- क्या सरकार फर्जी दिव्यांगों को दे रही संरक्षण और वास्तविक दिव्यांगों को कर रही परेशान?
- दिव्यांगों के प्रदर्शन ने लिया उग्र रूप, 1 मंजिला छत से कूदा संघ का अध्यक्ष
- अंतरराष्ट्रीय दिव्यांग दिवस का बहिष्कार,पुलिस ने रोका पैदल मार्च, दिव्यांगजनों में आक्रोश
-विशेष संवाददाता-
रायपुर,03 दिसम्बर 2024 (घटती-घटना)। क्या सरकार फर्जी दिव्यांग प्रमाण पत्र पर नौकरी करने वाले लोगों को संरक्षण दे रही है? यह बात इसलिए हो रही है क्योंकि वास्तविक दिव्यांग सड़कों पर उतरने को मजबूर है, वास्तविक दिव्यांग संघ ने अंतरराष्ट्रीय दिव्यांग दिवस पर विरोध करने का निर्णय लिया था, इस निर्णय को कुचलने के लिए भी सरकार ने दिव्यांगों को नजरबंद करने का प्रयास किया, पर इसके बावजूद दिव्यांग हार नहीं माने एक मंजिल से कूद कर दिव्यांग संघ के अध्यक्ष ने आंदोलन किया और प्रशासन को दिव्यांगों के सामने झुकना पड़ा और सभी दिव्यांगों को कमरे से बाहर निकाला गया,फिर दिव्यांग सड़क पर बैठकर अपना आंदोलन करते रहे और सरकार के कार्य प्रणाली पर सवाल खड़े करते रहे, छाीसगढ़ दिव्यांग संघ इस समय अपने हक की लड़ाई लड़ रहा है, क्योंकि रसूखदार उनके हकों को हड़पने के लिए फर्जी दिव्यांग प्रमाण-पत्र पर किसी के ओएसडी बने बैठे हैं तो कोई डिप्टी कलेक्टर बन बैठा है तो कई अन्य पदों पर आसीन है और वही शासन इस मामले की जांच करने से कतरा रहा है ऐसा लग रहा है कि फर्जी दिव्यांग प्रमाण पत्र पर नौकरी करने वाले को सरकार संरक्षण दे रही है? क्योंकि इसके पूर्व में भी छत्तीसगढ़ दिव्यांग संघ ने आंदोलन किया था और सरकार आश्वासन दी पर कार्यवाही नहीं की, यहां तक की फर्जी दिव्यांग प्रमाण पत्र बनाने वाले पर भी कार्यवाही हो इसकी भी मांग हो रही है पर न जाने सरकार क्यों कार्यवाही करने से बच रही?
ज्ञात छत्तीसगढ़ में दिव्यांग संघ का प्रदर्शन आज उग्र रूप ले चुका है। राजधानी रायपुर में दिव्यांगों ने अपनी विभिन्न मांगों को लेकर सड़कों पर उतरकर विरोध प्रदर्शन किया। लगभग 300 दिव्यांगों ने सड़क पर बैठकर विरोध किया। इस दौरान, दिव्यांग संघ के अध्यक्ष बोहित राम चंद्राकर ने एक मंजिला छत से कूदने का प्रयास किया, जिससे पुलिस प्रशासन में हड़कंप मच गया। दिव्यांग संघ का कहना है कि राज्य में सरकारी नौकरियों में दिव्यांगों के लिए आरक्षित पदों पर जो अधिकारी कार्यरत हैं, उनमें से कई के पास फर्जी दिव्यांगता प्रमाण-पत्र हैं। इस पर संघ ने कड़ा विरोध जताया और इन अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की। प्रदर्शन के दौरान दिव्यांग संघ के अध्यक्ष बोहित राम चंद्राकर ने एक मंजिला छत से कूदने का प्रयास किया,लेकिन पुलिस ने उन्हें रोका नहीं। इसके बाद भी संघ ने अपनी मांगों को लेकर सड़क पर बैठकर अपना विरोध जारी रखा। संघ का कहना है कि वे तब तक अपने प्रदर्शन को जारी रखेंगे,जब तक उनकी सभी मांगों पर कार्रवाई नहीं की जाती। उन्होंने चेतावनी दी है कि अगर उनकी मांगों को नजरअंदाज किया गया, तो वे बड़े स्तर पर आंदोलन करेंगे।
मुख्य मांगें
1) फर्जी दिव्यांगता प्रमाण-पत्र के आधार पर सरकारी नौकरियों में काम कर रहे अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई।
2) वास्तविक दिव्यांग सरकारी कर्मचारियों के लिए केंद्र के समान 4 प्रतिशत पदोन्नति में आरक्षण।
3) दिव्यांगों की पेंशन में वृद्धि और बीपीएल (गरीबी रेखा से नीचे) की बाध्यता को समाप्त किया जाए।
4) संघ ने इस प्रदर्शन के जरिए सरकार से जल्द कार्रवाई की अपील की है, और चेतावनी दी है कि यदि इन मुद्दों पर जल्द समाधान नहीं मिलता, तो वे बड़े आंदोलन की योजना बनाएंगे।
अंतरराष्ट्रीय दिव्यांग दिवस पर एक ऐतिहासिक दिव्यांगजन का स्वाभिमान पैदल मार्च
दिसंबर को छाीसगढ़ दिव्यांग सेवा संघ ने अंतरराष्ट्रीय दिव्यांग दिवस के अवसर पर राज्य सरकार और प्रशासन के खिलाफ एक ऐतिहासिक दिव्यांगजन स्वाभिमान पैदल मार्च आयोजित करने का ऐलान किया था। यह मार्च मरीन ड्राइव रायपुर से मुख्यमंत्री निवास तक जाने वाला था, लेकिन पुलिस ने टिकरापारा स्थित साहू भवन में दिव्यांग संघ के लोगों को रोक लिया। इस घटना के बाद दिव्यांगजन सैकड़ों की संख्या में सड़क पर जमा हुए और जमकर नारेबाजी की। दिव्यांग संघ के सदस्य काली पट्टी बांधकर अपनी मांगों के समर्थन में सशक्त रूप से विरोध जता रहे थे। संघ के प्रतिनिधिमंडल ने शासन-प्रशासन के उच्च अधिकारियों से पहले ही मिलकर अपनी छह प्रमुख मांगें रखी थीं, जिसमें दिव्यांगजनों के अधिकारों की रक्षा और शासन की उपेक्षा के खिलाफ नाराजगी व्यक्त की गई थी।