाग में शिकायत दर्ज करने के लिए 1064 टोल फ्री क्रमांक या व्हाट्सएप +91 9930997700 या ईमेल ड्डष्ड्ढ2द्गड्ढद्वड्डद्बद्यक्द्वड्डद्धड्डश्चशद्यद्बष्द्ग.द्दश1.द्बठ्ठ या इनकी वेबसाइट पर ऑनलाइन शिकायत द्धह्लह्लश्चह्य://222.ड्डष्ड्ढद्वड्डद्धड्डह्म्ड्डह्यद्धह्लह्म्ड्ड.द्दश1.द्बठ्ठ/ड्ढह्म्द्बड्ढद्ग-ष्शद्वश्चद्यड्डद्बठ्ठह्ल लिंक पर क्लिक करके जागरूकता फैला सकते हैं। अपने निजी स्वार्थ के लिए दूसरे का हक छीन कर नहीं, बल्कि ईमानदारी और स्वाभिमान के साथ समाधानी जीवन जीना ही इंसानियत हैं। प्रण लीजिए कि भले ही थोड़ी तकलीफ हो जाये, लेकिन सरकारी नीतिनियमों, कानून का पालन करेंगे और ना कभी भ्रष्टाचार करेंगे ना सहेंगे।
डॉ. प्रितम भि.गेडाम
मुंबई महाराष्ट्र
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