कविता@ इंतजार में बैठी प्रियतमा

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आज की चाँद की बात ही कुछ और होगी
प्रियतम के इंतजार मे बैठी प्रियतमा होगी
मधुर मुस्कान संग प्रियतम के ख्यालों मे
मेहंदी,सिंदूर और गजरा सजा के बालों मे
करवा चौथ का रखी आज फिर व्रत होगी
प्रियतम के इंतजार मे बैठी प्रियतमा होगी
सजेगी दुल्हन सी आज पत्नि धर्म के लिए
सोलह श्रृंगार करेगी अपने सुहाग के लिए
हाथ मे कंगन,पाँव मे महावर सजाई होगी
प्रियतम के इंतजार मे बैठी प्रियतमा होगी
इंतज़ार आज चाँद का होगा पूरी सिद्दत से
निभा रही है ये रीत-रिवाज बड़ी मुद्दत से
दीर्घायु के आशीष हेतु चाँद को निहारेगी
प्रियतम के इंतजार मे बैठी प्रियतमा होगी
राह तकती होगी वापसी का पुरे श्रृंगार मे
जीवन सुखमय हो प्रियतम के मनुहार मे
हंसते गाते जीवन का मधुरम सफर होगी
प्रियतम के इंतजार मे बैठी प्रियतमा होगी
प्रमेशदीप मानिकपुरी
धमतरी
छत्तीसगढ़


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