- सूरजपुर जिले में दो ठग थे एक जिला मुख्यालय का तो दूसरा शिवप्रसादनगर का…
- शेयर मार्केटिंग के आड़ में संजीत ने किया करोड़ की ठगी अब है फरार, पुलिस कब पहुंचेगी संजीत के द्वार?
- क्या दो ठगों के चक्कर में इस तरह फंसे लोग की हो गए कंगाल?
- क्या अपने महंगे शौक को पूरा लिए लोगों को ठगा दोनों ने?
- शासकीय कर्मचारियों ने बैंक से कर्ज लेकर ठगों को सौंपा लाखों…नहीं पटा पा रहे अब बैंकों का वह कजऱ्
- सूरजपुर जिले के असफाक व संजीत ठगों की श्रेणी में आ चुके यह दावा हमारा नहीं निवेशकों का है…
- ठगों ने कर्मचारियों से भी करवाया एक ठगी एक महीने में चार बैंकों से दिलवाया लोन
-ओमकार पाण्डेय-
सुरजपुर,30 नवम्बर 2024 (घटती-घटना)। दैनिक घटती-घटना ने 4 मार्च 2024 में ही बता दिया था की सूरजपुर के लोग ठगी के शिकार होंगे असफाक उल्लाह के हाथों, पर यह बात कोई मानने को तयार नही था आज जब लोगों को एहसास हो गया कि वह ठगी के शिकार हो गए हैं तो अब पुलिस के दरवाजे पहुंचने लगे हैं, वैसे तो सूरजपुर जिले में दो ठगों ने संभाग से कई सौ करोड़ रुपए ठग लिए हैं और ऐसे ऐसे लोगों को ठगा है उन्होंने जो कभी ठगे जाएंगे ऐसा कोई सोचा नहीं था। अब यह मामला पुलिस तक पहुंच चुका है, सूरजपुर जिले में ठगी के मामले में दो लोग काफी नाम कमा चुके थे पहला नाम था अशफ़ाक उल्ला का दूसरा नाम था संजीत अग्रवाल का दोनों के ही खिलाफ शिकायत दर्ज है, अशफ़ाक उल्ला तक बड़ी मुश्किल के बाद पुलिस पहुंची और गिरफ्तार की वही संजीत अभी भी पुलिस के हाथों से काफी दूर है, पुलिस के हाथ कब संजीव तक पहुंचाते हैं यह भी है देखने वाली बात होगी, अभी सूरजपुर पुलिस एक्शन में है और अब ऐसा उम्मीद लगाए जा रहा है कि संजीत तक भी पुलिस पहुंच सकती है, जब अशफाक व उसके पिता गिरफ्तार हो सकते हैं तो फिर संजीत भी गिरफ्तार हो सकता है, अब संजीत से ठगे जाने वाले भी पुलिस की तरफ भरोसे वाली निगाह बनाए रखे हैं कि संजीत भी गिरफ्तार हो जाए।
क्या ठगी के मामले में असफाक व संजीत ने नटवरलाल को पीछे छोड़ा
ठगी मामले में आज तक नटवरलाल को ही बादशाहत हासिल है क्योंकि वह ठगी के बाद भी न पकड़े जाने के लिए प्रसिद्ध था। अब सूरजपुर जिले के असफाक और संजीत भी नटवरलाल बनने की ओर अग्रसर थे, क्योंकि उन्हे यह आभास था की उन्हे कोई नहीं पकड़ सकता, क्योंकि कोई शिकायत ही नहीं करेगा और अपना पैसा वापस मिलेगा इस आस में वह बैठे रहेगे। वही ज्यादातर लोग जो दोनो से ठगी का शिकार हुए हैं वह इस इंतेजार में बैठे थे पर जैसे ही सब्र टुटा शिकायत की लाइन लग गई, एक की गिरफ्तारी भी हो गई, संजीत की गिरफ्तारी का इंतजार है।
असफाक व संजीत से आर्थिक नुकसान का झटका खाने वाले, न घर के रहे और न घाट के
असफाक उल्लाह और संजीत ने कई लोगों को जिनकी संख्या सैकड़ों में भी हो सकती है वहीं कई सैकड़े हो सकती है ऐसा बताया जा रहा है को आर्थिक नुकसान बड़े आर्थिक नुकसान की ओर धकेल दिया है। पैसा दुगुना करने के नाम पर लाखों लेकर दोनों ने लोगों को ऐसा चुना लगाया की अब पैसा देने वाले लोग न घर के हैं न घाट के,इसका आशय इस तरह समझा जा सकता है की वह शिकायत कर असफाक और संजीत को कानूनी उलझनों में जरूर कुछ दिनों के लिए डाल सकते हैं लेकिन इससे भी उनको कोई लाभ नहीं होना है क्योंकि उनका लाखों डूबना तय है वहीं उन्हे यह मालूम होते हुए भी की अब उनका पैसा उन्हे नहीं मिलना है वह शिकायत दर्ज करने से बच रहे हैं और इसके पीछे की वजह एक ही है वह है की ठग बाहर रहेगें तो उनका पैसा उन्हे मिल सकता है वैसे यह भी उनकी कल्पना मात्र है इसलिए वह मौन हैं। खैर सब कुछ जानकर भी अनजान बनना ही असल मायने में ऐसे ठगों के लिए वरदान साबित होता है और ठगे जा चुके लोग न घर के रह जाते हैं न घाट के।
ठगों ने कर्मचारियों से भी करवाया ठगी का काम
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार ठगी करने वाले की सोच काफी ऊपर की है उन्होंने कर्मचारियों से पैसे निकलवाने के लिए एक महीने में ही कई बैंकों से कर्ज दिलवा दिया,वह कर्ज उन्होंने एक महीने में इसलिए दिलाया ताकि बैंक को सिविल में ना दिख सके की उनका लोन कहां कहां है,सिविल में कोई भी ऋण एक माह बाद दिखता है जिसका फायद उठा कर एक माह में कई बैंक से ऋण ले लिया गया, यह तरकीब के जरिए ठगों ने कर्मचारियों से ऋण कई बैंकों से निकलवाने लिए और कर्मचारियों को कर्ज दिला कर पैसे को अपने पास ले लिया, अब जब बैंक कर्ज के लिए कर्मचारी से पैसा वसूलना चाह रही है तो कर्मचारियों के पास पैसे ही नहीं है जितनी उनकी तनख्वाह है उससे ज्यादा का कजऱ् का किस्त है अब कर्मचारी फस गए हैं कि करें तो करें क्या? शिकायत करें तो कैसे करें? क्या करें? उन्हें लग रहा है कि दबाव बना कर ही पैसे निकल जाए तो अच्छा है नहीं तो डूबना ही उन्हें मंजूर है, बैंकों के नोटिस कर्जदारों को पहुंचने लगे हैं और कर्जदारों में छटपटाहट भी होने लगी है, ठगों द्वारा दिए गए चेक भी बाउंस होने लगे हैं फिर भी इंतजार शिकायतों की ही है। फ्रॉड करने वाले को यह जानकारी पहले से थी कि किसी भी कर्ज का सिविल में दिखाने के लिए एक महीने लगता है जिसका फायदा उठाकर फ्रॉड ने कर्मचारियों से एक ही महीने में अलग-अलग बैंक से कर्ज दिलवा दिया और कर्ज के आए पैसे को अपने यहां निवेश करवा लिया। वैसे इस बात की सच्चाई की पुष्टि घटती घटना नहीं करता, वहीं यह यदि जांच होगी तभी पता चल सकेगा की क्या यह संभव हैं या ऐसा हुआ है की एक माह के भीतर एक कर्मचारी का कई बैंक से ऋण स्वीकृत हुआ है वह भी उसकी ऋण लेने की क्षमता से अधिक का ऋण।
संजीत ने कई बार बदला ऑफिस नाम
क्या संजीत अग्रवाल शेयर मार्केट के आड़ में लोगों को ठग रहा था? एक आलीशान ऑफिस बनाकर क्या लोगों को यह विश्वास दिला रहा था कि वह शेयर मार्केट में पैसा लगा रहा है पर सवाल यह भी है कि आखिर शेयर मार्केट में ऐसा कौन सा प्रॉफिट हो रहा था कि वह 20 प्रतिशत अपने निवेशकों को दे रहा था और जब उसको शेयर मार्केट में इतना प्रॉफिट हो रहा था तो फिर 2 महीने से फरार क्यों है यहां तक कि ऑफिस में भी 5 महीने से ताला लगा हुआ है सूत्रों का यह भी कहना है कि समय-समय पर ऑफिस का नाम भी बदलता था कई बार ऑफिस का नाम बदल चुका है अभी जो वर्तमान में उसके ऑफिस का नाम स्टॉक सॉल्यूशन रखा गया था जो अंबिकापुर में होली क्रॉस के सामने स्थित था।
संजीत ने कई बार बदला ऑफिस नाम
क्या संजीत अग्रवाल शेयर मार्केट के आड़ में लोगों को ठग रहा था? एक आलीशान ऑफिस बनाकर क्या लोगों को यह विश्वास दिला रहा था कि वह शेयर मार्केट में पैसा लगा रहा है पर सवाल यह भी है कि आखिर शेयर मार्केट में ऐसा कौन सा प्रॉफिट हो रहा था कि वह 20 प्रतिशत अपने निवेशकों को दे रहा था और जब उसको शेयर मार्केट में इतना प्रॉफिट हो रहा था तो फिर 2 महीने से फरार क्यों है यहां तक कि ऑफिस में भी 2 महीने से ताला लगा हुआ है सूत्रों का यह भी कहना है कि समय-समय पर ऑफिस का नाम भी बदलता था कई बार ऑफिस का नाम बदल चुका है अभी जो वर्तमान में उसके ऑफिस का नाम स्टॉक सॉल्यूशन रखा गया था जो अंबिकापुर में होली क्रॉस के सामने स्थित था।
अच्छे-अच्छे बुद्धिजीवी कानून के रक्षक तक फ्रॉड या ठगी का शिकारःसूत्र
अच्छे-अच्छे बुद्धिजीवी कानून के रक्षक तक फ्रॉड या ठगी का शिकार होते जा रहे हैं और इसका सिर्फ एक ही का कारण माना जा रहा है अपने जरूरत से ज्यादा कमाना और कमाने का शौक रखना, जिसके चक्कर में ठगों को वह अपनी जीवन भर की जमा पूंजी सौंप दे रहे हैं या कर्ज लेकर भी अपनी लालसा पूर्ति के लिए ठग गिरोहों के चक्कर में आ जा रहे हैं, आज की स्थिति में सूरजपुर के दो ठग ऐसे सामने आए हैं जिन्होंने कर्मचारीयों, पुलिसकर्मियों, व्यापारियों, अधिवक्ताओं किसी को भी नहीं छोड़ा सभी को अपने ठगी के जाल में फंसा लिया और सबसे आश्चर्य की बात तो यह है कि इनमें ऐसे भी लोग हैं जो न्याय से जुड़े हुए हैं वह भी इन ठगों के चक्कर में फंस गए, शिवप्रसादनगर का असफाक और सूरजपुर का संजीत यह दोनों ठगों की श्रेणी में आ चुके हैं 3 साल से लोगों को यह बेवकूफ बनाकर लाखों लेकर उन्हें किस्तों में याज के तौर पर पैसे देते थे।