दिशा समिति की बैठक में कोरिया जिले पहुंची सांसद ने अविभाजित कोरिया जिले के लिए 4 प्रतिनिधि किए नियुक्त।तीन पूर्व विधायकों सहित एक विधायक पद के प्रत्याशी को बनाया अपना प्रतिनिधि।
कार्यकर्ताओं को मिलने वाले पद को सांसद ने किया पूर्व विधायकों के हवाले।
क्या अब पूर्व विधायकों को नहीं मिलेगा आगे चुनाव में मौका, नहीं बनेंगे वह विधानसभा प्रत्याशी यह भी है सवाल?
-संवाददाता-
बैकुंठपुर,08 दिसंबर 2024 (घटती-घटना)। दिशा समिति की बैठक में सम्मिलित होने कोरिया जिले पहुंची कोरबा लोकसभा सांसद ज्योत्सना चरण दास महंत ने अविभाजित कोरिया जिले के लिए अपने 4 प्रतिनिधियों की नियुक्ति की है। इन नियुक्तियों में आश्चर्यजनक यह है कि सभी नियुक्तियां पूर्व विधायकों की है साथ ही एक विधायक पद के प्रत्याशी का भी नाम इस नियुक्ति में शामिल है नियुक्त सभी पूर्व विधायक और विधायक प्रत्याशी चुनाव बुरी तरह हार गए थे जिन्हें क्षेत्र के कार्यकर्ताओं ने नकार दिया था उन्हें ही प्रतिनिधि बनाया गया है। जिन पूर्व विधायकों को और विधायक पद के प्रत्याशी को सांसद ने अपना प्रतिनिधि नियुक्त किया है सभी की नियुक्तियों के बाद यह प्रश्न भी उठने लगा कि यह तो एक तरह से पदोन्नति नहीं है इसे पदावनति ही कहा जाए तो सही है वहीं यह कुछ ऐसा ही है कि कोई छात्र यह कहे 12 वीं पास करके वह 10 वीं कक्षा में ही पढ़ाई करेगा। नियुक्तियों के बाद पार्टी के कार्यकर्ताओं में निराशा का माहौल है वहीं इसे इस नजरिए से भी देखा जा रहा है कि यह नेता प्रतिपक्ष चरण दास महंत की एक नई रणनीति है प्रयोग है और वह उसके लिए जाने भी जाते हैं और उनका प्रयोग नई रणनीति यह हो सकती है कि जिन्हें भी जिन पूर्व विधायकों और विधायक पद के प्रत्याशियों को सांसद ने अपना प्रतिनिधि नियुक्त किया है वह आगे अब प्रत्याशी नहीं होंगे विधायक पद के या उनमें से कुछ प्रत्याशी नहीं होंगे। वैसे कार्यकर्ताओं का मन इस मामले में काफी उदास हुआ है और दबी जबान से वह यह कहते सुने जा रहे हैं कि यह नई परम्परा पार्टी के लिए नुकसानदायक साबित होने वाली है और पार्टी वाले समय में इसका खामियाजा भुगतेगी। कार्यकर्ता दबी जबान में यह कहते सुने जा रहे हैं कि जिन्हें जनता ने हाल ही में बुरी तरह नकार दिया वह अब सांसद की नजर में योग्य हो गए उन्हें सांसद बड़ी जिम्मेदारी दे रही हैं। कार्यकर्ताओं का हक इस तरह खत्म किया जा रहा है नई परंपरा से कार्यकर्ताओं का मनोबल अब टूटेगा यह कहना है कार्यकर्ताओं का। वैसे कार्यकर्ताओं का कहना यह भी है कि यदि सांसद को लगता है कि लोकसभा चुनाव में उनकी जीत पूर्व विधायकों की देन है तो यह गलत है,कार्यकर्ताओं का कहना है कि लोकसभा की जीत तब सुनिश्चित हुई अविभाजित जिले में जब लोगों को यह विश्वास हुआ कि अब पूर्व विधायकों से उनका पीछा छूट चुका है और उनसे उनका अब कोई लेना देना नहीं होगा। कार्यकर्ताओं ने इस नियुक्ति को लेकर यह भी विचार प्रकट किया कि यह नियुक्ति पूर्णतः ऐसी नियुक्ति है जिसके बाद पार्टी को आगामी चुनावों में नुकसान होना तय है। वैसे इस नियुक्ति में सबसे ज्यादा आक्रोशित बैकुंठपुर विधानसभा या कोरिया जिले के कार्यकर्ता हैं क्योंकि सबसे बड़ी हार भी बैकुंठपुर की ही कांग्रेस विधायक की हुई थी। बैकुंठपुर की पूर्व विधायक का पुनः सक्रिय होना कहीं न कहीं जिले के पार्टी के अन्य कार्यकर्ताओं के लिए मनोबल तोड़ने वाली खबर है और उन्हें हतोत्साहित करने वाली खबर है ।
ऐसा निर्णय क्यों लिया?
कोरबा सांसद वैसे तो काफी अनुभवी नेत्री में मानी जाती है और उनके लिए गए निर्णय काफी अच्छे होते हैं, पर न जाने इस बार उन्होंने ऐसा निर्णय क्यों लिया? कि वह खुद ही आलोचना की शिकार हुई साथ ही अपने पूर्व विधायकों को भी आलोचना के जाल में फंसा दिया। कोरबा सांसद ज्योत्सना महंत काफी अच्छी नेत्री मानी जाती है उनके पास निर्णय लेने की क्षमता बहुत अधिक व अच्छी है और उनके निर्णय कई बार अच्छे भी साबित हुए हैं, पर इस बार लिया गया निर्णय उनके लिए सहित जिन्हें उन्होंने सांसद प्रतिनिधि चुना उनके लिए भी घातक हो गया है, सोशल मीडिया में जहां साा पक्ष के छूट भैया नेता हावी हो गए हैं तो वहीं तमाम तरह से लोग इस फैसले को गलत बताने में नहीं झिझक रहे। अब सवाल यह उठता है कि जिन्हें सांसद प्रतिनिधि बनाया गया है उनकी मनसा के अनुरूप बनाया गया है या फिर अपनी मनसा थोपी गई है तमाम तरीके से यह सवाल अब उठ रहे हैं कई लोगों का कहना है कि जिन्हें बनाया गया उन्हें खुद पता नहीं था और अचानक उन्हें विधायक प्रतिनिधि का आदेश थमा दिया गया, पर वही कुछ का कहना है कि उनके मनसा के तहत ही इन्हें बनाया गया है क्योंकि कोई भी अधिकारी उनकी सुन नहीं रहा था जिस वजह से यह निर्णय लिया गया और उस आदेश में यह भी लिखा गया है कि संसद की अनुपस्थिति में इन प्रतिनिधियों को आमंत्रित किया जाए।
क्या इतने बड़े क्षेत्र का दौरा नहीं कर पा रही सांसद इसलिए उन्हें सांसद प्रतिनिधि चुनना पड़ा?
वैसे सवाल यह भी उठ रहा है कि क्या सांसद ने यह निर्णय इसलिए लिया है क्योंकि वह बड़े क्षेत्र में दौरा नहीं कर पा रही हैं। सांसद ने अपना प्रतिनिधि बड़े क्षेत्र में इसलिए बनाया जिससे उन्हें हर जगह न जाना पड़े क्षेत्र में यह भी लोग कहते सुने जा रहे हैं। वैसे सांसद का निर्णय बड़े क्षेत्र की वजह से ऐसा है तो फिर कुछ हद तक सही है क्योंकि जब कभी वह किसी बैठक में उपस्थित हो पाने में बिलकुल सक्षम न पाएं किसी कारणवश तब उनका प्रतिनिधि शामिल हो जाए बैठक में। अब बात कुछ भी हो लेकिन यह नया पैंतरा ही माना जा रहा है सांसद का।
क्या पूर्व विधायक कि नहीं सुन रहा कोई इस वजह से उन्हें प्रतिनिधि नियुक्त किया गया?
क्या पूर्व विधायकों को लेकर प्रशासन का रुख सही नहीं है क्या उनकी प्रशासन नहीं सुन रहा है इसलिए पूर्व विधायकों को प्रतिनिधि बनाया गया है सांसद द्वारा।यदि ऐसा भी है तब भी सही है। वैसे पूर्व विधायकों की प्रशासन यदि नहीं सुन रहा और वह प्रतिनिधि सांसद का बनकर ही अपनी सुनवाई करवा पाएंगे तो ऐसे में यह भी कहना गलत नहीं होगा कि फिर उनकी प्रशासन से कार्य करा पाने की क्षमता या अपनी सुनवाई या विरोध दर्ज करने की क्षमता पर भी प्रश्न चिन्ह है।
क्या घोड़े पर बैठने वाले को गधा पर बैठाया गया?
वैसे पूरा मामला घोड़े से उतरकर गधे पर बैठने वाला है। अब देखना है कि अब कार्यकर्ताओं का हक लूटकर पूर्व विधायक क्या ऐसा कर पाते हैं जिससे पार्टी को फायदा होता है। वैसे अपने कार्यकाल में पूर्व विधायकों ने कुछ भी अच्छा किया होता इतनी बड़ी हार नही होती।