- पत्रकारों पर बेवजह एफआईआर हो रहा दर्ज…विरोध करना भी पत्रकारों के लिए इस सरकार में मुसीबत?
- क्या वर्तमान सरकार पुलिस को पत्रकारों के विरुद्ध गुंडा बनाकर पेश कर रही?
- पत्रकारों के द्वारा पुलिस एवं प्रशासन को जानकारी देने के बाद भी शांतिपूर्ण धरना आंदोलन को पुलिस ने कुचलने का प्रयास किया।
- दुर्ग पुलिस ने पत्रकारों के धरना स्थल के टेंट,बैनर,पोस्टर को हटाया ही नहीं पत्रकारों के लिए बनाये गए खाना को भी फिकवाया।
- पत्रकारों ने सड़क किनारे बैठ कर आंदोलन पूर्ण किया।
- पत्रकार राकेश तम्बोली को न्याय मिले एवं पुलिस अधीक्षक एवं थाना प्रभारी को तत्काल निलंबित करने राज्यपाल एवं मुख्यमंत्री के नाम कलेक्टर को सौपा ज्ञापन।
दुर्ग,14 नवम्बर 2024 (घटती-घटना)। पत्रकारों के लिए खबर लिखना वर्तमान सरकार में किसी मुसीबत से काम नहीं है और बेवजह खबर लिखने पर पत्रकारों पर मुकदमे दर्ज हो रहे हैं, जिसका विरोध करना भी अब पत्रकारों के लिए संवैधानिक नहीं रह गया? क्या लोकतंत्र का चौथा स्तंभ अब अपनी जिम्मेदारी कभी नहीं निभा पाएगा? यह सवाल इसलिए हो रहा है क्योंकि लोकतंत्र का चौथा स्तंभ अपनी जिम्मेदारी नहीं निभा पा रहा क्योंकि उसके बीच में कई अड़चनें हैं परेशानियां है और वह परेशानियां कोई और नहीं बेलगाम साा है वह उसके तंत्र है जो लोकतंत्र के चौथे स्तंभ को उसकी जिम्मेदारी निभाने से रोक रहे हैं, क्योंकि उनकी जिम्मेदारी निभाना ही साा के लिए घातक है ऐसा वह सोचते हैं, और इनका ऐसा सोचना के पीछे का सिर्फ कारण है इतना है कि उनकी कमियां लोकतंत्र का चौथा यानेकी पत्रकार ना दिखाएं, क्योंकि उनकी कमियां दिखेगी तो इनकी साा डगमगा जाएगी। पहले तो कमियां दिखाने पर एफआईआ होते थे अब तरह-तरह के हथकंडे अपनाए जाते है, अब तो पत्रकारों को अपने हक व आंदोलन के लिए भी अब रोका जा रहा है ऐसे में सवाल यह उठता है कि क्या वर्तमान सरकार में पत्रकारिता करना हुआ पत्रकारों के लिए मुश्किल? अपने अधिकार के लिए आंदोलन करने का भी अब अधिकार नहीं रहा? क्या सारे अधिकार साा अब लोकतंत्र के चौथे स्तंभ से छीन रही है?
पत्रकार को न्याय दिलाने आज दुर्ग में पत्रकारो ने धरना दिया मामला क्या था
पुलिस द्वारा की गई आरोग्यम हॉस्पिटल के शिकायत पर बिना जाँच किये वरिष्ठ पत्रकार पर एफआईआर का। यह इसलिए किया गया था की पांच माह पहले दुर्ग के वरिष्ठ पत्रकार द्वारा दुर्ग के सबसे बड़े आरोग्यम हॉस्पिटल में महिलाओं की निज़ता के उल्लंघन का मामला 3 जून को जिसमे एक नहीं बल्कि 2 बार दुर्ग की कलेक्टर महोदया को इस हॉस्पिटल पर कार्यवाही करने के लिए शिकायत किया गया वही इस शिकायत पर तात्कालिक नर्सिंग होम नोडल अधिकारी ने जाँच किया तो पायाकि सही हैँ यह शिकायत। लेकिन कार्यवाही इस हॉस्पिटल पर ना कर मुख्य जिला एवं स्वास्थ्य अधिकारी मनोज दानी ने उसे और भ्रष्टाचार करने पर जोर दिया। बहरहाल इस हॉस्पिटल द्वारा शिकायतकर्ता पत्रकार पर झूठे एफ आई आर करवा दिया गया। बिना जाँच इस एफ आई आर पर पूरा संयुक्त पत्रकार संगठन एक हो कर आज 11 नवम्बर को पुलिस के खिलाफ झूठी एफ आई आर रद्द करने और जिला प्रशासन को आरोग्यम हॉस्पिटल पर नियमानुसार वैधानिक कार्यवाही करने का शांतिपूर्ण ढंग से धरना के बाद कलेक्टर को ज्ञापन देने का था लेकिन जिस तरह से दुर्ग पुलिस ने पत्रकारों के साथ अत्याचार किया उसे पुलिस विभाग दागदार हो चूका है। प्रशासन को जानकारी देने के बाद भी जो हीटलर की तरह कार्यवाही किया उससे पुलिस की छवि ख़राब है गई है।
कलेक्टर को मिलकर दिया ज्ञापन
दमनकारी दोषी पुलिस अधिकारी पर कार्यवाही करने,पत्रकार पर दर्ज झूठा एफ आई आर रद्द करने और महिलाओं की इज्जत से खुलेआम खेलने वाले, महिलाओं की निजता का उल्लंघन करने वाले आरोग्यम हॉस्पिटल पर कार्यवाही करने का ज्ञापन सौंपा गया। प्रदेश से आये छ.ग. पत्रकार एकता महासंघ के वरिष्ठ पत्रकार अखिल भारतीय पत्रकार सुरक्षा समिति के प्रदेश अध्यक्ष गोविन्द शर्मा, राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष राकेश प्रताप सिँह परिहार बिलासपुर से, महफूज खान मुंबई से,जितेंद्र जयसवाल रायपुर से, रजा खान रायगढ़ से,अनंत भगत, मो निज़ाम अंसारी गोविंद शर्मा, विक्रांत मालकन बलराम पुर से राकेश जसपाल, निरंजन गुप्ता नंदिनी अहिवारा से ,दर्शन मिरि अभनपुर से, प्रेम सोनी, संगीता साहू, माही सार्वा, कृष्णा लाल रायपुर से, राकेश तम्बोली, गोपाल निर्मलकर, धर्मेंद्र गुप्ता, मनीष शर्मा,जीवनी खंडे,मोहन लाल गुप्ता, सुरेश गुप्ता,रोशन लाल सिन्हा, विजय देवांगन, सुकांता कुमार खाड़ा, शिवेंद्र शिंदे, तरुण पटेल,नीलेश साहू मिश्री लाल प्रजापति, गोवर्धन ताम्रकार,नवीन राजपूत, राजेश ताती सहित कई पत्रकार मौजूद थे।
सरकार आखिर लोकतंत्र के चौथे स्तंभ से चाहती क्या है?
सरकार लोकतंत्र के चौथे स्तंभ से आखिर चाहती क्या है यह सवाल इस समय काफी बड़ा सवाल है? वह इसलिए है क्योंकि लोकतंत्र का चौथा स्तंभ जो अपनी जिम्मेदारी को ईमानदारी के साथ नहीं निभा पा रहा, वह कई तरह से अपने जिम्मेदारियां के बीच सरकार की विघ्न बाधाओं का सामना कर रहा है, सरकार अपनी कमियों को दूर नहीं कर सकती और उनकी कमियां ना छापे इसलिए लोकतंत्र के चौथे स्तंभ की जड़े उखाड़ने का प्रयास कर रहे हैं, यह कोई एक सरकार की बात नहीं है सभी सरकारों की स्थिति यही है, पत्रकारिता करना इस समय किसी अपराध से काम नहीं होता जा रहा,बड़ी मुश्किल बढ़ गई है पत्रकारों की,पत्रकारिता की बात की जाए तो पत्रकारिता सिर्फ वही कर सकते हैं जो सरकार प्रशासन शासन व पहुंच वाले व्यक्तियों की कमियों को भी उपलçध बता के प्रकाशित करें, तब तो ठीक है, यही कमियों को कमियां ही दिखाकर प्रकाशित करना अपने ऊपर अत्याचार के लिए तैयार हो जाए। यदि पत्रकार अपने पत्रकारती के बीच साा शासन व प्रशासन सहित पहुंच वाले व्यक्तियों को कमी दिखता है तो उसे कई तरह से मुसीबत का सामना करना पड़ता है, जब वह उन मुसीबत के लिए सरकार से गुहार लगाता है अपने अधिकारों की बात करता है तो सरकार भी उसके आंदोलन को कुचलना का प्रयास करती है, जो हाल ही में देखा गया इतने बड़े मामले में खबर छपने के बाद भी सरकार ने पत्रकारों के आंदोलन को कुचलना वालों के विरुद्ध कोई एक्शन नहीं लिया ऐसा लगा कि सरकार की ही मंशा यही थी?
यह है पूरा मामला
छाीसगढ़ का सबसे खूबसूरत शहर दुर्ग पुलिस की कायराना हरकत से पुरे छाीसगढ़ में निंदा का कारण बन रहा है, पुलिस और प्रशासन को सुचना देने के बाद भी पत्रकारों के शांति पूर्ण आंदोलन को कुचलने का प्रयास पुलिस के द्वारा किया पत्रकारों के धरना स्थल में लगे टेंट, बैनर पोस्टर ही नहीं उखाड़ा गया,पत्रकारों के लिए बन रहे भोजन को पुलिस ने फेकने का काम भी किया ये सब सिटी कोतवाली थाना प्रभारी के द्वारा बल के साथ कराया गया पत्रकारों के पूछने पर ऊपर से आदेश है किसका आदेश हुआ ये पत्रकारों को नहीं बताया गया लेकिन पत्रकारों के धरना को कुचलने का पूरा प्रयास किया,पत्रकारों ने जमीन में बैठ कर अपने आंदोलन को पूर्ण करते हुए, दुर्ग कलेक्टर को पत्रकार राकेश तम्बोली को न्याय और पुलिस की इस कायराना हरकत के लिए माननीय राज्य पाल एवं मुख्यमंत्री छाीसगढ़ के नाम ज्ञापन दिया जिसमें दुर्ग पुलिस अधीक्षक और संबधित थाना प्रभारी को तत्काल निलंबित करने की मांग की। पर अभी तक इस पर कोई कार्यवाही नहीं हुई ऐसा लग रहा की जिसे गुहार लगा रहे है वही इसके जिम्मेदार है?