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बैकुंठपुर/पटना@चंपाझर नाबालिक छात्र की हत्या की गुथी सुलझ गई…डॉग स्क्वायड का कुत्ता जिस आत्महत्या करने वाले नाबालिक के घर घुसा वह नहीं कोई अन्य निकला हत्यारा?

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बैकुंठपुर/पटना 26 नवम्बर 2024 (घटती-घटना)। अंततः पटना पुलिस थाना अंतर्गत आने वाले ग्राम चंपाझर के दो नाबालिकों से जुड़ा हत्या व आत्महत्या का मामला पुलिस ने सुलझा लिया और प्रेस विज्ञप्ति जारी कर पुलिस ने यह दावा भी कर दिया कि मामला प्रेम प्रसंग और राज को उजागर करने से जुड़ा हुआ था, जिसके कारण ही एक नाबालिक की हत्या कर दी गई, वहीं एक नाबालिक जो हत्यारे के साथ हत्या जिस नाबालिक की हुई उसे डराने पहुंचा था और वह पुलिस की पूछताछ से और पुलिस की कड़ाई से भयभीत हो गया और उसने आत्महत्या कर ली। वैसे हत्या की गुत्थी डॉग स्मयड की टीम ने सुलझाई और नाबालिक जिसकी हत्या हुई थी जिसके परिजनों के द्वारा जिसकी गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कराई गई थी,उसके शव को डॉग स्मयड की ही टीम ने बरामद किया और वहीं से इस पूरे मामले में गुमशुदगी की जगह हत्या का मामला दर्ज हुआ। वैसे डॉग स्मयड की टीम में शामिल खोजी कुाा हत्या जिस नाबालिक की हुई थी उसके शव के पास से सीधे उस नाबालिक के घर पहुंचा था जिसने पुलिस की कड़ी पूछताछ के बाद आत्महत्या कर ली थी, वहीं कुाा उस युवक के घर नहीं गया जो असल हत्यारा है? जिसने नाबालिक को पहले पत्थर से मारा और फिर चाकू से मारा और गला काटने का भी असफल प्रयास किया यह जरा आश्चर्य करने वाला एक तथ्य है जो पुलिस ने विवेचना में लिखा है दर्ज किया है। पुलिस की विवेचना और पुलिस की विज्ञप्ति जारी होने उपरांत अब कई सवाल इस मामले में खड़े होने लगे हैं जो पुलिस की हड़बड़ाहट और उसकी विवेचना पर प्रश्नचिन्ह लगा रहे हैं।

क्या पुलिस से इस मामले में बड़ी कोई चूक जो एक नाबालिक की आत्महत्या की वजह बन गई?
पुलिस की इस मामले में सबसे बड़ी कोई चूक रही तो वह यह रही कि वह एक नाबालिक के आत्महत्या की वजह बन गई? पटना पुलिस की नासमझी कहें या अति उत्साह में उठाया गया एक नादानी वाला कदम जिसके कारण एक नाबालिक ने पुलिस के भय से आत्महत्या कर लिया, अपनी जीवन लीला ही समाप्त कर ली। अब पुलिस भले ही पटना की अपनी पीठ ठोक रही है कि उसने हत्या की गुत्थी या एक नाबालिक की गुमशुदगी की गुत्थी सुलझा ली है, जिसकी हत्या हुई थी और जिसका शव बरामद हुआ है लेकिन यहां यदि पुलिस ने समझदारी दिखाई होती पुलिस हत्या के दौरान मौजूद रहे नाबालिक को जिसने आत्महत्या कर ली जो हत्यारे के साथ था को यदि भयभीत नहीं करती वह जीवित रहता और आज इस हत्याकांड का वह एक साक्ष्य होता? वहीं आरोपी को भी कड़ी सजा मिलती उसके बयान से वहीं हत्या का कारण और अधिक स्पष्ट होता। वैसे पुलिस की किसी विवेचना में प्रश्न कितने भी उठा लिए जाएं लेकिन उसका कोई परिणाम निकलने वाला नहीं है, क्योंकि पुलिस की हर विवेचना जिसपर प्रश्न उठाए जाएंगे वह पुनः जांच के लिए किसी न किसी पुलिस अधिकारी के पास या विवेचक के पास ही जाएगी और परिणाम वही निकलेगा जो पहला है।
नाबालिक का आत्महत्या खाखी पर दाग?
चंपाझर मामले में पुलिस की तरफ से बाल अपराध और अपराधी से जुड़े विषयों का ध्यान नहीं रखा गया न ही नाबालिक से पूछताछ के लिए बने कानून का पालन किया गया। नाबालिक जिसने आत्महत्या की उसे पुलिस ने वर्दी में जाकर घर से उठाया और वहीं उसे थाने लाकर भी वर्दी में पूछताछ की है ऐसा बताया जा रहा है, पुलिस के द्वारा नाबालिक को डराया धमकाया भी गया, जिसके द्वारा आत्महत्या की गई यह भी बतलाया जा रहा है, और यही वजह रही कि नाबालिक ने आत्महत्या कर ली। वैसे यदि पुलिस ने नाबालिक जिसने आत्महत्या की उससे नियम कायदे से बात की होती जो नाबालिक मामले के नियम हैं तो शायद नाबालिक इस मामले में मददगार साबित होता डॉग स्मयड की भी जरूरत पुलिस को नहीं पड़ती वहीं एक साक्ष्य भी नाबालिक खुद बनता। अब पुलिस की नासमझी से नाबालिक आत्महत्या कर खुद का ही मुंह हमेशा के लिए बंद कर ले गया,और कई सवाल वह छोड़ गया।वैसे पुलिस लगातार यह दावा कर रही है कि नाबालिक से पूछताछ सादी वर्दी में हुई और बाल कानून अनुसार कुछ वरिष्ठ जनों की उपस्थिति में हुई पूछताछ लेकिन पुलिस का यह दावा झूठा है और इसकी पोल खुद उनका ही सीसीटीवी फुटेज खोल सकता है यह लोगों का ही दावा है। अब सच्चाई जो भी हो लेकिन एक नाबालिक की मौत जिसने आत्महत्या कर ली वह पुलिस की ही नाकामी के कारण हुई यही फिलहाल जनचर्चा है।
प्रेस विज्ञप्ति वाली कहानी पर नजर
पुलिस की विज्ञप्ति कहती है मामले में मृतक नाबालिक बालक के पिता ने थाना में उपस्थित होकर दिनांक 20 नवबंर 2024 की रात्रि रिपोर्ट दर्ज करायागी कि उसका नाबालिक बालक उम्र 13 वर्ष सायकल से बेड बेचने के लिए अपने दोस्तो के साथ गया हुआ था,जो वापस नहीं आया सभी रिश्तेदारी में पता तलाश किया,जिसका कहीं भी पता नहीं चल रहा है। जिसकी रिपोर्ट पर थाना में अपराध क्रमांक 329/24 धारा 137 (2) बीएनएस कायम किया जाकर अपहृत बालक की खोजबीन प्रारंभ की गई। इसी दौरान दिनांक 22 नवंबर 2024 को अपहृत बालक के परिजन द्वारा सूचना दिया गया कि अपहृत बालक की सायकिल को गांव का महेश प्रजापति बेचने का प्रयास कर रहा है, जिसकी सूचना पर अविलंब सूचना वरिष्ठ अधिकारियों को दी गई। मामले की गंभीरता एवं संवेदनशीलता को देखते हुए पुलिस अधीक्षक कोरिया सूरज सिंह परिहार द्वारा पुलिस अनुविभागीय अधिकारी के नेतृत्व में टीम का गठन कर तत्काल उक्त बालक की खोजबीन करने हेतु निर्देशित किया गया था। कोरिया पुलिस की अलग-अलग टीमें लगातार विभिन्न स्थानों पर नाबालिक बालक की बारिकी से खोजबीन कर रही थी। सायबर टीम का सहयोग भी लगातार लिया जा रहा था। संदिग्ध महेश कुमार प्रजापति से पूछताछ किया, जिसने पुलिस को गुमराह करते हुए बताया कि सायकल को वह गांव के बाहर निर्माणाधीन मकान से प्राप्त किया है। जिसमें संदेह होने से आस पडोस के सभी नदी-नालो व जंगल झाड़ी में अपहृत की खोजबीन की जा रही थी। तभी शाम करीब 06 बजे गांव के संरपंच व ग्रामीणों के द्वारा बताया गया कि जंगल में अपहृत बालक का ब्रेड वाला झोला लावारिस हालत में पड़ा हुआ मिला है। जिससे अपहृत बालक के साथ अप्रिय घटना होने की पूर्ण आशंका होने पर डॉग स्काव्ड, सायबर सेल एवं कोरिया पुलिस की टीमें हरसंभव अपहृत बालक को तलाशने का प्रयास करने लगी। सायबर टीम के द्वारा घटना स्थल पर आरोपी महेश की उपस्थिति तथा अपहृत बालक के साथ ब्रेड बेचने जाने वाले अन्य बच्चों से पूछताछ किया गया। जिन सभी ने बताया कि नाबालिक बालक (जिसने आत्महत्या की है) वह उसी दिन अपहृत बालक के साथ गया था, जो कि इससे पूर्व नहीं जाता था। एवं घटना स्थल पर आरोपी की उपस्थिति के साक्ष्य से हिरासत में लेकर पूछताछ किया गया। पूछताछ में आरोपी महेश कुमार प्रजाति ने बताया कि वह वह पिछले दो हपतो से अपने दादा-दादी के यहां ही आकर रह रहा था, रोज चम्पाझर से मुरमा रोड अपने मित्र अनुराग एवं अन्य के साथ भोर में टहलने जाया करता था, जहाँ उसकी मुलाकात अनुराग की महिला मित्र की सहेली से हुई। फिर दोनो मिलने लगे थे और एकदूसरे को पसंद करने लगे थे। सुबह-सुबह घुमने जाने के दौरान ही चम्पाझर गांव के बेड बेचने वाले बच्चो को मुरमा की तरफ जाते देखता था, 2-3 दिन बाद वह अपनी महिला मित्र से बात करते हुए उसे सुबह-सुबह 12 नंबर पुलिया पर बुलाया था एवं गले लगा रहा था, तभी ब्रेड बेचने के लिए जा रहे नाबालिक बालक (जिसकी हत्या हुई है, नाम गोपनीय रखा गया है।) उसे देख लिया, पर उस दौरान उसने कुछ नहीं। करीब 02 दिन तक वह बोला कि तेरे घर में बता दूंगा। जिससे वहं काफी डर गया और अपने दादा के घर के पडोसी नाबालिक बालक (जिसने आत्महत्या कर ली है।) को बताया और उसे कहा कि हम लोग उसे जंगल ले जाकर समझायेंगे जिस पर वह मान गया। दिनांक 20.11.2024 को सुबह करीब 05 बजे आरोपी के कहने पर नाबालिक बालक (जिसने आत्महत्या कर ली है।) ने उसे डराने के लिए अपने घर से चाकू भी ले लिया और दोनो चम्पाझर गांव के बाहर लालीबांध के पास माईकल के निर्माणाधीन मकान में करीब 10-15 मिनट तक उसका इंतार किये, जैसे ही वह बाकि बच्चों के साथ अपने सायकल पर माईकल के घर के पास पहुँचा, नाबालिक बालक (जिसने आत्महत्या कर ली है।) वह भी साथ चलूंगा बोलकर उसके सायकिल में बैठ गया। सभी मुरमा रोड की तरफ चले गये। करीब एक घण्टे बाद जब दोनो नाबालिक बालक (जिसकी हत्या हुई और जिसने फासी लगा लिया) आने लगे तब आरोपी उनसे 12 नम्बर पुलिस के पास मिला और दोनो अपहृत बालक से बात करते हुए उसे पहाड़ी की तरफ ले गये एवं सायकिल को पहाड़ी के नीचे ही खड़ा करने को कहा। पहाड़ी पर जब आरोपी ने उसे कहा कि क्यू तू मेरे घर में बतायेगा, जिस पर वह हसने लगा और बोला मैं तो बताउंगा। फिर पहले उन लोग उसे डराये कि तू बतायेगा तो तुझे मार देंगे फिर भी वह नहीं मान रहा था। बार-बार बोल रहा था मैं तो तेरे घर में बताउंगा, जिस पर उन दोनो को गुस्सा आ गया और आरोपी महेश प्रजापति वहीं पर रखे भारी पत्थर से उसके सिर पर मार दिया जिससे उसके सिर से खून निकलने लगा और वह वही पर गिर गया। इसके बाद गुस्से में आरोपी अपने पेंट के पीछे छिपाये हुए चाकू को निकालकर उसके बाए तरफ गर्दन में वार किया जिससे वह वहीं पर मर गया। चाकू से अरोपी उसकी गर्दन काट रहा था पर पर चाकू छोटा होने से गर्दन पूरी तरह से नहीं कटा। यह सब देखकर नाबालिक बालक (जिसने आत्महत्या कर ली) वह वहाँ से भाग गया। अरोपी का मोबाईल वही गडढे में गिरने से उसका स्क्रीन टूट गया जिसे वह वही पर निकाला और अकेला हो गया था। मृतक के जैकेट और इनर को वहीं गडढे में फेकरकर उसको वही उसी गडढे में धकेलकर चाकू वहीं फेका और पहाड़ी के नीचे आ गया। वापस आते समय आरोपी ने सायकिल को वहीं झाडी में छुपा दिया और नाबालिक बालक (जिसने आत्महत्या की है) को उसका झोला वहीं फेकने के लिये बोलकर वहां से अपने घर आ गया। अगले दिन उसकी सायकिल को झाडियों से निकालकर माईकल के खण्डहर घर में छिपा दिया। उक्त आरोपी महेश प्रजापति से परिस्थितिजन्य साक्ष्य मिलने व उसके अन्य मित्रों के कथन के आधार पर घटना के संबंध में बारिकी से पूछताछ किया गया। जिस पर उसने बताया कि उसका महिला मित्र के साथ गले मिलते हुए मृतक ने देख लिया था, और बार-बार उसके घर में बताने के लिए बोल रहा था जिसके डर से उसने मृतक बालक को समझाने का प्रयास किया पर वह नहीं मान रहा था। इसलिए उसकी हत्या कर दी है। आरोपी के विरूद्ध वैधानिक कार्यवाही कर उसे न्यायिक रिमाण्ड पर जेल भेजा जा रहा है।


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