रायपुर@ न्यायाधीश संरक्षण अधिनियम हुआ लागू

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@ तहसीलदारों और नायब तहसीलदारों पर एफआईआर नहीं होगी
रायपुर,15 अक्टूबर2024 (ए)
। छत्तीसगढ़ कनिष्ठ प्रशासनिक सेवा संघ की एक महत्वपूर्ण मांग को पूरा करते हुए, राज्य सरकार ने अब राजस्व अधिकारियों के लिए न्यायाधीश संरक्षण अधिनियम को लागू कर दिया है। इसके तहत, तहसीलदारों और नायब तहसीलदारों के खिलाफ बिना विभागीय अनुमति के सीधे एफआईआर दर्ज नहीं की जा सकेगी। इस मांग को संघ ने प्रमुखता से उठाया था, जिसके बाद राजस्व सचिव अविनाश चंपावत ने सभी कमिश्नरों और कलेक्टरों को इस आदेश को लागू करने के लिए पत्र जारी किया है।
अक्सर यह देखा गया था कि न्यायालयीन मामलों के निपटारे के बाद असंतुष्ट पक्षकार सीधे पीठासीन अधिकारियों के खिलाफ पुलिस में शिकायतें दायर कर देते थे, जिससे पुलिस एफआईआर दर्ज कर मामले की जांच शुरू कर देती थी। इससे राजस्व न्यायालय के पीठासीन अधिकारियों को न्यायाधीश संरक्षण अधिनियम 1985 के तहत उचित संरक्षण नहीं मिल पा रहा था।
कई बार असंतुष्ट पक्षकार पीठासीन अधिकारियों के खिलाफ सीधे सिविल न्यायालय में भी वाद दायर कर देते थे। सिविल न्यायाधीश के स्पष्ट निर्देशों के अभाव में पुलिस को प्राप्त शिकायतों की जांच शुरू कर दी जाती थी, जिसके परिणामस्वरूप प्राथमिकी दर्ज की जाती थी।
ज्यूडिशियल ऑफीसर्स प्रोटेक्शन एक्ट 1850 के अंतर्गत न्यायिक अधिकारियों को उनके द्वारा किए गए न्यायालयीन कार्यों या पारित आदेशों के खिलाफ सिविल न्यायालय में मुकदमा चलाने से संरक्षण प्राप्त है। यह संरक्षण इस सिद्धांत पर आधारित है कि न्यायालय के रूप में कार्य करने वाले व्यक्तियों को उनके कर्तव्यों के प्रभावी निष्पादन के लिए भय-मुक्त होना आवश्यक है।
जजेस प्रोटेक्शन एक्ट 1985 के तहत, न्यायाधीशों को उनके न्यायिक कार्यों के दौरान किए गए कार्यों के लिए सिविल या दंडात्मक कार्यवाही से संरक्षण दिया गया है। अधिनियम की धारा 2 (9) के अनुसार, उन सभी व्यक्तियों को न्यायाधीश माना जाएगा जिन्हें विधि द्वारा न्यायिक कार्यवाही में निर्णायक आदेश जारी करने का अधिकार दिया गया है।
इसी प्रकार, धारा 3 (1) के अंतर्गत, कोई भी न्यायालय ऐसे व्यक्तियों के खिलाफ जो न्यायाधीश के रूप में कार्य कर रहे हैं, उनके न्यायालयीन कार्यों के लिए किसी प्रकार की सिविल या दंडात्मक कार्यवाही नहीं करेगा। इस दिशा में,तहसीलदारों और नायब तहसीलदारों के लिए न्यायाधीश संरक्षण अधिनियम को लागू करने का आदेश राजस्व सचिव ने जारी किया है, जिससे अब बिना विभागीय अनुमति के राजस्व अधिकारियों पर अपराध दर्ज नहीं हो सकेगा।


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