सूरजपुर@मैं भी कुलदीप से कम नहीं कहींऐसी कोई पिक्चर न हो जाए रिलीज…अब हत्यारों को कड़ी सजा मिले पुलिस को करना होगा प्रयास

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-समरोज खान-
सूरजपुर,19 अक्टूबर 2024 (घटती-घटना)। सुरजपुर जिले के एक पुलिस कर्मी की पत्नी और नाबालिक बेटी के हत्या मामले में कुल पांच लोग पकड़े गए बाकि अन्य मामले में पकडे गए है आरोपी, वही और बढ़ सकती है आरोपियों की संख्या,वहीं कई आरोपी सलाखों के पीछे हैं वहीं उनमें से एक भागने में सहयोग करने के कारण आरोपी बना है यह बताया जा रहा है वहीं चार अन्य शामिल थे एक राय थे ऐसी पुलिस की ही थ्योरी है। पुलिस की कहानी जो भी हो और भले ही आरोपियों को कड़ी सजा के लिए पुलिस का अंतिम प्रयास हो लेकिन पुलिस ने पहले अब प्राथमिकता हत्या के आरोपियों को सजा मिले इस विषय से हटाकर इस तरफ लगा दिया है कि पुलिस के ही उन कर्मियों की जांच पहले की जाए उनके दोषपूर्ण कार्यप्रणाली की जांच पहले की जाए जो वसूली बाज हों या वह दो नंबरियों से पैसा किसी भी शर्त पर लेते हों और ऐसे लोगों को संरक्षण देते हों। इस जांच के लिए पुलिस के वरिष्ठ अधिकारी ने पुलिस के ही अन्य जिले के अधिकारियों जिनमें दो अधिकारी शामिल हैं को शामिल कर जिम्मा दे दिया है और उनसे एक हफ्ते में उन्होंने जांच रिपोर्ट मांगी है जिसमे दोषी पाए जाने पर पुलिसकर्मियों पर ही कार्यवाही पुलिस करेगी ऐसी संभावना है यह बताया जा रहा है वहीं लोगों की माने तो यह जांच दिखावा है पुलिस की बिगड़ चुकी छवि को बचाने का प्रयास है और पुलिस खुद के विभाग की जांच कर कभी खुद के लोगों को आरोपी अपराधी घोषित करेगी और ऐसा विरले ही होता है,या हुआ है। कुल मिलाकर लोगों की माने तो पुलिस की जांच पुलिस ही करेगी तो उन्हें क्लीन चिट या कम दोषी मानकर कोई दण्ड भले दिया जाए लेकिन उन्हें कठोर दंड नहीं दिया जाएगा यह तय है। वैसे इस जांच की बजाए पुलिस को आरोपियों या अपराधियों को जल्द से जल्द और कठोर सजा मिले नजीर बने सजा इस तरफ ध्यान देना चाहिए…पुलिसकर्मी यदि दोषी हैं उनका अपराधियों और दो नंबरियों से वास्ता है भी तो यह जांच इस बड़ी घटना के आरोपियों के सजा निर्धारण उपरांत हो यह पुलिस को सोचना और करना चाहिए और दोहरे हत्याकांड के आरोपी किसी के लिए युवाओं के लिए प्रेरणा न बन जाएं यह भी पुलिस को ही ध्यान देना चाहिए।
अभी तक इस मामले में पुलिस ने गिरफ्तारी में प्राथमिकता दिखाई और न्यायालय में पेश कर आरोपियों को पुलिस ने यह भी तत्परता दिखाई की उन्हे जेल में जल्द से जल्द निरुद्ध किया जा सके वहीं पुलिस की प्राथमिकता इसके बाद से ही जहां यह होनी थी कि आरोपियों को जल्द से जल्द सजा हो सके और एक नजीर समाज के सामने वह प्रस्तुत कर सकें इस जघन्य हत्याकांड मामले में लेकिन उनकी प्राथमिकता बदली गई और पहली प्राथमिकता में उन्होंने अपने ही विभाग के कर्मियों की जांच को रखा और वसूली बाजों की जानकारी वह जुटाने के लिए दो जिले पुलिस अधिकारियों को नियुक्त कर दिए। वैसे मामले का सबसे मार्मिक पहलू यह था कि अपराध महिलाओं के साथ घटित हुआ और उनमें से भी एक नाबालिक थी और वह भी तब जब वह अकेली थीं घर में और उन्हें जान गवानी पड़ी,जान लेने वालों में भी शामिल कई लोग कम से कम उनकी संख्या से अधिक थे और कहीं न कहीं बलवान थे और और जो भी वजह बनी की वह जान से हांथ धो बैठे। वैसे पुलिस की प्राथमिकता बदली और पुलिस ने दोषपूर्ण कार्यप्रणाली में शामिल पुलिसकर्मियों को लेकर जांच का निर्णय लिया जल्द जांच का निर्णय लिया तो क्या अब पुलिस ऐसे पुलिस कर्मियों पर नाम उजागर होने उपरांत कार्यवाही करेगी क्या वह आगे वसूली बंद हो इस दिशा में कार्य करेगी वहीं दो नंबर के ही कार्य बंद हो इस दिशा में कार्य करेगी यह देखने वाली बात होगी। वैसे फिर भी लोगों का मानना है कि पुलिस की जांच पुलिस से करवाना ही यह साबित करता है की जांच के नाम से मामले में पुलिस अपनी नाकामी छिपा ले जाए और मामला भी धीरे-धीरे लोगों से जेहन में कमजोर होता जाए। सूत्रों का कहना है कि मुख्य आरोपी कुलदीप की चमड़ी काफी मोटी है वह पुलिस के सामने अपने आप को शेर साबित करने में लगा हुआ,पुलिस वालों पर भी आरोप लगा रहा है और सबसे बड़ा सवाल यह है कि क्या पुलिस मुख्य आरोपी से पूरे घटनाक्रम की जानकारी नहीं निकल पा रही?
कबाड़ी के पास क्या इतना पैसा है कि वह सभी के स्वाभिमान व ईमानदारी को खरीद सकता है?
कबाड़ के एक व्यापार के लिए उसके संचालन के लिए दो महिलाओं को अपनी जान गंवानी पड़ी। यह व्यापार अवैध था यह कहना भी गलत नहीं था गैरकानूनी था यह भी सत्य था लेकिन इसके संचालन की दिक्कतें दूर हों यह वह लोग तय करते थे जिन्हें इसे रोकने का जिम्मा था या जो इसके लिए वेतन लेते थे। इस व्यापार के संचालन के लिए पुलिस से कबाड़ी परेशान था और वह पैसा देकर भी स्वतंत्र कार्य नहीं कर पा रहा था यह भी पूरी घटना के उपज का कारण बताया जा रहा है और अपराध और अपराधियों के जन्म का भी कारण यही है यह बताया जा रहा है। अब सवाल यह उठता है कि क्या जब पैसे के कारण ही यह अपराध हुआ और पैसा ही अवैध इसका मूल था तो क्या अब कबाड़ी इस मामले में और पैसा खर्च कर सभी का स्वाभिमान खरीद लेगा और पूरे मामले में अपने बेटे को वह बचा लेगा?
यह घटना उनके लिए भी एक चेतावनी जो अभी भी वसूली के पैसों से अपने लिए अधिक संसाधन जुटाने की फिराक में हैं…
वैसे पुलिस की ही एक जांच टीम सूरजपुर की घटना मामले में अपने ही पुलिसकर्मियों की जांच करेगी जो वसूली बाज रहे हों या हों,और वसूली के आधार पर वह कई दो नंबर के कार्य को संरक्षण प्रदान करते हों और उससे अपने और अपने परिवार के लिए अधिक संसाधन जुटाते हों। उन्हें अब कम से कम ऐसा करना बंद कर देना चाहिए और अपनी जरूरतें घटा देनी चाहिए क्योंकि कब उनका कोई कुलदीप सारे अरमान छीन ले उनका अपना प्यारा छीन ले कहना मुश्किल है। वैसे सूरजपुर की घटना के बाद क्या अब वसूली प्रथा बंद होगी क्या अब शौक छोड़ सकेगें शौकीन लोग और कानून व्यवस्था लागू करने के लिए प्रयास अपना करेंगे यह देखने वाली बात होगी।
क्या पुलिस का संरक्षण देना ही प्रधान आरक्षक की पत्नी व बेटी की हत्या के मामले को प्रभावित कर सकता है?
जहां कुख्यात आरोपी ने जघन्य अपराध किया है और यह अपराध कहीं से भी माफी लायक नहीं है यह अपराध सजा पाने लायक है पर इस अपराध के बीच एक और बात बहुत तेजी से अफवाह की तरह उड़ रहा है वह बात है कि पुलिस का कबाड़ी को संरक्षण देना क्या इस संरक्षण देने की वजह से मां बेटी को न्याय नहीं मिल पाएगा? क्या न्याय प्रभावित हो जाएगा? इस बात को भूलकर शायद अभी अधिकारी कर्मचारी सभी बेटी व मां के हत्यारे को सजा दिलाने का प्रयास करते तो शायद समाज में नजीर होता।
संयुक्त पुलिस परिवार के संयोजक उज्ज्वल दिवान की मार्मिक अपील,20 अक्टूबर को प्रतीकात्मक फांसी की सजा देने का भी उनका ऐलान
संयुक्त पुलिस परिवार के संयोजक उज्ज्वल दीवान ने इस मामले में मार्मिक अपील की है और हत्या को जघन्य बताते हुए उन्होंने कहा की पूरे मामले में वह 20 अक्टूबर के जहां सूरजपुर में आरोपियों को प्रतीकात्मक फांसी की सजा देंगे वहीं उन्होंने यह भी मांग अपील की है कि मामले को फास्ट ट्रैक कोर्ट में चलाया जाए और इस मामले में कोई वकील ऐसे आरोपियों की तरफ से वकालतनामा न पेश करे। उज्जवल दीवान ने यह भी कहा की कोई यदि किसी को पैसा दे रहा है तो वह उसके परिजनों की जान लेने का हकदार हो जाएगा। वैसे उनकी अपील का क्या असर होता है क्या उनकी अपील से वकीलों का समर्थन आरोपियों के पक्ष से खिसकता है यह देखने वाली बात होगी। वैसे उज्ज्वल दीवान का साफ कहना है की वह पुलिस परिवारों के लिए लड़ाई लड़ रहे हैं और वह आरोपियों को अपराधी साबित कर सजा दिलाने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ेंगे न ही वह न्याय के लिए अपनी लड़ाई पुलिस परिवार के लिए त्याग करेंगे।
20 साल पुराना है कबाड़ का धंधा…क्या 20 साल से मिल रहा था संरक्षण?
अशोक साहू जिसका पुत्र है कुलदीप साहू जिसने एक जघन्य हत्या कांड को अंजाम दिया है और इसके पीछे उनके कबाड़ के कारोबार को संरक्षण मिलने की बात सामने आ रही है पर सवाल यह भी है कि आखिर 20 साल से यह इस अवैध कारोबार को संचालित कर रहा था क्या इन 20 सालों से ही उसे राजनीतिक व पुलिस का संरक्षण मिल रहा था और यदि मिल रहा था तो क्या पूरे 20 साल के पुलिसकर्मियों की जानकारी जुट जाएगी यह बड़ा सवाल है? फिर संरक्षण में तो 20 साल के अधिकारी से लेकर कर्मचारी तक कई लोग दोषी होंगे? क्या सभी पर विभागीय कार्यवाही होगी? अब जब 20 साल पुराना व्यापार बहुत बड़े मामले के पास पहुंच गया है तो क्या संरक्षण देने वाली पुलिस अब इस व्यापार को खत्म कर देगी या फिर आगे भी इस व्यापार को संरक्षण मिलेगा क्योंकि अभी भी पिता इस काम को बाकी परिवारों के साथ मिलकर कर सकता है?
क्या पुलिस वाले को पैसा देता था तो कुछ भी करेगा आरोपी कुलदीप?
शहर में किस बात की चर्चा आम है कि आरोपी कुलदीप पुलिस वालों को पैसा देता था, पुलिस वालों के संरक्षण पर ही उसका काम चलता था, यह बात तो समझ में आती है कि उसे अवैध कारोबार करना था तो पुलिस वालों को पैसा देता था, पर क्या किसी के हत्या करना के लिए वह पुलिस वालों को पैसा दे रहा था? या फिर पुलिस वालों की औकात बता रहा था? पुलिस वाले को पैसे देने का मतलब क्या है? कि वह पुलिस वाले के परिवार की जान ले लेगा? आरोपी का जुर्म बर्दाश्त करने योग्य नहीं है चाहे पुलिस वाले उसे कारोबार का को संरक्षण दे रहे थे या ना दे रहे हो, जो कृत आरोपी कुलदीप अवैध कारोबार से पैसे कमाने के दम पर किया है वह बिल्कुल भी बर्दाश्त करने योग्य नहीं।
क्या राजनीतिक संरक्षण देने वाले तक भी पहुंचेगी जांच की आंच?
आरोपी कुलदीप को सिर्फ कानूनी संरक्षण ही नहीं था उसे राजनीतिक संरक्षण भी मिला हुआ था यह हम नहीं कह रहे यह पूरे शहर में चर्चा का विषय है कुलदीप तो नेताओं को अपना राजनीतिक गुरु भी मानता था कई सोशल मीडिया में घूम रहे फोटो यह बातें बयान कर रही है,अब ऐसे में सवाल यह उठता है कि क्या राजनीतिक संरक्षण देने वाले तक भी जांच की आंच पहुंचेगी? राजनीति से जुड़े हुए लोग कुलदीप को अपने फायदे के लिए भी इस्तेमाल किया करते थे और वाद-विवाद की जगह उसे आगे किया करते थे।
सूरजपुर के एक पुलिसकर्मी की पत्नी और नाबालिक बेटी के हत्या मामले सवाल चीख-चीख कर जवाब मांग रहे है…
सवाल- क्या तालिब शेख के विरोधी पुलिस वाले ही कुलदीप को सहयोग कर रहे थे?
सवाल- क्या तालिब शेख से नाराज पुलिसकर्मी इस मामले को कमजोर करने का प्रयास कर रहे?
सवाल-जिला बदर अपराधी को खुले में घूमने की हिम्मत कहां से मिली?
सवाल-तालिब शेख के अलावा अन्य किसी पुलिस वाले से उसकी दुश्मनी थी क्या?
सवाल- क्या कुलदीप को पता था कि तालिब घर पर नहीं है?
सवाल-– यदी हां तो यह जानकारी कहां से मिली?
सवाल- अशोक कबाड़ी को इतना फलने-फूलने का मौका किसने दिया?
सवाल- क्या यह सच है कि इसके पहले भी थाने में कुलदीप या उसका भाई जिस टीआई को थप्पड़ मार चुका था?
सवाल- क्या बिना पुलिस मदद के कबाड़ का इतना बड़ा व्यवसाय संचालित किया जा सकता है?
सवाल- क्या कुलदीप के साथ पुलिस वालों की भी मिली भगत हो सकती है?
सवाल-अपराधी कुलदीप वापस गढवा से किस मकसद से आ रहा था?
सवाल-क्या यह संभव है कि जंहा वह इतनी बड़ी घटना को अंजाम दे चुका है, एवं शहर में गुस्सा उफान पर है वहीं वह वापस आए?
सवाल- पुलिस को यदि यह पता था कि कुलदीप वापस आ रहा है तो पुलिस ने बस को फालो क्यूं नहीं किया?
सवाल- क्या पुलिस ने सुनियोजित तरीके से कुलदीप को इनकाउंटर से बचाने के लिए समर्पण कराया जिसे गिरफ्तारी का नाम दिया जा रहा है?
सवाल-क्या साहू समाज का बड़ा वोट बैंक भाजपा के साथ होने के कारण राजनैतिक एवं सामाजिक दबाव के कारण केस हल्का तो नहीं किया जा रहा?
सवाल-पुलिस के छोटे सिपाहियों साथ साथ बड़े स्तर के पुलिस अधिकारी की भी संलिप्तता की जांच होगी क्या?
सवाल- कंही ऐसा तो नहीं की पूरी घटना में लीपापोती हो जाए एवं अपराधी कुछ साल बाद बरी हो जाए
सवाल- जिस पुलिसकर्मी पर उबलता हुआ तेल फेंका गया उस समय आरोपी के साथ कौन-कौन था घटना में कौन कौन शामिल थे?
सवाल- आरोपी ने आखिर पुलिसकर्मी पर तेल क्यों फेंका ऐसा करने के पीछे उसकी मंशा क्या उसे मारना था या फिर पुलिस को डराना मात्र था?
सवाल- पुलिस को ही आरोपी ने टारगेट क्यों बनाया?
सवाल- पुलिस पर गाड़ी चढ़ाने के दौरान गाड़ी में कौन-कौन से आरोपी सवार थे?
सवाल- जब आरोपी की तालिब से दुश्मनी थी और तालीब थाने के सामने खड़ा था तो फिर आरोपियों ने तालिब के घर का रुख क्यों किया?
सवाल- क्या आरोपी ठान चुके थे कि प्रधान आरक्षक की पत्नी व बच्ची को मारना ही है, इस वजह से वह उसके गैर उपस्थित में उसके घर गए?
सवाल- क्या आरोपियों में से एक का पिता जो पुलिस की पकड़ से था दूर क्या उसी ने ही पूरे मामले को पलट दिया?
सवाल न. 9: आरोपी बाहर भाग रहा था या वापस आ रहा था यह भी बात संदेहास्पद लग रही?
सवाल- क्या इसके वापसी आने की बात कहीं पूरे मामले में बच निकलने की गुंजाइश तो नहीं?
सवाल- आखिर बलरामपुर वापस क्यों आ रहा था ऐसा लग रहा था कि वह आरोपी नहीं कोई व्यक्ति कहीं से घूम के आ रहा हो?
सवाल- जो इसके साथ कांड में शामिल थे वह लोगों को चकमा देने के लिए सभी लोगों के सामने घूम रहे थे पुलिस को गुमरहा करने के लिए?
सवाल- जो जिलाध्यक्ष सोशल मीडिया पर बता रहा था कि कुलदीप उसकी पार्टी का नहीं आखिर वही कुलदीप के साथ हत्याकांड में शामिल था कैसे?


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