@लेख@ इतना भी अच्छा नहीं

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बहुत ज्यादा अच्छा होना भी अच्छा नहीं
इससे लोग शराफत का नाजायज फायदा उठाते हैं।
बहुत क्रोध करना भी कोई अच्छी बात नहीं
इससे बदनामी और ब्लड प्रेशर दोनों बढ़ते हैं।
किसी चीज का ज्यादा लालच करना भी अच्छी बात नहीं
इससे आदमी का नैतिक पतन होने की बहुत संभावना है!
हर काम में बहुत ज्यादा जल्दबाजी करना अच्छा नहीं
धीरे-धीरे रे मना धीरे-धीरे सब कुछ होए, ज्यादा ठीक है।
किसी के साथ एक हद से ज्यादा लगाओ भी अच्छा नहीं
इससे आदमी बहुत बार ठीक निर्णय लेने में चूक जाता है।
आमदनी के मुकाबले में ज्यादा खर्च करना भी अच्छी बात नहीं
इससे आदतें बिगड़ती हैं और कर्ज का बोझ चढ़ जाता है।
आचार व्यवहार में संस्कारों की अवहेलना भी अच्छी बात नहीं
इससे मर्यादा और छवि के ऊपर बहुत बुरा प्रभाव पड़ता है।
आदमी को एक सीमा से ज्यादा बोलते रहना भी अच्छा नहीं
इससे सुनने वाले ऊबते ही नहीं, अपनी भी पोल खुलती है।
जहां तक हो सके अपनी कमजोरी और दूसरों की खूबियां
बताने की ही कोशिश करनी चाहिए, अच्छे आचरण का प्रतीक है।
किसी आदमी की खूबी उचित समय पर उचित बोलने और उचित
समय पर चुप रहने में है, इससे उसकी समझदारी झलकती है।
किसी बात का ज्ञान होने के बावजूद भी सीमित बोलना चाहिए
जिस बात का पता ना हो उसके बारे में बात करना मूर्खता होती है।
प्रोफेसर शाम लाल कौशल
रोहतक ( हरियाणा)


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