बैकुण्ठपुर,28 नवम्बर 2024 (घटती-घटना)। निजी विद्यालयों की मनमाना फीस बढ़ोतरी को लेकर अभिभावकों में काफी आक्रोश है, जिसे लेकर छाीसगढ़ प्रदेश युवा कांग्रेस के प्रदेश महासचिव संजीव सिंह उर्फ काजू ने जिला शिक्षा अधिकारी कोरिया को पत्र लिखकर कहा कि निजी स्कूल मनमानीपूर्ण फीस को बढ़ा कर पालकों का आर्थिक रूप से शोषण कर रहें, निजी विद्यालय बिना किसी नियम के प्रतिवर्ष मनमानीपूर्ण फीस को बढ़ा कर पालकों का आर्थिक रूप से शोषण कर रहें है,निजी विद्यालयों द्वारा प्रतिवर्ष उसी विद्यालय में अध्ययनरत विद्यार्थियों से भी प्रवेश शुल्क, शाला विकास शुल्क,बिल्डिंग शुल्क,क्रीडा शुल्क आदि कई प्रकार के अनावश्यक शुल्क पालकों से वसूले जाते है। जिस पर अंकुल लगाया जाना आवश्यक है। कई निजी विद्यालयों द्वारा शासन के द्वारा निर्धारित की गई पुस्तकों को दरकिनार कर अपने मनपसंदीदा प्रकाशको की पुस्तकें जिसमें उन्हें मोटा कमीशन मिलता है को खरीदने हेतु अभिभावकों को बाध्य कर मोटी रकम वसूली जाती है। जबकि छ. ग. बोर्ड मान्यता वाले निजी विद्यालयों को भी शासन के द्वारा निःशुल्क कक्षा पहली से कक्षा दसवीं तक की पुस्तकें उपलध कराई जाती है। जिस पर भी उचित कार्यवाही किए जाने एवं आवश्यक दिशा-निर्देश जारी किये जाने की जरूरत है। किसी भी निजी विद्यालय को शासन के आदेशानुसार वर्ष में केवल 8 प्रतिशत तक ही फीस की बढोारी करने का अधिकार है और यदि वो इससे ज्यादा करते है तो उसकी अनुमति जिला कलेक्टर द्वारा बनाई गई फीस हेतु कमेटी से पास करवाना आवश्यक है। कितने निजी विद्यालयों के द्वारा इसकी जानकारी जिला कमेटी को देकर फीस का निर्धारण किया जाता है। निजी विद्यालयों में विद्यार्थियो को शुद्ध जल, बच्चों की दर्ज संख्या के आधार पर पर्याप्त मात्रा में शौचालय, खेल का मैदान, उचित स्वास्थ्य की सुविधा आदि दिया जाना अनिवार्य है। जिसका अधिकतर निजी विद्यालयों द्वारा पालन नही किया जा रहा है। इसके अतिरिक्त जिला में बनाई गई जिला फीस कमेटी की बैठक नियमित रूप से फीस के संबंध में नही की जा रही है। जिससे निजी विद्यालयों को अपनी मनमानी करने का मौका मिल रहा है। छ.ग. राज्य बाल अधिकार संस्थान आयोग रायपुर के द्वारा अपने पत्र क्र. 196/आयोग/2024 दिनांक 03.06.2024 को राज्य के समस्त कलेक्टरों को पत्र लिखकर आदेशित किया है कि समस्त निजी विद्यालयों के मनमाने फीस बढ़ोारी पर रोकथाम के लिए सभी विद्यालयों को विद्यालय फीस समिति में अभिभावकों को सम्मिलित करते हुए एवं जिला फीस समिति के साथ नियमित बैठक करने के बाद ही फीस बढ़ोारी का निर्देश दिया है। इसके अतिरिक्त स्कूल विद्यालय फीस समिति में पास होने के उपरांत फीस की जानकारी 4&8 फीट के बोर्ड सहित बेवसाईड में सार्वजनिक कराया जाए। जिसका पालन भी किसी निजी विद्यालय द्वारा नही किया जा रहा है। निजी विद्यालय फीस न मिलने की स्थिति में विद्यार्थियों का नाम केवल इस आधार पर नही काट सकता है। परंतु कई विद्यालयों में इसका पालन न कर विद्यार्थियों को फीस न जमा करने पर नाम काटने की धमकी एवं दूसरे विद्यालय में प्रवेश लेने हेतु टी.सी. न दिये जाने की शिकायतें अक्सर प्राप्त होती रहती है। शिक्षा के अधिकार अधिनियम के तहत किसी भी शासकीय एवं गैर शासकीय विद्यालयों में केवल प्रशिक्षित शिक्षकों के द्वारा की अध्यापन कार्य कराया जाना है। किन्तु अधिकतर निजी विद्यालयों के द्वारा गैर प्रशिक्षित शिक्षकों (10वीं 12 पास) के द्वारा अध्यापन का कार्य कराया जा रहा है। जो कि शासन की नीतियों का स्पष्ट उल्लंघन है। निजी विद्यालयों के द्वारा उपलध कराई जा रही बसों, मैजिक, ऑटो आदि वाहनों में सुरक्षा के किसी भी पहलुओं का पालन नही किया जाता है। आवश्यकता से अधिक बच्चों को भर कर उनके सुरक्षा के साथ खिलवाड़ किया जाता है। जिसके लिए भी जिला कार्यालय से सुरक्षा के दृष्टिगत आवश्यक दिशा-निर्देश एवं उसका कठोरता से पालन किये जाने हेतु आदेश जारी करने की आवश्यकता है। जिला शिक्षा अधिकारी से निवेदन किया गया है कि 10 दिवस के अन्दर उपरोक्त समस्याओं से अभिभावकों को समाधान दिलाने की कृपा करें। अन्यथा भारतीय युवा कांग्रेस उग्र आंदोलन कर जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय का घेराव करने हेतु बाध्य होगें। जिसकी संपूर्ण जवाबदारी आपकी होगी।
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