- सहकारी समिति जामपारा में नियुक्त अध्यक्ष को लेकर कार्यकर्ताओं में उपजा आक्रोश…
- तीन वर्ष पहले पार्टी के अधिकृत प्रत्याशी के खिलाफ लड़ा था पार्षद चुनाव,अब अध्यक्ष पद से नवाजा गया…
-रवि सिंह-
कोरिया,08 दिसंबर 2024 (घटती-घटना)। संगठन और अनुषासन का पाठ पढाने वाली भारतीय जनता पार्टी की रीति और नीति में अब भारी अंतर नजर आने लगा है,यहां ईमानदारी से काम करने वाले कार्यकर्ताओं की नही बल्कि चरण वंदन करने वाले कार्यकर्ताओं की पूछ परख ज्यादा होने लगी है,इसी के परिणाम स्वरूप पार्टी का जमीनी कार्यकर्ता नाराज दिखलाई देने लगा है। अभी हाल ही में पार्टी की अनुषंसा पर जिले के विभिन्न सहकारी समितियों में अध्यक्ष की नियुक्ति हुई है लेकिन कुछ स्थानों पर इन नियुक्तियों से जमीनी कार्यकर्ताओं मे आक्रोष नजर आ रहा है, साथ ही कार्यकर्ताओं का मनोबल गिर रहा है।
जिसने लड़ा पार्टी प्रत्याशी के खिलाफ चुनाव उसे मिला ईनाम
बतलाया जाता है कि अभी कुछ दिनों पहले ही आदिम जाति सेवा सहकारी समिति जामपारा में अशासकीय सदस्य या कहा जाए कि अध्यक्ष के रूप में कमल राजवाड़े पिता अलीसाय राजवाड़े निवासी जामपारा को नियुक्त किया गया है। उक्त नियुक्ति के उपरांत क्षेत्र के सक्रिय कार्यकर्ताओं में नाराजगी देखी जा रही है। अध्यक्ष के रूप में नियुक्ति होने के उपरांत कमल राजवाड़े ने पदभार भी ग्रहण कर लिया है। जहां समिति में उनका भारी स्वागत सत्कार किया गया। उक्त नियुक्ति पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए भाजपा के सक्रिय कार्यकर्ताओं ने कहा कि ऐसे व्यक्ति की नियुक्ति सहकारी समिति के जिम्मेदार पद पर की गई है जो कभी भी भाजपा का ना तो कार्यकर्ता रहा है और ना ही उसके द्वारा चुनाव आदि में पार्टी का काम किया गया है। बतलाया जाता है कि कमल राजवाड़े के द्वारा गत बैकुंठपुर नगरपालिका चुनाव मे वार्ड नंबर 20 से पार्टी की अधिकृत पार्षद प्रत्याशी लीलावती के खिलाफ चुनाव भी लड़ा गया था जिससे कि लीलावती को हार का मुंह देखना पड़ा है। कार्यकर्ताओं का कहना है कि पार्टी में अब पैर छुने और झूठी वाहवाही करने वाले कार्यकर्ताओं की पूछ परख बढ गई है जो जमीनी कार्यकर्ता है और पार्टी के लिए निष्ठा से काम करता है उसे तवज्जो भी नही दिया जाता उल्टे हतोत्साहित किया जाता है।
आखिर किसके ईशारे पर हुई नियुक्ति?
आदिम जाति सेवा सहकारी समिति जामपारा में कमल राजवाड़े की नियुक्ति ने विवाद का रूप ले लिया है। बतलाया जाता है कि अषासकीय सदस्य के रूप में भी उसी की नियुक्ति हो सकती है जो कि पंजीकृत किसान हो लेकिन कमल राजवाड़े एक पंजीकृत किसान भी नही है। सूत्रों का कहना है कि एक वर्ग विषेष का होने के कारण ही उसे इस पद से नवाजा गया है जिससे कि अन्य कार्यकर्ताओं और पार्टी के वरिष्ठ पदाधिकारी भी नाराज हैं।
नियुक्ति में दिखी गुटबाजी
पिछले दिनों ही जिले की विभिन्न सहकारी समितियों में अशासकीय सदस्य के रूप में साारूढ पार्टी से जुड़े लोगो की नियुक्ति की गई है,यदि जामपारा समिति को छोड़ दिया जाए तो सभी जगह ऐसे भाजपाईयों की निुयक्ति की गई है जो कि वर्तमान में भी किसी ना किसी पद पर कार्यरत हैं। पार्टी के संगठनात्मक ढांचे के पदाधिकारियों को ही दूसरा पद देकर उपकृत किया गया है सिर्फ इसलिए कि सभी पार्टी के जिलाध्यक्ष एवं स्थानीय विधायक का चरण वंदन करते फिरते हैं। सूत्रों का कहना है कि उक्त नियुक्ति में भी गुटबाजी की गई है यहां गुटबाजी का आलम यह है कि विधायक और जिलाध्यक्ष मिलकर दूसरे नेताओं के साथ रहने वाले कार्यकर्ताओं को दुर्भावना की नजर से देखते हैं। नीचा गिराने में कोई कसर नही छोड़ा जाता। पद देने में भी पहले यह देखा जाता है कि कौन किसका समर्थक है इस आधार पर संगठन मे भी जगह दी जाती है। कुल मिलाकर यह कहा जा सकता है कि पार्टी कोरिया जिले में जिलाध्यक्ष और विधायक के कारण जबरजस्त गुटबाजी की भेंट चढ चुकी है जिस पर प्रदेष नेतृत्व की बिल्कुल नजर नही है। गुटबाजी कर पार्टी को जमीनी स्तर पर बर्बाद कर दिया गया है,प्रदेश में साा होने के बावजूद गिनती के कार्यकर्ता एवं पदाधिकारी को छोड़ दिया जाए तो शेष खुद को अभी भी विपक्षी समझ रहे हैं। बतलाया जाता है कि आलम यह हो चुका है कि विपक्षी पार्टी से आने वाले कार्यकर्ताओं को भी खासा महत्व दिया जा रहा है उनके काम बिना रोक टोक के चल रहे हैं जबकि कई भाजपाई काम के लिए तरस रहे हैं।