कोरिया@क्या कोरिया में महज शासकीय आयोजन बनकर रह गया राज्योत्सव?

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-रवि सिंह-
कोरिया 06 नवम्बर 2024(घटती-घटना)
। राज्योत्सव 2025 इस बार कोरिया में काफी फीका दिखलाई दिया,राज्य स्थापना के अवसर पर प्रति वर्ष आयोजित होने वाले राज्योत्सव को इस बार दीपावली पर्व के कारण 4 दिन बाद मनाने का फैसला राज्य सरकार ने लिया था,कोरिया में यह आयोजन तो हुआ लेकिन अब उसकी सराहना से ज्यादा किरकिरी हो रही है, आयोजन सिर्फ औपचारिकता और शासकीय आयोजन बनकर रह गया इस बात की चर्चा आम नागरिक समेत अधिकारी कर्मचारी भी स्वयं कर रहे हैं। आयोजन में आम नागरिकों की नगण्य उपस्थिति चर्चा का विषय रही तो वहीं दूसरी ओर सवाल खड़ा उठता है कि क्या प्रषासन उपस्थिति को लेकर अपनी कमी पहचान पाएगा। आयोजन में कमियों की भरमार रही, वैसे भी इस प्रकार के आयोजन का उद्देश्य महज मुख्य अतिथि बुलाकर फीता कटवाने तक सीमित नही है शासन की स्पष्ट मंशा है कि राज्य एवं केन्द्र सरकार द्वारा चलाई जा रही योजनाओं की जानकारी आम जन तक पहुंचे वे उनका लाभ ले सकें लेकिन जब इस आयोजन में आम जन ही नहीं पहुचे तो फिर आयोजन की सार्थकता एवं सफलता पर सवाल उठना लाजमी है।
कोरिया के भाजपा जिलाध्यक्ष कभी भी प्रशासनिक प्रोटोकॉल का पालन नहीं कर पाते हैं,अक्सर वह अपने जिलाध्यक्ष होने का धौस दिखाकर प्रशासनिक कार्यक्रम के प्रोटोकॉल का उल्लंघन करते ही नजर आते हैं,भाजपा के जिलाध्यक्ष होना पार्टी के लिए बड़ी बात हो सकती है पर शासकीय व प्रशासनिक कार्यक्रमों के प्रोटोकॉल में जिलाध्यक्ष उतना बड़ा पद नहीं होता, यह बात शायद जिलाध्यक्ष भी जानते हैं फिर भी वह प्रोटोकॉल का उल्लंघन करना उनकी आदतों में शुमार हो चुका है, यह हम नहीं उन्ही के पार्टी के पदाधिकारियों का कहना है, एक बार फिर उन्होंने राज्योंत्सव में प्रशासनिक प्रोटोकॉल का उल्लंघन करते हुए अतिथि दीर्घा में बैठने व अपने साा पक्ष जिलाध्यक्ष होने की दादागिरी दिखाइए ही कहा जा सकता है, वैसे प्रोटोकॉल का पालन तो भाजपा के जिला उपाध्यक्ष व पूर्व नगर पालिका अध्यक्ष शैलेश शिवहरे ने भी नहीं किया वह भी अपनी पत्नी के नगर पालिका अध्यक्ष होने के नाते वह भी मंच पर आसींद दिखे, यह सब देखकर भाजपा के कई पार्टी के पदाधिकारी में रोष रहा, ऐसे में तो भाजीयुमो के जिलाध्यक्ष को भी बैठना था, मंडलध्यक्ष को भी बैठना था, ऐसे तमाम पदाधिकारी को बैठना था जो पार्टी का झंडा लेकर वह पार्टी के लिए कार्य करते हैं, फिर पार्टी व शासन प्रशासन के बीच का अंतर क्या है? यह अब समझने की जरूरत भी नहीं है और समझने की भी जरूरत नहीं है। यह तो वही कहावत चरितार्थ हो गई जिसकी लाठी उसकी भैंस, जिसकी सरकार उसकी पार्टी के पदाधिकारी के मनमानी यही कहा जा सकता है। ऐसा नहीं है कि सिर्फ कोरिया जिले में ही यह प्रथा दिखाई दी, नवीन जिला एमसीबी में भी यही प्रथम देखी।
प्रोटोकॉल से हटकर बुलाए गए भाजपा जिलाध्यक्ष इसके बाद भी तिलमिलाए…
राज्योत्सव का यह आयोजन शासकीय रहा जिसमें सत्ताधारी दल का जिलाध्यक्ष होने के नाते भाजपा कोरिया के जिलाध्यक्ष कृष्णबिहारी जायसवाल को भी आमंत्रित कर बकायदे मंच पर बैठाया गया था। प्रोटोकॉल के मुताबिक सर्वप्रथम स्वागत उद्बोधन कलेक्टर कोरिया ने दिया जिसके बाद बैकुंठपुर नपा अध्यक्ष नविता शिवहरे,शिवपुर चरचा नपा अध्यक्ष अरूण जायसवाल एवं जनपद अध्यक्ष बैकुंठपुर सौभाग्यवती सिंह ने उद्बोधन दिया। उद्घोषक ने इसके बाद प्रोटोकॉल का पालन करते हुए मुख्य अतिथि श्रीमती रेणुका सिंह को उद्बोधन हेतु आमंत्रित किया किंतु मुख्य अतिथि ने ही जिलाध्यक्ष को उद्बोधन हेतु कहा जिसके बाद उद्घोषक ने मुख्य अतिथि की मंषानुरूप भाजपा जिलाध्यक्ष कृष्णबिहारी जायसवाल को उद्बोधन हेतु आमंत्रित किया। लेकिन देखने में मिला कि इससे जिलाध्यक्ष काफी नाराज हुए और मंच से ही उद्घोषक पर उखड़ने लगे। उन्होने उद्घोषक से कहा कि कुछ ज्यादा ही हड़बड़ी में रहते हो। इसके बाद उन्होने अपना उद्बोधन दिया। प्रोटोकॉल के विपरीत शासकीय आयोजन में जिलाध्यक्ष को बोलने का मौका सिर्फ मुख्य अतिथि की मंषानुरूप दिया गया था, लेकिन इसके बाद भी उनका गुर्राना इस बात का संकेत था कि उन पर सत्ता का नषा अभी भी सर चढकर बोल रहा है जबकि उनके कार्यकाल का यह अंतिम समय चल रहा है। पार्टी पदाधिकारियों की माने तो उक्त आयोजन को लेकर पार्टी की तरफ से भी कोई संदेश नही दिया गया था। एकला चलने पर विष्वास रखने वाले जिलाध्यक्ष के साथ भी गिनती के कार्यकर्ता मौजूद थे,मंडल से लेकर जिला पदाधिकारी भी नदारद रहे। छोटी सी बात पर जबरन उखड़ते देखे गए जिलाध्यक्ष ने खुद के उद्बोधन को तो परवाह किया लेकिन भीड़ को लेकर या खुद पार्टी पदाधिकारी एवं कार्यकर्ताओं को भी बुलाना उन्होने जरूरी नही समझा।
पूरा खाली रहा मिनी स्टेडियम
कोरिया जिले में एक दिवसीय राज्योत्सव का आयोजन मिनी स्टेडियम में 5 नवंबर को किया गया जिसमें बतौर मुख्य अतिथि पूर्व केन्द्रीय मंत्री एवं भरतपुर सोनहत विधायक रेणुका सिंह शामिल हुईं। अन्य विषिष्ट अतिथियों में जनपद अध्यक्ष सौभाग्यवती सिंह, नगरपालिका अध्यक्ष श्रीमती नविता शिवहरे एवं अरूण जायसवाल उपस्थित थे। वैसे तो आयोजन शुभारंभ अपने निर्धारित समय से एक घंटे विलंब से हुआ इसके पीछे यही कारण सामने आया कि मिनी स्टेडियम में कम भीड़ होने के कारण मुख्य अतिथि को रोक कर रखा गया था। बतलाया जाता है कि मिनी स्टेडयम में शासकीय अधिकारी कर्मचारियों के अलावा कुछ स्कूलों के स्टाफ एवं स्कूली बच्चे सहभागी रहे। पूरा मैदान खाली पड़ा रहा,मंच के ठीक सामने लगाई गईं कुर्सियां भी नही भर पाई थीं जिसके कारण आयोजन पूरी तरह से फीका साबित हुआ।
क्या आयोजन विफल?
आम जनों के लिए हुए इस आयोजन मे पहली बार देखने को मिला कि इसमें काफी कम भीड़ उपस्थित थी। आयोजन की विफलता पर सवाल उठना साधारण बात है लेकिन उसके पीछे कहां कमी रह गई क्या इस बारे में जिला प्रशासन उस कमी को पहचान कर पाएगा। सिर्फ टेंट,फ्लैक्स एवं अन्य तैयारी कर कोई भी आयोजन सफल नही हो सकता जब तक उसमें आम जनमानस की सहभागिता नही दिखलाई पड़ती। इसके पहले भी कई तरह के शासकीय आयोजन हुए उसमें काफी भीड़ दिखलाई देती थी लेकिन आखिर इस राजकीय त्यौहार में कहां चुक हो गई या फिर जानबूझकर ऐसा किया गया इसकी पड़ताल जरूरी है। सवाल यह भी उठता है कि कोरिया में कलेक्टर श्रीमती चंदन त्रिपाठी का कार्यकाल अभी काफी कम समय का है उन्हे यहां की फिजा की ठोस जानकारी अभी अच्छे से नही है लेकिन पूर्व से पदस्थ अधिकारी जिनके कार्यकाल मंे कई आयोजन हो चुके हैं उनके द्वारा क्या कलेक्टर को सहयोग नही किया जा रहा है। सूत्रों का कहना है कि जिले में अधिकारियों का एक अलग गुट भी तैयार है जो कि अपने तरह से प्रषासन को चलाना चाहता है और इसी का नतीजा है कि इस कार्यक्रम में ऐसे अधिकारियो ने सिर्फ अपनी उपस्थिति दर्ज कराई है। यदि सामूहिक प्रयास किया जाता तो आयोजन निष्चित सफल होता। बतलाया जाता है कि आयोजन के लिए स्कूली बच्चों को दोपहर से बुला लिया गया था बच्चे दोपहर से लेकर रात तक वहां समय व्यतीत करते देखे गए। अपने अपने विभागीय स्टाल के सामने शासकीय अधिकारी कर्मचारी ड्यूटी निभाकर औपचारिकता करते देखे गए।
पुलिस के प्रयोग का भी पड़ा असर
आयोजन के पूर्व कोरिया पुलिस द्वारा शहर में रूट डायवर्ट करने का प्रयोग भी इस आयोजन की विफलता का एक बड़ा कारण माना जा रहा है। मिनी स्टेडियम के ठीक सामने वाली सड़क को पूरी तरह से ब्लॉक कर दिया गया था,वाहनों की पार्किंग भी दूर दूर दे गई थी, जिससे की लोग आयोजन स्थल नही पहुंच सके।
अपर कलेक्टर अंकिता को दी गई थी तैयारी की जिम्मेदारी
राज्योत्सव आयोजन को लेकर सूत्रो का कहना है कि इसकी जिम्मेदारी अपर कलेक्टर अंकिता सोम को दी गई थी,उनके द्वारा टेंट,पंडाल,स्टाल पर ही फोकस किया गया,आम जन कैसे इसमें भागीदार होगे इस पर विचार नही किया गया। तैयारी की जिम्मेदारी तो अंकिता सोम को दी गई थी लेकिन देखने मे मिला कि सत्ता पक्ष से जुड़ी अनेक महिला कार्यकर्ताओं को बैठने तक के लिए नही पूछा गया। कुर्सियों में राजस्व विभाग के अधिकारी कर्मचारी कब्जा कर बैठे रहे,महिला कार्यकर्ताओं के आने पर उन्हे बैठाने तक का किसी ने नही सोचा। अनेक जनप्रतिनिधी सम्मान के अभाव में उक्त आयोजन से दूर रहे। बैकुंठपुर नगरपालिका क्षेत्र के कई पार्षद भी उक्त आयोजन से अंजान रहे तो वहीं जिला पंचायत सदस्य,जनपद सदस्यों ने भी खुद को दूर रखा था जिससे स्पष्ट है कि यह प्रशासनिक चूक है।


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