- रायपुर में महिला पत्रकार एवं साथियों संग अवैध लोहा कारोबारी द्वारा मारपीट का मामला,क्या यही है प्रदेश के बेहतर कानून व्यवस्था का उदाहरण?
- 16 तारीख को दिए गए उरला थाना में आवेदन की पावती 21 तारीख को दी गई, केवल जांच पर ही अटका हुआ पूरा मामला, हाथ जोड़कर प्रणाम किया तो वहीं अपना जनसंपर्क भी जारी रखा


-विशेष संवाददाता-
रायपुर,09 नवम्बर 2024 (घटती-घटना)। देश व प्रदेश में लोकतंत्र के चौथे स्तंभ की नींव डगमगा गईं है,यह एक ऐसा लोकतंत्र का खंभा है जिसे कई समस्याओं को पार करके देश व प्रदेश के लिए सोचना पड़ता है, वह अपनी जिम्मेदारियों को निभाना पड़ता है इनकी जिम्मेदारी से ही देश विदेश का संतुलन थोड़ा बहुत बना हुआ है, पर समस्या यह है कि इस लोकतंत्र के चौथे स्तंभ का संतुलन बिगड़ता जा रह है उसकी वजह कोई और नहीं है प्रजातंत्र के द्वारा चुने हुए जब जनप्रतिनिधि हैं जो इस लोकतंत्र के चौथे स्तंभ की बदोलत आते है और आने के बाद इसे लोकतंत्र के चौथे स्तंभ की जड़ें हिलाते है,क्योंकि वह भी जानते हैं कि इन्हें सुरक्षित व संरक्षित करेंगे भले ही देश प्रदेश की स्थिति बदल जाएगी पर उनकी स्थिति खराब हो जाएगी,क्या यही सोच लोकतंत्र के चौथे स्तंभ के लिए नासूर बन गए है? मानते हैं कि लोकतंत्र के चौथे स्तंभ भी अपनी जिम्मेदारी को सही तरीके से सच के साथ निभाने में कोशिश नहीं करता है, वैसी भी अपने स्वार्थ पेट को ध्यान देता है जिस वजह से वह भी उस मजबूती के साथ अपनी जिम्मेदारी नहीं निभा सकता जैसी जिम्मेदारी निभाने चाहिए,क्योंकि सुरक्षा ही उसके पास नहीं है और वेतन भी उसके पास नहीं है, फिर वह किसके दम पर देश की भविष्य को बनाने के लिए मजबूती से खडें रहे? यह बात इसलिए आज हो रही है क्योंकि पत्रकारों पर हो रहे अत्याचार किसी से छुपे नहीं और इनका कोई संगठन सरकार को झुका पाने में असमर्थ हैं, क्योंकि कुछ दिनों का आंदोलन से सरकारों को भी फर्क नहीं पड़ता वह तो यही सोचते हैं कि अभी हमारा 5 साल है, वही मीडिया का कॉर्पोरेट घराना भी सरकार को सपोर्ट करता है, वास्तविक पत्रकारिता करने वाले असुरक्षित है और वह असुरक्षा के बीच कितना ईमानदारी से काम करेंगे? पत्रकारों से कभी नेता को दिक्कत, तो कभी प्रशासन को दिक्कत, तो कभी अवैध कारोबारी को दिक्कत, तो कई बार तो राजनीति से संरक्षण पाने वाले छोटे भैया नेताओं से दिक्कत, सारे दिकत के बीच कोई पीस रहा है तो लोकतंत्र के चौथे स्तंभ की जिम्मेदारी निभाने वाला,पर इसके लिए किसी भी सरकार के पास कोई भी अध्यादेश नहीं है? जो लोकतंत्र के चौथे स्तंभ की समस्या को समझ सके उसकी कठिनाइयों को दूर कर सके और उन्हें सुरक्षा दे सके। पत्रकारों की प्रताड़ना तो प्रदेश की राजनीति को चार चांद लग रही है।
कुछ दिन पूर्व बिना शिकायत लिए जाँच का हवाला देकर थाने से महिला पत्रकार को बैरन वापस भेजने वाले उरला थाना प्रभारी बीएल चंद्राकर की शिकायत सीएसपी खमतराई से की गई आरोप में बताया गया कि थाना प्रभारी की जांच कछुआ चाल से सबूत/साक्ष्य मिटाने का भरपूर मौका अवैध कबाड़ी संचालक को पुलिस प्रशाशन ही दे रही है। सारे साक्ष्य व सबूत नगर पुलिस अधीक्षक खमतराई प्रशिक्षु आईपीएस अमन कुमार झा को दिखाकर शिकायत की गई, तब जाकर घटना 16 अक्टूबर के आवेदन पर 21 अक्टूबर को रिसीविंग उरला थाना प्रभारी ने दी, सीएसपी खमतराई ने मामले को संज्ञान लेते हुए तत्काल जांच कर कार्यवाही की बात कही पर आज दिनांक तक कोई कार्यवाही नहीं हुई, इस विलंभ कार्यवाही से क्षुध पीडि़ता ने महिला आयोग का दरवाज़ा खटखटाया जिसमें साफ़ उल्लेख किया गया है कि थाना प्रभारी उरला के साथ-साथ नगर पुलिस अधीक्षक खमतराई द्वारा भी कार्यवाही में देरी की जा रही है अतः उनके विरुद्ध भी कड़ी कार्यवाही की जाए।
क्या अपराधियों का गढ़ बन गया छत्तीसगढ़?
छाीसगढ़ की पुलिस प्रशाशन अब लगातार विवादों में घिरते जा रही है, क्योंकि छाीसगढ़ में जिस कदर अपराधियों के हौसले बुलंद होते जा रहे हैं, आए दिन हत्या, मारपीट, चाकूबाजी तथा अन्य अपराध इसका जीता जागता उदाहरण सूरजपुर में एक पुलिस वाले की पत्नी व मासूम बच्ची की हत्या कर उनके शव को 5 किलोमीटर दूर फेक दिया गया था? सूरजपुर में ही पुलिस पर अपराधी द्वारा गरम खौलता हुआ तेल उंडेल दिया गया? बलौदाबाजार में कलेटर कार्यालय व पुलिस अधीक्षक कार्यालय को आग के हवाले कर दिया गया? कबीरधाम में थाने में युवक मौत से गरमाया विवाद ने कई लोगों की जान ले ली? आपराधिओं के लगातार धमकाने से न्यायधानी बिलासपुर की एक महिला ने आत्महत्या कर लिया? कैसे बलरामपुर के थाने में एक युवक की पुलिस अभिरक्षा में मौत हो गई तत्पश्चात गुस्साई भीड़ ने अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक को चप्पल से पीटा गया,थाने में तोड़-फोड़ की गई? आखç¸र किस बात से नाराज एक विशेष समुदाय के लोगों ने मुख्यमंत्री के गृह निवास पर प्रदर्शन किया जिसके बाद उस क्षेत्र में धारा 144 लागू करना पड़ा? जशपुर जिले में ही एक महिला को गोली मारकर हत्या कर दी गई? आखç¸र कैसे बेख़ौफ़ अपराधियों ने छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर के हृदय स्थल सेंट्रल जेल के ठीक सामने गोली चला दी? एक कबाड़ी द्वारा महिला तथा साथी पत्रकारों के साथ मारपीट की घटना पर थाने में एफआईआर तक दर्ज नहीं की जाती है और उल्टा थाना प्रभारी द्वारा पत्रकारों को पैसे लेकर सेटलमेंट कर लो नही तो जान से जाओगे कहकर डराया धमकाया जाता है, जब छाीसगढ़ में पुलिस प्रशासन और पत्रकार ही सुरक्षित नही हैं फिर सोचिए आम आदमी की क्या स्तिथि होती होगी? कबाडि़यों को इस तरह से पुलिस का संरक्षण मिलना और महिला संबंधीत अपराध पर स्नढ्ढक्र दर्ज नहीं करना यह सब बेहद गंभीर मामला है।
क्या यहाँ पत्रकारिता करना व जंग लड़ने के बराबर?
प्रेस एंड मीडिया वेलफ़ेयर एसोसियेशन के कार्यकारी प्रदेश अध्यक्ष जितेन्द्र जायसवाल ने बताया कि बस्तर से लेकर सरगुजा तक आए दिन पत्रकारों के विरुद्ध षड्यंत्र करते हुए पुलिसिया कार्यवाही हो रही है। यहाँ तक छाीसगढ़ की राजधानी रायपुर भी उस कहर का शिकार हो रही है, कभी पत्रकारों के गाड़ी में गांजा रखकर फसाया जा रहा है, कभी थाने में पीटा जा रहा है तो कभी अखबार के दफ्तर में बुलडोजर ही चला दिया जा रहा है। सरकार चाहे किसी की हो जिस तरह छाीसगढ़ प्रदेश में पत्रकारों पर अत्याचार हो रहा है मानो इस प्रदेश में पत्रकार घर से पत्रकारिता करने नहीं बल्कि जंग लड़ने जा रहा हो।
यह है मामला
ऐसी ही एक वारदात एक महिला पत्रकार और उसके साथी पत्रकारों के साथ 16.10.2024 को हुई जहां महिला पत्रकार अपने साथी पत्रकारों के साथ एक लोहे का अवैध कारोबार करने वाले लल्ली सिंह (सरदार) ने अंजाम दिया और पुलिस प्रशासन से ही उसको संरक्षण तक दिया जा रहा है। बता दें कि सरकारी लोहे की बड़ी मात्रा में अवैध कारोबार मिलने की जानकारी पर महिला पत्रकार और उनके साथियों द्वारा टाटीबंध से बिलासपुर बॉयपास रोड के पेट्रोल पंप से लगे एक सरदार लल्ली सिंह का यार्ड है जहां भारी मात्रा में सरकारी लोहे का अवैध कारोबार संचालन किया जाता है, इसी की न्यूज कवरेज करने पहुंचे महिला पत्रकार और साथियों संग अभद्र व्यवहार और डंडे से मारपीट की गई जिसमें 2 पत्रकारों का रायपुर एम्स हॉस्पिटल में मुलायजा भी करवाया गया लेकिन अब तक इस मामले पर कोई भी कार्यवाही नही की गई है जबकि अवैध लोहे का भारी मात्रा में कारोबार का पूरा सबूत उरला थाना प्रभारी को दिए जाने के बावजूद कार्यवाही नहीं की गई।
किसके संज्ञान में है यह मामला?
इस मामले की जानकारी पुलिस अधीक्षक रायपुर व पुलिस महानिरीक्षक रायपुर के संज्ञान में देने के पश्चात छाीसगढ़ प्रदेश के गृहमंत्री,मुख्यमंत्री तक पहुचाया जा चुका है, बावजूद उसके दोषियों के खिलाफ कार्यवाही किसके आदेश पर रुका हुआ है यह भी जाँच के दायरे में आता है। हालांकि इस मामले पर कथन के लिए एडिशनल एसपी लखन पटले ने आज महिला पत्रकार और उसके साथियों संग सिविल लाईन थाना बुलाया गया और कथन लिया गया है। वहीं अब ये मामला महिला आयोग के संज्ञान में भी आ चुका है। गौरतलब देखना बाकि है कि अब पुलिस प्रशासन का इस मामले पर क्या कार्यवाही की जाएगी?
प्रदेश में बड़े आंदोलन की फिर सुगबुगाहट
जिस तरह समूचे प्रदेश में पत्रकारों की सुरक्षा पर सवालिया निशान लग रहा है उसको मद्देनजर रखते हुए कई संगठन के पदाधिकारियों ने खुले मंच से सरकार को चेतावनी दी है और आंदोलन का ऐलान भी किया है।