लेख@ बेरोजगारी का अस्पताल

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भले ही आप शरीर से हट्टे-कट्टे, लम्बें – चौड़े, सुन्दर व उर्जावान रहो। पर आप अपने आप को तब तक पूरी तरह से स्वस्थ महसूस नहीं करेंगे जब तक आपके पास रोजगार का कोई जरिया न हो। यदि आपके पास कोई रोजगार नहीं होगा तो आज के इस जमाने में आपको लोग ताने मार – मारकर ही बीमार कर डालेंगे। इस बीमारी का रोगी भी आप हैं और डॉक्टर भी आप ही हैं। क्योंकि इस रोग का इलाज आपको ही ढुंढना पड़ेगा आपको इस बीमारी का इलाज बतानेवाला कोई भी नहीं मिलेगा। यदि किसी को भी बेरोजगारी के इस रोग का दवाई मिल भी जाता है, तो पर भी वह आपको नहीं बतायेगा। क्योंकि इस दुनिया में बेरोजगारी के रोग से हर कोई ग्रसित है, वह सबसे पहले रोजगार नामक गोली को खाकर खुद का इलाज पहले करेगा। वैसे भी ये रोजगार नामक गोली किसी बंद पुडç¸या या थोक में नहीं मिलती है जिसमें से कुछ गोली खाकर आपको बाकी के बचे गोली को दिया जा सके।
बेरोजगारी एक ऐसी बीमारी है जिसका कभी भी शत् प्रतिशत इलाज संभव नहीं है। यहाँ तक की जिस व्यक्ति का उपचार हो जाता है। जिसको भी बेऱोजगारी से राहत मिल जाती है, वह उतना ही ज्यादा और बीमार पड़ जाता है। क्योंकि जिसको भी बेरोजगारी के बीमारी से निजात मिलती है। वो कभी भी संतुष्ट नहीं रहता है, उसका भूख समय के साथ अचानक से बड़ जाता है। उसको रोजगार नामक गोली का स्वाद कड़वा लगता है। इसलिए वो मिठास बढ़ाने के लिए रोजगार के गोली के बजाय रोजगार का टॉनिक पीने की इच्छा रखता है। जिसके लिए वह तरक्की करके ऊँचा पद प्राप्त करना चाहता है। इस बेरोजगारी के रोग से ग्रसित व्यक्ति अपने इलाज के पहले ही ये सोचकर रखता है। कि यदि मुझे पहली बार में रोजगार की गोली खाने के लिए मिलेगा तो मैं रोजगार का टॉनिक पीऊंगा और यदि मुझे रोजगार का टॉनिक मिलता है तो मैं रोजगार का इंजेक्शन लगवाऊंगा। इस तरह बेरोजगार आदमी को रोजगार मिला ही नहीं रहता और वह रोजगार मिलने पर तरक्की करके क्या – क्या बनेगा उसको पहले ही सोच लेता है। इसी सोच के कारण बेरोजगारी की बीमारी से निजात मिलने के बाद भी आदमी हमेशा बीमार ही रहता है। अपने-आप को कभी भी संतुष्ट महसूस नहीं कर
है तथा खुश रहने के बजाय तरह – तरह के कमी निकालकर दुःख को निमंत्रण देता रहता है।
इस बेरोजगारी जैसे खतरनाक बीमारी के इलाज हेतु देश में बहुत सारे अस्पताल खुलें हुए हैं। इन अस्पतालों के द्वारा समय – समय पर वेकेंसी निकालकर मरीजों को फार्म भरवाया जाता है। लेकिन ये जरूरी नहीं है कि आप बेरोजगारी के अस्पताल में चले जायें और आपका इलाज सफलतापूर्वक हो जाय। बेरोज़गारी के अस्पताल में आपको सिर्फ आपरेशन करने का जगह ही दिया जाता है। आपको दिये गये समय के दौरान में ही खुद का आपरेशन करना होता है। आपरेशन की सफलता इस बात पर निर्भर करता है कि आप निर्धारित समय पर कितने प्रश्नों का उत्तर दे पाते हैं। यदि आपका भी नाम मेरिट लिस्ट के डॉक्टरों के सूची में ऊपर की ओर शामिल हो जाता है तो आपका भी निश्चित ही सफलतापूर्वक इलाज हो जाएगा।
यदि आप अपने बेरोजगारी के रोग का सही उपचार करने में असफल हो जाते हैं तो आप भूलकर भी किसी प्राइवेट अस्पताल में बिना सोचे – समझे मत जाना। वरना आपको भविष्य में बहुत ज्यादा पछताना पड़ेगा। बेरोज़गारी का इलाज ढूंढते – ढूंढते आपकी मौत भी हो सकती है। आपकी सम्पत्ति का सर्वनाश भी हो सकता है। इसलिए आप जब भी किसी प्राइवेट अस्पताल में बेरोजगारी के रोग का उपचार के लिए जाते हैं तो आप सबसे पहले उन लोगों से बातचीत करिए जो लोग उस अस्पताल में अपना इलाज करवाने के लिए पहले से जा चुके हैं। वही लोग आपको उस अस्पताल के बारे सही जानकारी दे सकेंगे। क्योंकि आजकल जो लोग अपने बेरोजगारी का इलाज नहीं कर पाते हैं, वे लोग पैसे कमाने के लिए खुद ही बेरोजगारी का अस्पताल खोल लेते हैं। लोगों को तरह-तरह के प्रलोभन देते हैं तथा उनको नौकरी दिलाने का झांसा देकर लाखों रूपये तक का ठगी करते हैं। यदि आप ऐसे ठगी करने वाले डॉक्टरों के चक्कर में पड़ेंगे तो निश्चित ही आप बर्बाद हो जायेंगे। इसलिए आप बेरोजगारी के रोग से निजात पाने के लिए कोई शार्टकट तरीका कभी भी मत अपनाना।हमारे जीवन में बहुत सारे परिस्थितियां आती है जिसके चलते हमें बेरोजगारी एक बीमारी सा प्रतीत होने लगता है। वर्तमान युग में खास कर जब कोई लड़का
शादी करने के लिए लड़की देखने जाता है, तो उसी समय लड़की वाले लड़के से सरकारी नौकरी की मांग रखते हैं। यही वो समय होता जब एक बेरोजगार आदमी को अपने बीमारीपन का अहसास होता है। पर जो लड़की ऐसी मांग रखती है, वो संसारिक और वास्तविक दोनों ज्ञान से वंचित रहती है। वो सिर्फ काल्पनिक दुनिया में ही जीती है, वह हमेशा ये सोचती कि जहाँ पैसा रहेगा वहीं पर खुशी हो सकती है। ऐसे विचारधारा के इंसान आज के जमाने में बहुत स्वार्थी होते हैं। जो बिना किसी खास मकसद के कोई काम करते ही नहीं हैं। ऐसे लोगों के बातों में आकर आपको कभी भी अपनी विचारधारा नहीं बदलनी है। यदि संभव हो सके तो आप ऐसे विचारधारा वाले लोगों को ही बदल दीजिए उसको सकारात्मक विचार का ज्ञान दीजिए।
यदि अब तक आपको अपने बेरोजगारी के रोग से निजात नहीं मिली है तो चलिए आज मैं आपको इस बीमारी का इलाज बता देता हूँ। आप ऐसे लोगों के बातों पर कभी भी मत आना जो लोग आपको सिर्फ ताना देने का काम करते हैं। जो लोग आपको समझते हैं, आपको गहराई से जानते हैं, वे लोग कभी भी आपको आपके बेरोजगार होने पर ताना नहीं देंगे। आपको आपके बेरोजगार होने पर सिर्फ वही व्यक्ति ताना दे सकता है, जो व्यक्ति आपको कम समय से ही जानता हो या जिसे सांसारिक गतिविधियों का तनिक भी ज्ञान न हो। इसलिए बेरोजगारी को कभी भी बीमारी नहीं समझना चाहिए। हमारी जितनी हैसियत है उसी में संतुष्ट रहना चाहिए क्योंकि संतुष्टि ही सबसे बड़ा धन होता है। इसका मतलब ये नहीं कि आप एकदम सा आलस हो जाय जब भी आपको मौका मिलता है ऊपर उठने का अपने जीवन में आगे बढ़ने का तो आप उस दिन निश्चित ही जरूर कोशिश करना। परन्तु एक ही चीज के पीछे हमेशा भागते रहना उचित नहीं है। जैसे कि आजकल के युवाएं सिर्फ सरकारी नौकरी पाने को ही आगे बढ़ना समझते हैं। हमेशा नौकरियों के चक्कर में पड़े रहते हैं, तो इनकी तरह एक ही चीज के पीछे कभी भी मत भागना। जीवन बहुत लम्बा है नौकरी तो जीवन का मात्र एक छोटा सा हिस्सा है। जरूरत है तो बस अपने नजरिए को बदलने की है। जब आपका सोच बदलेगा तो आप सरकारी नौकरी से बेहतर मुकाम हासिल कर सकते हैं। इस संसार में अपना नाम अमर कर सकते हैं पर नौकरी के ही पीछे भागते रहने से ऐसा भी हो सकता है, कि एक दिन आपको नौकरी भी न मिले और न ही आप अपने जीवन में कुछ कर सके। बस पूरा जीवन नौकरी के पीछे भागने में खत्म हो जाय। बेरोज़गारी के रोग का उपाय सिर्फ नौकरी पाना तक ही सीमित नहीं है। अतः हमें अपने हालात पर खुश रहना चाहिए।
हितेश्वर बर्मन चैतन्य
डंगनिया, जिला-सारंगढ़ – बिलाईगढ़ (छत्तीसगढ़)


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