सूरजपुर/बैकुंठपुर@न्यू लाइफ इंस्टीट्यूट ऑफ नर्सिग पर कार्यवाही करने का फरमान पर नहीं हो रहा अमल?

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रवि सिंह –
सूरजपुर/बैकुंठपुर 17 अक्टूबर 2024 (घटती-घटना)। घटती-घटना लगातार बैकुंठपुर स्थित तत्कालिन डीपीएम के द्वारा संचालित न्यू लाइफ इंस्टीट्यूट ऑफ नर्सिग की पोल खोल रहा है। घटती-घटना की खबरों को मुख्यमंत्री ने सज्ञान लिया है। अब मुख्यमंत्री सचिवालय से कलेक्टर को सीधा पत्र आया है और कहा गया है कि नर्सिग कालेज की मान्यता रद्द कर कार्यवाही की जाए। वहीं कलेक्टर जो कि पदस्थापना के शुरूआत समय मे (जैसा की हर कलेक्टर करते आए है) जमकर सख्ती दिखाई और अब वो भी यहां के माहौल में रम कर चुप हो गई है? उन्होने सीएम सचिवालय के पत्र का धता बताते हुए सीएमएचओं को सौप कार्यवाही से पल्ला झाड़ लिया है। सीएम सचिवालय से 13 सितंबर 2024 को भेजा गया है, और आज एक महिने से उपर समय बीत चुका है, आप सहज अंदाजा लगा सकते है कि जिला प्रशासन किसके लिए काम कर रहा है।
जानकारी के अनुसार बैकुंठपुर के समाजिक कार्यकर्ता संजय जायसवाल द्वारा न्यू लाइफ इंस्टीट्यूट ऑफ नर्सिग के संचालन व संविदा कर्मी प्रभारी डीपीएम डॉ प्रिंस जायसवाल को लेकर ईडियन नर्सिग कॉसिंल को शिकायत की थी,श्री जायसवाल बीते लंबे समय से भ्रष्टाचार के खिलाफ लडाई लड रहे है। जिसके बाद 18 अक्टूबर 23 को मेडिकल कॉलेज अंबिकापुर की तीन सदस्यीय दलों ने औचक निरीक्षण किया। जिसमें कई खामियां पाई गई,पूरी कार्यवाही की विडीयोग्राफी भी की गई। यह पाया गया कि विद्यार्थियों के लिए जिला अस्पताल बैकुंठपुर 150 बेड, एसईसीएल चरचा में (जीएनएम) 50, सीएचसी पटना मे 30 बेड, मेंटल अस्पताल सेंडरी में 20 बेड की अनुमति पाई गई। संस्था का खुद का अस्पताल नहीं पाया गया और इसमें अनुसूचित क्षेत्र बताकर अस्पताल नहीं होने के लिए रियायत दी गई है। निरीक्षण में यह भी पाया गया कि संस्था में प्राकृतिक हवाकी कमी पाई गई प्रकाश की व्यवस्था ठीक पाई गई।
क्या भोले-भाले मुख्यमंत्री के आंखों में बांध दी गई है पट्टी?
छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री काफी सीधे-साधे व भोले भाले बताए जाते हैं क्या इसी का फायदा आज सामाजिक तत्व उठा रहे हैं जहां कार्यवाही की दरकार है वहां कार्यवाही हो नहीं पा रही और जहां दरकार नहीं है वहां पर कार्यवाही हो रही है क्या मुख्यमंत्री के आंखों पर पट्टी बांध दिया गया है? जिस वजह से उन्हें कार्यवाही करने में दिक्कत आ रही है या फिर कर्मचारी व अधिकारियों की मनमानी वह देख नहीं पा रहे जिस वजह से कार्यवाही में अटकलें आ रही हैं?
अधोसंरचना में काफी कमी
मेडिकल कॉलेज अंबिकापुर के निरीक्षण में न्यू लाइफ इंस्टीट्यूट ऑफ नर्सिग बैकुंठपुर में दो क्लास रूम आवष्कता से आधे वर्ग फीट में पाए गए, नर्सिग फाउडेषन लैब 18 वर्ग फीट में होना है जबकि मात्र 500 वर्ग फीट पाया गया, कम्यूनिटी और न्यूट्रीषियन लैब 1200 फीट होना चाहिए, जबकि कम्प्यूनिटी लैब सिर्फ 256 और न्यूट्रीषियन लैब 352 वर्ग फीट का ही पाया गया, दोनों मिलाकर आवयकता से आधे 608 वर्ग फीट में संचालित है। कम्प्यूटर लैब 1500 वर्ग फीट में होना चाहिए, जबकि यह मात्र 128 वर्ग फीट में पाया गया, मात्र 10 कम्प्यूटर पाए गए। एमसीएच लैब 900 वर्ग फीट की आवष्यकता है जबकि यहा मात्र 250 वर्म फीट में है, प्री क्लिनिकल लैब के लिए 900 वर्ग फीट होना चाहिए जबकि 330 वर्ग फीट में पाया गया। एव्ही एड्स लैब के लिए 600 वर्ग फीट चाहिए जबकि यहां 200 वर्ग फीट ही पाया गयां। इस संस्था में बहुउद्देश्यीय हाल उपलध नहीं है इसके लिए 3000 वर्ग फीट होना चाहिए। यहां कॉमन रूम के लिए 1000 वर्ग फीट होना चाहिए जबकि यहां मात्र 234 वर्ग फीट की जगह पाई गई। स्टॉफ रूम के लिए 800 वर्ग फीट होना चाहिए जबकि यहां सिर्फ 480 वर्ग फीट जगह पाई गई। ण्चओडी रूम 1000 वर्ग फीट होन चाहिए जबकि यहां 585 वर्ग फीट पाया गया। प्राचार्य रूम आवष्यकता 300 और उपलधता 144, उप प्रचार्य कक्ष 200 जबकि 100 वर्ग फीट पाई गई लाईब्रेरी 2300 वर्ग आवष्यकता है यहां मात्र 770 वर्ग फीट पाई गई, इसके अलावा टॉयलेट के लिए 1000 वर्ग फीट आवष्यकता है, जबकि 500 वर्ग फीट ही पाया गया।
छात्रावास एमएलए नगर में
न्यू लाइफ इंस्टीट्यूट ऑफ नर्सिग की छात्राओं को एमएलए नगर में 6 भवन किराए पर लेकर रखा गया है। बताया गया कि कम छात्राएं होने के कारण 2 डुप्लेक्स में छात्राओं को रखा गया है जबकि 4 भवन आगामी सत्र के लिए रखा गया है, निरीक्षण टीप से साफ हो रहा है कि टुकडो टुकड़ों में न्यू लाइफ इंस्टीट्यूट ऑफ नर्सिग संचालित है, स्कूल कही और छात्रावास कही स्थित है, इसके अलावा जिस जगह छात्रावास संचालित है वह एमएलए नगर को नगर पालिका परिषद के द्वारा अवैध घोषित किया जा चुका है।
निरीक्षण मे कई रहे नदारद
सूचना के अधिकार के तहत मिली जानकारी के अनुसार अंबिकापुर मेडिकल कॉलेज की तीन सदस्यीय दल निरीक्षण में पहुंचा तब उप प्रचार्य अनुपस्थित पाए गए, प्रोफेसर का पद आज तक भरा नहीं गया है,सह प्रध्यापक के पद पर एक की नियुक्ति की गई जो उपस्थित रहे,सह प्रध्यापक 5 में 3 उपस्थित पाए गए, ट्यूटर के 16 पदों के विरूद्ध मात्र 10 की नियुक्ति पाई गई जिसमें 5 अनुपस्थित पाए गए। जांच प्रतिवेदन में साफ उल्लेख है कि निरीक्षण दिवस 118 विद्यार्थियों में कम से कम 13 शिक्षक उपस्थित होना चाहिए था जबकि मात्र 10 की पाए गए।
सीएमएचओ को नहीं है आपत्ती
निरीक्षण में आई तीन सदस्यीय दल ने सीएमएचओ डॉ आरएस सेगर से मुलाकात की,जिसमें डॉ सेंगर ने डॉ प्रिस जायसवाल को प्रमाण-पत्र जारी कर रखा है कि वो संविदा में रहते उक्त संस्था के मनोनीत सदस्य रहते संस्था का कार्य कर सकते है, उनके इस तरह से संविदा में रहते कार्य करने को लेकर सीएमएचओं को किसी भी तरह की आपçा नही है। सीएमएचओं ने डॉ प्रिस जायसवाल को विभागीय काार्य और कार्यालयीन समय के अतिरिक्त अन्य निजी प्रैक्टिस,प्रबंधकीय कार्य करने में कार्यालय सीएमएचओ को किसी तरह की आपत्ती नही है बताया है। वहीं अब तत्कालिन सीएमएचओ को राज्य सरकार ने हटा दिया है, अब देखना है कि वर्तमान सीएमएचओं किस तरह की कार्यवाही करते है।
मुख्यमंत्री के यहां से कार्यवाही के लिए आया पत्र पर कार्यवाही क्यों नहीं?
मुख्यमंत्री के यहां से कलेक्टर को कार्यवाही के लिए पत्र आया कलेक्टर ने पत्र को सीएमएचओ को कार्रवाई के लिए बढ़ा दिया,अब सीएमएचओ उस पत्र को लेकर कुंडली मारे बैठे हुए हैं ना जाने ऐसा क्या है की कार्यवाही करने से बचा जा रहा है? वहीं प्रभारी डीपीएम के नर्सिंग कॉलेज को लेकर रोज नया प्रचार-प्रसार किया जाता है और यह मान्यता मिल गई ऐसी बात आती है पर सवाल यह है कि जब नर्सिंग कॉलेज अनियमित तरीके से संचालित है तो फिर कार्यवाही क्यों नहीं हो रही? आखिर कलेक्टर कोरिया या फिर मुख्य चिकित्सा अधिकारी उनकी मान्यता रद्द करने के लिए यूनिवर्सिटी को क्यों नहीं लिख रहे पत्र?


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