करवा चौथ लेख @ करवा चौथ के व्रत की सार्थकता

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पौराणिक परंपराओं के मुताबिक हमारे देश में पत्नियों द्वारा पत्तियों के कल्याण एवं दीर्घायु के लिए कार्तिक मास में करवा चौथ का व्रत रखने का रिवाज है। इस दिन पत्नियां सारा दिन खाना तो दूर की बात पानी की बूंद भी नहीं पीती। शाम को करवा चौथ की कथा सुनती हैं रात को चंद्रमा के निकलने पर उनका पति ही व्रत खोलने के लिए जल पिलाता है। कहा जाता है जब पुराने समय में पत्नियों और बच्चों की सुरक्षा का काम पत्तियों के जिम्में होता था तब साल में एक विशेष दिन करवा चौथ का व्रत रखकर अपने पतियों की दीर्घायु के लिए पत्नियां परमात्मा से प्रार्थना करती थी ।
लेकिन अब जमाना बदल गया है। कुछ लोगों का मानना है कि पत्नियों द्वारा पत्तियों की दीर्घायु के लिए व्रत रखने तथा पानी तक भी न पीना पुरुष प्रधान समाज में स्ति्रयों को जलील करने का एक तरीका है। जब पति शराबी कबाबी हो, पत्नी के साथ मारपीट करता हो, आमदनी का एक बहुत बड़ा भाग शराब, वेश्यावृत्ति आदि में लगा देता हो और घर का गुजारा करने में तकलीफ होती हो, कोई पत्नी ऐसे गैर जिम्मेदार पति की दीर्घायु के लिए व्रत रखकर सारा दिन भूखी क्यों मरेगी? पूछा जा सकता है कि पुरुष के भले के लिए स्त्री ही कुछ न कुछ करती है, पुरुष स्त्री के लिए क्यों ना करें! आज जमाना बदल गया है। करवा चौथ का व्रत पहले की तरह प्रासंगिक नहीं। वैसे तो कोई भी रखा गया व्रत स्वास्थ्य तथा मानसिक शांति के लिए उपयोगी होता है। लेकिन इस व्रत को रखना पति पत्नियों के लिए आजकल संभव नहीं। आज के कामकाजी पति-पत्नी कई बार एक जगह काम नहीं करते जिस से पति लोग अपनी पत्नियों को व्रत नहीं खुलवा सकते। और अगर एक जगह पर भी तैनात हो तो दोनों के काम करने के समय अलग-अलग हो सकते हैं जिसकी वजह से करवा चौथ का व्रत रखना संभव नहीं। आजकल के पति-पत्नी आम तौर पर छोटी-मोटी बात पर लड़ते झगड़ते रहते हैं, उनमें आपसी ईर्ष्या, अविश्वास, अहंकार, तकरार, टकराव, सहयोग तथा समर्पण भावना का अभाव होता है ऐसे में पत्नी अपने पति के हित के लिए व्रत रखने में असहज महसूस करती है। बेशक आजकल कुछ पति पत्नियों के साथ करवा चौथ का व्रत रखने लगे हैं लेकिन इसके बावजूद भी इस व्रत की महत्ता उतनी नहीं रह जाती।इस के अलावा इस व्रत को रखना पत्नी के लिए इसलिए भी अनावश्यक हो जाता है क्योंकि वह आर्थिक तौर पर स्वावलंबी है और सुरक्षा हेतु पति पर निर्भर नहीं करती। बेशक हमारे देश में कुछ औरतें करवा चौथ का व्रत रखती हैं, इस दिन वह खूब हार श्रृंगार करती हैं, पूजा पाठ करती हैं उनका पति, तथा ससुराल वाले उन्हेंऔ इस दिन उपहार भी देते हैं परंतु क्योंकि पति-पत्नी एक दूसरे के प्रति ईमानदार, वफादार, समर्पित तथा सहनशील नहीं होते अतः इस व्रत का कोई फायदा नहीं। अगर कोई पत्नी किसी कारण से व्रत को ना रखना चाहे तो उसे मजबूर बिल्कुल नहीं करना चाहिए। अगर पति-पत्नी का आपस में दिल में प्रेम, विश्वास, सम्मान, सहयोग ,वफादारी ईमानदारी तथा समर्पण भावना हो तथा किसी तीसरे में दिलचस्पी न हो तो वे का व्रत रखे बिना भी एक दूसरे की दीर्घायु तथा कल्याण हेतु सहायक साबित हो सकते है
प्रोफेसर शाम लाल कौशल
रोहतक हरियाणा


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