@कविता @ चाइना बर मोह

Share

चाइना के हमर देश मा भरमार होगे।
चार दिन के चंदैनी ले प्यार होगे।।
मैं जनम-जनम के साथ देवइया।
आज मोर बर अलग विचार होगे।।
देख दशा जीव कलपत हावय।
मिहनत छोड़ मनखे सुखियार होगे।।
का मोहनी डारिस ये चाइना?
झट ले सब येकर शिकार होगे।।
दुनिया भर मा उजास करइया।
मोर जिनगी कतका अंधियार होगे।
दीया जस संग देवइया कोनो नहीं।
मोर बिन आज कइसे तुँहर तिहार होगे?
प्रिया देवांगन प्रियु
राजिम,गरियाबंद,छत्तीसगढ़


Share

Check Also

@लेख@ किसी भी काम हेतु हकीकत जानना जरुरी है

Share आदमी की जरुरत है रोटी कपड़ा और मकान और इसलिए ही आदमी जहाँ इंडस्ट्री …

Leave a Reply