- छत्तीसगढ़ में कुछ भी मुमकिन है नेताओं के संरक्षण में प्रशासनिक पदों पर बैठे लोग मार खा रहे हैं
- प्रशासन रसूखदारों का अतिक्रमण नहीं हटा पा रहा है और बाकियों का अतिक्रमण हटाने में दिखा रहा है जल्दबाजी
- अतिक्रमण हटाने पर तहसीलदार की हो गई पिटाई और अब पीटने वाले पर अपराध न हो पंजीबद्ध इसके लिए व्यापारी बैठे धरने पर
- प्रशासनिक कार्यवाही में बाधा उत्पन्न करना है अधिकारी को मारना भी है और फिर अपराध पंजीबद्ध ना हो इसके लिए मानमनौवल भी करना है…
- पूरा दृश्य कैबिनेट मंत्री के विधानसभा का है विपक्ष मुद्दे पर मौन है कैसे प्रशासनिक अधिकारी करेंगे ड्यूटी यह भी सवाल है?
- व्यवसायी ने तहसीलदार को जड़ा थप्पड़,किया गाली गलौज…अतिक्रमण हटाने को लेकर हुआ विवाद
मनेंद्रगढ़,29 नवम्बर 2024 (घटती-घटना)। अतिक्रमण हटाने निकले तहसीलदार पर शहर के एक युवा व्यवसायी ने थप्पड़ बरसाते हुए जमकर गाली गलौच कर दिया। मनेन्द्रगढ़ तहसीलदार यादवेंद्र कैवर्त बीते एक सप्ताह से शहर के विभिन्न इलाकों में अतिक्रमण हटाने राजस्व, नगरपालिका व पुलिस अमले के साथ निकल रहे है। इसी क्रम में शुक्रवार को तहसीलदार शहर के मौहारपारा इलाके के गोपाल शीत गृह के पास पहुंचे वहां अतिक्रमण हटाने के दौरान युवा सीमेंट व्यवसायी व सीए नितिन अग्रवाल के साथ तहसीलदार की बहस हो गई इस बीच नितिन अग्रवाल ने तहसीलदार को एक थप्पड़ जड़ते हुए जमकर गाली गलौच किया। इसके बाद पुलिस बल नितिन अग्रवाल को थाने लेकर आई और तहसीलदार यादवेंद्र कैवर्त के साथ राजस्व अमला भी थाने पहुंचा। सिटी कोतवाली मनेन्द्रगढ़ पहुँच कर तहसीलदार ने मामले की रिपोर्ट लिखवाई। तहसीलदार को थप्पड़ जड़ने वाले नितिन अग्रवाल को पुलिस ने हिरासत में ले लिया है।
मिली जानकारी के अनुसार तहसीलदार को थप्पड़ जड़ने वाला व गाली गलौच करने वाला नितिन अग्रवाल का सीमेंट, छड़ की दुकान है। दुकान के बाहर नेशनल हाइवे की नाली है। नाली में दुकान का सीमेंट सीट रखा हुआ था जिसे वहां मौजूद पटवारी दीपेंद्र सिंह ने हटवाने के लिए कहा, व्यवसायी नितिन सीमेंट सीट हटवा भी रहा था, इस बीच तहसीलदार यादवेंद्र कैवर्त ने तेज भाषा का प्रयोग करते हुए जल्दी हटवाने को कहा, जिस पर नितिन अग्रवाल भड़क गया और उसने तहसीलदार को थप्पड़ जड़ते हुए गाली गलौच करना शुरू कर दिया। आपको बता दे कि बीते सप्ताह अतिक्रमण हटाने के दौरान भी तहसीलदार यादवेंद्र कैवर्त विवादों में थे। उन्होंने एक व्यवसायी का मोबाइल छीन लिया था, जिसे बाद में व्यवसायी को लौटा दिया गया। नदीपार इलाके में अतिक्रमण हटाने के दौरान व्यवसायी प्रियम केजरीवाल ने बगैर नोटिस के अतिक्रमण हटाने की कार्यवाही को लेकर मोबाइल चालू कर वीडियो बनाते हुए तहसीलदार से सवाल किया था। जिससे आवेशित होकर तहसीलदार ने युवक का मोबाइल छीन लिया था।
मारपीट के बाद कई सवाल तहसीलदार की तरफ मुंह बाएं खड़े हैं…
वैसे अब इस मारपीट के बाद कई सवाल तहसीलदार की तरफ मुंह बाएं खड़े हैं जो उनकी पिछली कई कार्यवाहियों को लेकर हैं जिसमें यदि तहसीलदार साहब बड़े दबंग है तो अभी तक होटल हसदेव इन के सामने का अतिक्रमण क्यों नहीं तोड़ पाए? क्या नगर पालिका अध्यक्ष के चबूतरे पर उनकी नजर नहीं पड़ी या फिर उनकी कुर्सी में इतनी ताकत नहीं बची कि उनके पेट्रोल पंप एवं अस्पताल और होटल पर वे किए गए अतिक्रमण पर जेसीबी चला सकें?
क्या अमीरों पर रहम गरीबों पर कहर बरसाने वाले है तहसीलदार?
अमीरों पर रहम गरीबों पर कहर बरसाने वाले यह तहसीलदार इन दिनों काफी विवादों में आ गए हैं लगातार विवाद और बयानबाजी और मनमाने तरीके से कानून को हाथ में लेकर किसी के घर पर तो किसी के मकान पर तो किसी की दुकान पर अतिक्रमण कहकर कार्यवाही हटाने के नाम पर कुछ भी मनमानी करके आखिर वह क्या साबित करना चाहते हैं? क्या इनके द्वारा जब जमीनों से संबंधित फैसले लिए गए हैं क्या वह सही है क्या जिस तरह से उन्होंने चिरमिरी में कई रसूखदारों के फर्जी पट्टे बनाए हैं क्या वह सही है? अस्पताल पेट्रोल पंप एवं एक आलीशान होटल पर कार्यवाही ना कर आमजनों पर हो रही कार्यवाही से प्रशासन का दोहरा चरित्र दिख रहा है? क्या जिले के जिम्मेदार कलेक्टर साहब इनके कुर्कर्मों से वाकिफ नहीं है? अब देखना यह है कि प्रशासन कुंभकरणी निंद्रा से जागता है या जनप्रतिनिधियों के तलवे चाटकर ही उनकी गुलामी करते रहता है? तहसीलदार को लेकर उनकी कार्यवाही को लेकर कई लोगों की बातें और उनका नजरिया सामने आई, जिसमे सभी ने यही माना कि तहसीलदार की कार्यवाही दोषपूर्ण थी और वह यदि सही काम करते ठीक ढंग से कानून अनुसार कार्यवाही करते तो एक जैसी शहर में कार्यवाही होती, पक्षपात नहीं करते या वसूली वाला वह खेल नहीं खेलते तो मार वह नहीं खाते।
यह क्यों नहीं पहुंची तहसीलदार साहब की जेसीबी?
नदी पार कार्यवाही के दौरान आम जनों की दुकानों तक पहुंचने वाली सीढी को तोड़ा जा रहा है, वही नगर पालिका अध्यक्ष के घरके चबूतरे और उनके पुत्र के अस्पताल की सीढ़ी जो की पूर्ण रूप से एनएच सड़क से फुटपाथ और नाली पर निर्मित है उसे छुआ भी नहीं पाया, जबकि दिन भर मरीजों को गाडि़यां उसी पर खड़ी रहती हैं जिससे एक ओर आवागमन बाधित होता है और वही एक्सीडेंट का खतरा भी बना रहता है दूसरे और एक रसूखदार वकील साहब का पेट्रोल पंप भी इसी तरह स्थित है झांझरिया भवन भी अतिक्रमण कर रखा है, एमसीबी कलेक्टर जहां एक तरफ गरीबों के लिए बड़ा सकारात्मक रवैया अपनाते हैं वहीं उनके अधीनस्थ एक तहसीलदार पूरे बाजार में अपने दहशत बनाने के लिए सिर्फ छोटे लाचार गरीब दुकानदारों को अपना शिकार बना रहा है जो पूरी तरह से अनुचित है, तहसीलदार की मनमानी और उसकी हठधर्मिता ही एक सीधे साधे व्यापारी के गुस्से का कारण बनी और कहीं न कहीं उसे आपराधिक कृत्य करने पर मजबूर किया। तहसीलदार का चिरमिरी का कृत्य और कार्यप्रणाली जानने वाले बताते हैं कि साहब को साहबगिरी दिखाने ओर वसूली की आदत है जो एक सीधे साधे व्यापारी को नहीं भाई और उसने पिटाई कर दी साहब की।
तहसीलदार का आतंक?
सूत्रों की माने तो चिरमिरी में बड़ी उगाही कर फर्जी पट्टा बांटने के बाद विवादों में आए तहसीलदार इन दिनों मनेद्रगढ़ में भी अपनी काली कमाई का वजन बढ़ाने के लिए क्षेत्र में आतंक फैला रहे हैं, ऐसा बताया जा रहा है और यह घटना उसी की परिणीति है जो आक्रोश स्वरूप झलक गई युवक के, पिछले दिनों उनके द्वारा छोटे दुकानदारों और फुटपाथों पर व्यापार कर रहे व्यापारियों पर अपनी प्रशासनिक धौंस बनाकर लोगों में दहशत बनाने का काम किया गया था, पिछली बार अतिक्रमण हटाने यही तहसीलदार निकले थे, बिना किसी पूर्व सूचना के नगर पालिका से एक जेसीबी मशीन लेकर गरीब कमजोर किस्म के लोगों का दुकान और उसमें विक्रय हेतु रखे सामान को तोड़फोड़ कर रहे थे, तो लोगों ने उसका वीडियो बनाना शुरू किया था तहसीलदार साहब सारे नियम कानून ताक में रखकर खुद ही युवक से हाथापाई करते हुए उससे मोबाइल छीनने लगे थे, क्या यह अधिकार उन्हें कानून देता है? वैसे तहसीलदार की कार्यप्रणाली काफी दोषपूर्ण है और उगाही ही उनका उद्देश्य रहता है यह लोगों का कहना है और उगाही के लिए ही वह दहशत बनाते हैं और यहां भी उनका इस घटना में भी यही प्रयास था जो उल्टा पड़ गया उन्हीं के लिए।