महिला शिक्षकों की मेहनत और समर्पण भाव की वजह से ग्रामीण छात्र छात्राओं को ग्राम में ही मिल रही बेहतर और बहुआयामी शिक्षा।
दीपावली के पूर्व बच्चे खुद से बना रहे मिट्टी के दिए,अब इस दिवाली अपने हाथों से बने दिए से दिवाली मनाएंगे स्कूली बच्चे।
बैकुण्ठपुर,22 अक्टूबर 2024 (घटती-घटना)। शासकीय स्कूलों में जहां बेहतर शिक्षा ग्रामीण क्षेत्र के निवासी बच्चों को नहीं मिल पा रही है ऐसी खबरें लगातार मिल रही थीं और शिक्षा का स्तर लगातार गिर रहा है ऐसी ही सूचनाएं मिल रही थीं प्राथमिक स्तर की शिक्षा खासकर पटरी पर नहीं है यह भी आए दिन की बातें हुआ करती थीं लेकिन वहीं यदि धरातल पर जाकर देखा जाए तो कई प्राथमिक शालाओं के शिक्षक और महिला शिक्षक काफी मेहनत कर रहे हैं और वह पूर्ण समर्पण भाव से निस्वार्थ सेवाभाव के साथ अपने कर्तव्य का निर्वाहन भी कर रहे हैं वहीं वह ग्रामीण क्षेत्र के छोटे छोटे बच्चों को शासकीय स्कूलों में ही बहुआयामी शिक्षा प्रदान करने की पूरी कोशिश कर रहे हैं और उनकी कोशिश भी सफल होती नजर आ रही है और कहीं न कहीं यह देखने को मिल रहा है की कई शासकीय स्कूलों में प्राथमिक शिक्षा का स्तर सुधर रहा है और आज शासकीय संस्थाएं भी छात्र छात्राओं को सभी तरह से तैयार करने में जुटे हुए हैं और वह अपनी तरफ से हर संभव प्रयास कर रहे हैं। ऐसा ही एक शासकीय प्राथमिक शाला कोरिया जिले का भी काफी जो बैकुंठपुर के ग्राम डकईपारा का है जो इमलीपारा के नाम से जाना जाता है और जहां पदस्थ महिला शिक्षक छात्र छात्राओं के प्रति पूर्ण समर्पण भाव से काम कर रही हैं और उन्हें हर तरह से शिक्षा के हर क्षेत्र से जोड़ने का प्रयास कर रही हैं जिससे उन्हें कोई भी दिक्कत भविष्य में न होने पाए और हर तरह की शिक्षा और परिवेश के लिए वहां के छात्र छात्राएं तैयार रहें जो शिक्षा से जुड़ा ही परिवेश हो। विद्यालय में पढ़ाई के साथ साथ छात्र छात्राओं को कई गतिविधियों से भी जोड़ने का काम वहां की महिला शिक्षिकाएं कर रही हैं और छोटे छोटे बच्चे कई रोचक गतिविधियों से जुड़कर जहां रोमांचित भी हो रहे हैं वहीं वह कई ऐसी प्रतिभाओं को खुद में जन्म दे पा रहे हैं महसूस कर पा रहे हैं जो उनमें थी जरूर लेकिन उन्हें उसका एहसास नहीं था और जिसे अब महिला शिक्षिकाएं एहसास करा रही हैं प्रतिभाओं को वह बाहर निकालकर छात्र छात्राओं को एक सम्पूर्ण व्यक्तित्व का जीवन प्रदान करने की कोशिश कर रही हैं। हाल में ही दीपावली के पर्व के पूर्व छात्र छात्राओं को पढ़ाई के साथ साथ मिट्टी के दीपक बनाने की भी जहां प्रेरणा शिक्षिकाएं प्रदान कर रही हैं वहीं वह खुद उनके साथ मिलकर मिट्टी के दिए बनवा रही हैं। इस वर्ष बच्चे स्कूल के अपने हाथों से बने मिट्टी के दिए दीपावली में जलाएंगे और अभी उन्होंने दिए बनाए हैं उनमें रंग भी वह भरने वाले हैं यह उनका ही कहना है।