@ सीबीआई कोर्ट में इस तरह पेश हुआ सीजी पीएसजी का पूर्व अध्यक्ष…
@ चेहरे के रिएक्शन से दिया बड़ा मैसे
@ सीबीआई की विशेष कोर्ट में पेश हुए सोनवानी…
@ सीबीआई ने 45 लाख की रिश्वत में किया है अरेस्ट…
@ छत्तीसगढ़ पीएससी के पूर्व अध्यक्ष हैं सोनवानी…
@ सोमवार को सीबीआई की टीम ने किया था अरेस्ट…
रायपुर,19 नवम्बर 2024 ए)। छत्तीसगढ़ पीएससी घोटाले में गिरफ्तार पूर्व अध्यक्ष तमन सिंह सोनवानी और कारोबारी एसके गोयल को कोर्ट में पेश किया गया। सीबीआई ने रायपुर के विशेष न्यायाधीश लीलाधर साय यादव की कोर्ट में दोनों आरोपियों को मंगलवार को पेश किया। सीबीआई की टीम जब तमन सिंह सोनवानी को लेकर कोर्ट पहुंची तो उनके चेहरे पर हल्की मुस्कान दिखाई दी। वहीं, कारोबारी मीडिया के सामने रुमाल से
अपना चेहरा छिपाते नजर आए। सीबीआई सोनवानी से अगले सात दिनों तक पूछताछ करेगी। सोनवानी के देखकर ऐसा लग ही नहीं रहा था कि उन्हें रिश्वत लेने के आरोप में गिरफ्तार कर कोर्ट में पेश किया गया है।
सीबीआई की टीम ने कोर्ट में किया पेश
मामले लेकर बचाव पक्ष के वकील फैसल रिजवी ने कहा- टीएस सोनवानी और एसके गोयल को सीबीआई कोर्ट में पेश किया है। 12 दिन की कस्टोडियल रिमांड की मांग के लिए आवेदन दिया गया था। सीबीआई ने अपने आवेदन में कहा- टीएस सोनवानी की पत्नी एक एनजीओ और उसके समिति की अध्यक्ष हैं। उनके कुछ रिश्तेदार सदस्य हैं। उस एनजीओ को सीएसआर फंड के तहत 20 लाख और 25 लाख रुपए एसके गोयल की कंपनी ने दिया है। उसके बाद ही उनके बेटे और उनकी बहू का पीएससी में सिलेक्शन हुआ है। इस वजह से उन्हें गिरफ्तार करके कोर्ट में पेश किया है।
सामूहिक फायदे के लिए दिया जाता है फंड
मामले में बचाव पक्ष ने कहा है कि जो एसआर फंड होता है वह एक चैरिटेबल पर्पस के लिए सामूहिक फायदे के लिए दिया जाता है। उस फंड को जिस संस्था को दिया जाता है वह किसी पर्सनल व्यक्ति को नहीं दिया जाता। सोनवानी की पत्नी उसमें अध्यक्ष हैं तो वह उसकी मालिक नहीं हो जाती हैं क्योंकि वह आज अध्यक्ष हैं तो कल कोई और भी हो सकता है। उस फंड में जो खर्च होता है उसका रिकॉर्ड होता है। कहां खर्च हुआ, कैसे खर्च हुआ। उसका अपडेट होता है।
गोयल के बेटे और बहू ने किया है केस
एसके गोयल कंपनी ने भी जो पैसे यहां दिए हैं उसे अपनी फाइनेंस टीम को बताया होगा। इसमें सबसे बड़ी बात यह है कि जो बताया जा रहा है कि एसके गोयल के बेटे और बहू का सिलेक्शन पैसे देने के बाद हुआ है तो फिर उने दोनों ने ही कोर्ट पर केस क्यों किया। हाई कोर्ट में सितंबर 2024 को एक पिटीशन दायर की है उसमें उन दोनों ने कहा है कि हमारे पेपर की जांच करवाई जाए। इस बात को लेकर उन्होंने खुद याचिका लगाई है।उन्होंने कहा कि अगर जांच में उनका सिलेक्शन सही पाया जाता है तो सीबीआई की गिरफ्तारी का कोई औचित नहीं है। उन्हें इस मामले में अभी गिरफ्तारी नहीं करनी चाहिए। गिरफ्तारी तब करनी थी जब याचिका पर कोर्ट का फैसला आ जाता। उन्होंने कहा कि अगर एसके गोयल के बच्चे गलत होते तो कोर्ट क्यो जाते?
कांग्रेस नेताओं की भी होगी गिरफ्तारी
छत्तीसगढ़ लोक सेवा आयोग के पूर्व चेयरमैन टामन सोनवानी की गिरफ्तारी के बाद भाजपा को कांग्रेस पर हमला करना का मौका मिल गया है. वित्त मंत्री ओपी चौधरी ने पीएससी घोटाले को लेकर कहा कि यह पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार के शीर्ष नेताओं की शह के बिना संभव नहीं था. परीक्षा में धांधली कर युवाओं के भविष्य से खिलवाड़ करने वाले डबल इंजन सरकार में बख्शे नहीं जाएंगे. बता दें कि पीएससी गड़बड़ी की जांच हाथ में लिए जाने के पांच महीने बाद सीबीआई ने सोमवार को पीएससी के तत्कालीन चेयरमैन टामन सिंह सोनवानी के साथ बजरंग पावर एण्ड इस्पात लिमिटेंड के निदेशक श्रवण कुमार गोयल को गिरफ्तार किया था. आज दोनों को अदालत में पेश कर सीबीआई ने 14 दिन की रिमांड मांगी है.
सीबीआई की बड़ी कार्रवाई के बाद भाजपा के तमाम नेता कांग्रेस पर हमला करना शुरू कर दिया है. वित्त मंत्री ओपी चौधरी ने अपरोक्ष तौर पर तत्कालीन मुख्यमंत्री भूपेश बघेल पर निशाना साधते हुए सोशल मीडिया ‘एक्स’ पर किए में अपने पोस्ट में लिखा है कि यह घोटाला कांग्रेस के शीर्ष नेताओं की शह के बिना संभव नहीं था. इसके साथ ही उन्होंने चेतावनी दी कि भाजपा की डबल इंजन वाली सरकार में दोषी बख्शे नहीं जाएंगे.
सीजीपीएससी मामले की निष्पक्ष जांच हो
वहीं सीजीपीएससी मामले में बैज ने कहा, निष्पक्षता से जांच होनी चाहिए. बदले की भावना से जांच नहीं होनी चाहिए.सीजीपीएससी मामले में बैज ने कहा ्र निष्पक्षता से जांच होनी चाहिए सीजीपीएससी मामले में टामन सोनवानी की गिरफ्तारी पर बैज ने कहा, कोई गड़बड़ी है तो निष्पक्षता से जांच होनी चाहिए. जिस तरीके से सरकार ने विधानसभा चुनाव के दौरान राजनीतिक भावना से प्रेरित होकर पूरे सरकार को बदनाम करने का काम किया,अगर कोई वास्तव में गड़बड़ी है तो निश्चित रूप से निष्पक्षता से जांच होनी चाहिए, लेकिन राजनीतिक बदले की भावना से जांच नहीं होनी चाहिए. कांग्रेस का कार्यकाल ही नहीं, पिछले 15 साल में बहुत सारे गोलमाल हुए हैं. बहुत सारे अपने लोगों को फायदा पहुंचाने के लिए इस तरीके का काम हुआ है. क्या सरकार पिछले 15 सालों को कभी जांच कराएगी? राजनीतिक बदले की भावना से काम नहीं होना चाहिए. अगर कोई दोषी है तो उस पर कार्रवाई होनी चाहिए.
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