दंतेवाड़ा,@ हर्बल गार्डन में पत्थरों के नाम पर 17 लाख रुपए का घोटाला

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दंतेवाड़ा,04 दिसम्बर 2024 (ए)।
हर्बल गार्डन के नाम पर दंतेवाड़ा के वन विभाग ने अपनी सीमाएं लांघ दी हैं। विभाग ने इसे देश का पहला वन मंदिर बताते हुए बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार किया है। करीब 4.5 करोड़ रुपये की हर्बल गार्डन योजना में विभाग द्वारा चेकर टाइल्स भी ठीक से नहीं लगाई गई हैं। साथ ही पौधों की खरीदारी में लाखों रुपये की हेराफेरी की गई है। तुलसी, गेंदा, आंवला और अशोक जैसे पौधे, जो बाजार में 50 से 200 रुपये तक उपलब्ध हैं, उन्हें 10 गुना ज्यादा कीमत पर खरीदी गईं। इसके अलावा, गार्डन में ष्ठरूस्न की राशि में भी बंदरबांट किया गया, जिसमें राज्य की जीवनदायिनी नदियों को भी नहीं छोड़ा गया। नदी के पत्थरों के नाम पर भी लाखों रुपये का गबन किया गया।
हर्बल गार्डन में विभाग ने इंद्रावती नदी के कुछ पत्थरों को एक के ऊपर एक सजाकर उन्हें श्रॉक गार्डनश् का नाम दे दिया और इन पत्थरों के नाम पर लगभग 7 लाख रुपये का खर्च दिखाया गया। साथ ही अन्य निर्माण कार्यों के नाम पर 10 लाख रुपये खर्च बताये जा रहे हैं।
चार हिस्सों में बांटा 17 लाख का खर्च
रॉक गार्डन के नाम पर बंदरबांट को अंजाम देने के लिए विभाग ने एक ही कार्य को कई हिस्सों में बांटकर खर्च का अनुमान तैयार किया। ऐसा इसलिए किया गया ताकि तकनीकी स्वीकृति के लिए फाइल उच्च अधिकारियों के पास न पहुंचे और उन्हें इसकी जानकारी न हो। रॉक गार्डन के नाम पर 16 लाख 79 हजार रुपये का एस्टीमेट तैयार किया गया, जो चार हिस्सों में बांटा गया था, और प्रत्येक हिस्से का अनुमान पांच लाख रुपये से कम रखा गया। हालांकि, एक ही निर्माण स्थल पर किए जाने वाले कार्यों का अलग-अलग हिस्सों में एस्टीमेट नहीं तैयार किया जाता। इन चार हिस्सों में पत्थरों के लिए 7 लाख 38 हजार रुपये और अन्य निर्माण कार्यों के लिए 9 लाख 80 हजार रुपये का प्रावधान रखा गया है। एस्टीमेट में यह भी कहा गया था कि यहां कार्पेट ग्रास भी लगाई जानी थी, लेकिन धरातल पर पत्थरों के अलावा कहीं भी घास दिखाई नहीं दी।


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