सूरजपुर@सूरजपुर कोतवाली के प्रधान आरक्षक की पत्नी सहित पुत्री की नृशंस्य हत्या मामले में कुलदीप साहू सहित युवक एनएसयूआई का जिलाध्यक्ष भी था शामिल,पुलिस ने जारी की प्रेस विज्ञप्ति

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-ओंकार पाण्डेय-
सूरजपुर,16 अक्टूबर 2024 (घटती-घटना)।
हेड कांस्टेबल तालिब शेख की पत्नी और बेटी की हत्या के मामले में फरार आरोपी कुलदीप साहू को बलरामपुर पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है। बलराम्पुर एसपी वैभव बैंकर ने बताया कि घटना के बाद से ही हमारी टीम लगी हुई थी। आरोपी का लोकेशन लगातार देश किया जा रहा था। इसी बीच खबर मिली की आरोपी झारखंड के गोदरमाना से बस में सवार होकर अंबिकापुर आ रहा है। पुलिस वहीं से उसका पीछा कर रही थी। बस के बलरामपुर पहुंचते ही पुलिस ने उसे पकड़ लिया। पकड़े जाने के बाद साइबर सेल में पूछताछ के बाद उसकी शिनाख्त की गई। आरोपी को सूरजपुर पुलिस को सौंप दिया गया है। सूरजपुर थाने में पदस्थ मनेंद्रगढ़ निवासी हेड कांस्टेबल तालिब शेख की पत्नी मेह फैज और बेटी आलिया शेख की घर में घुसकर तलवार से हत्या कर दी गई थी। दोनों के शव नगर से करीब पांच किमी दूर खेत में मिला था। हत्या में पुलिस सूरजपुर निवासी कबाड़ का काम करने वाले कुलदीप का हाथ मान रही है। कुलदीप ने वारदात से पहले आरक्षक घनश्याम सोनवानी पर खौलता तेल डाल दिया था। इसके बाद उसे पकड़ने के लिए टीम निकली। इसमें प्रधान आरक्षक तालिब शेख भी शामिल थे। आरोपी ने पहले तालिब को गाड़ी से कुचलने का प्रयास किया। इसमें सफल नहीं हुआ तो उसके घर में घुसकर पत्नी और बेटी की हत्या कर दिया था।
ज्ञात हो की सूरजपुर कोतवाली थाने में पदस्थ प्रधान आरक्षक तालिब शेख की पत्नी और पुत्री की नृशंस्य हत्या मामले में आखिरकार पुलिस ने सभी आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया और उन्हें न्यायालय में पेश कर दिया वहीं इस दोहरे हत्याकांड में शामिल युवकों का जब नाम उजागर हुआ तब एक बड़ी बात सामने आई और वह यह इस वारदात में शामिल युवक उस राजनीतिक दल के एक आनुषंगिक छात्र संघ एनएसयूआई के पदाधिकारी हैं जो प्रदेश में बिगड़ती कानून व्यवस्था को लेकर सरकार पर आक्रामक है। और वहीं इस पूरे मामले में और अधिक अचंभित करने वाला मामला यह देखने को मिला कि एनएसयूआई का जिलाध्यक्ष सी के चौधरी जो इस वारदात में बराबर शामिल है वह घटना के बाद से ही लागतार सोशल मीडिया पर यह बयान दे रहा था की कुलदीप साहू जिसे घटना के बाद से ही वारदात का मुख्य और एकमात्र आरोपी साथ ही षड्यंत्रकारी माना रहा था और जिसे लेकर यह भी कहा जा रहा था कि वह एनएसयूआई सूरजपुर जिले का पदाधिकारी है उसका एनएसयूआई से कोई लेना देना नहीं है वह किसी पद पर नहीं है। वहीं वह यह भी साबित करने में लगा था कि इस वारदात से एनएसयूआई सूरजपुर इकाई का कोई लेना देना नहीं है ,वहीं जैसे ही मामले का खुलासा हुआ सभी को आश्चर्य हुआ कि जो आरोपी कुलदीप साहू को लेकर बयान जारी कर रहा था उससे खुद का और पार्टी का पल्ला झाड़ रहा था वह खुद आरोपी निकला वह भी मुख्य आरोपी सहयोगी नहीं। वैसे मामले में कुलदीप साहू एनएसयूआई से नहीं जुड़ा हुआ है यह साबित करने का काफी प्रयास किया गया जिससे एक राजनीतिक दल वह भी प्रमुख विपक्षी दल के नाम को इस मामले में बदनाम होने से बचा लिया जा सके लेकिन ऐसा संभव नहीं हो सका वहीं इसमें कई पदाधिकारी कार्यकर्ता एनएसयूआई के संलिप्त पाए गए और मुख्य अभियुक्त की भूमिका में नजर आए। पूरे मामले में प्रमुख विपक्षी दल कांग्रेस अब बयान भी देने की स्थिति में नहीं है वहीं अब उसे सबसे पहले पूरे मामले से अपनी पार्टी के ही आनुषंगिक छात्र संगठन से जुड़ाव रखने वाले युवकों को लेकर कांग्रेस को निर्णय लेना होगा निष्कासित उन्हें करना होगा साथ ही तब वह जाकर बयान देने की स्थिति में होंगे और वह इस जघन्य हत्याकांड को लेकर सरकार को घेरने की स्थिति में होगें। वैसे कुलदीप साहू को जिले के बड़े कांग्रेस नेताओं का संरक्षण प्राप्त है यह दैनिक घटती घटना ने पहले ही सूत्रों से मिली जानकारी अनुसार बता दिया था वहीं सूत्रों का अब यह भी कहना है की एनएसयूआई के जिलाध्यक्ष की भी संलिप्तता उपरांत यह भी अब आवश्यक हो गया है कि और भी इस मामले में तफ्तीश यदि पुलिस करेगी कई बड़े कांग्रेस नेताओं की संलिप्तता उजागर होगी जो इन युवकों को संरक्षण देने का काम करते थे और यह सब कुछ इस जघन्य अपराध में शामिल युवकों की सीडीआर जांच उपरांत संभव होने वाला विषय है।
जघन्य दोहरे हत्याकांड में शामिल थे तीन युवक,एक ने आरोपी के भागने में की थी मदद,एक युवक अन्य अपराध में था शामिल
सूरजपुर कोतवाली में पदस्थ प्रधान आरक्षक तालिब शेख की पत्नी और उसकी पुत्री की नृशंस्य हत्या कुल तीन लोगों ने की जिसमें कुलदीप साहू आदतन आरोपी तड़ीपार शामिल था वहीं मामले में प्रदेश के प्रमुख विपक्षी दल कांग्रेस के आनुषंगिक छात्र संघ एनएसयूआई का जिलाध्यक्ष भी शामिल था।वहीं एक अन्य भी इस हत्याकांड में शामिल था जो प्रत्यक्ष शामिल था जो हत्याकांड में प्रधान आरक्षक के घर तक के वारदात में शामिल था,वहीं एक युवक एक पुलिसकर्मी पर जब कुलदीप साहू ने गर्म तेल खौलता तेल फेंका तब शामिल था,एक अन्य का नाम भी पूरे अपराध में जुड़ा है जिसके द्वारा आरोपी को भागने में मदद की गई थी यह भी बताया जा रहा है और वह पुलिस की विवेचना सहित अपराधियों की सूची में शामिल नाम है।
क्या आरोपी के लिए पुलिस ने दिखाई सहानुभूति और फैसला छोड़ा न्यायालय पर?
सुरजपुर जिले के कोतवाली थाने में पदस्थ प्रधान आरक्षक तालिब शेख की पत्नी और पुत्री की नृशंस्य हत्या मामले में पुलिस ने कुल पांच लोगों की गिरफ्तारी की और उन्हें न्यायालय में पेश किया। पूरे मामले में और अपराध की क्रूरता को यदि देखा समझा जाए तो मामले में कुछ न कुछ झोल झाल भी समझ में आता है। पूरे जिले की या संभाग की पुलिस ने मामले का पटाक्षेप करना जरूरी समझा वह भी जल्द पटाक्षेप वहीं पूरी कार्यवाही की प्रेस ब्रीफिंग में पुलिस जल्दबाजी में नजर आई। अपराधी कब पहुंचे और कब और क्यों उन्होंने प्रधान आरक्षक की पत्नी पुत्री की हत्या की घटना कारीत इसका कोई ब्यौरा नहीं है। उन्होंने प्रधान आरक्षक को मारने की रणनीति बनाई थी और वह जब घर उसके पहुंचे तो वहां उन्होंने उसके पत्नी पुत्री की हत्या को अंजाम दिया यह पुलिस थ्योरी है जबकि यदि वह हत्या के उद्देश्य से ही गए थे प्रधान आरक्षक की अनुपस्थिति में उन्होंने उसके परिजनों को परिवार के सदस्यों को अपना निशाना बनाया तो उन्होंने उनके शवों को क्यों दूर ले जाकर ऐसी स्थिति में फेंका जिसे देखकर मानवता भी शर्मशार हुई और जिसका कोई तर्क भी समझ से परे है। वैसे पुलिस ने अपना पल्ला झाड़ लिया और मामले में न्यायालय को ही सभी तरह के निर्णय के लिए मामला सौंप दिया जल्दबाजी इसलिए भी दिखाई जिससे पुलिस की ही कमियां उजागर न हों यह बात सामने आ रही है।
क्या पुलिस का आरोपियों को संरक्षण देना ही पुलिस के लिए पड़ा भारी
सूरजपुर दोहरे हत्याकांड से दो विषय उजागर हुए। एक विषय था कि राजनीतिक दलों से प्रत्यक्ष संबंध रखने वाले युवक आरोपी बनकर सामने आए वहीं उन्हें पुलिस का लगातार संरक्षण मिलता रहा यह भी उनके बढ़े हुए मनोबल का कारण रहा। कुल मिलाकर देखा समझा जाए तो राजनीतिक दल से प्रत्यक्ष संबंध की वजह से पुलिस आरोपियों आज के अपराधियों के वश में थी कुछ अपने भी स्वार्थ की वजह से भी पुलिस इस मामले के अपराधियों के वश में थी जो मजबूरी आर्थिक थी यह बात सामने आ रही है।और कहीं न कहीं अब यह भी लोग कहने लगे हैं की छोटे छोटे अपराधियों को इसी तरह सह देकर पुलिस बड़ा अपराधी बनाती है और राजनीतिक संरक्षण उन्हें और सबल बनाता है जो पूरे मामले में भी समझ में आया और एक बड़ी वारदात का शिकार पुलिसकर्मी का ही परिवार हुआ । वैसे देखा जाए तो यह हर जगह का हाल है पुलिस का ही संरक्षण अब आरोपी को अपराधी बना रहा है और बनाता आ रहा है और इसपर अंकुश लगाने के लिए पुलिस को ही ध्यान देना होगा स्वार्थ छोड़ना होगा। वैसे सूरजपुर के आरोपी पूर्व की सरकार में काफी प्रभावशाली थे यह बात भी समाने आ रही है।
सूरजपुर में हुए दोहरे हत्याकांड पर पुलिस अधिकारियों पर उठ रहे सवाल? आ रही किसी बड़ी साजिश की बू
सूत्रों की माने तो सुरजपुर दोहरे हत्याकांड में कुछ विषय ऐसे हैं जिसके बाद यह लोगों का मानना है कि यह मामला इस तरह का नहीं है जैसा आज पुलिस ब्रीफिंग में आईजी सरगुजा सभी के सामने रख रहे हैं । कई ऐसे विषय हैं मामले में जिसमें यह समझा जा सकता है कि पुलिस या उसके उच्च अधिकारी कुछ न कुछ छिपा रहे हैं या वह जल्दबाजी में सबकुछ कर रहे हैं।।जब आरोपी कई थे और कुलदीप साहू के साथ के दो अन्य जो जघन्य हत्या में शामिल थे वह कुलदीप साहू की गिरफ्तारी से पूर्व से ही पुलिस की गिरफ्त में थे तब पुलिस ने क्यों नहीं प्रेस वार्ता की यदि वह जान चुकी थी अपराधियों के विषय मे। वहीं कुलदीप साहू की गिरफ्तारी भी जिस अंदाज मे हुई वह भी अपने आप मे कई सवाल खड़े कर रहा है। खुद आईजी सरगुजा की हड़बड़ी लोगों के गले नहीं उतर रही है और लोगों के अनुसार पूरे मामले का अलग पहलू भी हो सकता है इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता।
कई करोड़ का मालिक कबाड़ी जिसके एक इशारे पर लाखों रुपयों का वारा न्यारा होता था, क्या वह पैसा लेने बस से आ रहा था?
वैसे कुलदीप साहू की गिरफ्तारी की खबर और तरीका लोगों को समझ नहीं आ रहा। जो कुलदीप आदतन अपराधी था जिसे देश के प्रमुख राजनीतिक दल का कांग्रेस का पदाधिकारी भी एक आनुषंगिक छात्र संघ का बताया जा गया वहीं जो कबाड़ सहित कई अन्य अवैध कार्य में संलग्न रहा करता था वह एक दिन में ही इतना पैसे के लिए मजबूर हुआ कि वह खुद पैसा लेने बस से लौट रहा था अन्य राज्य से और जहां वह भागकर पहुंच चुका था यह लोग समझ कर भी इसे समझ नहीं पा रहे है। लोगों के अनुसार कुलदीप साहू एक करोड़पति व्यापारी का बेटा है उसका व्यापार भी अवैध और गैर कानूनी व्यापार है और वह केवल पैसे के लिए भागकर और दूर निकलकर एक जघन्य अपराध उपरांत लौट रहा था जहां वापसी में उसके एनकाउंटर का भी खतरा था वह इतना रिस्क लिया होगा लोग मानने तैयार नहीं। लोगों का कहना है कुलदीप की गिरफ्तारी उसके भागने से पहले ही तय थी और यह स्क्रिप्ट थी खुद पुलिस अधिकारियों की यह माना जा सकता है।
जिस पुलिसकर्मी का परिवार उजड़ गया अब उसे न्यायालय पर ही भरोसा?
आरक्षक तालिब शेख जिसका परिवार ही उजड़ गया पत्नी और एक बेटी जिसकी बेरहमी से कत्ल कर दिए गए वह अब न्याय के लिए न्यायालय के चक्कर लगाएगा। पुलिस की विवेचना से वह खुद संतुष्ट होगा यह लगता नहीं क्योंकि पुलिस की विवेचना ही यदि प्रेस ब्रीफिंग का सार है तो फिर पुलिस की जल्दबाजी साफ नजर आती है।
2 दिन के पुलिस रिमांड आरोपी
थाना सूरजपुर पुलिस ने गिरफ्तार आरोपियों को माननीय न्यायालय में पेश किया जहां से 4 आरोपी क्रमशः (१) कुलदीप साहू पिता अशोक साहू उम्र 28 वर्ष (2) फुल सिंह उर्फ रिन्कू सिंह पिता स्व. गनपत सिंह उम्र 28 वर्ष तीनों निवासी पुराना बाजारपारा सूरजपुर, थाना सूरजपुर (3) चन्द्रकात चौधरी उर्फ सिके पिता षिवप्रसाद चौधरी उम्र 28 वर्ष निवासी ग्राम नेवरा, थाना सूरजपुर (4) सूरज साहू पिता स्व. राजाराम साहू उम्र 23 वर्ष ग्राम करंवा, चौकी लटोरी का 2 दिन का पुलिस रिमांड लिया हैं।
बेटी का जाना पिता के लिए विपति के समान
प्रधान आरक्षक की बेटी बहुत प्यारी थी, इतनी प्यारी बता नहीं सकता, कैसे इतनी कोमल सी बच्ची को मारा गया, वो बेटी नहीं, मेरी प्राण थी, सिर-आंखों पर बिठाकर रखा था उसको, कभी दूसरे बच्चे के बारे में सोचा ही नहीं। पढ़ा-लिखाकर सिविल जज बनाना था बेटी को, बेटी भी कहती थी, आपका सपना जरूर पूरा करूंगी, लेकिन सब कुछ बर्बाद हो गया, कुछ नहीं बचा। ऐसी हत्या के बारे में कोई सोच नहीं सकता। पत्नी के शरीर पर चाकू के वार से ४० जगह कटे हुए थे, जबकि बेटी के गर्दन पर २० बार वार किया गया था। पत्नी ने हत्यारे से काफी संघर्ष किया लेकिन खुद बची न ही बेटी को बचा पाई। इतना कहते हुए हेड कांस्टेबल तालिब शेख रोने लगे। हेड कांस्टेबल तालिब ने बताया कि आरोपी जब घर में घुसा तो पत्नी किचन में थी जबकि बेटी टीवी पर काटूर्न देख रही थी। आरोपी ने घुसते ही पत्नी पर हमला करना शुरू कर दिया, यह देख पत्नी ने बेटी से कहा कि दरवाजा बंद कर के तू भाग जा। बेटी भागते हुए नीचे आई। वह अंकल-अंकल आवाज देकर नीचे किराए में रहने वालों से दरवाजा खुलवाने लगी लेकिन किराएदार नहीं थे। आसपास रहने वालों में कोई आगे नहीं आया। आरोपी पत्नी को मारने के बाद नीचे आया और – बेटी को घसीटते हुए अंदर ले जाकर मार डाला। कमरे से लेकर घर के बाहर तक पत्नी और बेटी के बचाव के लिए संघर्ष और खून के निशान घटना की गवाही दे रहे हैं। बेटी के छोटे-छोटे पांव के जगह-जगह खून के निशान हैं। तालिब कहते हैं हल्ला सुनकर आसपास के लोग पहुंच गए रहते तो मेरी बेटी बच गई रहती, लेकिन कोई नहीं आया यह एक पिता का कहना था।
घर में लगा सीसी कैमरा था खराब
दुर्गा विसर्जन में तालिब की ड्यूटी लगी थी। शाम ६ बजे वह घर से ड्यूटी के लिए निकला था। इसी बीच कुलदीप ने आरक्षक पर तेल डाला। ताबिल ने पत्नी को फोन पर इस घटना की जानकारी दी। रात ९.३० बजे दो बार पत्नी को कॉल किया लेकिन पत्नी फोन नहीं उठाई। घर का सीसी कैमरा मोबाइल में चेक करने लगा, लेकिन डिवाइस बंद बता रहा था। सीसी कैमरा खराब हो गया था, जो ठीक नहीं करा पाया था। रात एक बजे जब घर पहुंचा तब तक सब कुछ लूट चुका था।
चार पंजीबद्ध अपराध
(१) आरक्षक के ऊपर खौलता तेल फेंक कर गंभीर रूप से आहत करने के मामले में थाना सूरजपुर में अपराध क्रमांक ५७३/२०२४ धारा २९६(बी), ३५१(३), २२१, १३२, ११८, १२१(२), १०९(१) बीएनएस ३(१)(आर-एस), ३(२)(अ.ं) एससीएसटी एक्ट का पंजीबद्ध किया गया है।
(२) थाना सूरजपुर के सामने पुलिसकर्मियों को स्वीफ्ट कार से कुचलने कर मार डालने का प्रयास करने पर अपराध क्रमांक ५७४/२४ धारा २२१, १३२, १०९(१) बीएनएस पंजीबद्ध किया गया है।
(३) प्रधान आरक्षक के घर पर जाने जहां घर लहु-लुहान होने, पत्नी व पुत्री के घर में नहीं मिलने, अपहरण एवं अनहोनी की आशंका होने पर थाना सूरजपुर में अपराध क्रमांक ५७५/२०२४ धारा १३७(१), १३८, १४०(१) बीएनएस पंजीबद्ध किया गया। प्रकरण में पृथक से धारा ३३१(६), २३८, १०३(१), ६१(२) बीएनएस जोड़ी गई है।
(४) आरोपी कुलदीप साहू के पुलिस टीम पर अवैध हथियार से फायरिंग कर जान से मारने का प्रयास करने पर थाना जयनगर में अपराध क्रमांक २१८/२०२४ धारा १०९(२) बीएनएस २५, २७ आर्म्स एक्ट का मामला पंजीबद्ध किया गया है।
गिरफ्तार आरोपीगण
कुलदीप साहू उम्र २८ वर्ष सूरजपुर, आर्यन विष्वकर्मा उर्फ गोल्डी उम्र २० वर्ष सूरजपुर, फुल सिंह उर्फ रिन्कू सिंह उम्र २८ वर्ष पुराना बाजारपारा सूरजपुर, चन्द्रकात चौधरी उर्फ सिके उम्र २८ वर्ष निवासी ग्राम नेवरा, थाना सूरजपुर, सूरज साहू उम्र २३ वर्ष ग्राम करंवा, चौकी लटोरी को गिरफ्तार किया गया है।
प्रदेश में घटी हृदय विदारक हत्याकांड से लोगों का ध्यान भटकाने के लिए भाजपा कर रही घटिया राजनीति
सूरजपुर में पदस्थ पुलिस कर्मी निवासी मनेंद्रगढ़ तालिब शेख की पत्नी एवं बच्ची की अपराधियों द्वारा हत्या कर दी गई अपराधी द्वारा उसी दिन सूरजपुर में पदस्थ एक अन्य पुलिसकर्मी के ऊपर गरम तेल डालकर घायल भी कर दिया था साथ ही पुलिसकर्मी तालिब शेख के ऊपर भी कार चढ़ाने के मामले में एनएसयूआई के प्रदेश अध्यक्ष नीरज पांडेय ने बयान जारी करते हुए कहा कि अपराध घटित करने वाला व्यक्ति अपराधी प्रवृत्ति का बताया जा रहा है जो सूरजपुर जिले का सबसे बडा कबाड़ी बताया जा रहा है। आरोपी के ऊपर आर्म्स एक्ट, चोरी, मारपीट, शासकीय संपतियो को नुकसान पहुंचाने अन्य धाराओं में दो दर्जन से अधिक अपराध दर्ज है। आरोपी जिला बदर भी रह चुका है भाजपा सरकार में निरंकुश होती शासन प्रशासन की व्यवस्था एवं अपराधियों के बढ़ते हौसलों का ही परिणाम है कि आए दिन लूट, मर्डर, बलात्कार जैसी घटना घटित हो रही है अब इन अपराधियों के चपेट में इस प्रदेश की रक्षा करने वाले पुलिस कर्मी एवं उनके परिवार के लोग भी आने लगे हैं जो बेहद दुर्भाग्यजनक है। एनएसयूआई अध्यक्ष नीरज पांडे ने कहा कि भाजपा सरकार में बैठे लोग अपनी सरकार की नाकामी छुपाने के लिए आदतन अपराधी को एनएसयूआई का पदाधिकारी बताने में तुले हुए हैं जबकि अपराध घटित करने वाले व्यक्ति का एनएसयूआई से कोई संबंध नहीं है उसे एनएसयूआई के किसी भी पद में कभी रखा ही नहीं गया है ना ही वह छत्तीसगढ़ न्याय यात्रा में आया था ना ही उसके लिए छत्तीसगढ़ न्याय यात्रा का पास जारी हुआ था फर्जी तरीके से कूट रचित पास बनाकर, इस प्रदेश में घटी हृदय विदारक घटना से आम जनता का ध्यान भटकने के लिए इस तरीके का आरोप लगाकर सरकारी अपनी नाकामी छुपाने को कोसिस कर रही। अपराध घटित करने वाला व्यक्ति एनएसयूआई का का कभी कोई पदाधिकारी नही रहा है इस तरीके के आदतन अपराधी को कभी कोई राजनैतिक दल अपना पदाधिकारी नही बनाएगा ये बात आम जन मानस भी समझती है। आरोपी को एनएसयूआई का पदाधिकारी बताया जा रहा है जिसका एनएसयूआई खंडन करती है। नीरज पांडे ने आगे कहा कि एक तरफ अपराध घटित करने वाले को एनएसयूआई का महासचिव बताया जा रहा है वही दूसरी तरफ उसके गाढ़ी में जिला अध्यक्ष एनएसयूआई का बोर्ड लगा बताया जा रहा है इन दोनो ही बातों में विरोधाभास है जो स्पष्ट प्रदर्शित करता है कि आम जनता को गुमराह करने के लिए सरकार अपनी नाकामी को छुपाने को कोशिश करते हुए अपराधी को एनएसयूआई कांग्रेस का पदाधिकारी बताने की कोशिस कर रही है। प्रदेश अध्यक्ष नीरज पांडे ने मृतकों को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा कि इस दुख की पीड़ा में पूरा एनएसयूआई पीड़ित पुलिसकर्मी तालिब शेख एवं उनके परिवार जनों के साथ खड़ा है साथ ही एनएसयूआई शासन प्रशासन से मांग करती है कि अपराध घटित करने वाले अपराधी की जल्द से जल्द गिरफ्तारी हो एवं कड़ी सजा मिले।
क्या अपने ही पुलिसकर्मी के लिए अधिकारी बड़ा निर्णय नहीं ले पाए?
पुलिस विभाग साथ ही सरगुजा आईजी खुद पूरे मामले में डटे रहे यह पुलिस विभाग बताता चला आता रहा कुलदीप साहू की गिरफ्तारी तक, वही जब प्रेस ब्रीफिंग हुई तब भी वह खुद प्रेस को संबोधित करते नजर आए लेकिन पूरी ब्रीफिंग यह बता गई कि पुलिस मजबूर थी अपराधियों के सामने।देखा जाए तो इस मामले मे पुलिस अपने ही विभाग के पुलिस कर्मी के पक्ष में कम नजर आई पटाक्षेप कर कानून व्यवस्था कायम करने के पीछे ही उसका पूरा ध्यान रहा! न पकड़े गए जघन्य अपराध के आरोपी ही उस तरह से नजर आए की कहा जा सके कि उनसे पुलिस की पूछताछ पुलिसिया रही । कुल मिलाकर अपने ही परिवार के मामले में पुलिस केवल किसी तरह बस पल्ला झाड़ती नजर आई जबकि यही पुलिस तब अक्रामक होती है जब इन्हें यह आदेश मिल जाता है कि कहीं घर उजड़ना है और वहां कानून व्यवस्था के लिए तैनात रहना है।
पहले दिन पुलिस का रुख था अलग फिर दूसरे दिन पुलिस का रुख कैसे बदला?
हत्याकांड के दिन सरगुजा संभाग की पुलिस आईजी सरगुजा के निर्देश और नेतृत्व में जिस तरह सक्रिय नज़र आई वही पुलिस अपराधियों की गिरफ्तारी के बाद क्यों सुस्त हुई यह सवाल भी उठ रहे हैं। लोगों का कहना है सब कुछ इसमें भी सेट कर ले गई पुलिस यह उनका सोशल मीडिया अकाउंट कह रहा है कि सेटिंग कर ली गई वहीं अब यदि लोगों का आरोप सही है तो यह काफी निंदा योग्य विषय है
जान बचाकर भागने वाला कबाड़ी आखिर झारखंड से क्यों लौटा क्यों अपना लोकेशन ऑन किया?
वैसे जब पूरे मामले मे शामिल एक आरोपी को पुलिस पकड़ चुकी थी जिसका नाम सीके चौधरी था और वह कुलदीप के साथ पूरे हत्याकांड में शामिल था उसके बावजूद पुलिस खुलासा क्यों नहीं कर रही थी क्यों कुलदीप का इंतजार कर रही थी।वहीं जो कुलदीप जान बचाकर प्रदेश से भाग चुका था वह क्यों एक सवारी बस से लौट रहा था। देखा जाए तो यही समझ में आ रहा है लोगों के जो वह सोशल मीडिया मेंअपने उदगार स्वरुप लिख भी रहे हैं कि कुलदीप का वापस आना ही एक प्रयोग है जहां उसे बचाया जाना ही एक निर्देश है।
क्या पुलिस कर्मी के परिवार के हत्या में भी हो रही राजनीति…क्या वोट बैंक के राजनीति को लेकर सरकार ने नहीं अपनाया कड़ा रुख?
कुलदीप साहू एक बड़ी जाती समुदाय से ताल्लुक रखता है। आज इस समुदाय की प्रदेश में निर्णायक भूमिका को लेकर कोई इनकार कर सके ऐसा संभव नहीं है। एक बड़े वोट बैंक समुदाय से ताल्लुक रखने के कारण कुलदीप को अभयदान मिल रहा है इस जघन्य अपराध उपरांत यह भी लोग कहने लगे है।।कुल मिलाकर क्या सरकार ही मामले मे जरा शिथिल हुई और आरोपियों अपराधियों को कहीं न कहीं संरक्षण मिला कुछ मामले में यह कहना गलत नहीं होगा।


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