अंबिकापुर,18 नवम्बर 2024 (घटती-घटना)। साइबर ठगों द्वारा अब व्हाट्सऐप के जरिए अंजान एपीके फाइल भेजकर निजी सुरक्षा में सेंध लगाई जा रही है और एपीके फाइल डाउनलोड करने के साथ ही मोबाइल हैक कर एक्सेस प्राप्त कर साइबर ठगी की घटनाओं को अंजाम दिया जा रहा है। डिजिटल अरेस्ट जैसी फर्जी प्रक्रियाओं के जरिए साइबर ठग लोगों को अपने जाल के फंसाकर ठगी की वरदात को अंजाम दे रहे हैं। ऐसी घटनाओं से बचने के लिए सरगुजा एसपी योगेश पटेल ने लोगों से सावधान रहने की अपील की है।
एसपी ने बताया कि साइबर ठगों द्वारा व्हाट्सऐप पर बैंक या आधार अपडेट, अथवा किसी योजना के नाम पर एपीके फाइल का लिंक भेजा जा रहा है। एपीके फाइल को डाउनलोड करने की लिंक पर क्लिक करते ही मोबाइल फोन हैक हो जाता है, जिससे ठग फोन के कैमरा, माइक्रोफोन, जीपीएस, मैसेज और ओटीपी तक पहुंच जाते हैं। साइबर ठगों द्वारा ऐसे फाइल वाट्सएप पर किसी अज्ञात नंबर अथवा ग्रुप में इन एप को भेजा जा रहा है। ठगों द्वारा भेजी गई एपीके फाइल को डाउनलोड करने पर, वे आपके मोबाइल को हैक कर लेते हैं। इससे ठग मोबाइल का पूरा एक्सेस पा जाते हैं और आपकी निजी जानकारियां जैसे बैंक डिटेल्स, ओटीपी आदि निजी जानकारियां आसानी से प्राप्त कर सकते हैं, सबसे पहले ठग एपीके फाइल लिंक के जरिये आपके व्हाट्सएप को हैक करते हैं। व्हाट्सएप हैक हो जाने पर, आपके द्वारा जुड़े सभी ग्रुप्स में यह फाइल भेजी जाती है, जिससे एक चेन बनती है और ज्यादा से ज्यादा लोगों के फोन को निशाना बनाया जाता है।
अगर मिले ऐसा लिंक
तो बरते सावधानी
एसपी ने लोगों से अपील की है कि यदि आपके व्हाट्सएप या किसी अंजान ग्रुप में बैंक या आधार अपडेट के नाम पर कोई एपीके फाइल आती है, तो उसे भूलकर भी डाउनलोड न करें। ऐसा करने पर साइबर ठग आपकी सारी निजी जानकारी चुरा सकते हैं।
ये रखें सावधानियां
- अपने फोन की ऑटोमैटिक डाउनलोड बंद रखें
- किसी अनजान लिंक को खोलने से बचें
- अपने व्हाट्सएप को हमेशा टू- स्टेप वेरिफिकेशन पर रखें।
- यदि गलती से डाउनलोड हो जाए, तो तुरंत साइबर हेल्पलाइन नंबर 1930 पर संपर्क करें।
क्या है डिजिटल अरेस्ट
साइबर ठगों द्वारा डिजिटल माध्यम से किसी व्यक्ति को किसी आपराधिक गतिविधि में शामिल रहने अथवा पार्सल में गलत सामान होने एवं अन्य भ्रामक जानकारी देकर गिरफ्तार करने का झूठा दावा किया जाता है। डिजिटल अरेस्ट की फर्जी घटनाओं के जरिए ठगों का मकसद लोगों के मन में अचानक डर की स्थिति उत्पन्न करना होता है। जिसके बाद पीडि़त व्यक्ति को यह यकीन दिलाया जाता है कि वह आपराधिक गतिविधियों में शामिल है और आखिरकार पिडि़त से भारी भरकम रकम की मांग कर ली जाती है। साइबर ठगों द्वारा इस पूरी प्रक्रिया को बहुत ही नियोजित तरीके से अपनाया जाता है, जिससे वारदात होने के बाद पीडि़त व्यक्ति कभी अपराध की रिपोर्ट ना कर सके। साइबर ठगों द्वारा इस दौरान पिडि़त को वीडियो कॉल या व्हाट्सअप कॉल कर कुछ खास प्रक्रिया से गुजरने के लिए बाध्य किया जाता है। साइबर ठग विडिओ कॉल के दौरान आस-पास के जगह को पुलिस स्टेशन या किसी अन्य अन्य एजेंसी के जैसा मिलता जुलता बनाकर लोगों के मन में डर पैदा किया जाता है। घटनाओं की पुष्टि के लिए कई तरह की जानकरियां भी मांगी जाती है। ऐसे फर्जी कॉल करने वाले खुद को पुलिस,नॉरकोटिक्स,साइबर सेल, इनकमटैक्स या सीबीआई अधिकारियों की तरह पेश करते हैं। वे बाकायदा किसी ऑफिस से यूनिफॉर्म में कॉल करते हैं। इसके बाद पीडि़त पर अनर्गल आरोप लगा कर कानूनी कार्रवाई करने की धमकी दी जाती है और दावा किया जाता है कि पूछताछ होने के दौरान उसे वीडियो कॉल पर ही रहना होगा और वह किसी और से बातचीत नहीं कर सकता है, जब तक कि प्रक्रिया पूर्ण ना हो जाय, इसी दौरान मामले से बचाने के ऐवज मे पिडि़त से बातचीत कर बड़ी रकम की ठगी कर ली जाती है।
घटनाओ से बचाव के उपाय - अज्ञात नंबर से आए व्हाट्सअप कॉल अथवा विडिओ कॉल को रिसिव ना करें।
- किसी भी परिस्थिति में डरे नहीं, डिजिटल अरेस्ट जैसी कोई कानूनी प्रक्रिया नहीं होती है।
- पुलिस या अन्य एजेंसी किसी भी व्यक्ति/आरोपी से व्हाट्सप्प कॉल/विडिओ कॉल के जरिये सम्पर्क कर कार्रवाई नहीं करती।