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बिलासपुर@ हाईकोर्ट ने कहा…खुद की छवि बचाने के लिए पीçड़ड़ता ने दर्ज कराई झूठी दुष्कर्म की रिपोर्ट

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बिलासपुर,02 नवम्बर 2024 (ए)। छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने एक मामले में दोनों पक्षों को सुनने के बाद फैसला सुनाया है। मामला दुष्कर्म के आरोपी के सजा के खिलाफ अपील का था। इसमें कोर्ट ने फैसला सुनाया कि पीçड़ता ने अपनी छवि बचाने के लिए प्रेमी के साथ आपत्तिजनक हालत में पाए जाने के कुछ दिनों बाद दुष्कर्म की रिपोर्ट दर्ज कराई थी। रिपोर्ट के बाद जांच में मोबाइल कॉल रिकॉर्ड से पीçड़ता के आरोपी के साथ संबंध होने का पता चला। इस पर कोर्ट ने पीçड़ता की अपील को खारिज कर दिया है।
मामला गरियाबंद जिला क्षेत्र का है। जहां पर रहने वाली महिला ने शिक्षक के खिलाफ 18 मार्च को रिपोर्ट लिखाई कि वह 16 मार्च 2012 की दोपहर 2 बजकर 30 बजे घर में अकेली थी। उसी समय आरोपी हस्ताक्षर लेने के बहाने घर में आया और हाथ पकड़कर कमरे के अंदर ले गया व जबरदस्ती शारीरिक संबंध बनाया। हल्ला सुनकर उसकी भाभी आयी तो आरोपी उसे धक्का देकर जान से मारने की धमकी देकर भाग गया। पुलिस ने आरोपी के खिलाफ धारा 376(1) 450 व 506(2) के तहत जुर्म दर्ज कर न्यायालय में चालान पेश की। सत्र न्यायालय से दोष मुक्त किए जाने के खिलाफ महिला ने हाईकोर्ट में अपील पेश की थी। हाईकोर्ट ने सुनवाई के दौरान अपने आदेश में कहा पीçड़ता ने अपनी छवि बचाने के लिए आरोपी पर झूठा मामला दर्ज कराया है।
कॉल रिकॉर्ड से सामने आयी सच्चाई
हाईकोर्ट ने कहा कि कोर्ट में प्रस्तुत किए गए मोबाइल कॉल रिकॉर्ड में अभियुक्त 7 जनवरी 2011 से मार्च 2012 तक पीçड़ता मोबाइल से बात करती थी। अभियुक्त बार-बार उसके घर आता है। इसका खंडन नहीं किया गया है। हालांकि कानून यह अच्छी तरह से स्थापित है कि बलात्कार के मामले में सजा हो सकती है पीçड़ता की एकमात्र गवाही के आधार पर भी कायम रखा जा सकता है सबूत आत्मविश्वास को प्रेरित करते है लेकिन वर्तमान में पीçड़ता का आत्मविश्वास को प्रेरित नहीं करती क्योंकि उसके आचरण से ही पता चलता है कि वह आत्मविश्वासी थी। एक सहमति देने वाली पार्टी है और इसमें बड़े विरोधाभास और चूक हैं। उनका बयान इससे मेल नहीं खाता अन्य गवाहों और साक्ष्यों पर ट्रायल कोर्ट में चर्चा हुई है। पीçड़ता के कॉल रिकॉर्ड से उसके आचरण का पता चला। कोर्ट ने माना कि उसकी सहमति से आरोपी घर आया और इससे महिला का आचरण भी समझ आया और पीçड़ता की बताई बातें सही साबित नहीं हुई। ऐसे में आरोपी को दोषमुक्त किया गया।


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