धरम -करम के महीना कारतिक , दान पुन, लोक -आस्था मानव मनौती की इही बेरा आये। देवारी तिहार, भगवान बिसनु ह नींद ले जागी के दिन जेठानी एकादशी अउ कारतिक पुन्नी मेला मड़ई के इही महीना हे। इहि बेरा म पुन्नी
मेला होथे, नांदगांव सिवनाथ नदीया तीर म मोहारा मेला जेला छत्तीसगढ़ जात्रा मेला के नाम से जाने जाथे। ये बछर मड़ई के सुरुआत 14 तारीख ले हो जहि, अड़ोस पड़ोस गांव के मन, अपन पहुना मन कर नेवता पठो डरे हे….जात्रा मेला के सांझकुन के नाचा पोरोगराम के…. त आवव ये सो के हमर गांव तीर के मेला देखे बर मोहरा मेला संगे संग गांव के बावा देवता अउ हनुमान भगवान के दरसन परसन घलो कर लुहू।0*2
वेद पुराण में कहीथे कारतिक महीना भर दाई लक्ष्मी ह धरती म वास करते अउ अपन भगत मन के थैली ल धन-धान्य ले भर
देथें, तुलसी दाई के पूजा करत, मान पठोवत ओखर शालिग्राम संग बर बिहाव रचथें, इही दिन ले हमर छत्तीसगढ़ में बर बिहाव के शुरुआत होथें।
सरद पुन्नी के बिहान दिन ले कारतिक नहाये ल जाथे तेहा कारतिक पुननी के आत ले गंगा स्नान करथें, अब तो बिहानिया ले उठके पुन्नी नहवईया नोहर सोहर के होगें हे। देखनी कस होगे हे तरिया नदिया म डोंगा ढीलईया।
कारतिक पुन्नी म ठउर ठउर म पुन्नी मेला होथे उही बेरा म हमर छत्तीसगढ़ में रईपुर के बबा हटकेश्वर नाथ की दुआरी खारून नदी के तीर महादेव घाट म पुन्नी मेला होथे।
बिहानिया नहा धोके देवता धामी शिव शंकर मनाथे, दान पून करतथे, जेकर ले जतका पुरते तत का चउर दार के घलो दान करथे।
संझा बेरा घर मुहाटी ल सुग्गर चउर पिसान चउक पूर थे, एक ठीक बांस के खंभा गड़ा के दिया ठउर बनाके झंडा सही रस्सी बांध के दिया ल फुलगी म रख के उपर खिचथे, धरती अगास ल अंजोर करैया ल आगस दिया कहीथे,कतको मनखे होहि जैन आगस दिया ल जानत घलो नही होहि, आगस दिया नंदागे गे हे आववो ये दारी हम्बु मन आगस दिया बार न अउ अपन मन करम ले धरती आगस ल अंजोर कर न..
उत्कर्ष कुमार सोनबोइर
राजीव नगर खुर्सीपार भिलाई
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