बैकुण्ठपुर @क्या पूर्व विधायक अंबिका सिंहदेव अपना राजनीतिक अस्तित्व बचाने लड़ेगीं जिला पंचायत सदस्य का चुनाव?या महंत और टी एस सिंहदेव के भरोसे केवल बनेंगी फिर से विधानसभा प्रत्याशी?

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-रवि सिंह-
बैकुण्ठपुर 24 नवम्बर 2024 (घटती-घटना)। कोरिया जिले का असंतुलित विभाजन और पांच सालों का बैकुंठपुर विधानसभा का अनुभवहीन संचालन करने का खामियाजा पूर्व विधायक अंबिका सिंहदेव को भुगतना पड़ा और उन्हें दोबारा विधानसभा चुनाव में बड़ी हार का सामना करना पड़ा और हार भी उनकी ऐतिहासिक रही कांग्रेस पार्टी के लिए कई बार की हार से कई गुना बड़ी रही। हार के बाद की समीक्षा यही रही लोगों की की अंबिका सिंहदेव का एकला चलो का सिद्धांत और बंगाल की राजनीति का अनुसरण करना नुकसानदायक साबित हुआ और एक तरह से उन्हें बैकुंठपुर क्षेत्र की जनता ने नकार दिया और अपने नेतृत्व का जिम्मा छीन लिया। अब आने वाले समय में उन्हें जनता पुनः मौका देगी ऐसा लोग नहीं मानते और न ही उनकी गतिविधि राजनीतिक ऐसा साबित करती है। वैसे बैकुंठपुर विधानसभा की राजनीति जैसी चलती आ रही है उसके अनुसार क्या अंबिका सिंहदेव भी जिला पंचायत सदस्य का चुनाव लड़ेंगी अपना राजनीतिक अस्तित्व बचाने और विधानसभा चुनाव में अपनी दावेदारी बरकरार रखने वह जिला पंचायत सदस्य के लिए उम्मीदवारी करेंगी यह सवाल खड़ा हो रहा है।
वैसे लोगों का कहना है कि जैसी परम्परा चली आ रही है उसके अनुसार उन्हे जिला पंचायत सदस्य का चुनाव लड़ना ही चाहिए और उन्हें पूर्व के दो विधानसभा चुनाव के दावेदारों जिन्हें टिकट भी राष्ट्रीय दलों से मिल चुका है वहीं जिनमें से एक कैबिनेट मंत्री तक का सफर पूरा कर चुके हैं वर्तमान में वह विधायक भी हैं की ही तरह जिला पंचायत सदस्य का चुनाव लड़कर साबित करना चाहिए की वह भी क्षेत्र में लोकप्रिय हैं और उनका जनाधार केवल दलीय जनाधार से जुड़ा और वहीं तक सिमटा हुआ नहीं है उनका अपना भी जनाधार है बना है जो उनके पांच सालों के कार्यकाल के दौरान बना जनाधार है। बैकुंठपुर विधानसभा के कई अन्य विधानसभा टिकट के दावेदारों को भी इस बार जिला पंचायत सदस्य का चुनाव लड़ना चाहिए यह भी लोगों का कहना है और लोगों का कहना की इस तरह ऐसे लोगों को अपना जनाधार साबित कर पार्टी को अपने प्रति आकर्षित करना चाहिए। अन्य विधानसभा टिकट के दावेदारों में योगेश शुक्ला भी इस बार खुद जिला पंचायत चुनाव लड़ें और अपना जनाधार साबित करें यह लोगों की मांग है मंशा है खासकर उनके ही समर्थक अब उनसे यह अपेक्षा रखते हैं। अब देखना है कि क्या विधानसभा टिकट के दावेदार बनते चले आ रहे बड़े नेता कोरिया जिला खासकर बैकुंठपुर विधानसभा में चली आ रही परम्परा का पालन करते हैं और जिला पंचायत सदस्य का चुनाव लड़कर अपना जनाधार साबित करते हैं और विधानसभा टिकट के लिए अपनी दावेदारी मजबूती से रखने वाले हैं।
यदि अंबिका सिंहदेव,वेदांती तिवारी व योगेश शुक्ला जिला पंचायत चुनाव लड़ते हैं तो विपक्ष की सरकार बन सकती है
जिला पंचायत सदस्य चुनाव के लिए यदि पूर्व विधायक अंबिका सिंहदेव,वेदांती तिवारी,योगेश शुक्ला यदि स्वयं मदन में बतौर प्रत्याशी उतरते हैं और तीनों जीतते हैं तो 10 में से सात आठ सीटों पर कांग्रेस प्रत्याशियों का कजा हो सकता है और अध्यक्ष उपाध्यक्ष भी कांग्रेस बना सकती हैं,यदि ऐसा समीकरण तैयार होता है तो बीजेपी को जिला पंचायत चुनाव में हर का सामना करना पड़ सकता है, क्योंकि यह तीनों अपने आप में जानाधार वाले नेता हैं और इसे मिनी विधानसभा मानकर चुनाव लड़ेंगे तो आगे वाले विधानसभा व लोकसभा के लिए भी दावेदारों सूची में बने रहेंगे।
विपक्षी दिग्गज नेताओं को सत्तापक्ष को पछाड़ने नगरीय निकाय व त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में उतरना पड़ेगा
वैसे कोरिया जिले की बात की जाए या पूरे प्रदेश की यदि सााधारी दल के दिग्गज नेताओं को पछाड़ने जो फिलहाल निर्वाचित हैं बड़े पदों पर आसीन है की मंशा विपक्षी नेताओं खासकर उन नेताओं की जो विधायक बनना चाहते हैं की है तो उन्हें नगरीय निकाय चुनाव और त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में उम्मीदवारी करनी होगी और उन्हे अपनी अपनी दावेदारी मजबूती से पार्टी के सामने रखने चुनाव जीतकर जनाधार भी अपना साबित करना चाहिए। विपक्ष के बड़े नेता सीधे ही विधायक बन जाएंगे या पार्टी उन्हें टिकट दे देगी यह उन्हें अब भ्रम या ऐसी सोच का का उन्हें त्याग करना होगा और नगरीय निकाय और त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में दावेदारी उम्मीदवारी करके अपने जनाधार को और भी मजबूत करना होगा। कोरिया जिले में खासकर बैकुंठपुर विधानसभा जो अब इकलौता भी है जिले का विधानसभा में कांग्रेस से कई दावेदार आने वाले विधानसभा चुनाव में सामने होंगे इसलिए सभी दावेदारों को अभी से ऐसे चुनावों में उम्मीदवार बनकर अपनी योग्यता और जनाधार को रिचार्ज करना चाहिए। अंबिका सिंहदेव,योगेश शुक्ला, अपने जनाधार को मजबूत रखने और पार्टी को अपनी योग्यता जनाधार साबित करने जिला पंचायत का चुनाव लड़ने की जरूरत है ऐसी चर्चा अब लोगों के बीच आम भी है।
यदि योगेश शुक्ला लड़ते हैं तो उनका यह पहला चुनाव होगा
योगेश शुक्ला ने सरकारी नौकरी का त्याग किया और राजनीति में प्रवेश करके उन्होंने विधानसभा तक जाने का सपना देखा यह सभी जानते हैं लेकिन उन्होंने आज तक एक भी चुनाव नहीं लड़ा यह भी लोग जानते हैं। यदि इस बार वह जिला पंचायत का चुनाव लड़ते हैं तो यह उनका पहला चुनाव होगा यह भी सभी जानते हैं। वैसे वह चुनाव यदि लड़ते हैं तो इस बार उनके लिए संयोग भी बढि़या बन रहा है जो संभावनाओं अनुसार बन रहा संयोग है,इस बार बताया जा रहा है कि उनका खुद का ग्राम क्षेत्र अनारक्षित श्रेणी का जिला पंचायत क्षेत्र सदस्य चुनाव के लिए होगा जो उनके लिए सुखद संदेश होगा ऐसा कहा जा सकता है। वैसे वह चुनाव लड़ेंगे या नहीं यह उनके ऊपर निर्भर है लेकिन वह यदि विधानसभा के दावेदारों में शुमार रहना चाहते हैं तो उन्हें जरूर चुनाव लड़ना चाहिए यह उनके ही समर्थक मानते हैं क्योंकि बैकुंठपुर विधानसभा की यही परम्परा रही है।
अंबिका सिंहदेव बिना छोटे चुनाव जीते ही बनी थी विधायक जिसका परिणाम नहीं संभला विधानसभा
कांग्रेस प्रत्याशी व पूर्व विधायक अंबिका सिंह देव पैराशूट वाली विधायक ही कही जाएगी क्योंकि सीधे इनका आगमन विधायक प्रत्याशी के तौर पर हुआ और इन्हें चुनाव की जानकारी न होने की वजह से हार नहीं मिली,भाजपा के विधायक भईयालाल राजवाड़े का विरोध की वजह से इन्हें जीत मिली थी जो इनके लिए जैकपोट जैसा साबित हुआ था, यदि यह छोटा चुनाव जीत कर आई होतीं तो इन्हें कई तरह के अनुभव होते जिस अनुभव का यह लगातार विधायक बने रहने में उपयोग करती?
क्या दोनों राष्ट्रीय पार्टियों में सत्ता आने पर विरोध न करने का समझौता हुआ है?
वैसे कोरिया जिले में दोनों ही राष्ट्रीय पार्टी एक दूसरे के लिए सहयोगी बनकर काम करती नजर आती हैं। ऐसा लगता है कि दोनों का आपसी समझौता है कि एक दूसरे का विरोध उन्हें नहीं करना है। साा में जब कांग्रेस थी तब भाजपा का रुख आक्रमक नहीं था वहीं अब कांग्रेस का रुख शांत है।


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