हमारा जीवन कई जटिलताओं से भरा हुआ है। खासकर इस बात का एहसास हमें तब होता है जब हम अपनी जरूरतों और उद्देश्यों को पुरा करने की जद्दोजहद में लगे होते है। अमूमन अपने युवावस्था में हम इस सत्य से अवगत होते हैं। बचपन में अक्सर हम बड़े होकर क्या बनना चाहते हैं, इस सवाल पर मन चाहे जवाब देते है। लेकिन बड़े होते-होते हमारे सामने से गुजरती जिन्दगी हमें क्या बनना
है और कैसे बनना है, इस बात का बोध करा देती है। यह वही समय होता है जब हमें जीवन में छुपी कई बातों का भी पता चलता है। हकीकत से हमारा सामना होता है और जीवन कि खट्टी-मीठी बातों से हम वाकिफ होते हैं। यही वह समय भी होता है जब हम अपने आपको खोजने की कोशिश करते हैं। हालांकि इस दौरान कुछ और भी बातें होती हैं जिसको समझना भी जरूरी है। जैसे हमारी इच्छाओं की सूची समय के साथ साथ छोटी होती जाती है। यानी यौवन से बुढ़ापे तक हमारी इच्छाएं दम तोड़ने लगती है। परिवार के तकाजे और बढ़ती उम्र यहां इसके दो अहम कारण है। हम यूंही जीवन कि राह पर चलते हैं और इस बात का हमें पता तक नहीं चलता है। जीवन एक कहानी के समान है। जहां हम अपने अस्तित्व को बनाए और बरकरार रखने के लिए अलग-अलग किरदार निभाते हैं। यहां पर आस पास हो रही गतिविधियां, बातें तथा लोग हमारे इन किरदारों के निदेशक होते हैं। हमारे जीवन कि बागड़ोर हमारे हाथ में न होकर दूसरो के हाथ में ज्यादा होती है। यही कारण है कि अमूमन लोग अपने जीवन तथा अपने जीवन यापन से नाखुश रहते हैं। सुनने में यह सारी बातें थोड़ी अजीब लगती है। लेकिन यह वह सत्य है जिसको नकारा नहीं जा सकता और हमारे जीवन में खासकर युवावस्था में इन बातों का बोध जितना जल्दी हो जाएं उतना अच्छा रहता है। जिन जरूरतों को हम पूरा करना चाहते हैं उसके लिए यह अहम है। कुलमिलाकर सफलता की चोटी पर पहुंचने के लिए इन सारी चीजों का एहसास होना अनिवार्य है क्योंकि सफलता और विफलता के बीच यही बातें वह बारीक रेखाएं हैं। इसके अलावा, अक्सर लोग सफलता को अपने मत और हित के आधार पर परिभाषित करते हैं जहां इसे भौतिकवाद से जोड़कर परिभाषित किया जाता है। लेकिन सफलता सिर्फ इन्ही दायरों में सिमट कर नहीं रह जाती है। उसके दायरे हमारी कल्पना से भी परे होते है। इसलिए सफलता को सिर्फ इन बातों से जोड़ना सही नहीं है। जब आप अच्छे इंसान कहलाते है, आप समाज मे गैर समाजिक बातों पर सवाल उठाते हैं और खुद को जलाकर दूसरो को आवाद करना जानते हैं। तब आप सही मायने में सफल कहलाते हैं। यह सब चीजें वह चुनिंदा बातें हैं जो सफलता के मर्म का प्रतिबिम्ब दर्शाती है। अक्सर हम सुनते हैं कि इंसान को अगर तेजी से जाना है, तो अकेले चलना होगा और अगर दूर जाना है, तो साथ मिलकर चलना होगा। यह महज एक कहावत नहीं वल्कि सच्चाई है। वह वास्तविकता, जिसको आज का इंसान नजर-अंदाज करता है। इसी प्रकार सफलता और असफलता के पीछे हमारी सोच भी एक मुख्य किरदार निभाती है। जब हम दूसरो तथा खुद के प्रति अच्छी सोच रखते है, हम अपने आप को सफलता के और निकट पाते हैं। इसी कड़ी में सत्य हमारे जीवन का वह प्रकाश होता है, जिससे हमारा जीवन उज्ज्वलित होता है। साँच को आँच नहीं यह महज एक कहावत नहीं वल्कि हकीकत है। दरअसल, जब हम सच के इर्द-गिर्द अपना जीवन जीते हैं तो समाजिक परिवेश में हमारे व्यक्तित्व पर किसी प्रकार के सवाल उठने की संभावनाएं ना के बराबर हो जाती है। हालांकि, समाज हमारे इन सिद्धांतों से कितना खुश रहता है, वह अलग बात है। लेकिन जीवन की कसौटियों पर अंकुश भी यही सिद्धांत लगाते है। यह बातें समझने वाली है। जीवन में सफलता प्राप्त करने के लिए, इन सिद्धांतों पर अमल करना आवश्यक है। युवावस्था में हमारा मन एक कच्ची मिट्टी के समान होता है, जिसको अगर हम इन बातों के साथ आकार देते हैं। हमें जीवन में जीतने से कोई नहीं रोक सकता है। आगे बढ़ते समय यही सिद्धांत हमें बाकियों से अलग बनातें है क्योंकि आप जीवन के मर्म से अवगत हो जातें हैं और यहां आपकी भेंट वास्तविक सफलता से होती है। कुलमिलाकर, जीवन में जीना और उसको समझना अपने आप में एक कठिन कार्य है, लेकिन इसमें व्याप्त मूलभूत बातों को समझकर इस कठिन कार्य को आसान किया जा सकता है। यहां जरुरत हैं तो सिर्फ गौर से इन बातों का एहसास करना और हकीकत से वाकिफ होना। जीवन में सफलता और ख़ुशी का राज यही कुछ सिद्धांत और बातें है।
निखिल रस्तोगी
लखनऊ उत्तरप्रदेश
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