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कविता @भोले से मनुहार

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मन की मनुहार है,
भोले से प्यार है,
सरगम की धुन में ही,
जीवन का सार है।
मन की मनुहार …
कल्पना के सागर में,
भोले उतराए हैं,
दिल की धड़कनों में,
बस भोले समाए हैं ।
मन की मनुहार …
भोले के आने की,
आहट हुई है,
मन में भी थोड़ी,
अकुलाहट हुई है।
मन की मनुहार …
लगन लगी भोले से,
मन भर की देखो,
बदली है रुत अब,
भोले को देखो।
मन की मनुहार …
दुनिया करें चाहें,
कैसी भी बातें,
हमको तो बस,
भोले ही हैं भाते।
मन की मनुहार …
कार्तिकेय कुमार त्रिपाठी
इन्दौर,मध्यप्रदेश


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